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Showing posts from September, 2022

मां मंदिर बसई : जिला महेन्द्रगढ़ ( हरियाणा )

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मां मंदिर बसई *********** जिला महेंद्रगढ़ में बसई गांव की पहाड़ी पर 10 वर्ष पूर्व भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था जो आज दूरदराज भक्तों के लिए आस्था श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। प्रतिवर्ष हजारों भक्तों ने आकर मन्नत मांगते हैं। जब जब नवरात्रे आते हैं यहां पर मेले लगते हैं और मेलों में अपार भीड़ जुटती है। ऊंची पहाड़ी पर रमणीक स्थान पर मां का मंदिर है। पहाड़ों को काटकर वहां तक पहुंचने का मार्ग बना रखा है जहां से गुजरते वक्त शकुन का अहसास होता है।  स्थापना  इस मंदिर की स्थापना 10 वर्ष पूर्व माता मंदिर की भोलाराम जोशी, महाबीर जोशी एवं उनके परिजनों ने की करवाई थी। परिवार ने मां चिंतपूर्णी हिमाचल की देवी से प्रेरणा लेकर मंदिर का निर्माण करवाया है। इस मंदिर का निर्माण विशेष प्रकार के पत्थर को काटकर बनवाया गया है। करोड़ों रुपए की लागत से इस मंदिर का निर्माण किया गया है। यही कारण है कि इस मंदिर को देखने के लिए दूरदराज से भक्तजन आते हैं। इस मंदिर के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री एवं निर्माण कला विशिष्ट है।  मंदिर की विशेषता-  माता मंदिर में प्रतिदिन भक्तों का ताता लगा

जय खाटू श्याम - 30 सितम्बर

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जय भोलेनाथ नमः - 30 सितम्बर

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ऐलान

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मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर

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             मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर मां त्रिपुर सुंदरी देवी का मंदिर राजस्थान के बांसवाड़ा शहर से उन्नीस(19) किलोमीटर की दूरी पर उमराई गांव में स्थित है। मंदिर के आसपास तीन दुर्ग थे। शक्तिपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी। इन तीनों में स्थित होने के कारण देवी का नाम त्रिपुर सुंदरी पड़ा। मां त्रिपुर सुंदरी महाकाली, महासरस्वती और  महालक्ष्मी का संयुक्त स्वरुप हैं। इसलिये भी देवी का नाम त्रिपुर सुंदरी पड़ा। यह स्थान कितना प्राचीन है? प्रमाणित नहीं है वैसे तो देवी मां की पीठ का अस्तित्व  तीसरी सदी से पूर्व का माना गया है। गुजरात, मालवा और मारवाड़ के शासक त्रिपुर सुंदरी के उपासक थे। गुजरात के राजा सिद्धराज  सोलंकी की इष्ट देवी भी रहीं हैं मां त्रिपुर सुंदरी। राजा मां की उपासना के बाद ही युद्ध  हेतु प्रयाण करते थे।  कहा जाता है कि मालव नरेश जगदेश परमार ने मां के श्री चरणों में अपना शीश काटकर अर्पित कर दिया था। मां ने पुत्रवत जगदेश को पुनः जीवित कर दिया था। मंदिर का जीर्णोद्धार तीसरी शती के आसपास चांदा भाई पंचाल ने करवाया था। मंदिर के समीप ही खाली स्थान है जहां पर किसी समय लोहे की ख

जय खाटू श्याम - 29 सितम्बर

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जय भोलेनाथ नमः - 29 सितम्बर

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केन्द्रीय कर्मियों को चार प्रतिशत मंहगाई भत्ता एक जुलाई से दिया जाऐगा

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पीएफआई पर लगा बैन

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जय खाटू श्याम - 28 सितम्बर

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