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क्या जीवन का हिस्सा है बचत की आदत डालना ?

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बचत की आदत बहुत ही जरूरी है । बचत के बिना जीवन अधूरा है । बचत को जीवन का हिस्सा बना कर ही जीवनयापन करना चाहिए । जिससे जीवन की बहुत सी समस्याएं अपने आप हल हो जाती है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते है : - बचत की आदत अच्छी आदतों में शामिल है। इसे बचपन से ही पाठ्य-पुस्तकों में शामिल किया गया है। कोई भीअच्छी आदतें कभी नुकसान नहीं पहुंचातीं।  इस तरह की छोटी-छोटी अच्छी बातें बच्चों का भविष्य संवारने में मदद करती है। शिक्षित होने का सबसे बड़ा फायदा है। बच्चे पैसे का मूल्य समझते हैं। उसका सही तरीके से उपयोग सीखते हैं। फिजूलखर्ची का सही मायने में अर्थ समझ पाते हैं। इस आदत को तो जीवन का हिस्सा बनाना आज ही नहीं पुरातन काल से चल आ रहा है। पहले मिट्टी की गुल्लक में रोज एक सिक्का डालने को दादी-नानी सिखाती थीं। खेल-खेल में बच्चे सब सीखते थे। आज टेक्नोलॉजी के युग में बच्चों का दर्शन क्षेत्र व्यापक हो गया है। उन्हें अनेकों ख्वाब दिखाए जाते हैं । लेकिन जमीनी ज्ञान की जरूरत आज भी उसी प्रकार बनी है। यह आदत जीवन को आसान

इन्सान क्यों बन जाता है जानवर ?

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प्रभु ने हमें इन्सान बना कर धरती पर भेजा है । परन्तु फिर भी हम जानवर बनने में कुछ भी देर नहीं लगते है । यहां पर जानवर का अर्थ ये है । बड़े से बड़े अपराध करने में कोई संकोच नहीं करते हैं । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -   इंसान स्वयं को नहीं समझ पा रहा है तो औरों को कैसे समझ पाएगा स्वयं को न समझ पाने के कारण वह अपने पराए की दीवार में फंसा हुआ अमानवीय व्यवहार करता है हमारे व्यवहार किसी भी मानव को स्वीकार नहीं होता अतः मनुष्य भ्रम के कारण  गलत व्यवहार करता है हिंसक पशुओं से भी बदतर यह सब सही की समझ ना होने के कारण करता है। कोई जानबूझकर गलती नहीं करता अनजाने में ही गलती होती है अतः मनुष्य को जाना ना यह समझना जरूरी है नहीं तो मनुष्य क्रूर जानवरों की तरह  व्यवहार करता हुआ स्वयं जी पाता है ना दूसरों को जीने देता है ऐसे प्रवृत्ति के लोग   आज वर्तमान समाज में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं संस्कार हीन भावना से जीते हुए दरिंदगी प्रवृत्ति में उतर आते हैं और खुद व्यवस्था में ना जीते हुए दूसरों को अव्यवस्थित करते