मेरी मातृभाषा हिन्दी ************** मुझे गर्व है कि मेरी मातृभाषा हिन्दी है । मैं हिन्दी को प्रणाम करता हूँ कि हिन्दी गंगा के समान है । जिसमें हर कोई पवित्र हो जाता है। देश की माटी में चंदन सी खुशबू रहती है । देश की गौरव गाथा के लिए सागर का पानी भी कम पड़ जाएगा । हिन्दी तो हिन्दुस्तान की मां है यहाँ के सँस्कार दुनिया में आदरणीय हैं । यहाँ के बड़े बड़े ऋषि मुनियों ने तप और साधना की है यहाँ धर्म को बहुत मान्यता दी गई है । हिन्दी की सभ्यता में हिन्दी की मिठास अपनी तरफ खींच लेती है । यहाँ की प्रकृति भी हिन्दी के सौंदर्य में भारत बस्ता है। अंग्रेजी एप्पल से शुरू होती है और अंत मे ज़ेबरा (गधा) बना देती है। हिंदी वर्णमाला अ अनार से शुरू होती है और ज्ञ ज्ञानी बनाकर ही दम लेती है। किसी भी राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखने में उसकी भाषा का योगदान सर्वोपरि होता है। प्रयोग न होने वाली भाषायें मर जाती हैं। हिन्दी का विकास ही हमारा विकास है। हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हमारा गौरव है अंग्रेजी हमारी मज़बूरी है हिन्दी हमारा स्वाभिमान है। सविधान सभा ने 14 स