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Showing posts from 2020

क्या सफलता के बहुत से रिशतेदार बन जाते हैं ?

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सफलता के समय हर कोई आपके साथ खड़ा नज़र आता है । जो अपने आपको रिश्तेदार भी साबित कर देता है । परन्तु संकट के समय बड़े से बड़ा रिश्तेदार भी साथ छोड़ जाता है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।अब आये विचारों को देखते हैं : -         आवत ही हर्षे नहीं          नैनन नहीं सनेह          तुलसी तहाँ ना जाईये          कंचन बरसे मेह।।      सफलता के साथ ही यह परिभाषा बदल जाती है और अनेक रिश्ते आपकी देहरी पर अपनेपन की बारिश करने लगते हैं।              निःसंदेह सफलता अपने साथ अनेक रिश्तों को लाती है। वे लोग जिन्होंने कभी आपके नाम को अपने साथ जोड़ना नहीं चाहा वेभी आपको अपना सगा बताने में नहीं हिचकिचाते और इंतेहा यह कि आपकी सफलता में अपने तथाकथित योगदान की गाथाएं सुनाने लगते हैं। अगर आप समाज में कहीं कुछ गिनती में आ रहे हैं या किसी ऊँचे पद पर आपकी नियुक्ति हो गई हो।         रिसते रिश्ते भी महकने लगते हैं। सामाजिक रिश्ते शुभाकाँक्षी रिश्ते बन जाते हैं तो सामान्य सी हाय-हलो दाँत-काटी दोस्ती बन जाती है। जो लोग कभी आपके गाँव से आने के बाद आपसे नजरें

गीता के ज्ञान का मूल स्वरूप क्या है ?

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महाभारत के समय में कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया अर्जुन को  उपदेश ही गीता का ज्ञान कहलाती हैं । इस का मूल स्वरूप क्या है । यहीं जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -  गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहते हैं। इस सृष्टि की रचना मूल रूप से तीन गुणों से हुई है। यह तीन गुण सत्व राजस और तमस है। हालांकि आधुनिक विज्ञान आज भी इससे अनजान है। परंतु धार्मिक मान्यता है कि तीन गुण  सजीव, निर्जीव,स्थूल और सुक्ष्म वस्तुओं में रहते हैं। श्री कृष्ण भगवान अर्जुन को यह बताते हैं कि *यह मूल प्रकृति ही संसार के समस्त वस्तुओं को उत्पन्न करने वाली है और आत्मा रूप में चेतन रूप मे चेतन रूपी बीज को  स्थापित करता हूं*। इस जड़ -चेतन के संजोग से ही सभी चर -अचर प्राणियों की उत्पत्ति होती है।साथ ही समस्त योनियों में जो भी शरीरधारी प्राणी उत्पन्न होते हैं उन सभी को धरण करने वाली आत्मा रूपी वीज को स्थापित करने वाला पिता हूं। सात्विक राजसिक और तामसिक यह तीनों गुणों के कारण ही अविनाशी आत्मा शरीर से बंध जाती है। पुरु

क्या एलियन ही हमारे भगवान जैसे हैं ?

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एलियन दूसरी दुनियां के जीव है । जो हमारे से बहुत अधिक विकसित है । जिन के बारें में हमें बहुत कम जानकारी हासिल है । परन्तु वे ( एलियन ) हमारे बारें में बहुत अधिक जानकारी रखते हैं । वे हमारी धरती पर आते रहते हैं । परन्तु हमें उन के निवास के बारे में कुछ नहीं जानते है। हो सकता है कि ये धरती के जीवों के जन्म दाता हो , ऐसी फिलहाल कल्पना ही कहं सकते हैं । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।  अब आये विचारों को देखते हैं : - प्रश्न है, कि क्या एलियन ही हमारे भगवान जैसे हैं? यह भी हो सकता है, कि यह मिथक मात्र हो. अनेक विचित्र प्राकृतिक घटनाएं घटित होती रहती हैं और मानव इस पर अपने विचार प्रकट करता रहा है. कुछ के कहने के मुताबिक एलियन हमारे भगवान जैसे हैं, उनके पास ऐसी शक्तियां और औजार हैं, कि वे कुछ भी विचित्र निर्मित कर सकते हैं. मिस्र के निवासियों के पास गीजा में पिरामिड बनाने के लिए न तो औजार थे, न ही इन्हें बनाने का ज्ञान था. इस तरह इन्हें अवश्य ही एलियंस ने बनाया होगा. यदि भारत के संदर्भ में बात करें तो ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हें आज क