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Showing posts from April, 2021

क्या कोरोना में दमदार हथियार सिर्फ वैक्सीन है ?

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कोरोना एक ऐसी बिमारी है । जिस का कोई स्थाई इलाज सम्भव नहीं हो पाया है । सिर्फ बचाओ में ही बचाओ है । जिसमें वैक्सीन भी बचाओं का एक हथियार है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - अभी तक किसी वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन एक सफल हथियार रहा है। कोरोना से लड़ने के लिए भी वैक्सीन लगाना एक कारगर कदम है।  कोरोना से बचाव के सभी साधनों, यथा... मास्क का प्रयोग, दो गज की दूरी आदि से अब सभी लोग परिचित हो गये हैं। परन्तु वैक्सीन को लेकर अभी कुछ लोग भ्रमित हैं जबकि विभिन्न स्रोतों से ज्ञात हो चुका है कि वैक्सीन लगाने के बाद हमारे शरीर को कोरोना से लड़ने हेतु अतिरिक्त शक्ति मिल जाती है।  इसलिए मेरा कहना है कि कोरोना में अन्य सावधानियों के साथ-साथ वैक्सीन भी एक दमदार हथियार है।  "कोरोना  संकट   बड़ा, हर मानव भयभीत। हुशियारी से ही मनुज, लेगा  उसको जीत।।  मिलेगी  तुझे  जीत, तनिक संयम अपनाओ।  समय जायगा बीत, कदम तुम ठोस उठाओ।।  चौकस रहिए आप, अंत इसका भी होना।  हितकारी वैक्सीन, न हो घातक कोरोना।।" - सतेन्द

क्या व्यक्ति की सफलता में भाग्य से अधिक कर्म पर निर्भर होता है

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व्यक्ति की सफलता कर्म पर निर्भर करती है । बिना कर्म के सफलता सम्भव नहीं होती है । कर्म से दुनियां चलती है । यह प्राकृतिक का नियम है । बिना कर्म के जीवन सम्भव नहीं है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा आज की चर्चा का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि जीवन में कर्म ही प्रधान होता है। कर्मशीलता ही मनुष्य को सफलता के शिखर पर ले जाती है। सफलता में भाग्य की यदि कोई भूमिका होती भी है तो वह अप्रत्यक्ष होती है। जबकि मनुष्य द्वारा किये गये कर्म धरातल पर दृष्टिगत होते हैं। एक पिता की दो सन्तानों के जीवन स्तर में अंतर होने को मैं यही समझता हूँ कि निश्चित रूप से उनके कर्मों के कारण ही उनके स्तर में भिन्नता होती है।  हमारे आसपास ऐसे उदाहरण अक्सर दृष्टिगत होते हैं कि कर्मशीलता अपना पूरा प्रभाव नहीं दिखा पाती तब हम कह देते हैं कि इस व्यक्ति का भाग्य ठीक नहीं है। परन्तु मैं समझता हूं कि कर्म-दोष के कारण ही व्यक्ति को असफलता प्राप्त होती है।  सही समय पर सार्थक कर्म सदैव लाभकारी और सफलता प्रदान करते हैं। निष्कर्षत: मैं यही कहूंगा कि व्यक्ति

क्या जीवन में कुछ भी स्थाई होता है ?

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जीवन में बहुत कुछ होता रहता है । जिस का कोई ज्ञान भी नहीं होता है । जो अनिश्चित स्थिति पैदा करता है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है... और यह बात गीता में प्रभु कृष्ण ने स्वयं कहा है कि परिवर्तन तो संसार का नियम  है जो आया है वह जायेगा ही !   अतः हमे जब ज्ञात है कि जीवन में समस्याएं, दुख -सुख , रिश्ते सभी बदलते हैं यहां कुछ स्थाई नहीं है और यही शाश्वत है !तो हमें जीवन में आने वाली समस्या का हिम्मत से मुकाबला करना चाहिए   ! आज कोरोना जैसी समस्या का हमें हिम्मत से मुकाबला करना चाहिए एवं न ही धैर्य खोना चाहिए! सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ उसपर काबू पाना चाहिए.... चूंकि हम जानते हैं कि यह स्थिर नहीं है! यदि बीमारी आई है तो उसका अंत तो है ही! बस हमें अपना कर्म करना है और जीवन को जीने के लिए नयी दिशा देनी है ! जीवन पतझड़ और बसंत की तरह है धूप-छांव साथ साथ लिए चलती है, रात और दिन भी बदलते हैं! समय कैसा भी हो यहां कुछ स्थाई नहीं है .....बस हमें कर्म करते जाना है....