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Showing posts from January, 2022

मां के साथ इन्साफ

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नेता सुभाष चंद्र बोस की 125 वी जयंती के अवसर पर जयहिंद सम्मान - 2022

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लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृति में लघुकथा उत्सव

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          लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 में सिताब दियारा - बिहार , वर्तमान में बलिया उत्तर प्रदेश भारत में हुआ है । इन की  माता श्रीमती फूल रानी देवी व पिता श्री हरसू दयाल श्रीवास्तव है । इन का बचपन में नाम बबूल कहा जाता था, क्योंकि वे 5 वर्ष तक बोले में असमर्थ थे। जब उन्होंने 6 वर्ष की आयु में बोलना शुरू किया तो उन्हें गांव के स्कूल में दाखिल करा दिया गया, बाल्यकाल से ही उनकी रुचि नैतिकता व भगवद्गीता के सिद्धान्तों में थी। पटना में अपने विद्यार्थी जीवन स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गये, जिसे युवा प्रतिभाशाली युवाओं को प्रेरित करने के लिए डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित किया गया था, जो गांधी जी के एक निकट सहयोगी रहे और बाद में बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री रहे। 16 मई, 1920 को इनका विवाह प्रभावती देवी से हो गया, यह उस समय का अजीबो-गरीब विवाह था। बाबू राजेन्द्र प्रसाद की प्रेरणा से उन्होंने कोई दहेज नहीं लिया। लेकिन उन्हें वैवाहिक जीवन में कोई

आदरणीय मधुदीप गुप्ता को ऑनलाइन श्रद्धांजलि

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वरिष्ठ लघुकथाकार , समीक्षक , सम्पादक व प्रकाशक आदरणीय मधुदीप गुप्ता जी , अभी हाल में हमसब को छोड़ कर दुनियां को अलविदा कर गये है ।         फिलहाल " भारतीय लघुकथा विकास मंच " ने ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन फेसबुक पर  रखा  । विभिन्न शुभचिंतकों ने अपने विचारों के माध्यम से श्रद्धांजलि प्रदान की हैं । जिसकों यहां पेश किया है : - कथाकार- उपन्यासकार- लघुकथाकार- संपादक - प्रकाशक मधुदीप को शब्दांजलि: अशोक जैन  ************* प्रत्येक व्यक्ति का जीवन उसके अपने आदर्शों,संघर्ष, सद्कार्य  व नियम -कायदों के अधीन रहता है। कुछ को उसके कार्यों के लिए  याद किया जाता है, तो कुछ को उसके आदर्शों के लिए। दिल्ली से भाई महावीर गुप्ता उर्फ मधुदीप 11 जनवरी को प्रभात बेला में अपनी परमधाम की अनंत यात्रा पर चले गये, लेकिन उनके कार्यों व सिद्धांतों में वे सदा ज़िंदा रहेंगे। एक कर्मठ योद्धा की तरह सौ से अधिक दिनों तक एक क्रूर प्राणघातक बीमारी  से जूझते रहे। कभी-कभार ऐसा लगता रहा कि वे स्वस्थ होकर पुनः क्रियाशील होंगे। यद्यपि वे अस्पताल के बिस्तर से भी अपना कार्य करते रहे।6 जन