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क्या स्वास्थ्य से बड़ा कोई सुख जीवन में होता है ?

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स्वास्थ्य के बिना कुछ भी कर पाना बहुत कठिन होता है । जीवन में स्वास्थ्य रीढ की हड्डी के सामान होता है ।  जीवन में स्वास्थ्य बहुमूल्य होता है । जो जीवन के लम्बे संघर्ष के लिए सार्थक सिद्ध होता है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं :-  स्वास्थ्य हीं जीवन है ,ऐसा कहा जाता है। व्यक्ति सुखी तभी होता है,जब वह स्वस्थ होता है। यदि व्यक्ति के पास लाख ऐशों आराम के साधन हो लेकिन अगर वह स्वस्थ नहीं तो सब बेकार है। स्वस्थ व्यक्ति हर हाल में खुश रह सकता है , लेकिन अस्वस्थ व्यक्ति सुखी नहीं होता। स्वस्थ रहने के लिए आजकल लोग अनगिनत प्रकार के प्रयास और प्रयोग करते हैं। इस प्रयास में रूपये भी खर्च करने पड़े तो लोग पीछे नहीं हटते। सचमुच स्वास्थ्य से बड़ा कोई सुख नहीं होता है यह बात अक्षरशः सत्य है। खाना -पीना, सजना - संवरना, घूमना , लोगों से मिलना ये तभी होता है जब आप निरोगी और स्वस्थ महसूस करते हैं स्वयं को अन्यथा ऐसा कुछ भी करने को आपका दिल नहीं करेगा । मामूली एक कांटा भी पांव में चुभ जाए तो हम विचलित और दुःखी हो

क्या आप सिर्फ जानकारी को शिक्षा समझते है ?

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सिर्फ जानकारी से क्या हो सकता है क्या नहीं हो सकता है । जानकारी से शिक्षा का क्या सम्बंधन है । शिक्षा से क्या - क्या हासिल होता है । शिक्षा का लम्बा - चोड़ा इतिहास है । सभी क्षेत्रों में शिक्षा के अपने मायने हैं । फिर भी जानकारी से बहुत कुछ हासिल होता है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - नहीं जी,सिर्फ सूचना को शिक्षा नहीं माना जा सकता। यदि सिर्फ सूचना ही शिक्षा होती तो बड़े बड़े शिक्षण संस्थानों और शिक्षकों की कोई जरूरत ही नहीं होती।यह काम तो अखबार और खबरी चैनल ही बहुत कुशलता से कर लिया करते।शिक्षकों को तैयार करने वाले विभिन्न पाठ्यक्रम निरर्थक ही होते।विषय वस्तु की सूचना शिक्षा नहीं,बल्कि उसे समझना और समझकर उसका प्रयोग करने की क्षमता विकसित करना शिक्षा है।और यह कार्य मात्र सूचना से तो कभी संभव ही नहीं है। भारत की शिक्षा व्यवस्था वो अद्वितीय व्यवस्था थी, जिसमें छात्र को उसकी रुचि के अनुरूप शिक्षा देकर उन कौशलों को विकसित कर दिया जाता था जो उसके जीवनयापन वह सामाजिक जीवन में सदा सहायक होते थे। ब