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Showing posts from January, 2019

वर्तमान में अहिंसा का अस्तित्व

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       जैमिनी अकादमी द्वारा महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर परिचर्चा " वर्तमान में अहिंसा का अस्तित्व " का आयोजन रखा है ।         अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के जीवन का अन्त हत्या से हुआ है । यह अहिंसा की सच्चाई है जिससे कभी भुलाया नहीं जा सकता है । फिर भी हम वर्तमान में अहिंसा का अस्तित्व खोज रहें हैं । क्योंकि यही महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।      उम्मीद पर दुनियां कायम है । उम्मीद से ही हर कार्य सफल होता है । जो अहिंसा की उम्मीद तोड़ देता है । वह एक ना एक दिन हत्यारा बन जाता है । यह जीवन की असफलता है ।        अब कुछ विद्वानों के विचारों पर भी प्रकाश डालते हैं :-  दिल्ली से सुदर्शन खन्ना लिखते है कि  बात-बात में जान ले ली जाती है ।  क्रोध और धैर्यहीनता सीमा के बाहर हो रहे हैं ।  कोई भी ज्ञान इन्हें नियंत्रित नहीं कर पा रहा ।  जहाँ राजनीति हिंसा के निशाने पर है, वहीं समाज भी हिंसा के निशाने पर है । समाज को सही दिशा दिखाने वाले भी हिंसा के शिकार हो रहे हैं ।  कन्याएँ और महिलाएँ शारीरिक हिंसा का शिकार हो रही हैं ।  शांतिप्रिय लोग भी इससे अछूत

देश का तिरंगा - भारत की पहचान

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जैमिनी अकादमी , पानीपत ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर " देश का तिरंगा - भारत की पहचान " परिचर्चा का आयोजन किया है । सबसे पहले तिरंगा ध्वज की बनावट तथा इतिहास पर नज़र डालते हैं । ये तीन रंगों से केसरिया, सफेद और हरे रंग से बना है।  झंडे के बीच में नीले रंग का चक्र होता है। तीनों रंगों का अपना अलग महत्व है। केसरिया रंग जहां शक्ति का प्रतीक है। वहीं सफेद रंग शांति का प्रतीक है। जबकि हरा रंग हरियाली और संपन्नता का प्रतीक है। तिरंगे के बीच में बना चक्र राजा अशोक द्वारा सारनाथ में स्थापित सिंह के क्षेत्रफल के आधार पर बनाया गया है। नीले रंग का चक्र जीवन में गतिशीलता और इसकी तीलियां 24 है।  झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 2:3 होता है। जबकि चक्र की परिधि सफेद पट्टी के अंदर होती है।       राष्ट्रीय ध्वज की रचना में कई बार बदलाव हुए। पहले ध्वज का इस्तेमाल आजादी के प्रति अपनी निष्ठा को दर्शाने के लिए होता था। बाद में ये राजनितिक विकास का भी प्रतीक बना। देश का सबसे पहला राष्ट्रीय ध्वज वर्ष 1906 में बना। इसे कोलकाता के बागान चौक में फहराया गया था। इसमें केसरिया, पीला और हरा रंग था।

जनवरी - 2019 ( महिला लघुकथाकार विशेषांक )

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जैमिनी अकादमी समाचार पत्र  पानीपत - हरियाणा

अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता - 2019

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          अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता - 2019 का परिणाम :- जैमिनी अकादमी , पानीपत - 132103 हरियाणा द्वारा आयोजित 25 वी अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता - 2019 में 133 लघुकथाकारों ने भाग लिया है ।  प्रतियोगिता सम्पादक बीजेन्द्र जैमिनी ने सभी की एक - एक लघुकथा चुन कर " निर्णायक मंडल " को सौंप दिया है । निर्णायक मंडल में पानीपत साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री मदन मोहन ' मोहन '  व जैमिनी अकादमी के महासचिव श्री देवेन्द्र तूफ़ान है । " निर्णायक मंडल " ने लघुकथा प्रतियोगिता - 2019‌ का परिणाम इस प्रकार घोषित किया है :-  प्रथम पुरस्कार :-    लघुकथा का शीर्षक - मन के सपने  लघुकथाकार - रेखा श्रीवास्तव , कानपुर - उत्तर प्रदेश द्वितीय पुरस्कार :- लघुकथा का शीर्षक - अब तस्वीर ही पिता लघुकथाकार - सेवा सदन प्रसाद , मुम्बई - महाराष्ट्र तृतीय पुरस्कार :- लघुकथा का शीर्षक - दुर्गा लघुकथाकार - प्रज्ञा गुप्ता , बांसवाड़ा - राजस्थान तीन सांत्वना पुरस्कार :- 1. लघुकथा का शीर्षक - पुरुषार्थ दो लघुकथाकार - ज्ञानदेव मुकेश , प