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Showing posts from January, 2018

31 जनवरी

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पानीपत

30 जनवरी

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पानीपत

29 जनवरी

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पानीपत

28 जनवरी

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पानीपत

27 जनवरी

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पानीपत

संघर्ष से ही सफलता

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" मेरी दृष्टि में " बिना संघर्ष कोई सफलता नहीं है। यही सफलता का राज है। संघर्ष करना भी कोई आसान काम नहीं है ।

26 जनवरी

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पानीपत

25 जनवरी

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24 जनवरी

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पानीपत

जनवरी - 2018 लघुकथा विशेषांक

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जैमिनी अकादमी समाचार पत्र, पानीपत  लघुकथा विशेषांक पेज नं 4  पेज नं 3  पेज नं 2 पेज नं 1

23 जनवरी

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पानीपत

22 जनवरी

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पानीपत

21 जनवरी

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पानीपत

रवीन्द्र ज्योति मासिक पत्र

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   सम्पादक : डॉ. केवल कृष्ण ' पाठक '    343/19, आनन्द निवास , गीता कालोनी       जीन्द - 126102 ( हरियाणा )    समाचार पत्र के आकार का साहित्यिक तथा सामाजिक चिंतन से परिपूर्ण मासिक पत्र है। जिस में लेख, कविता, साहित्यिक समाचार आदि बहुत कुछ होता है।     पत्र - पत्रिकाओं का विवरण इस मासिक पत्र की शान है। जो विभिन्न राज्यों से प्रकाशित होने वाली पत्र - पत्रिकाओं को एक जगह पर एकत्रित कर के प्रकाशित किया जाता है। जो लेखकों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा है।      इसी प्रकार से विभिन्न राज्यों के लेखकों की पुस्तक का विवरण दिया होता है। जो पुस्तक तथा लेखक के प्रचार प्रसार का कार्य करता है। कभी कभी पुस्तक समीक्षा भी होती है।      साहित्यिक , पत्रकारिता व धार्मिक आदि क्षेत्रों के सम्मान व पुरस्कार के आवेदन आमंत्रित की सूचना से लेकर सम्मान व पुरस्कार की घोषणा आदि समारोह की जानकारी राष्ट्रीय स्तर पर होती है।        मासिक पत्र में अनेकों प्रकार की जानकारी होती है। राष्ट्रीय स्तर पर इस पत्र की पहचान है। हरियाणा सरकार की हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से  इस पत्र के सम्पादक को साहित्यिक पत

20 जनवरी

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पानीपत

बालप्रहरी ( बच्चों की त्रैमासिक पत्रिका )

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        प्रधान सम्पादक : उदय किरौला       दरबारीनगर, अल्मोड़ा - 263601                उत्तराखंड - भारत      पत्रिका में बाल साहित्य की भरमार है। कहानी, बाल कविता, लघुकथा, अनमोल वचन, पहेलियां, चुटकुले, लेख, साहित्यिक समाचार, आदि सामग्री होती है। सामग्री उच्च कोटि है        " मेरी दृष्टि में "  निबंध प्रतियोगिता, कविता लिखों प्रतियोगिता, सुडोकू, कहानी लिखों प्रतियोगिता, अंक पहेली, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, बालप्रहारी बाल क्लब आदि पत्रिका की विशेष उपलब्धि है। इन के बिना पत्रिका अधूरी है।        "  बच्चों की क़लम से "  चित्र, छोटी - छोटी कविताएं, लेख, आदि सामग्री से बाल साहित्यकार बनाये जा रहें हैं। ये भविष्य के साहित्यकार हैं।            कुल मिलाकर पत्रिका में बाल साहित्य से बच्चों का मनोरंजन , ज्ञान, आदि को बढ़ावा दिया गया है।

19 जनवरी

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पानीपत

18 जनवरी

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पानीपत

रोशनी की किरचें ( लघुकथा संग्रह )

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डॉ. सुधा जैन के लघुकथा संग्रह में 85 लघुकथाएं प्रकाशित की गई है।          दहेज, इज्ज़त, पराया धन, उजड़ा घर आदि लघुकथाएं में सामाजिक बुराईयों का दृष्टिपात किया है। रिश्वत, सरकारी नौकरी, ब़ड़ा अफसर, कुर्सी की प्रतीक्षा,सहायतानुदान, देलीफोन बिल, पानी का बिल, समय का चक्र आदि लघुकथाएं में सरकारी तंत्र की तानाशाही दिखाया है। करोड़ पति, बड़े आदमी, सम्मान, पांच सौ का नोट आदि लघुकथाएं में पैसों का कमाल दिखाया है। सभी लघुकथाओं में समाज के विभिन्न क्षेत्रों का चित्रण किया है। लघुकथा अपने आप में परिपूर्ण हैं।      " मेरी दृष्टि में " सीमित वातावरण में सूक्ष्म धटना को पेश करके लघुकथाओं को जन्म दिया है। यही इनकी खूबसूरती है। सभी लघुकथाओं में भाषा को भी सहेज रूप प्रदान किया है। यही पाठकों को अपनी ओर खिंचती है।         डॉ. सुधा जैन ने लेखन के क्षेत्र में विभिन्न आयामों के रूप में अपनी रचनाओं को प्रकाशित किया है। अत: राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। लेखिका का अधिकतर साहित्य पर शोध कार्य हो चुका है। विश्वविद्यालय में रचनाएं पढ़ाई जाती है।

कम दोस्त ही अच्छें

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        " मेरी दृष्टि में " दोस्ती से अच्छा कोई रिश्ता नहीं है। अधिक दोस्त भी दुश्मन के बराबर है। अतः कम दोस्त ही अच्छें होते हैं।

17 जनवरी

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पानीपत

औरंगाबाद समाचार पत्र

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     संपादक : सय्यद मोईन सय्यद अय्युब               मोतीकारंजा मोंढा रोड़,                औरंगाबाद - महाराष्ट्र      औरंगाबाद समाचार पत्र पिछले 11 वर्ष से प्रकाशित हो रहा है। लघु समाचार पत्र में संपादकीय बहुत कम देखने को मिलता है। परन्तु इस समाचार पत्र में संपादकीय नियमित रूप से प्रकाशित किया जाता है।  स्थानीय समाचार के अतिरिक्त राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय समाचार प्रकाशित किये जातें हैं।  समाचार के अतिरिक्त लेख भी प्रकाशित होते है। समाचारों के साथ चित्र भी प्रकाशित होते हैं।

16 जनवरी

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पानीपत

15 जनवरी

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रत्ना का पेड़ ( कहानी संग्रह )

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      कहानी संग्रह के लेखक श्री रमेश चन्द्र जलोनिया है। संग्रह में दस कहानियों को स्थान दिया गया है।       " जिज्ञासा " कहानी का प्रमुख बिंदु डॉ भीमराव अम्बेडकर है कहानी के माध्यम से डॉ अम्बेडकर के विचारों को पेश किया है यही कहानी की सफलता है।       " रत्ना का पेड़ " पुस्तक का शीर्षक भी है। इससे स्पष्ट है कि संग्रह में कहानी उच्च कोटि की अवश्य होगी। वास्तव में कहानी में पेड़ के माध्यम से साधु ने जात-पात का भेद भाव भूलने की प्ररेणा दी है।          उक्त दोनों कहानी के अतिरिक्त परिवर्तन, जीने का अधिकार, महक फूलों की, आबरू के लिए, हितकारी फैसला, एकता की जीत, नोट सूटे बिल दलित साहित्य की कहानियां  कहीं जाती हैं। एक मात्र कहानी  " नींबू पानी " दलित साहित्य की कहानी नहीं है।           " मेरी दृष्टि में " भाषा बहुत ही सरल है । पात्रों के नाम भी कथा अनुसार दिये गये हैं। जैसे :- दीनू, घन्शू, कनवर, बच्चा आदि । संग्रह सार्थक प्रयास का परिणाम है। लेखक ने कुल मिलाकर समाज में व्याप्त बुराईयों को कहानियों के माध्यम से पेश किया है। यही लेखक की उपलब्धि है।

14 जनवरी

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पानीपत

13 जनवरी

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पानीपत

हिन्दी सेवी संस्था कोश

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                कोश का सम्पादन वीरेन्द्र परमार ने किया है। जिस में 103 संस्थाओं का विवरण प्रकाशित किया गया है। जो भारत के कोने-कोने से लेकर नीदरलैंड, सिंगापुर, मारिशस आदि की संस्थाएं हैं। जो हिन्दी भाषा के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम करती हैं।        जैमिनी अकादमी, पानीपत का विवरण पेज़ न 105 पर प्रकाशित किया गया है। पानीपत के लिए सौभाग्य है कि पानीपत की एक मात्र संस्था को कोश में स्थान प्राप्त हुआ है।         भारत की पुरानी से पुरानी, नई से नई संस्थाओं का विवरण दिया है। यही कोश की सफलता है। विश्व हिन्दी सम्मेलन का पूर्ण विवरण में प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन से लेकर पुस्तक लिखें जाने तक के सभी कार्यक्रमों का विवरण दिया है। प्रथम सम्मेलन 10 जनवरी को अब हर साल विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाने लगा है।        हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का भी विवरण दिया है। इस की परीक्षा से लेकर सम्मान / पुरस्कार आदि का उल्लेख किया है। इससे सम्बन्धित सभी संस्थाओं का भी उल्लेख किया है। सम्मेलन के अनेक ग्रंथ एवं कोशों के प्रकाशन का उल्लेख किया है। सम्मेलन पत्रिका 1915 से प्रकाशन किया जा रहा है। सम्मेलन क

12 जनवरी

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पानीपत

धरा के लिए ( हाइकु - संग्रह )

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          डॉ० निर्मल ऐमा के द्वारा लिखित हाईकू - संग्रह में 530 हाईकू है। जो तीन लाईन की काव्य विधा है। 5-7-5 का पालन करते हुए हाईकू लिखा गया है। हाईकू को जापानी काव्य विधा कहा जाता है।            इस संग्रह में डा. ऐमा ने प्राकृतिक, शासन, रिश्ते, पुस्तकालय, आतंक, शिक्षा, हिंसा, मूर्ति, लोकतंत्र, परमाणु, दर्पण, शान्ति , हिन्दी प्रेम, ईमानदारी, शादी, प्रभु, भ्रष्टाचार, आत्मा, लक्ष्मी, बेरोजगारी, देश प्रेम, समाचार, यज्ञ, विज्ञापन, विश्व, रावण, ज्वालामुखी, द्रौपदी, वसीयत, जनसंख्या, कन्या, गांधी, शिव, वस्त्र, आदि विषयों पर प्रकाशित हाइकु दिये गये हैं। कवियत्री की कल्पना शक्ति ने विषयों में जान डाल कर विषय को जीवित किया है।       हाइकु साहित्य में यह पुस्तक मील का पत्थर साबित हुई है। वैसे भी हाइकु साहित्य में एंकल हाइकु संग्रह बहुत कम प्रकाशित हुए हैं। ऐसे में डा. ऐमा का संग्रह ने अपने आप बहुमूल्य है। कवियत्री साधुवाद के पात्र है।                        प्रकाशक               क्षीरभवानी प्रकाशन                   जम्मू - कश्मीर         प्रथम संस्करण : फरवरी - 2004                       

11 जनवरी

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पानीपत

हिंदी के 108 मोती

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            हिंदी भाषा के सम्मान में कविताएं का संकलन का सम्पादन रामेश्वर दयाल गोयल ने किया है। जो भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन राष्ट्रीय परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष है।             इस संकलन में हिन्दी भाषा के सम्मान आदि का उल्लेख करते हुए 108 कविताएं प्रकाशित की गई है। इसके अतिरिक्त 09 कविता व एक आलेख भी है।              सभी कविताएं में मातृभाषा के गुण गान के उद्देश्य से लिखी गई है। जिस में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात, जम्मू कश्मीर, पुणे, आदि राज्यों के कवियों को प्रकाशित किया गया है। यही पुस्तक की सफलता है। गोयल जी का प्रयास व प्रयोग एक दम श्रेष्ठ श्रेणी का है।           कविताएं में मातृभाषा के प्रति आस्था को जाग्रत करने का भाव दिखाई देता है। सरल भाषा का प्रयोग किया गया है। जिसे हर कोई समझ सकता है। कवियों में बहुत बड़े नाम भी हैं। हिन्दी प्रचार से जुड़ी संस्थाओं से जुड़े कविताओं को भी संकलन में देखा जा सकता हैं। सम्पादक बधाई के पात्र है।                         प्रकाशक     भारतीय भाषा प्रतिष्

10 जनवरी

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पानीपत

पूजा के फूल

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    पुस्तक का संकलन मुरारी लाल शर्मा ने किया है। यह पुस्तक हनुमान भगतों के लिए एक अनुपम भेंट है। पुस्तक में साम्रगी को 72 शीर्षक के रूप में दिया है।      पुस्तक में गणेश वन्दना, शिव वन्दना आदि अनेक वन्दना दी गई हैं। अधिकतर साम्रगी हनुमान जी से सम्बंधित है।  भजन, चालीसा, अमृत वाणी, बजरंग बाण, श्रीरामचरित मानस की सिद्ध चौपाईयां, मनोकामना सिद्ध श्री हनुमान मंदिर कुरुक्षेत्र, दक्षिणमुखी प्राचीन हनुमान मंदिर कुरुक्षेत्र, पंचमुखी हनुमान नाथ मंदिर कुरुक्षेत्र, पंचमुखी हनुमान कवच आदि का उल्लेख किया गया है।         पुस्तक में मंगल कामना भी हैं। मानस सार सहित स्तुति भी दी गई है। पुस्तक में कुरुक्षेत्र के हनुमान जी के मन्दिरों के उल्लेख से स्पष्ट होता है कि पुस्तक में दिए गए नाम भी कुरुक्षेत्र निवासीय़ों के ही है। अतः पुस्तक का उद्देश्य लोगों में हनुमान जी के प्रति आस्था जाग्रत करना है।                         प्रकाशक        मनोकामना सिद्ध श्री हनुमान मन्दिर            न्यू कालोनी, कुरुक्षेत्र - हरियाणा             संस्करण : 2006- 2007                                          - बीजेन्द्र ज

09 जनवरी

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पानीपत

माटी की सुगन्ध ( लघुकथा संग्रह )

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लघुकथा संग्रह के लेखक डॉ. विजयेश कुमार तिवारी है सह- लेखिका श्रीमती अरूणेश तिवारी है। संग्रह में 60 लघुकथाएं है तथा सभी लघुकथाओं के अन्त में संदेश दिया गया है। यह लघुकथा साहित्य में प्रथम प्रयोग नज़र आता है।         हिन्दी साहित्य में लघुकथा ने जो स्थान प्राप्त किया है । वह लघुकथाकारों का संघर्ष व लेखन का परिणाम है।  यही संघर्ष इस संग्रह के लेखक के जीवन में घटने वाली घटनाओं  ने लघुकथा का रूप ले लिया है। घटनाएं यथार्थ होती है। आनंद की प्राप्ति, भोजन का अपमान, नमक का हक आदि लघुकथा में जीवन की सच्चाई को दिखाया है।           देवताओं की दुकान, अंधी श्रद्धा, बाबा को सर्वस्व अर्पण कर दो आदि लघुकथाएं सत्य को झिझोड़ती हैं। माटी की सुगन्ध लघुकथा में जन्म भूमि का प्रभाव छोड़ती है। समय का सदुपयोग, ख़ून पसीने की कमाई आदि लघुकथा में लेखक के अनुभव का परिणाम है।          " मेरी दृष्टि में "  लघुकथा की भाषा एक दम सरल है। कहीं कहीं व्यंग्य भी नज़र आता है। पाठकों को ज्ञान भी देती है ।             लेखक ने लघुकथा के अतिरिक्त व्यंग्य, लेख, कविताओं की भी रचना की है। चिकित्सा के क्षेत्र में &quo

08 जनवरी

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पानीपत

कड़वे प्रवचन

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मुनिश्री तरुणसागर जी ने अपनी पुस्तक " कड़वे प्रवचन " भाग -7 एक कार्यक्रम में मुझे आर्शीवाद के रूप में भेंट की गई। मैंने सहज रूप से स्वीकार करने के बाद पुस्तक को कई बार पढ़ा है। हर बार पुस्तक में कुछ ना कुछ नया अपने आप में परिवर्तन सा नज़र आया है। मैंने पुस्तकें बहुत अधिक पढ़ी हैं। ऐसा कभी देखने को नहीं मिला है। फिलहाल पुस्तक पर आते हैं।      पुस्तक में छोटे- छोटे उपदेश दिए गए हैं। जिस में काव्य रूप अधिक देखने को मिला है। परन्तु उपदेश देते समय ऐसा कुछ प्रतीक नहीं होता है। यही तरुण जी की खासियत है। मैंने उन्हें टीवी पर भी सुना है , कार्यक्रम में भी देखा है ओर आमने-सामने बातें भी हुई है बल्कि मैंने उन के एक कार्यक्रम का संचालन भी किया है। परन्तु पुस्तक में तरूण जी का अलग रूप देखने को मिलता है।        पुस्तक में कहीं ईश्वर की बात करते है कहीं गृहस्थी की , कहीं राजनीति की, कहीं विदेशों की, कहीं रामायण की, कहीं किस्मत की, कहीं जुबान की, कहीं मृत्यु की, कहीं आत्म विश्वास की, कहीं मां- बाप की, कहीं फिल्म से जीवन की तुलना , ईमानदारी की, कहीं गाड़ी की, कहीं क्रोध की, कहीं मिलावट की,