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Showing posts from January, 2021

क्या समय सारे घाव भर सकता है ?

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घाव तो घाव होता है । कुछ का तो घाव समय भर देता है । कुछ का घाव कभी भरा नहीं जा सकता है । ऐसा कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - समय ही घाव देता है, समय ही घाव भर देता है परन्तु यह भी सच्चाई है कि घाव के निशां मनुष्य के अन्तर्मन से नही मिटते। मनुष्य के जीवन में कभी अपनों से घाव मिलते हैं तो कभी अपनों के जाने से घाव मिलते हैं।  किसी ने कहा है कि "तन-मन के घाव भरकर सूख तो जाते हैं, परन्तु इन घावों के निशान समय के पहिये के चक्र में अक्सर पीड़ा देते हैं।  जीवन के उतार-चढ़ाव में मनुष्य को कुछ घाव ऐसे मिलते हैं जिनको समय भर देता है परन्तु कुछ घाव भरना समय की शक्ति में भी नहीं होते।  प्रकृति के शास्वत सत्य "अपनों के खोने का घाव" समय कभी नहीं भर पाता। परन्तु इसमें कोई दो राय नहीं कि जिन्दगी कभी रुकती नहीं। अन्तर्मन के घावों के निशानों की टीस में भी मनुष्य को अपना जीवन सफर निरन्तर जारी रखना होता है।  "बिछड़ने से किसी अपने के, जिन्दगी रुक नहीं जाती,  पर दिल-ओ-दिमाग में बसी, उसकी यादें नह

आज के समय में अकेलें का साथ कौन देता है ?

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अकेलें पैदा होता है । अकेला ही मरता है । यह जीवन का सत्य है । जिससे कभी झूठलाया नहीं जा सकता है । फिर इंसान अकेलें से क्यों घबराता हैं ? फिर भी अकेलें में कोई साथ देता नहीं दिखाई देता है । जो साथ देता है वह मुर्ख कहलाता है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -       कहा जाता है कि मनुष्य अकेला ही आया है और अकेला ही जाएगा। जब कि मानव की प्राथमिक व मूलभूत आवश्यकता सामाजिक जीवन है। पर समय के साथ जीवन मूल्य के साथ जीवन जीने का रंग ढंग भी बदल गये हैं ।पुराने जमाने में जब मूलभूत सुविधाएं कम भी ,यातायात के साधन कम थे तब यात्राओं में लोग एक दूसरे का साथ देना पसंद करते थे। सुख दुख में भी भावनात्मक सहयोग भी देते थे पर आधुनिक युग में जब सब कुछ पैसा ही हो गया है। मनुष्य से ज्यादा उसकी आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक वर्चस्व की पूछ होती है । अकेले का साथ कम लोग देते हैं।.उसका सच्चा मित्र ही साथ दे यह बहुत बड़ी बात है । अकेले का साथ उसका मनोबल , आत्मविश्वास और संयम ही देता है ।        - ड़ा.नीना छिब्बर           जोध