Posts

Showing posts from April, 2019

रूप देवगुण को जैसा हमने जाना ( आधार एवं मूल्यांकन ) - संपादक : डाँ. अमित देवगुण / डाँ. भरतलाल

Image
231 पेंज की पुस्तक में बीजेन्द्र जैमिनी का लेख " प्रो. रूप देवगुण जैसा स्पष्टवादी कभी नहीं देखा "  पेंज नं 101 पर प्रकाशित हुआ है । इस पुस्तक का सम्पादन डाँ. अमित देवगुण व डाँ. भरतलाल ने किया है । बीजेन्द्र जैमिनी के लेख अतिरिक्त  निम्नलिखित के लेख प्रकाशित हुए हैं :- अशोक शर्मा डाँ. अंजु दुआ जैमिनी डाँ. आरती बंसल  प्रो. इंदिरा खुराना डाँ. इन्दु गुप्ता प्रि. उर्मिल मोंगा कमल कपूर  कमलेश भारतीय  कुमार शर्मा ' अनिल ' डाँ. कृष्णलाल यादव  डाँ. घमंडीलाल अग्रवाल  जगदीशराय कुलरियाँ  जनकराज शर्मा  प्रो. ज्ञान प्रकाश ' पीयूष ' दिलबाग सिंह विर्क नरेन्द्र कुमार गौड़  नवलसिंह डाँ. नैबसिंह मण्डेर  त्रिलोक सिंह ठकुरेला  पंकज शर्मा प्रो. प्रतापसिंह सोढ़ी डाँ.प्रदीप शर्मा ' स्नेही ' प्रो. बी. आर. गुप्ता  डाँ. बलराम अग्रवाल भगीरथ परिहार डाँ. भरतलाल महावीर प्रसाद ' मुकेश ' मीनाक्षी आहुजा  डाँ. मेघा मोनिका गुप्ता रणजीत टाडा डाँ. राधेश्याम भारतीय डाँ. रामकुमार घोटड़ डा. रामनिवास मानव  प्रो. आर. पी. सेठी 'कमल' लाजपत राय गर्ग विनोद सिल्ला शराफत अली खान  डाँ

मतदान ( काव्य संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

Image
सम्पादकीय                                                           लोकतंत्र की पहचान : मतदान    भारत एक लोकतंत्र देश है ।  जिसमें विभिन्न राज्य है ।  विभिन्न क्षेत्रीय व राष्ट्रीय दल भाग लेते हैं । इसके अतिरिक्त कोई भी भारत का नागरिक आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकता है । अठारह साल की उम्र में वोट डालने का अधिकार मिल जाता है । भारत एक ऐसा देश है । जिसमें विभिन्न धर्म के , विभिन्न जातियों के नागरिक एक साथ रहतें है । ऐसे में सरपंच से लेकर प्रधानमंत्री का चुनाव मतदान द्वारा होता है । मतदान बहुत ही महत्वपूर्ण हैं लोकतंत्र में । अतः मतदान की भूमिका पर कविताओं की कविताएं पेश है :-  क्रमांक - 01                                                             भूल न जाना                                              - डा० भारती वर्मा बौड़ाई                                               देहरादून - उत्तराखण्ड                                            आया  चुनाव भैया  करना है मतदान  सोचना  समझना  मन में गुनना  किसी के  कहे में न आना...! व्यक्ति के