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Showing posts from October, 2023

बदलते परिवेश में हिन्दी भाषा का स्वरूप ?

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        जैमिनी अकादमी द्वारा  " बदलते परिवेश में हिन्दी का स्वरूप ? " चर्चा - परिचर्चा का विषय भारतीयता की पहचान है । जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की भाषा बन गई । परन्तु भारत के अन्दर लोगों की ओछी मानसिकता के कारण हिन्दी बोलने पर हीन दृष्टि से रखते हैं । यहीं कुछ चर्चा - परिचर्चा  पर आये विचारों को देखते हैं : -            यह बात सुखद है कि आज के परिवेश में हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार निरंतर विस्तार की ओर अग्रसर है। हिन्दी भाषा में पहले की अपेक्षा दिनोंदिन बहुत लिखा जा रहा है, बहुत कहा जा रहा है और बहुत पढ़ा भी जा रहा है। यह पक्ष हम हिन्दी भाषियों के लिए उपलब्धियों से भरा तो है ही, गौरवपूर्ण भी है। लेकिन दूसरा पक्ष यह भी है कि हमारा सृजन जितना चिंतनशील और सार्थक है, उतना प्रस्तुतीकरण विशुद्ध  नहीं है। भावातिरेक की जल्दबाजी में हम अपने सृजन की अभिव्यक्ति में शिल्प और कसावट पर ध्यान नहीं दे पाते और त्वरित प्रस्तुतीकरण कर देते हैं। कभी भाव दोष, कभी शब्द दोष तो कभी व्याकरण दोष की कमी और खामी  हमारे उद्देश्य पूर्ण सृजन में बाधक बनती है और पाठकों के दिलो-दिमाग म

बदलते परिवेश में पत्रकारिता की चुनौती : कारण और निवारण

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            जैमिनी अकादमी द्वारा  " बदलते परिवेश में पत्रकारिता की चुनौती : कारण और निवारण " विषय पर चर्चा - परिचर्चा रखीं गई है । बदलते परिवेश में सब कुछ प्रभावित हुआ है । ऐसे में पत्रकारिता प्रभावित हुए , बिना कैसे हो सकता है । पत्रकारिता हर युग में अपनी छाप अवश्य छोड़ती है ।  प्रिंट मीडिया से डिजिटल में प्रवेश होना , कोई छोटी घटना नहीं है । जिससे पत्रकारिता को मीडिया जैसे शब्द ने विशाल रूप प्रदान किया है । जिसके अनेक कारण है। उन का निवारण होना भी सम्भव है । यही सब कुछ आज की परिचर्या का विषय है । जिसमें कुछ विद्वानों ने अपने विचार , यहां पर रखें हैं : - सदियों से पत्रकारिता का विशेष महत्व रहा है ।   तीनों लोकों के आदि पत्रकार श्री नारदजी रहें हैं। जिन्होंने धर्म ‌को स्थापित करने तथा अधर्म ‌के विनाश के लिए  तथा मानव कल्याण के लिए निर्भय होकर कार्य किया।  कालांतर भी स्वयं नारायण ‌ने  आकाशवाणी के माध्यम से मानव को सजग करते रहें तथा अवतार लेकर सम्पूर्ण महा‌शक्तियो  सहित दुष्टों के विनाश का कारण बने । कालांतर इस अखऺड भारत को अनेक झऺझावातो से जूझना पड़ा। मु