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Showing posts from September, 2019

माता - पिता की सलाह

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         मेरे पिताजी , मुझे कहते थे कि कभी झूठ का सहारा मत लो । सच्चाई का सामना करो । जीत आपकी ही होगी । माता जी शान्त रहने की सलाह देती थी। कहती थी कि संर्घष के दिनों शान्त रहना चाहिए । इससे कामयाबी जल्दी मिलती है । " मेरी दृष्टि में " हम माता - पिता की सलाह पर कितना चलते हैं ? शायद बहुत कम ......।                                                    - बीजेन्द्र जैमिनी

मैं कहीं का नहीं हूँ

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25 सितम्बर 2019 को प्रतिलिपि एप पर पूछा गया प्रश्न का उत्तर प्रश्न : यदि आप की ज़िंदगी एक फिल्म होती , तो उस का शीर्षक क्या होता ? उत्तर : मैं कहीं का नहीं हूँ                                                 " मेरी दृष्टि में " मैंने अपने बारे में सोचना बन्द कर दिया है । परन्तु शीर्षक उचित अवश्य है                                           - बीजेन्द्र जैमिनी

Twitter से प्रसारित - आज की चर्चा

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 17 अक्टूबर 2019 -  क्या सपनों से सफलता प्राप्त कर सकते हैं ?  16 अक्टूबर 2019 -  जीवन में सरलता का क्या आधार है ? 15 अक्टूबर 2019 - अच्छे  काम का विरोध क्यों होता है ?  14 अक्टूबर 2019 -  संच का सामना कैसे करना चाहिए ? 13 अक्टूबर 2019 -  क्या संघर्ष से ही चुनौतियों का सामना होता है ? 12 अक्टूबर 2019 - आप सकारात्मक सोच कैसे बना कर चलते हैं ?  11 अक्टूबर 2019 -   जीवन में विश्वास का क्या महत्व है ?  10 अक्टूबर 2019  - क्या झूठ अपराध की दुनियां का रास्ता नहीं है ? 09 अक्टूबर 2019 -  गुणों का दुरुपयोग ही असफलता का कारण  08 अक्टूबर 2019 -  सफलता के लिए संघर्ष क्यों जरूरी है ?  07 अक्टूबर 2019 - क्या दुध की थैलियों पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए ? 06 अक्टूबर 2019 - नवरात्रों में कन्या पूजन का क्या महत्व है ? 05 अक्टूबर 2019 - नवरात्र के व्रत में क्या नहीं करना चाहिए ?  04 अक्टूबर 2019 - नवरात्र के व्रत में क्या खाना चाहिए

मेरे बचपन के खेल

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              बचपन में गेंद बहुत पसंद थी । स्कूल के थैले में गेंद अवश्य होती थी । जिससे कई खेल खलते थे । जैसे :- मार - पीटाई , पीठू गर्म आदि  " मेरी दृष्टि में " बचपन में जो खेल खलते थे ।अब नहीं खेलें जा सकते है । क्योंकि यही तो बचपन है ।                                                 - बीजेन्द्र जैमिनी

शिव मंदिर की एक सेल्फी के साथ बीजेन्द्र जैमिनी

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पानीपत के सैक्टर -6 के हाऊसिंग बोर्ड कालोनी के पार्क में शिव मन्दिर की सेल्फी बीजेन्द्र जैमिनी के साथ है । शिव मन्दिर के संस्थापक सदस्यों में से एक है बीजेन्द्र जैमिनी  अन्य संस्थापक सदस्य मदन बत्ता , विजय जुनेजा , रामनाथ मैहता , नरेश बाबा ,अर्जुन शर्मा , वकील प्रेम चालिया , दीपक चतुर्वेदी ,  जगदीश जागू आदि है ।

अन्तर्राष्ट्रीय पत्रकार संघ ( बीकानेर - राजस्थान ) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत

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प्रतिदिन सुबह

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                                        मन्दिर जाना और पक्षियों के लिए दाना डालने प्रतिदिन सुबह का कार्य है । घर से बाहर होता हूँ तो फिर भी यह कार्य करता हूँ । बारिश भी हो तो मन्दिर व दाना डालने का कार्य अवश्य करता हूँ । " मेरी दृष्टि में " मन्दिर जाना और पक्षियों को दाना डालने से मुझे आत्म सतुष्टि मिलती है । - बीजेन्द्र जैमिनी

फिल्म शोले

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         रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी फिल्म 'शोले' 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी ।  'शोले' बॉलीवुड की पहली ऐसी फिल्म थी जो 100 दिनों तक सिल्वर स्क्रीन पर बनी रही । पहले फिल्म का नाम 'एक दो तीन' और 'मेजर साब' रखने की बात चल रही थी । लेकिन जब फिल्म आधे से ज्यादा बन गई तब इसका नाम 'शोले' रखा गया। फिल्म में दो अपराधी, जय और वीरू को एक सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी, ठाकुर बलदेव सिंह, एक कुख्यात डकैत, गब्बर सिंह को पकड़ने का काम सौंपता है, जिसने रामगढ़  में आतंक मचाया है। इस फिल्म के लिए विदेश से टेकनिशियन और स्टंटमैन बुलाए थे। फिल्म में अमजद खान का गब्बर सिंह का किरदार किसी कलम से नहीं बल्कि वास्तविक जिंदगी से  आया था। गब्बर नाम के एक डकैत जिसकी बोली और व्यवहार को फिल्म में उतरा गया ।निर्देशक की पहली पसंद अमजद खान नहीं बल्कि डैनी थे। वो काफी समय तक डैनी के डेट्स का इंतजार करते रहे लेकिन डैनी उन दिनों अन्य फिल्मों में व्यस्त थे जिसके बाद रमेश सिप्पी ने अमजद खान को ये रोल ऑफर किया।फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार औ