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Showing posts from March, 2022

एक मुलाक़ात : अनुप भार्गव से

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                मैं ( बीजेन्द्र जैमिनी ) App के माध्यम से 29 मार्च को हिन्दी साहित्य अकादमी का सदस्य बन गया । मैंने सदस्य बढाने के उद्देश्य से हिन्दी साहित्य अकादमी के App का लिंक WhatsApp ग्रुप साहित्यकार तिथिवार ((ST) व समाचार और उपलब्धियाँ HSP2 में 30 मार्च की सुबह - सुबह लगभग पांच बजें डाल दिया । थोड़ी ही देर इन दोनों WhatsApp ग्रुप ( साहित्यकार तिथिवार ((ST) व समाचार और उपलब्धियाँ HSP2 ) के एडमिन श्री अनुप भार्गव का WhatsApp फोन आया । मैं योगा कर रहा था ।  मैने काट दिया । बार - बार फोन आने  पर , मैंने फोन उठा लिया । बातचीत हुई । परन्तु अनुप जी बहुत गुस्से में बोले - ये साहित्य अकादमी का App है ? मैंने स्पष्ट किया कि ये साहित्य अकादमी का App नहीं है । यह हिन्दी साहित्य अकादमी का App है । फिर भी अनुप जी ने अपने दोनों WhatsApp ग्रुप ( साहित्यकार तिथिवार ((ST) व समाचार और उपलब्धियाँ HSP2 ) में यह सदेंश डाला : - मेरी बिजेंद्र जी से बात हुई। वह मुझे आश्वस्त नहीं कर सके कि यह लिंक क्या है , इस का साहित्य अकादमी से क्या सम्बन्ध है ? उन की इस समूह से सदस्यता निरस्त की जा रही है

सुदर्शन की स्मृति में लघुकथा उत्सव

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           भारतीय लघुकथा विकास मंच द्वारा सुदर्शन ' प. बद्रीनाथ भट्ट ' की स्मृति में " लघुकथा उत्सव " का आयोजन रखा गया है । अभी तक जगदीश कश्यप , उर्मिला कौल , पारस दासोत , डॉ. सुरेन्द्र मंथन , सुगनचंद मुक्तेश , रावी , कालीचरण प्रेमी , विष्णु प्रभाकर , हरिशंकर परसाई , रामधारी सिंह दिनकर , आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री , युगल जी , विक्रम सोनी , डॉ. सतीश दुबे , पृथ्वीराज अरोड़ा , योगेन्द्र मौदगिल , सुरेश शर्मा , लोकनायक जयप्रकाश नारायण , डॉ स्वर्ण किरण आदि की स्मृति पर ऑनलाइन " लघुकथा उत्सव " का आयोजन कर चुके हैं ।               सुदर्शन ' प. बद्रीनाथ भट्ट '          सुदर्शन का असली नाम प. बद्रीनाथ भट्ट है। इनका जन्म सियालकोट में 1895 में हुआ था। प्रेमचन्द के समान वह भी ऊर्दू से हिन्दी में आये थे। इन की भाषा सरल, स्वाभाविक, प्रभावोत्पादक और मुहावरेदार है।इनका दृष्टिकोण सुधारवादी और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी है । उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिकारमणप्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की ज

गणेश शंकर विद्यार्थी

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      आज गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान दिवस है। वे भीड़ से घबराते नहीं थे।  पत्रकारिता जगत में भी उनका नाम सम्मानपूर्वक लिया जाता है। उनका जन्म 26 अक्टूबर 1890 को अतरसुइया में हुआ था। उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में  पहली किताब 'हमारी आत्मोसर्गता' लिखी थी।  अपनी पूरी जिंदगी में 5 बार जेल गए। उन्होंने किसानों एवं मजदूरों को हक दिलाने के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया तथा  आजादी के आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे। जब अंग्रेजों द्वारा भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिए जाने की देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई। इससे घबराकर अंग्रेजों ने देश में सांप्रदायिक दंगे भड़का दिए।  1931 में  कानपुर में दंगे हो रहे थे। सैकड़ों निर्दोषों की जान चली गई। कानपुर में लोकप्रिय अखबार 'प्रताप' के संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी  दिन भर दंगाग्रस्त क्षेत्रों में घूमकर निर्दोषों की जान बचाते रहे। क्योंकि उस समय पत्रकारिता की नहीं, मानवता की जरूरत थी। उन्होंने बंगाली मोहल्ले में फंसे दो सौ मुस्लिमों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।  बुजुर्ग मुस्लिम ने उनका हाथ चूमकर उन्हें 'फरिश्ता' बताया। दोपहर

संपादक रत्न सम्मान - 2022 से सम्मानित बीजेन्द्र जैमिनी

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स्वतंत्रता सेनानी,प्रखर वक्ता, यशस्वी संपादक श्री गणेश शंकर विद्यार्थी जी के बलिदान दिवस पर,भारत अमृत महोत्सव के अंतर्गत देश के छह प्रखर संपादकों को अभिव्यक्ति ई प्रकाशन की ओर से संपादक रत्न सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया। डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' ने बताया कि विद्यार्थी जी की संपादकीय नीति के संवाहक,उनकी ही तरह राष्ट्रीय एकता और समरसता की नीति अपनाने और नवोदितों को प्रोत्साहित करने वाले देश के छह प्रखर संपादकों सर्वश्री विजय तन्हा, संपादक प्रेरणा, शाहजहांपुर। डॉ.पंकज भारद्वाज, संपादक पब्लिक इमोशन, बिजनौर। डॉ.सूर्यमणि रघुवंशी, संपादक चिंगारी, बिजनौर। डॉ.भगवान प्रसाद उपाध्याय, संपादक साहित्यांजलि प्रभा, प्रयागराज। बीजेन्द्र जैमिनी, संपादक जैमिनी अकादमी प्रकाशन, पानीपत - हरियाणा। शिवेश्वर दत्त पाण्डेय संपादक दि ग्राम टूडे प्रकाशन समूह,रुड़की को श्री गणेश शंकर विद्यार्थी स्मृति संपादक रत्न सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान कार्यक्रम आनलाइन सम्पन्न हुआ।                      बीजेन्द्र जैमिनी जन्म : 03 जून 1965 शिक्षा : एम ए हिन