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क्या लघुकथा को शब्दों की सीमा में बाधा जा सकता है ?

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लघुकथा का स्वरूप कुछ लघुकथाकार लघुकथा को शब्दों की सीमा में बाधने का प्रयास कर रहें हैं । क्या लघुकथा को शब्दों की सीमा में बाधा जा सकता है । लघुकथा का आकर कथानक  पर निर्भर करता है ।             बहुत से लघुकथाकार यानि अपने आप श्रेष्ठ साबित करने के लिए कुछ ना कुछ लघुकथा साहित्य के लिए नये नये मापदण्ड तैयार करते रहते है । जितने लघुकथा साहित्य में मापदण्ड तैयार किये गये हैं बाकी कथा साहित्य में ऐसा कुछ नहीं है । फिर भी लघुकथा को आगे बढने से कोई नहीं रोक सकता है ।             परिचर्चा के विषय के अनुकूल विचारों तक ही सीमित रहकर ही आगे बढते है। सबसे पहले आये विचारों को पेश करते हैं :-     लघुकथा को शब्दों में नहीं बाँधना चाहिए ।हालांकि वह अपने-आप में लघु रूप लिए हुए है । कथा को लघु किया जा सकता है, किन्तु उसका अपना सौंदर्य है जो शब्दों में बांधने से समाप्त हो सकता है । साहित्य सौंदर्य मूलक रहा है । लघुकथा केवल संदेश देने भर तक सीमित नहीं होनी चाहिए । साहित्य में भावी स्थापन के विषय में भी विचार करना चाहिए । - डॉ आशा सिंह सिकरवार  अहमदाबाद - गुजरात ****