कुत्ते की तरह
कालिया के सामने एक कुत्ता आ कर खड़ा हो जाता है। कालिया , गौर से कुत्ते की ओर देखता है। कुत्ता घबराता नहीं है बल्कि कुत्ता भी कालिया की ओर घूरता है। कालिया घबरा कर छोटा सा पत्थर कुत्ते की ओर फेंक देता है। परन्तु कुत्ता घूरता रहता है। कालिया मुड़ कर वापिस चल देता है। कुत्ता भी कालिया के पीछे पीछे चल देता है। कालिया पीछे मुड़कर देखता है कुत्ता पीछे पीछे आ रहा होता है। कालिया रूक जाता है। सोचता है क्या करूं। तभी कालिया को एक युक्ति सुझती है वह कुत्ते की तरह, कुत्ते की ओर भोंकना शूरू कर देता है। तभी कुत्ता नौ दो ग्यारह हो गया। ००
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