लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी
लघुकथा - 2018 , लघुकथा - 2019 , लघुकथा - 2020 , लघुकथा - 2021 , लघुकथा - 2022 , व लघुकथा - 2023 की अपार सफलता के बाद लघुकथा - 2024 का सम्पादन किया जा रहा है । जो आपके सामने ई - लघुकथा संकलन के रूप में है । लघुकथाकारों का साथ मिलता चला गया और ये श्रृंखला कामयाबी के शिखर पर पहुंच गई । सफलता के चरण विभिन्न हो सकते हैं । परन्तु सफलता तो सफलता है । कुछ का साथ टूटा है कुछ का साथ नये - नये लघुकथाकारों के रूप में बढता चला गया । समय ने बहुत कुछ बदला है । कुछ खट्टे - मीठे अनुभव ने बहुत कुछ सिखा दिया । परन्तु कर्म से कभी पीछे नहीं हटा..। स्थिति कुछ भी रही हो । यही कुछ जीवन में सिखा है । लघुकथा का स्वरूप भी बदल रहा है। जो समय की मांग या जरूरत कह सकते हैं। परिवर्तन, प्रकृतिक का नियम है। जिसे नकारा नहीं जा सकता है। एक तरह से देखा जाए तो ये लघुकथाकारों का आयोजन हैं। जो सत्य से परें नहीं है। लघुकथाकारों के साथ पाठकों का भी स्वागत है । अपनी राय अवश्य दे । भविष्य के लिए ये आवश्यक है । आप के प्रतिक्रिया की...
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ReplyDeleteसभी विजेताओं को पुरस्कार राशि का बैंक चैक सहित प्रमाण पत्र भेज जा रहे हैं ।
ReplyDeleteआदरणीय मित्र,
ReplyDeleteजय हिन्दी ! जय भारत !
आशा है स्वस्थचित्त होंगे । कृपया निम्न जानकारी WhatsApp No. पर शीध्र भेजें : -
1. आपकी प्रथम लघुकथा (नाम भी दीजिए) किस पत्र/पत्रिका/पुस्तक में तथा कब प्रकाशित हुई?
2. आप अपना जीवन परिचय ( नाम , जन्म दिनांक व स्थान , शिक्षा , प्रकाशित पुस्तकों का विवरण आदि ) तथा एक फोटों
कृपया उपरोक्त समस्त जानकारी टाइप कर के भेजें। केवल WhatsApp के माध्यम से शीघ्र भेज दीजिए।
इस एकत्रित सामग्री का उपयोग समयानुसार blog पर प्रसारित किया जाऐगा ।
निवेदन
बीजेन्द्र जैमिनी
निदेशक
जैमिनी अकादमी
पानीपत
WhatsApp Mobile No 9355003609
आदरणीय भाई बिजेंद्र जी
ReplyDeleteसादर नमन ।
मैं अजनबी लेखिका 2017 में आपकी लघुकथा प्रतियोगिता के माध्यम से जुड़ी थी । श्रद्धाजंलि को प्रथम पुरस्कार मिला था । खुशियाँ होना स्वाभिक था । मग्सम ने अहसास लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार
से सम्मानित किया ।
कलम की धार ने ही देश - विदेश से जोड़ दिया । इस तरह आपके साथ लेखन का सिलसिला बढ़ता चला गया ।
आपकी सोच ने जीवन की प्रथम लघुकथा से देश , विदेश के अभी तक हिंदी साहित्य जगत के हस्ताक्षर 70 साहित्यकारों इस मच सेजोड दिया ।
सभी की लघुकथा समाज का वास्तविक आईना है ।
हर इंसान के अँधेरे जीवन में उजियारे की किरण है ।
आपकी सकारात्मक सोच ने इन दस्तावेजों को संग्रहहित करके दिव्य
भव्य साहित्य विरासत को नयी नस्ल को सौंप रहे हो ।
यह मिसाल , मील का पत्थर बन विश्व साहित्य जगत को राह दिखाएगा ।
मुझे खुशी भी है कि नयी पौध को हम सब उन्हें साहित्य , संस्कार दे रहें हैं ।
हमारे पूर्वजों ने भी हमें दिया । जिनसे हर कोई लाभवांवित होता है ।
अगर आप इन दस्तावेजों को कृति का रूप दें दे तो सोने में सुहागा होगा ।
दिल से धन्यवाद 69 क्रमांक मेरी कलम को स्थान दिया ।
डॉ मंजु गुप्ता
वाशी , नवी मुंबई