संयम से किया गया कार्य सफलता की ओर ले जाता है और सही - गलत की पहचान भी करवा देता है । यही से जीवन के मूल्य में संयम की उपयोगिता सिद्ध होती है । संयम के भी अपने फार्मूले होते है। जिससे संयम को प्राप्त किया जाता है । संयम की परिभाषा भी एक दम स्पष्ट है । शान्त रहते हुये अपने मुकाम तक पहुचना हैं । यही कुछ " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । आये विचारों को देखते हैं : - सही मायने में यदि हम अपनी इंद्रियों पर काबू पा लेते हैं तो हमने सब पा लिया! संयम ही एक ऐसा मार्ग है जिससे हम उत्कृष्ट जीवन, महानता और सुख- शांति पा सकते हैं ! यदि किसी से झगड़ते समय हमने अपने आप पर संयम रख बात वहीं समाप्त कर दी तो हमने धैर्य, विवेक, विनम्रता, अपनी सहजता सरलता, बुद्धि व्यवहार सभी गुणों को भी ध्यान में रखा (ये गुण है तो संयम है) यहां हम अपनी इंद्रिय जिह्वा को बस में कर लेते हैं तो बाकी इंद्रियों को भी तथाकथित सभी गुणों के साथ संयमित रख सकते हैं और संयम में विश्वास की भावना प्रचुर वेग में हो तो "सोने पे सुहागा " हमने अपने काम, लोभ, इच्छा, चाहत पर काबू करने के
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