मिथक तोड़े ( हाइकु संग्रह ) - कवि : महिपाल सिंह कठेरिया ' सरल '
प्रस्तुत पुस्तक मे 175 हाइकु है । जो कवि की हाइकु संग्रह की लेखन क्षमता को पेश करता है। डा. हरिश्चन्द्र शाक्य के सम्पर्क 1996-97 मे आने के बाद कवि महिपाल सिंह कठेरिया ' सरल ' ने हाइकु लिखना शुरू किया है।
जापानी का सब से पहला कविता संकलन ' मान्योश् ' है जिसमें चौथी शताब्दी से लेकर आठवीं शताब्दी के 260 कवियों की 4515 कविताएं संकलित है । मान्योश् की कविताओं के मुख्य तीन रूप मिलते है :- चौका , संदोका और तांका । तांका का ही प्रतिफलित रूप ही हाइकू है।
भारत मे हाइकू की घुसपैठ अग्रेजी अनुवाद के रूप मे हुई है। 1927 मे रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने जापान यात्रा से लोटने के बाद दो हाइकू का बंगाला अनुवाद प्रस्तुत किया है । 1936 मे साकी ( दिल्ली ) मे दो हाइकू के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हुआ है । 1977 मे जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के जापानी भाषा विभाग के डा सत्यभूषण वर्मा ने हिन्दी द्वैमासिक पत्र हाइकू का प्रकाशन शुरू किया ।
दिनमान द्वारा आयोजित हाइकू प्रतियोगिता असफल रही है । जैमिनी अकादमी ( पानीपत ) द्वारा 1998 से प्रतिवर्ष हाइकू प्रतियोगिता का आयोजन हुआ है जो 2016 तक चलता रहा है।
हाइकू संग्रह मे प्रो. आदित्य प्रताप सिंह ( सिजी ) , उर्मिला कौल ( अनुभूति ), डा भगवत शरण अग्रवाल ( उगते सूरज ) , डा सुधा गुप्ता ( खुशबू का सफर ) , झीना भाई देसाई ( सोनैरी रूपरी सूरज ) , बीजेन्द्र जैमिनी ( त्रिशूल ) , डा. लक्ष्मण प्रसाद नायक ( राई ), कृष्णा राही ( कुमाच ) आदि अनेक कवियों के संग्रह आ चुके हैं । फिलहाल महिपाल सिंह कठेरिया ' सरल ' का मिथक तोडें हाइकू संग्रह आया है :-
इस संग्रह की भूमिका डा. हरिश्चन्द्र शाक्य ने लिखी है । शाक्य जी इस संग्रह मे छ प्रकार के अलंकारो को उदाहरण सहित पेश किया हैं उममा अलंकार , उत्प्रेक्षा अलंकार, पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार , अनुप्रास अलंकार, विरोधाभास अलंकार व मानवीकरण अलंकार ।
संग्रह के अन्दर अनेक प्रकार के भाव को व्यक्त किया गया है
हवा चलायें
फैले गगन तक
परिवर्तन ।
इस हाइकू मे परिवर्तन की शक्ति को व्यक्त किया है
उचित नहीं
थोपना किसी पर
अपनी सोच
इस हाइकू मे व्यक्तिगत सोच से ऊपर उठने पर महत्व दिया है।
वृक्ष लगायें
अधिक से अधिक
धरा बचायें
इस हाइकू मे वृक्ष को महत्व स्पष्ट किया है।
जातियाँ तोड़े
एकता के सूत्र मे
सबको जोडें
इस हाइकू मे एकता शक्ति को जाति से बडा माना है ।
धर्म की रक्षा
बन न जाये कहीं
न्याय की हत्या
इस हाइकू मे धर्म और न्याय के बीच के अन्तर को स्पष्ट किया है।
बच्चों की पीठ
किताबों का वजन
तरस आता
इस हाइकू मे विधार्थी जीवन का वर्तमान पेश किया है।
अतः सभी हाइकु मे कुछ ना कुछ संदेश अवश्य पेश किया है। यहीं पुस्तक की विशेष सफलता है। कवि साधुवाद के पात्र है।
पुस्तक का प्रकाशन
निरुपमा प्रकाशन
506/13, शास्त्री नगर
मेरठ - उत्तर प्रदेश
प्रथम संस्करण : 2017
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