हिन्दी दिवस पर मातृभाषा हस्ताक्षर अभियान
जैमिनी अकादमी द्वारा 1997 से प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है । समय अनुसार कार्यक्रम की रूपरेखा में परिवर्तन होता रहता है । पहले कार्यक्रम पानीपत के किसी भी स्थल पर हुआ करते थे । अब काफी समय से ऑनलाइन कार्यक्रम हो रहा है । जो सुविधाजनक भी है और समय व पैसे की बचत भी है ।
इस साल " हिन्दी दिवस " पर विशेष तरह का कार्यक्रम रखा गया है । जो " मातृभाषा में हस्ताक्षर अभियान " पर आधारित है । जिसने भी मातृभाषा में हस्ताक्षर भेजें हैं । उन्हें डिजिटल रूप में " मातृभाषा हस्ताक्षर रत्न सम्मान - 2022 " से सम्मानित किया गया है । यह अपने आप में विशेष तरह का कार्यक्रम साबित हुआ है । आप सभी से अनुरोध है कि इस ऑनलाइन कार्यक्रम पर अपने विचार अवश्य दे ।
हिन्दी दिवस - 2022 के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विनम्र अनुरोध है कि भारत सरकार के विभिन्न विभागों में इण्डिया शब्द प्रयोग किया जाता है । इसे बदल कर भारत करने का कष्ट करें । इण्डिया शब्द अग्रजों की गुलामी का प्रतीक है । अतः इण्डिया शब्द के प्रयोग पर पाबंदी लगनी चाहिए ।
इसी के साथ जय हिन्दी ! जय भारत !
आदरणीय बीजेन्द्र जी, सादर प्रणाम. हिंदी दिवस पर मातृभाषा में हस्ताक्षर अभियान वाकई में अनूठा प्रयोग रहा जिसने ह्रदय में मातृभाषा के प्रति सम्मान को और अधिक सुदृढ़ किया. इस सोच के लिए आपको कोटि-कोटि प्रणाम.
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteआपके द्वारा मातृभाषा हस्ताक्षर अभियान एक सार्थक प्रयास है।हम भारतवासी को सर्वप्रथम हिन्दी भाषा में हस्ताक्षर कर गौरवान्वित होना चाहिए।सभी सरकारी कार्यालय के कार्य निश्चित रूप से हिन्दी में होनी चाहिए। हमलोगों को हमेशा हिन्दी का सम्मान करना चाहिए।जिससे भारतवर्ष की भलाई हो। जय हिन्द,जय हिन्दी। जय भारत, जय भारती।
ReplyDelete- दुर्गेश मोहन
समस्तीपुर - बिहार
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मैं समझता हूँ कि "मातृभाषा में हस्ताक्षर करना" मातृभाषा और मातृभूमि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का सर्वोत्तम माध्यम है। जब-जब भी हम मातृभाषा में हस्ताक्षर करेंगे तो यह इस बात का परिचायक होगा कि हम जिस तरह जन्म देने वाली माता के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं, उन्हें सम्मान देते हैं, उसी तरह मातृभाषा में हस्ताक्षर करते हुए हम मातृभाषा की पावनता को नमन-वन्दन करते हैं।
ReplyDeleteआ० जैमिनी जी ने "मातृभाषा हस्ताक्षर अभियान" के माध्यम से सभी की चेतना को जाग्रत करने का मेहनती कार्य किया है, जिसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं।
- सतेन्द्र कुमार शर्मा 'तरंग'
देहरादून (उत्तराखंड)
( WhatsApp से साभार )
जैमिनि अकादमी
ReplyDeleteपानीपत हरियाणा
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जय हिन्दी🙏
हिन्दी दिवस-2022 के अवसर पर
"मातृभाषा हस्ताक्षर अभियान"
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मेरी मातृभाषा पहाड़ी कहलूरी अर्थात बिलासपुरी भाषा है जो मेरे बुजुर्गों द्वारा बोली जाती रही है, लेकिन जब से मैंने होश संभाला है तब से हिन्दी भाषा में ज्यादा वार्तालाप होता है, पता नहीं पहाड़ी भाषा या बोली में बात करने में क्यों इतनी झिझक होती है, अपनी मातृभाषा में हम अपने विचार अच्छी तरह से व्यक्त कर पाते हैं और दूसरों को भी अच्छी तरह से समझा पाते है॥ आज सभी अपनी मूल भाषा या बोली अर्थात मातृभाषा को भूलते जा रहे है। मुझे अपनी पहाड़ी भाषा बोलने का बहुत शौक रहा है, लेकिन दुख है कि हम ज्यादा आधुनिक बनते जा रहे है और अपने बीते हुए समय से सम्बंध काटते जा रहे है, मेरी मातृभाषा पहाड़ी है अतः मैं पहाड़ी भाषा अथवा बोली में ही कुछ कहूंगी जैसे----
जैमिनि साहब, 'आपको हमारी ओर से बहुत बहुत प्रणाम।
पहाड़ी भाषा में----:
जैमिनि साब, 'तुसां जो मह्हारी तरफा ते बौत बौत हात्थ जोड़ी ने परणाम जी।
ये है मेरी मातृभाषा पहाड़ी कहलूरी अर्थात बिलासपुरी बोली
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- शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
( WhatsApp से साभार )
मातृभाषा हस्ताक्षर अभियान हिंदी दिवस पर आयोजित यह एक बहुत ही अनोखा एवं विशिष्ट कार्यक्रम है इसके लिए आदरणीय परम मित्र श्री बीजेंद्र जैमिनी जी को हार्दिक शुभकामनाएं। मातृभाषा का महत्व जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है मातृभाषा के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं होता है अपने विचार भावनाओं को प्रकट करने के लिए मातृभाषा ही एक अहम माध्यम है। इस मातृभाषा का महत्व राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी समझाया गया है। हिंदी हमारी राजभाषा है विश्व भाषा है और उस हिंदी भाषा तक हमें हमारी मातृभाषा पहुंचाती है।
ReplyDeleteधन्यवाद
- डॉ सुनील कुमार परीट
बेलगांव.- कर्नाटक
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अति सुंदर सम्मान पत्र के लिए हार्दिक आभार प्रकट करती हूं।
ReplyDeleteएक सराहनीय पहल आपने की है व व्यापक रूप से सदस्यों को जोड़कर अभियान को सफल बनाया है।
हार्दिक बधाई।
देश का नाम इंडिया नहीं भारत ही बोला/ लिखा जाना चाहिए।
अनेक शुभकामनाएं।
- मीना जैन
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
( WhatsApp से साभार )
आजादी से लेकर आज तक हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी,तो इसका कारण यही है कि हिंदी दिवस, हिंदी सप्ताह, पखवारा तो मनाया जाता है, मगर सरकारी,गैर सरकारी और अब तो बहुतायत में सम्मान पत्रों की अनियंत्रित भीड़ में हिंदी की सेवा, बढ़ावा देने के नाम पर हिंदी का अपमान हम स्वयं कर रहे हैं।
ReplyDeleteउदाहरण के लिए एक वर्ष पूर्व एक गैर साहित्यिक मनीषी की टिप्पणी मेरे एक सम्मान पत्र के परिप्रेक्ष्य में मुझे मिली कि- हिंदी को बढ़ावा देने का काम सम्मान पत्रों में अंग्रेजी में हस्ताक्षर से बहुत बढ़िया कर रहे हैं।
इस संबंध में जब संबंधित पटल के संस्थापक से बात की तो वो भड़क गए और मुझसे संबंध खत्म कर लिए।
विचारणीय है कि कहीं हम हिंदी को बढ़ावा देने की आड़ में हिंदी का ही तो अपमान नहीं कर रहे हैं।
जय हिंदी!जय हिंदी!!जय जय हिंदी
हमारी आपकी मातृभाषा हमारी हिंदी।
- सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा - उत्तर प्रदेश
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