इनसे मिलिए " साक्षात्कार कार्यक्रम " में‌ बीजेन्द्र जैमिनी


श्रीमति निशा भास्कर द्वारा पूछें गयें कुछ चुनिंदा प्रश्न के उत्तर :-


1- विभिन्न शैलियों में लघुकथा लेखन प्रयोग का सामान्य स्तर कहा जाता है। हम जानना चाहते हैं कि विशिष्ट प्रयोगात्मक शैली के लिए एक रचना में कौन-कौन से तत्व शामिल किया जाना चाहिए?


बीजेन्द्र जैमिनी : लघुकथा जीवन की विशेष क्षण की अभिव्यक्ति का परिवेश है। जो कथा का रूप ( जन्म) लेती है। जिसे हम लघुकथा कहतें हैं साहित्य की विभिन्न शैली की तरह सशक्त विधा है। लघुकथाकार बनना बहुत‌ आसान है। परन्तु लघुकथा लिखना उतना ही कठिन होता है। आजकल‌ , दो - दो लाइन की लघुकथा लिखने वाले कहाँ हैं?  मुकेश जैन पारस ( दिल्ली) व राजेन्द्र शर्मा निष्पक्ष ( पानीपत)) इसी श्रेणी के लघुकथाकार मानें जातें हैं। " मेरी दृष्टि में  " लघुकथा के विभिन्न तत्वों में कथानक, भाषा शैली, कालदोषमुक्त , यथार्थ का‌ बोध व उद्देश्य की पूर्ति आदि प्रमुख तत्व होने चाहिए। 

कथानक में एकात्मकता होनी चाहिए। कुछ लघुकथा समीक्षकों मानते हैं कि पुश- पक्षी को पात्र नहीं बनना चाहिए। परन्तु "मेरी दृष्टि में " मानव के साथ - साथ पशु - पक्षी को पात्र बनाने में क्या बुराई है ‌? मेरे ही संपादन में 2020 में  " पशु - पक्षी ( ई - लघुकथा संकलन) निकाला गया है। जो आज भी मेरे ब्लॉक ( https://bijendergemini.blogspot.com/2020/09/blog-post_98.html ) पर सुरक्षित है। जिसे देखा जा सकता है।  भाषा शैली में व्यग्र व संवाद होना चाहिए। बिना संवाद के लघुकथा में सार्थकता नहीं बन पाती है। वह समाचार की श्रेणी में आ जाता है। कालदोषमुक्त लघुकथा में अनिवार्य तत्व माना जाता है। समय व स्थान एक होना चाहिए। तभी समीक्षक लघुकथा के रूप में स्वीकार करते हैं। यथार्थ का बोध लघुकथा को चार चांद लगा देता है। खाली कल्पना का लघुकथा साहित्य में ना के बराबर स्थान है। लघुकथा में उद्देश्य स्पष्ट नज़र आना चाहिए। वह एक चोट का कार्य करता है। जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देता है। 


2- वर्णनात्मक शिल्प और डायरी शैली में आजकल रचनाकार अधिकाधिक मात्रा में लघुकथा लेखन करने लगे हैं, जैसे की डायरी शैली में लेखन की बाढ़ का अनुभव होने लगा है। इस शैली में विस्तार करने का अधिक गुंजाइश रहता है। ऐसा लेखकों का मानना है। इस संदर्भ में आपके क्या विचार हैं ?


बीजेन्द्र जैमिनी‌ : वर्णनात्मक शिल्प को लघुकथा साहित्य में कोई स्थान नहीं माना जाना चाहिए। इससे लघुकथा की लघुता समाप्त हो जाती है। एक शब्द भी फालतू नज़र नहीं आना चाहिए। यह लघुकथा का सबसे बड़ा नियम है। परन्तु कुछ विशिष्ट लघुकथाकार वर्णनात्मक शिल्प का समर्थन यानि प्रयोग करते हैं। इसमें सबसे आगे डॉ. अशोक भाटिया ( करनाल) का नाम आता है। 

             डायरी शैली  का  वर्तमान समय में काफी प्रचलन बढ़ा है परन्तु भविष्य के बारे में कभी कुछ कहना जल्दी बाजी होगी। इसमें श्रेष्ठ कार्य होना चाहिए। तभी भविष्य में कुछ होने की सम्भावना बन सकती है। 


3-लघु कथा में नित्य नए प्रयोग हो रहे हैं । आपके विचार से उनकी क्या प्रासंगिकता है ?


बीजेन्द्र जैमिनी : प्रयोग तो‌ होने चाहिए। बिना प्रयोग के आगे नहीं बढ़ा जा‌ सकता है। डिजिटल युग ने अनेक सम्भावना पैदा हो गई है। जिससे लघुकथाकारों की बाढ़ सी आ गई है। लघुकथा के पाठकों की सख्या का विस्तार हुआ है। परन्तु लघुकथा की चोरी होने लगी है। अभी हाल में आदरणीय मिथिलेश दीक्षित ( लखनऊ) से फोन पर बातचीत हुई है जिसमें स्पष्ट हुआ कि कुछ नव लघुकथाकार अन्य लघुकथाकारों की लघुकथा अपने नाम से प्रकाशित करवा रहे हैं। जो बहुत ही गलत है। ऐसा नहीं होना चाहिए। फिर भी होता है। 


4- समाचार पत्रों में छपने वाली लघुकथाओं के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?


बीजेन्द्र जैमिनी : समाचार पत्रों में लघु पत्र - पत्रिकाओं का लघुकथा साहित्य में बहुत बड़ा योगदान है। यू एस एम पत्रिका ( गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश) ,  नालंदा दर्पण पत्रिका ( नालंदा - बिहार) , मिनीयुग पत्रिका ( गाजियाबाद - उत्तर) , जैमिनी अकादमी ( पानीपत - हरियाणा) , शुभ तारिका ( अम्बाला छावनी - हरियाणा), दृष्टि पत्रिका ( दिल्ली) , लघु आघात ( इन्दौर - मध्यप्रदेश) , आगमन ( रेवाड़ी - हरियाणा), दिशा (पटना - बिहार), हलाहल पत्रिका ( रेवाड़ी - हरियाणा) , मित्र संगम पत्रिका ( दिल्ली) , लघुकथा कलश पत्रिका ( पटियाला - पंजाब) , सुवेश ( कैथल - हरियाणा),जगमगदीप ज्योति (अलवर - राजस्थान), जर्जर कश्ती ( अलीगढ़ - उत्तर प्रदेश) , क्षितिज ( इन्दौर - मध्यप्रदेश) आदि अनेक पत्र - पत्रिकाएँ हैं। जिन्होंने लघुकथा विशेषांक, परिचर्चा, पोस्टर प्रर्दशनी, प्रतियोगिता ,  समारोह का आयोजन आदि करके विशेष भूमिका निभाई है। जो लघुकथा के विकास में पत्र - पत्रिकाओं की भूमिका मील का पत्थर साबित हुईं हैं। 


5- क्या सत्य घटनाओं पर लघुकथा लिखी जा सकती है। यदि नहीं तो क्यों?


बीजेन्द्र जैमिनी : सत्य तो सत्य है । सत्य घटनाओं पर साहित्य हमेशा से लिखा जाता है। परन्तु लघुकथा की परिभाषा की सीमा में लिखा जाना चाहिए। तभी वह लघुकथा के रूप में स्वीकार होगी। मैंने अनेक लघुकथाएं सत्य घटनाओं पर लिखी हैं। जैसे :- पति महोदय, स्नेह,  पढ़ाई, पढ़े लिखे की नौकरी, नेता की घोषणा, तमीज‌, दिवाली के भिखारी, फैशन‌ आदि अनेक हैं। परन्तु पूर्ण रूप से सत्य पर आधारित नहीं होती हैं । फिर भी सत्य घटना से प्रभावित होने से इंकार नहीं जा सकता है। 


6- लघु कथा में संक्षिप्तता कैसे आती है ? इसकी शब्द सीमा के विषय में आपके क्या विचार है?


बीजेन्द्र जैमिनी : शब्दों की सीमा में लघुकथा को नहीं बाधा जा सकता है। यह विषय वस्तु की‌ स्थिति पर निर्भर करता है। प्रथम लाइन से कथा का प्रवेश होना चाहिए। किसी भी प्रकार की  भूमिका बाधने की आवश्यकता नहीं होती है। एक शब्द भी फालतू नज़र नहीं आना चाहिए। यही सफल लघुकथा का कुछ मंत्र यानि ज्ञान है। 


7- लघु कथा में शिल्प का महत्व और भविष्य के विषय में आपके विचार जानना चाहेंगे।


बीजेन्द्र जैमिनी : लघुकथा शिल्प के क्षेत्र में जगदीश‌ कश्यप ( गाजियाबाद) का नाम बहुत ही आदर के साथ लिया जाता है। इन्होंने ही कालदोषमुक्त  लघुकथा की कल्पना की थी। जोकि आजकल सफल लघुकथा का महत्वपूर्ण शिल्प माना जाता है। इसी प्रकार संवाद शिल्प में डाॅ. सतीशराज पुष्करणा ( पटना - बिहार) का नाम आदर के साथ लिया जाता है। ये पूरी की पूरी लघुकथा संवाद शिल्प में लिख देते थे। मैंने इन दोनों शिल्प का प्रयोग अपनी लघुकथाओं में बेखुबी किया है। भविष्य के विषय पर बात करें तो श्रीमती कान्ता राॅय ( भोपाल - मध्यप्रदेश) का कार्य सर्वोत्तम है। जो भविष्य की पौध तैयार कर रहीं है। ऐसे अनेक लघुकथा साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहें हैं। 


इन सभी संदर्भों पर हमने काफी महत्वपूर्ण चर्चा की मंच अब आपसे आग्रह करता है कि आप अपने द्वारा रचित कोई दो लघुकथा सुनाएं!


बीजेन्द्र जैमिनी : 

लघुकथा 

                             स्नेंह

                             

           पिता अपने चार-पाँच साल के बच्चे को पढ़ा रहे है - ओ से ओखली , परन्तु बच्चा ओ से नोकली कहता है । पिता बार-बार समझाता है परन्तु बच्चा ओ से नोकली ही कहता है। पिता को गुस्सा आ जाता है। जिस से बच्चे के मुंह पर चार- पाँच थप्पड़ जमा देता है । माँ अन्दर से चिल्लाती है

        - ये क्या कर रहे हो ?

        - मेरे समझने के बाद भी ओ से नोकली कह रहा है।

        - बच्चे को कोई पीटा जाता है बच्चे को स्नेंह से सिखाया जाता है

         और अब माँ बच्चे को पढाना शुरु करती है। स्नेंह से ही बच्चा एक दिन में ही ओ से ओखली कहना शुरु कर देता है! 000

===================================

लघुकथा 


                       दरोगा जी                                            

                                                  

          कोर्ट में मुकदमा जीतने के बाद ,जज साहब ने बुजुर्ग को बधाई देते हुए कहा- बाबा !आप केस जीत गये है।

     बुजुर्ग ने कहा- प्रभु जी ! आप को इतनी तरक्की दे, आप " दरोगा जी " बन जाए ।

     वकील बोला- बाबा! जज तो " दरोगा " से तो बहुत बड़ा होता है।

       बुजुर्ग बोला- ना ही साहब ! मेरी नजर में "दरोगा जी" ही बड़ा है।

        वकील बोला- वो कैसे ?

         बुजुर्ग – जज साहब ने मुकदमा खत्म करने में दस साल लगा दिये । जब कि "दरोगा जी" शुरू में ही कहा था। पांच हजार रुपया दे , दो दिन में मामला रफा दफा कर दूगाँ । मैने तो पांच की जगह पंचास हजार से अधिक तो वकील को दे चुका हूँ और समय दस साल से ऊपर लग गये।

      जज साहब और वकील तो बुजुर्ग की तरफ देखते ही रह गये। ००


--------------------------------------------------

 श्रीमती निशा भास्कर जी के अतिरिक्त अजय वर्मा जी , सुनीता मिश्रा, कल्पना भट्ट, सिद्धेश्वर जी, अनिल जैन, विकल जी, मधु जैन ,सरला मेहता, पूनम वर्मा ,सुधा दुबे, शोभना श्याम ,मंजू गुप्ता ,सोनाली खरे, सुधाकर मिश्रा, रेनू गुप्ता, विजय सिंह चौहान, डॉक्टर सुधा चौहान, मनोरमा पंत पुष्पा पांडे, भुवनेश दशोत्तर ,नमिता सिंह, सपना चंद्रा,कुमुद दुबे, रंजना जायसवाल, अमिता मराठे तथा कुसुम लता जी आदि के प्रश्नों के उत्तर दिये। आदरणीय अजय वर्मा जी ने अन्त में सभी‌ का धन्यवाद‌ कर‌ के कार्यक्रम समाप्त‌ किया

https://youtu.be/g3MlofePiTY?si=EwjQFxb0wBKSN_nI



       

                       बीजेन्द्र जैमिनी

                ( Bijender Gemini )

               लेखक  , पत्रकार  व संपादक



जन्म : 03 जून 1965 , पानीपत - हरियाणा

शिक्षा : एम ए हिन्दी , पत्रकारिता व जंनसंचार विशारद्

             फिल्म पत्रकारिता कोर्स

            

कार्यक्षेत्र : प्रधान सम्पादक / निदेशक

               जैमिनी अकादमी , पानीपत

               ( फरवरी 1995 से निरन्तर प्रसारण )


मौलिक :-


मुस्करान ( काव्य संग्रह ) -1989

प्रातःकाल ( लघुकथा संग्रह ) -1990

त्रिशूल ( हाईकू संग्रह ) -1991

नई सुबह की तलाश ( लघुकथा संग्रह ) - 1998

इधर उधर से ( लघुकथा संग्रह ) - 2001

धर्म की परिभाषा (कविता का विभिन्न भाषाओं का अनुवाद) - 2001


सम्पादन :-


चांद की चांदनी ( लघुकथा संकलन ) - 1990

पानीपत के हीरे ( काव्य संकलन ) - 1998

शताब्दी रत्न निदेशिका ( परिचित संकलन ) - 2001

प्यारे कवि मंजूल ( अभिनन्दन ग्रंथ ) - 2001

बीसवीं शताब्दी की लघुकथाएं (लघुकथा संकलन ) -2001

बीसवीं शताब्दी की नई कविताएं ( काव्य संकलन ) -2001

संघर्ष का स्वर ( काव्य संकलन ) - 2002

रामवृक्ष बेनीपुरी जन्म शताब्दी ( समारोह संकलन ) -2002

हरियाणा साहित्यकार कोश ( परिचय संकलन ) - 2003

राजभाषा : वर्तमान में हिन्दी या अग्रेजी ? ( परिचर्चा संकलन ) - 2003


ई - बुक : -

====


लघुकथा - 2018  (लघुकथा संकलन) 

लघुकथा - 2019   ( लघुकथा संकलन ) 

नारी के विभिन्न रूप ( लघुकथा संकलन ) - जून - 2019

लोकतंत्र का चुनाव ( लघुकथा संकलन ) अप्रैल -2019

मां ( लघुकथा संकलन )  मार्च - 2019

जीवन की प्रथम लघुकथा ( लघुकथा संकलन )  जनवरी - 2019

जय माता दी ( काव्य संकलन )  अप्रैल - 2019

मतदान ( काव्य संकलन )  अप्रैल - 2019

जल ही जीवन है ( काव्य संकलन ) मई - 2019

भारत की शान : नरेन्द्र मोदी के नाम ( काव्य संकलन )  मई - 2019

लघुकथा - 2020 ( लघुकथा का संकलन ) का सम्पादन - 2020

कोरोना ( काव्य संकलन ) का सम्पादन -2020 

कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( लघुकथा संकलन ) का सम्पादन-2020

पशु पक्षी ( लघुकथा संकलन ) का सम्पादन- 2020

लघुकथा - 2021  ( ई - लघुकथा संकलन )

लघुकथा - 2022  ( ई - लघुकथा संकलन )

मन की भाषा हिन्दी ( काव्य संकलन ) का सम्पादन -2021

स्वामी विवेकानंद जयंती ( काव्य संकलन )का सम्पादन - 2021

होली (ई - लघुकथा संकलन ) का सम्पादन - 2021

मध्यप्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021

हरियाणा के प्रमुख लघुकथाकार (ई - लघुकथा संकलन ) -

 2021

 मुम्बई के प्रमुख हिन्दी महिला लघुकथाकार (ई लघुकथा संकलन ) - 2021

 दिल्ली के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021

  महाराष्ट्र के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021

  उत्तर प्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021

  राजस्थान के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021

 भोपाल के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021

  हिन्दी की प्रमुख महिला लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021

  झारखंड के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021

 हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021

 इनसे मिलिए ( ई - साक्षात्कार संकलन ) - 2021

 सुबह की बरसात ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021

 जीवन ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2022

 मैं कौन हूँ ( ई - काव्य संकलन ) - 2022

 


बीजेन्द्र जैमिनी पर विभिन्न शोध कार्य :-


1994 में कु. सुखप्रीत ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. लालचंद गुप्त मंगल के निदेशन में " पानीपत नगर : समकालीन हिन्दी साहित्य का अनुशीलन " शोध में शामिल


1995 में श्री अशोक खजूरिया ने जम्मू विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. राजकुमार शर्मा के निदेशन " लघु कहानियों में जीवन का बहुआयामी एवं बहुपक्षीय समस्याओं का चित्रण " शोध में शामिल


1999 में श्री मदन लाल सैनी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी के निदेशन में " पानीपत के लघु पत्र - पत्रिकाओं के सम्पादन , प्रंबधन व वितरण " शोध में शामिल


2003 में श्री सुभाष सैनी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. रामपत यादव के निदेशन में " हिन्दी लघुकथा : विश्लेषण एवं मूल्यांकन " शोध में शामिल


2003 में कु. अनिता छाबड़ा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. लाल चन्द गुप्त मंगल के निदेशन में " हरियाणा का हिन्दी लघुकथा साहित्य कथ्य एवम् शिल्प " शोध में शामिल


2013 में आशारानी बी.पी ने केरल विश्वविद्यालय के अधीन डाँ. के. मणिकणठन नायर के निदेशन में " हिन्दी साहित्य के विकास में हिन्दी की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं का योगदान " शोध में शामिल


2018 में सुशील बिजला ने दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा , धारवाड़ ( कर्नाटक ) के अधीन डाँ. राजकुमार नायक के निदेशन में " 1947 के बाद हिन्दी के विकास में हिन्दी प्रचार संस्थाओं का योगदान " शोध में शामिल


2021 में प्रियंका कुमारी ने जय प्रकाश विश्वविद्यालय , छपरा - बिहार के अधीन डॉ अनिता ( पटना ) के निदेशन में " आधुनिक हिन्दी लघुकथाओं का विकास : पत्र , पत्रिकाओं और संस्थाओं का योगदान " ( पी. एच . डी ) शोध में शामिल


सम्मान / पुरस्कार


15 अक्टूबर 1995 को  विक्रमशिला हिन्दी विद्मापीठ , गांधी नगर ,ईशीपुर ( भागलपुर ) बिहार ने विद्मावाचस्पति ( पी.एच.डी ) की मानद उपाधि से सम्मानित किया ।


13 दिसम्बर 1999 को महानुभाव विश्वभारती , अमरावती - महाराष्ट्र द्वारा बीजेन्द्र जैमिनी की पुस्तक प्रातःकाल ( लघुकथा संग्रह ) को महानुभाव ग्रंथोत्तेजक पुरस्कार प्रदान किया गया ।


14 दिसम्बर 2002 को सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी , खण्डवा - मध्यप्रदेश द्वारा इक्कीस हजार रुपए का आचार्य सत्यपुरी नाहनवी पुरस्कार से सम्मानित


14 सितम्बर 2012 को साहित्य मण्डल ,श्रीनाथद्वारा - राजस्थान द्वारा " सम्पादक - रत्न " उपाधि से सम्मानित


14 सितम्बर 2014 को हरियाणा प्रदेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन , सिरसा - हरियाणा द्वारा लघुकथा के क्षेत्र में इक्कीस सौ रुपए का श्री रमेशचन्द्र शलिहास स्मृति सम्मान से सम्मानित


14 सितम्बर 2016 को मीडिया क्लब , पानीपत - हरियाणा द्वारा हिन्दी दिवस समारोह में नेपाल , भूटान व बांग्लादेश सहित 14 हिन्दी सेवीयों को सम्मानित किया । जिनमें से बीजेन्द्र जैमिनी भी एक है ।


18 दिसम्बर 2016 को हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच , सिरसा - हरियाणा द्वारा लघुकथा सेवी सम्मान से सम्मानित


अभिनन्दन प्रकाशित :-


डाँ. बीजेन्द्र कुमार जैमिनी : बिम्ब - प्रतिबिम्ब

सम्पादक : संगीता रानी ( 25 मई 1999)


डाँ. बीजेन्द्र कुमार जैमिनी : अभिनन्दन मंजूषा

सम्पादक : लाल चंद भोला ( 14 सितम्बर 2000)


विशेष उल्लेख :-


1. जैमिनी अकादमी के माध्यम से 1995 से पच्चीस प्रतिवर्ष अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन


2. जैमिनी अकादमी के माध्यम से 1995 से प्रतिवर्ष अखिल भारतीय हिन्दी हाईकू प्रतियोगिता का आयोजन । फिलहाल ये प्रतियोगिता बन्द कर दी गई है ।


3. हरियाणा के अतिरिक्त दिल्ली , हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश , बिहार , महाराष्ट्र , आंध्रप्रदेश , उत्तराखंड , छत्तीसगढ़ , पश्चिमी बंगाल आदि की पंचास से अधिक संस्थाओं से सम्मानित


4. बीजेन्द्र जैमिनी की अनेंक लघुकथाओं का उर्दू , गुजराती , तमिल व पंजाबी में अनुवाद हुआ है । अयूब सौर बाजाखी द्वारा उर्दू में रंग में भंग , गवाही , पार्टी वर्क , शादी का खर्च , चाची से शादी , शर्म , आदि का अनुवाद हुआ है । डाँ. कमल पुंजाणी द्वारा गुजराती में इन्टरव्यू का अनुवाद हुआ है । डाँ. ह. दुर्रस्वामी द्वारा तमिल में गवाही , पार्टी वर्क , आर्दशवाद , प्रमाण-पत्र , भाषणों तक सीमित , पहला वेतन आदि का अनुवाद हुआ है । सतपाल साहलोन द्वारा पंजाबी में कंलक का विरोध , रिश्वत का अनुवाद हुआ है ।

5. blog पर विशेष :-

            शुभ दिन - 365 दिन प्रसारित 

            " आज की चर्चा " प्रतिदिन 22 सितंबर 2019 से 17 मई 2021 तक  प्रसारित हुआ है ।

6. भारतीय कलाकार संघ का स्टार प्रचारक 

7. महाभारत : आज का प्रश्न ( संचालन व सम्पादन )

8. ऑनलाइन कार्यक्रम : कवि सम्मेलन व लघुकथा उत्सव ( संचालन व सम्पादन )

9. भारतीय लघुकथा विकास मंच के माध्यम से लघुकथा मैराथन - 2020 का आयोजन

10. #SixWorldStories की एक सौ एक किस्तों के रचनाकार ( फेसबुक व blog पर आज भी सुरक्षित )

11. स्तभ : - 

     इनसे मिलिए ( दो सौ से अधिक किस्तें प्रकाशित )

     स्तभ : मेरी दृष्टि में ( दो सौ से अधिक किस्तें प्रकशित )

12. लघुकथा साहित्य की प्रथम लघुकथा रैंकिंग - 2021 का आयोजन व संचालन


पता : हिन्दी भवन , 554- सी , सैक्टर -6 ,

          पानीपत - 132103 हरियाणा

          ईमेल : bijender1965@gmail.com

          WhatsApp Mobile No. 9355003609

=================================


Comments

  1. धन्यवाद सर 🙏आपका बहुत बहुत आभार आपके साथ आज का साहित्य चर्चा बहुत ही ज्ञानवर्धक रहा। आपके द्वारा किए जा रहे साहित्य सेवा काफी सराहनीय है।आप हमारे प्रेरणा स्रोत है। मैं प्रयत्न करूंगी आपके द्वारा आयोजित किसी साहित्यिक आयोजन में सहभागी बनने की। मैं दिल्ली सिनियर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षिका हूं। कभी आप दिल्ली आये तो बताने का कष्ट करें।आपका स्वागत है।
    - निशा भास्कर
    दिल्ली सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दिल्ली
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete
  2. सर प्रणाम।
    कल मैं कार्यक्रम में शुरू से अंत तक उपस्थित थी।
    आपके साक्षात्कार से बहुत कुछ सीखने को मिला। आभार।
    🙏
    - रेनु गुप्ता
    जयपुर - राजस्थान
    ((WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete
  3. बहुत ही अर्थ पूर्ण आप का हर शब्द साक्षात्कार में हार्दिक बधाई।
    - सुदेश दीक्षित
    कागड़ा - हिमाचल प्रदेश
    (WhatsApp से साभार)

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )

जीवन में संयम का क्या महत्व है ?