हिन्दी दिवस - 2024

       जैमिनी अकादमी की स्थापना 25 फरवरी‌ 1995 को प्रथम अंक निकालने के साथ हुई। जो लघु समाचार पत्र‌‌ के रूप में हुई।  पानीपत साहित्य अकादमी के माध्यम से प्रथम कार्यक्रम 14 सितम्बर 1997 को हिन्दी दिवस समारोह रखा गया। परन्तु डाकं विभाग ने हमारी डाकं रोक कर हिन्दी दिवस के कार्यक्रम को प्रभावित किया। प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत भेजी गई। इसी बीच मुझे डांक विभाग‌ को हिन्दी दिवस पर आत्महत्या करना का पत्र देना पड़ा। जिससे प्रशासन हरकत में आया। आनने फानन में डांक विभाग ने डांक तो दे दी गई। परन्तु राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम का सपना टूट चुका था। ऐसे में कार्यक्रम बहुत ही सक्षेंप में हुआ। अनुभव बहुत कड़वा रहा, परन्तु हिम्मत नहीं हारी। 1998 से जैमिनी अकादमी के माध्यम से हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम के साथ - साथ अन्य कार्यक्रम को नियमित रूप से जारी रखा। 2020 में कोरोना ने फिर समस्या खड़ी दी। समारोह करना सम्भव नहीं था। ऑनलाइन कार्यक्रम करने का रास्ता नंजर आया। ऑनलाइन ऐसा रास्ता नज़र आया कि पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उम्र के साथ साथ बिमारी का भी सामना करना पड़ता है। अप्रैल में आंखों में कुछ कमी नज़र आई तो‌ डाक्टर विवेक शर्मा ( पुराने बस स्टैंड‌ के पीछे  , सुखदेव नगर, पानीपत) को दिखाया। आंखों में टीकें लगवाने की सलाह दी। साथ में डोप्प भी दिया। जिससे कुछ समय निकाला जा सकें। कुछ समय बाद ही रोड़ पर डार्ईविंग करना असम्भव को गया। 26 जुलाई 2024 को  डॉ अकुर गुप्ता ( सलारगंज गेट , पानीपत) को दिखाया। टैस्ट भी हुएं। परन्तु टीकें के अतिरिक्त कोई इलाज नहीं।टीकें भी आठ हजार, सोलह हजार , छब्बीस हजार का है। कम से कम तीन टीकें अवश्य लगगें। खड़े खड़े 4300 रुपये खर्च कर दिये। घर आया तो पत्नी ( संगीता रानी) को बताया। उसने लड़के उमेश जैमिनी को फोन पर बताया। लड़कें ने भी पीजीआई, चण्डीगढ़ से ऑनलाइन बुकिंग से अगलें दिन का  टाईम ले लिया। शाम को ही बस से चण्डीगढ़ पहुंचे। मोहाली से लड़का भी कार से लेने के लिए आ गया। उमेश के घर पर रुके। अगले दिन पीजीआई में दिखाया। वहाँ भी आंखों में टीकें ही एकमात्र इलाज बताया। प्रोफेसर डॉ हरदीप सिंह के देखरेख में एक अगस्त, व तीन सितम्बर को टीकें लगें हैं। अगला टीका 14 अक्तूबर को लगेगा। इसी बीच हिन्दी दिवस कार्यक्रम आ गया है। 14 सितम्बर को ऑनलाइन विशाल कार्यक्रम करने की क्षमता मुझे में नहीं है। फिलहाल सक्षेंप में ऑनलाइन कार्यक्रम के साथ - साथ दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन में भाग लेना का निर्णय लिया है। सक्षेंप में ऑनलाइन कार्यक्रम के अन्तर्गत डिजिटल सम्मान पत्र पेश हैं । 
                                          - बीजेन्द्र जैमिनी

Comments

  1. महोदय आपका हिंदी के प्रति प्रेम हिंदी के प्रचार प्रसार में आपकी भूमिका बहुत ही सराहनीय है परमपिता परमात्मा आपको दीर्घायु दे ताकि आप सतत हिंदी की यूं ही सेवा करते रहे
    डॉ मनु मेहरबान पठानकोट
    ( WhatsApp से साभार)

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