भाजपा का डोर टू डोर अभियान में फोटो खिचवाते बीजेन्द्र जैमिनी
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बीजेन्द्र जैमिनी के साथ भाजपा के अशोक चौहान, वकील सुनीता कश्यप व पानीपत ग्रामीण के भाजपा के उम्मीदवार श्री महीपाल ढाड़ा ( वर्तमान विधायक ) की पत्नी व बहन भी फोटो में शामिल
वृद्धाश्रमों की आवश्यकता दिनों दिन बढती जा रही है । जो चिंता का विषय है । परिवार दिनों दिन टूट रहे हैं । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - भारत की सनातन भारतीय संस्कृति संयुक्त परिवार की है । समाज में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से देश में परिवर्तन आया है । संयुक्त परिवार एकल परिवार में बदल गए । परिवार में बड़े , बूढ़ों की अवेहलना होने लगी और उनकी अहमियत शनैःशनैः खत्म होने लगी । मानव में मूल्यों , संस्कारों का ह्रास होने लगा । माता -पिता जिन्होंने संतान को स्वाबलंबी , आत्मनिर्भर बनाया । उन्हीं की औलाद अपने माता -पिता को बोझ मानते हैं । वे अपने संग रखना पसंद नहीं करते हैं । बुढापे में बच्चों की सेवा की जरूरत होती है तो वे बच्चे सेवा करना पसंद नहीं करते है । सन्तान को उनकी बात भी बुरी लगती है । माता - पिता की सेवा न करने से सन्तान आजाद रहना चाहती है इसलिए उन्हीं की संतान उन्हें वृद्धाश्रम में रखना पसंद करते हैं । समाज में यही नकारकात्मक भाव परिवार में पैदा होरहे हैं । सन्तान भूल जाती ह
यह सफर लघुकथा - 2018 से शुरू हुआ । जो लघुकथा - 2019 , लघुकथा - 2020 , लघुकथा - 2021 ,लघुकथा - 2022 व लघुकथा- 2023 आपके सामने ई - लघुकथा संकलन के रूप में है । ये बेजोड़ श्रृंखला तैयार हो रही है।लघुकथाकारों का साथ मिलता चला गया और ये श्रृंखला कामयाबी के शिखर पर पहुंच गई । सफलता के चरण विभिन्न हो सकते हैं । परन्तु सफलता तो सफलता है । कुछ का साथ टूटा है कुछ का साथ नये - नये लघुकथाकारों के रूप में बढता चला गया । समय ने बहुत कुछ बदला है । कुछ खट्टे - मीठे अनुभव ने बहुत कुछ सिखा दिया । परन्तु कर्म से कभी पीछे नहीं हटा..। स्थिति कुछ भी रही हो । जीवन में बहुत सिखा है । यह अनुभव अनमोल है। लघुकथाकारों के साथ पाठकों का भी स्वागत है । अपनी राय अवश्य दे । भविष्य के लिए ये आवश्यक है । आप सबकी प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा में ......। आप का मित्र बीजेन्द्र जैमिनी सम्पादक
संयम से किया गया कार्य सफलता की ओर ले जाता है और सही - गलत की पहचान भी करवा देता है । यही से जीवन के मूल्य में संयम की उपयोगिता सिद्ध होती है । संयम के भी अपने फार्मूले होते है। जिससे संयम को प्राप्त किया जाता है । संयम की परिभाषा भी एक दम स्पष्ट है । शान्त रहते हुये अपने मुकाम तक पहुचना हैं । यही कुछ " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । आये विचारों को देखते हैं : - सही मायने में यदि हम अपनी इंद्रियों पर काबू पा लेते हैं तो हमने सब पा लिया! संयम ही एक ऐसा मार्ग है जिससे हम उत्कृष्ट जीवन, महानता और सुख- शांति पा सकते हैं ! यदि किसी से झगड़ते समय हमने अपने आप पर संयम रख बात वहीं समाप्त कर दी तो हमने धैर्य, विवेक, विनम्रता, अपनी सहजता सरलता, बुद्धि व्यवहार सभी गुणों को भी ध्यान में रखा (ये गुण है तो संयम है) यहां हम अपनी इंद्रिय जिह्वा को बस में कर लेते हैं तो बाकी इंद्रियों को भी तथाकथित सभी गुणों के साथ संयमित रख सकते हैं और संयम में विश्वास की भावना प्रचुर वेग में हो तो "सोने पे सुहागा " हमने अपने काम, लोभ, इच्छा, चाहत पर काबू करने के
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