वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?
वृद्धाश्रमों की आवश्यकता दिनों दिन बढती जा रही है । जो चिंता का विषय है । परिवार दिनों दिन टूट रहे हैं । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - भारत की सनातन भारतीय संस्कृति संयुक्त परिवार की है । समाज में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से देश में परिवर्तन आया है । संयुक्त परिवार एकल परिवार में बदल गए । परिवार में बड़े , बूढ़ों की अवेहलना होने लगी और उनकी अहमियत शनैःशनैः खत्म होने लगी । मानव में मूल्यों , संस्कारों का ह्रास होने लगा । माता -पिता जिन्होंने संतान को स्वाबलंबी , आत्मनिर्भर बनाया । उन्हीं की औलाद अपने माता -पिता को बोझ मानते हैं । वे अपने संग रखना पसंद नहीं करते हैं । बुढापे में बच्चों की सेवा की जरूरत होती है तो वे बच्चे सेवा करना पसंद नहीं करते है । सन्तान को उनकी बात भी बुरी लगती है । माता - पिता की सेवा न करने से सन्तान आजाद रहना चाहती है इसलिए उन्हीं की संतान उन्हें वृद्धाश्रम में रखना पसंद करते हैं । समाज में यही नकारकात्मक भाव परिवार में पैदा होरहे हैं । सन्तान भूल जाती ह
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