वरिष्ठ पत्रकार राकेश मित्तल की दूसरी पुण्यतिथि के अवसर पर चर्चा - परिचर्चा का आयोजन व डिजिटल सम्मान पत्र
तन को भोजन चाहिए और मन को चाहिए विचार।अब ये विचार आंतरिक हों या फिर बाह्य।यदि आंतरिक हैं तो उन्हें व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है भाषा।हिंदी क्योंकि हमारी मातृ भाषा है तो इससे अच्छा और उत्कृष्ट कुछ भी नहीं हो सकता है। हिंदी मेरी भक्ति और अभिव्यक्ति है।मेरी पूर्ण परिचय की परिपाटी है।इसके सिवाय कुछ और नहीं जिसके जरिए मैं अपने मन और मस्तिष्क को शांत रख सकूं या अपनी मनःस्थिति को व्यक्त कर सकता हूँ। हिंदी केवल भाषा ही नहीं बल्कि मेरी पहचान भी है।जिस वतन से आता हूं हिंदी उसकी आत्मा है।यह मेरे लिए पूज्य भी है।मेरे कर्म कांडों की वाहक और विचारों की पुष्टि भी है।यह मुझसे पहले मेरे संदेशों को पहुंचाने वाली दूत है।मेरी धमनियों में चलती बोलती प्रमाणिका है।हिंदी मेरे लिए मेरी सबकुछ है।साज और श्रृंगार भी है हिंदी। - नरेश सिंह नयाल देहरादून - उत्तराखंड अभिमन्यु की कथा...