पंडित श्रद्धाराम शर्मा ' राम फिल्लौरी ' स्मृति सम्मान - 2025
दुनियां बहुत बड़ी है। फिर भी अपना कुछ भी नहीं है। सब कुछ दिखावे के है। समय आने पर यानि कष्ट आने पर सब कुछ अपने आप स्पष्ट हो जाता है। अपना तो अंत में शरीर भी साथ छोड़ जाता है। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का मुख्य विषय है। अब आयें विचारों को देखते हैं। इन में से कुछ विचारों को पेश करते हैं :- विषय एक दम सही और स्टीक है जिसके लिए सम्पादक बधाई के पात्र हैं।जीवन में परम सत्य का नाम मृत्यु हैं। जीवन का यही यथार्थ है जो पैदा होते हैं निश्चित हो जाता है कि जो पैदा होगा उसे मृत्यु भी आएगी। लेकिन अनेक विकारों में उलझा मनुष्य भूल जाता है कि एक दिन उसे इस नश्वर शरीर को छोड़ना होगा। आत्म तत्व के विषय में गीता में व्यापक चिन्तन एवं व्याख्या की गई है।।अतः जीवन और मृत्यु के बीच का का ऐसा समय है जो हमें अमर बना देता है । यह तभी सम्भव है जब हम श्रेष्ठ कर्मों का चयन करें बहूजन हिताए बहू जन सुखाए कर्म करें। - मदन हिमाचली नौणी (सोलन) - हिमाचल प्रदेश ...