के . पी. पूर्णचंद्र तेजस्वी स्मृति सम्मान - 2025
पैसा बोलता है दुनिया देखती हैं पैसा जब तक बोलता है जब तक इंसान को संतुष्टि नही मिलती इंसान निरंतर काम में जुटा होता है जब तक उद्देश्य पूर्ण नहीं हो जाता यही मनुष्य के जीवन संतुष्टि का पैमाना है मनुष्य के जीवित रहते तक रहता है ! दुनियाँ में बोलने वालों की कमी नहीं है! यदि इंसान अपनी औक़ात से ज़्यादा खर्च करता है! आम इंसान कहता है । उसका पैसा बोल रहा है! तभी ईर्ष्या प्रतिस्पर्धा दिखा !कहता है हम थोड़ी अंबानी है जो दुनिया को दिखाए! क्योंकि आम इंसानों की आंतरिक ख़ुशियों मिलो दूर रहती है ! इंसान मजबूर हो कहता हैं ! पैसा बोलता है जो केवल इंसान ही समझ सकता है! बाप दादा के दिए कर्म भी साथ रहते है ! जो संस्कारवान बना कर्म को महत्व देते है ! जिसके कारण कर्म ही हमेशा साथ रहते है!एक बहुत ही प्रेरणादायक , विचारोत्तेजक कथन है जो जीवन के मूल्यों और महत्व को दर्शाता है। पैसा हमें सुविधा और सुरक्षा प्रदान कर सकता है, लेकिन यह हमें सच्ची खुशी और संतुष्टि नहीं दे सकता।कर्म हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हमारे कर्म हमारे चरित्र और व्यक्तित्व को दर्शाते हैं। अच्छे कर्म हमें आत्मसंतुष्टि और सम्मान दिलाते हैं। जो व्यक्ति मितव्यता से जीवन निर्वाह करता है ! दुसरो की ख़ुशी में खुश हो कद्र करना जानता है ! सबंधों को जीना जानता आत्म संतुष्टि शांति सम्मान चाहता है !आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण बनना चाहता हूँ! जिसे दुनिया मिलों तक याद रखती है ! ईमानदार इंसान की तुलना सत्पुरुषों महापुरषों में होती है! जो कर्म क्षेत्र को मूर्त रूप मान समाज में स्थापित हो अपना वर्चस्व बनाए रखने में कामयाब होते है ! आगे जैमिनि सर जी से सज्ञान चाहूँगी !
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
आज हर जगह पैसे का बोलबाला है. सभी पैसे के पीछे पड़े हैं. क्योंकि उससे ही सबकुछ होने वाला है. असंभव को भी लोग पैसे से सम्भव कर दे रहे हैं. लेकिन पैसा हर जगह काम भी नहीं आता है. क्योंकि पैसा आता जाता रहता है लेकिन कर्म हमेशा आदमी के पीछे चलता रहता है. कहीं कहीं पैसा भी चुप रहता है. उदाहरणार्थ यहां पर दो व्यक्तियों का नाम लिया जा सकता है. एक देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अम्बानी उनके साथ उनका पैसा नहीं बल्कि उनका कर्म साथ है. दूसरा सहारा इंडीया के मालिक सुब्रत राय का उनका पैसा पूरे भारत में बोलता था. लेकिन अंत मे उनका कर्म ही साथ रहा. जो उनके बेटे उनका देख भाल न कर सके. इस प्रकार के बहुत उदाहरण है जिनका पैसा तो बोलता था लेकिन उनके कर्म उनका भट्टा बैठा दिया. इसलिए ये बात पूर्णतया सिद्ध हो रहा है कि पैसा बोलती है तो दुनिया देखती है. फिर भी जो कर्म का फल है वह तो साथ ही रहता है और उसे भुगतना ही पड़ता है.
- दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
सच है , पैसा बोलता भी है , दिखाई भी देता है , सुनाई भी देता है ! चारों ओर पैसे का बोलबाला है ! जिसके पास है पैसा , दुनियां उसके साथ है , हर कदम पर , हर मोड़ पर ! पैसा खत्म , सब कुछ खत्म !! जितना मर्जी पैसा हो , इंसान का कर्म ही उसकी सफलता , विफलता , तरक्की , नाम , का निर्णायक होता है !! पैसे को महत्व न दीजिए , पैसा आता है और जाता है , हाथ का मेल है !! कर्म सही रखिए , सफलता प्राप्त होगी !! जब सफलता पैसे के जोर से नहीं होती , तो वह आत्मसंतुष्टि प्रदान करती है , प्रसन्नता के साथ !
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
पैसा ऐसी चीज है जिसके बिना काम नहीं चल सकता है। जिसके अपार धन सम्पदा हो, उसके बले-बले क्या देखना, हर कोई उसके ही आगे-पीछे घुमते नजर आयेगें, उसे ही मंचासिन करेगें, जिसके पास पैसा नहीं उसे हीन भावना से देखा जाता है, अनगिनत समारोह प्रतिष्ठानों में देख लीजिए, वह व्यवस्था में लगा रहता है। उस पर किसी को दया तक नहीं आती। फिर भी कर्म हमेशा साथ रहता है। पैसा बोलता है दुनियां देखती है, यह एक कटु सत्य है, सबसे बड़ा रुपया एक कहावत चरित्रार्थ है। ईश्वर भी जिसे देता है, तो छपर फाड़ कर देता है, चल-अचल सम्पत्ति का भंडार रहता है, इतना सब होने उपरान्त भी मन में संतोष नहीं रहता, सब कुछ पाने की हमेशा लालच ही रहती है। पैसा वाले को अंतिम समय देख लीजिए, हर कोई आगे-पीछे घुमते नजर आयेगा, कब कुछ देकर चला जाये, परंतु ऐसा होता नहीं, जितना पैसा उतना कंजूस......
-आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
आज की दुनिया में धन का प्रभाव सबसे तेज़ और स्पष्ट दिखाई देता है। धन से इंसान की पहचान, सम्मान, शक्ति और पहुँच तय होती है। कई बार सच भी दब जाता है, लेकिन पैसा लोगों को आकर्षित करता है और निर्णयों को मोड़ देता है। समाज देखने और परखने में माहिर है। लोग आपकी स्थिति, सफलता, पहनावा, आचरण, सबका निरीक्षण करते हैं। दुनिया अक्सर बाहरी दिखावे पर ध्यान देती है, न कि आंतरिक सच्चाई पर। फिर भी कर्म हमेशा साथ रहता है ।धन और समाज की दृष्टि बदल सकती है, लेकिन आपके कर्म कभी आपका साथ नहीं छोड़ते। अच्छे कर्म शुभफल लाते हैं और बुरे कर्म दुःखदायी बनते हैं। जीवन के अंत में न पैसा साथ जाता है, न दुनिया की वाहवाही – केवल आपके कर्म ही आपके परिचय और परिणाम का आधार होते हैं। धन और समाज की दृष्टि क्षणिक है, पर कर्म शाश्वत हैं।इसलिए धन कमाना बुरा नहीं है, पर कर्म को प्रधान रखना चाहिए। अच्छे कर्म व्यक्ति की पहचान को स्थायी बनाते हैं, जबकि पैसा और दुनिया की नज़रें केवल अस्थायी होती हैं।
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
पैसा बोलता है, इस आधे सच को हम पूरा मानकर दिग्भ्रमित हो गए हैं और जिस सहज रास्ते से हमें पैसा अधिक मिल सकता है, उस रास्ते से भटककर ऐसे रास्ते से चल पड़े हैं जो कठिन है, अनुचित है, संघर्षमय है। यानी हम भूल गए हैं कि पैसा पाने का सीधा,सच्चा और सुगम मार्ग हमारे कर्म पथ से होकर जाता है। हमारे कर्म ही पैसों के स्थायित्व और उसकी उपयोगिता को तय करते हैं। इसके मूल में कर्म ही है। हमारे कर्म ही हमारा भाग्य तय करेंगे, हमारी दौलत तय करेंगे, हमारा सुख-चैन तय करेंगे। असल में हमारे ईमानदारी से कमाए पैसों से प्राप्त सुख-चैन से ही हमारी उपलब्धि का आकलन होता है। वही स्थायी भी होता है। वास्तविक होता है। निर्मल होता है। अनुचित तरीकों से कमाया गया पैसा न तो स्थायित्व दे सकता है और न ही सुख-चैन।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
पैसा आज की दुनिया की सबसे बड़ी ताक़त माना जाता है।जहाँ पैसा है, वहाँ सम्मान, पहचान और भीड़ खुद-ब-खुद खिंच आती है।लोग अकसर पैसों के चमक देखकर ही रिश्ते बनाते हैं। लेकिन पैसा अस्थायी होता है, पल भर में आ सकता है और पल भर में चला भी सकता है। इसके विपरीत, इंसान का कर्म ऐसा हैं जो जीवन भर उसका साथ निभाते हैं।अच्छे कर्म इंसान को सम्मान और प्रेम दिलाते हैं। पर पैसा इंसान को सम्मान नहीं दिला सकता है बुरे कर्म व्यक्ति को गिरा देते हैं, चाहे वह कितनी ही दौलत क्यों न कमा ले। पैसा सिर्फ दिखावा करवा सकता है, लेकिन कर्म व्यक्ति का असली चेहरा उजागर करते हैं। बात यह सोलहो आने सच है कि पैसा चाहे जितना भी बोल ले, अंत में गूंज केवल अच्छे कर्मों की ही रह जाती है।
- सीमा रानी
पटना - बिहार
आजकल लोग पैसे को ही महानता देते हैं, जिसके पास पैसा है उसके गुणगान गाते हैं लेकिन कर्म को कम महत्व देते हैं वो यही सोचते हैं कि पैसा हो तो कर्म की क्या जरूरत कर्म को तो पैसे से खरीद लेंगे लेकिन लोग यह नहीं जानते कि पैसा आराम सुविधा तो दे सकता है मगर आत्मविश्वास या सच्चा प्यार नहीं लेकिन कर्म वो सच्चा फल है जो जीवन के भविष्य को तय करता है तथा सच्ची संतुष्टि व खुशी प्रदान करता है, तो आईये आज की चर्चा इसी बात पर करते हैं कि पैसा बोलता है तो दूनिया देखती है लेकिन कर्म हमेशा साथ रहता है, अटूट सत्य है कि जीवन की दिशा और अर्थ कर्म ही तय करता है, पैसे में ऐसी कोई विषेशता नहीं की बोलता हो लेकिन कहने का भाव यह है कि पैसा व्यक्ति की चीजें हासिल करने में मदद करता है, पैसा ही लोगों को अपनी इच्छा अनुसार काम करने के लिए प्रेरित करता है लेकिन कर्म जरूर बोलता है जिससे किसी भी व्यक्ति की पहचान होती है लेकिन पैसे के प्रभाव से लोग गलत काम कर सकते हैं , देखा जाए पैसा ही सब कुछ नहीं है, इससे आप प्यार सच्ची दोस्ती और मन की शांति तो खरीद नहीं सकते हाँ झूठी प्रशंसा खरीद सकते हैं या जीवन के कुछ साधन खरीद सकते हैं, यह भौतिक दूनिया के लिए जरूरी है पर साथ कभी नहीं जाता साथ जाते हैं इंसान के कर्म जो मनुष्य का भविष्य तय करते हैं, पैसे के बल पर लोग इतना अहम रख लेते हैं कि इसी से वो सब कुछ करबा सकते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि उनके दर्द उनकी भावनाओं और अकेलेपन का क्या होगा जो अधेड़ उम्र में सिर्फ तुम्हारे होंगे जिन्हें तुम पैसे का लालच देकर बाँट नहीं सकते मगर यह याद रखें आखिर समय पैसा काम आए या न आए लेकिन आपके कर्म, आपके संस्कार आपके संजोए हुए पुण्य जरूर काम आते हैं अन्त में यही कहुँगा की पैसा कभी नहीं बोलता व्यक्ति के कर्म ही बोलते हैं और व्यक्ति की सच्ची पहचान देते हैं, पैसा सिर्फ आराम सुविधा देता है लेकिन मन का चैन खो लेता है इससे सुविधाएं और विकल्प मिलते हैं लेकिन सच्ची संतुष्टि, जीवन की दिशा, जीवन का अर्थ व आत्मविश्वास केवल कर्म ही प्रदान करता है इसलिए कर्म के आगे पैसे का कोई मोल भाव नहीं है, तभी कहा है कर्म किए जा फल की इच्छा मत करना इंसान जैसे कर्म करेगा बैसा फल देंगे भगवान।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
मनुष्य का स्वभाव ही कुछ ऐसा होता है कि यदि किसी के पास पैसा बहुत होता है तो वह समझने में समय गवां देता है उसके पास इतनी दौलत आई कहां से किंतु इस पैसे और दौलत को पाने के पीछे उसने अपने परिश्रम से कितना खून पसीना बहाया होगा, कितना संघर्ष किया होगा। सकारात्मक सोच लाते हुए यदि आप भी अपने सद्कर्म से मेहनत और ईमानदारी से पैसे कमाते हो तो आपके पैसे के साथ आपका कर्म भी बोलेगा। किंतु गलत काम, तरीके से आए हुए पैसे दुनियां की नजर में तो आते हैं किंतु उसके कर्म पहले ही दिख जाते हैं। यह कटु सत्य है कि पैसा तो यहीं रह जाएगा किंतु मरने पर हमारा कर्म ही हमारे साथ जाएगा। पसीने की कमाई कभी बेकार नहीं जाती किंतु हराम की कमाई एक दिन हमें जहन्नुम जरूर दिखाती है।
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
" मेरी दृष्टि में " पैसा की दुनिया से इंकार नहीं किया जा सकता है। बिना पैसे के जीवन की कल्पना करना असम्भव है। जन्म से लेकर मौत तक पैसे की अहमियत बनीं रहतीं है। जीवन का ऐसा कोई पल नहीं है। जब पैसा काम नहीं आता है। यही पैसे की महिमा है।
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