भारतेन्दु हरिश्चन्द्र स्मृति सम्मान - 2025

       ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है। जब तक सांस है तब तक ज्ञान अर्जित किया जा सकता है। ज्ञान रूपी संसार में कहीं से भी कुछ भी ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है ये स्पष्ट है कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है। जैमिनी अकादमी की परिचर्चा का प्रमुख विषय है। जो सभी की भावनाओं का सम्मान करतीं है ।अब आयें विचारों को देखते हैं :- 
       हमारी ऐसी स्वभावगत आदत होती है कि किसी भी विषय वस्तु पर एक धारणा बना लेते हैं और उसके अनुसार ही अपना मत लेकर चलते हैं। फिर जब कभी हमें अपनी धारणा बदलने की आवश्यकता लगती है तो हम इसे बदल भी लेते हैं। इसकी वजह हमारा ज्ञान होता है। हमें जब जैसा ज्ञान मिलता है हम अपनी सोच बदल लेते हैं। नेताओं के चुनावी भाषण इसके जीते जागते उदाहरण हैं। वे अपने लच्छेदार भाषणों के ज्ञान से प्रभावित कर अपने पक्ष में करने में सफल हो जाते है॔।  इसी तरह दुकानदार भी अपनी सामग्री की प्रशंसा में इस तरह से कसीदे पढ़ता है कि हम उसकी तार्किक ज्ञान से सहमत होकर, वह सामान खरीदने में राजी हो जाते हैं। ऐसे अनेक सामाजिक  व्यवहारिक और  व्यवसायिक विषय होते हैं जिनके संबंध में हम ज्ञान से प्रभावित होकर अपनी सोच में बदलाव लाते रहते हैं। ज्ञान का भंडार अनुपम तो है ही, अपार भी है और अनंत भी। ज्ञान के समानांतर अनुभव भी होता है जो हमें सीख देकर हमें सजग करने का काम करता है। यानी कि हमारे ज्ञान के आधार  पर हमारी सोच प्रभावित भी होती है और परिवर्तित भी। लेकिन इसमें हमें अपने अर्जित ज्ञान के साथ-साथ विवेक शक्ति को भी सशक्त करना होगा ताकि हम में भटकाव और बहकाव का प्रभाव न पड़ने पाए और हमारी सोच से उपजे निर्णय सटीक भी हों, उचित भी । 

    - नरेन्द्र श्रीवास्तव

   गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

         सोच स्वयं की मानसिकता होती है! जो सजीव निर्जीव व्यक्ति परिस्थिति के अनुसार कार्य ज्ञान गुण दोष दिखा विभिन्न रूप में परिणित करते है जिसका कोई अंत नहीं होता  इंसान उसी धुरी के इर्द गिर्द घूमता है ! मानसिक संतुलन बना शुकून की तलाश करता है ! ज्ञान का कभी कोई अंत नहीं होता है, यह एक सत्य है जो हमें निरंतर सीखने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।नए नए अनुभव और ज्ञान हमें लगभग हर घर , फिर चाहे वो अमीर का घर हो या ग़रीब का किसी असाधारण व्यक्ति का घर हो या साधारण का घर , का एक विचार और आधार ज़रूर होता है जो पीढ़ी -पीढ़ी चलते हुए उस घर में पनप जाता है और अपने दृष्टिकोण को विस्तारित करने और नए दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद करते हैं।विकास और प्रगति ज्ञान की अनंतता हमें विकास और प्रगति की ओर ले जाती है, जिससे हम अपने जीवन में सुधार ला दूसरों का जीवन भी सुधरे सकते हैं।ज्ञान की महत्ता हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाते है।निर्णय लेने में मदद ज्ञान हमें मदद करता है और हमें सही निर्णय लेने में सक्षम हो जाते है! सकारात्मक परिवर्तन वैचारिक मतविभिनताओं में उद्देश्य ले कर चलता है! और अंतह गंतव्य तक पहुँच बनाए रहने की कोशिश जुटा होता है !उसे सफलता अवश्य मिलती है ! जो उसके और अपने जीवन में सुधार लाने में मदद करता ,इसी लिए कहते है ! बदनियती की पराकाष्ठा जड़ता से दूर कर 

स्वस्थ परिवार समाज की गणना होती है ! 

लोग बदलते हैं ,पहचान बदलती है 

लिबास ऐनक बदलते हैं 

जीवन और मन बदलते हैं 

सोच की निखार से तन 

मन की पहचान होती हैं 

कम पढ़ो ज़्यादा जानो देखो सुनो समझो आगे बढ़ो !

लालच में निज नहीं निः स्वार्थ जरूरी है 

ज्ञान में विस्तार जरूरी है 

सामर्थ में कोशिश जरूरी हैं 

प्रार्थना में निवेदन जरूरी हैं 

ज्ञान में बुद्धि का होना जरूरी है इस तरह ज्ञान अंतहीन है

और पृथ्वी गोल है !

- अनिता शरद झा 

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

      ज्ञान सर्वोपरि और श्रेष्ठ होता है।जैसी हमारी सोच होगी,वैसे ही हमारे ज्ञान में वृद्धि होगी।इसलिए ये दोनों गुण सोच एवं ज्ञान को हमें बरकरार रखना चाहिए।इसे हमें संजोकर रखना चाहिए।इन दोनों गुण को जो मानव जीवन में उतार लेगा।वह अवश्य ही एक दिन सफ़ल इंसान बनेगा। दुनिया में नाम करेगा।अपने कार्यों से लोगों को प्रभावित करेगा। किसी भी क्षेत्र में ज्ञान का अंत नहीं होता।वे हमेशा सर्वश्रेष्ठ होते हैं।जो मनुष्य विद्वान होता है।उसे सभी जगहों पर सम्मान मिलता है।उसकी विशिष्ट पहचान होती है।अतः हमें ज्ञानवान बनना चाहिए।जिससे समाज और राष्ट्र का कल्याण कर सकूं।

     - दुर्गेश मोहन 

     पटना - बिहार

         मेरी माँ अक्सर कहा करती थीं कि “पढ़ाव-लिखाव ना त शहर बसाव!”जिसका अर्थ हम यह निकालते थे कि जिस तरह पढ़ने-लिखने से व्यक्ति शिक्षित हो सकता है। ज्ञानी हो सकता है। उसी तरह शहर में रहकर व्यक्ति ज्ञानी हो सकता है। उस समय शहर में बसने का तात्पर्य शिक्षित लोगों के बीच में रहने का आशय लिया जाता था। वर्तमान काल में तो गाँवों में भी विद्यालय खुल गए। शिक्षा का प्रसार गाँव में भी हो चुका है। लेकिन ऐसी बात बिलकुल नहीं है कि ज्ञान सिर्फ़ किताबों से मिल सकता है। हमारे बुजुर्गों के पास अनुभवों का ख़ज़ाना होता है जिनसे हमें ज्ञान की प्राप्ति होती रहती है। ज्ञान प्राप्त करने का कोई उम्र निर्धारित नहीं। उम्र के किसी पड़ाव पर व्यक्ति का सोच बदल सकती है ज्ञान प्राप्त हो सकता है , इसके लिए बतौर उदाहरण डाकू से संत बने और रामायण रच डालने को रखा जा सकता है।

- विभा रानी श्रीवास्तव 

        पटना - बिहार 

     सोच की अति महत्वपूर्ण योगदान है, एक कहावत है बिना सोचे समझे काम नहीं किया करें सही बात है, अगर किसी ने बिना सोचे कार्य प्रारंभ कर दिया तो उसका अंजाम भी देखा है, परिस्थितियां हमेशा बदलते रहती है, याने सोच बदल जाती है, ज्ञान दे जाती है ज्ञान के बिना सब काम अधूरा सा लगता है और ज्ञान का कभी कोई अंत नहीं होता है, हमेशा जीवन में ज्ञान का प्रचार-प्रसार होता रहता है, नवजात शिशु भी जन्म से ज्ञान लेकर ही आता है, उसकी क्रियाकलाप देख लीजिए, कोई उसे रोने नहीं बोलता, बल्कि उसे जो इच्छा जाग्रत होती है, ज्ञान और सोच कर, रो कर मांग लेता है। न्यायालय में ज्ञान देव अपनी सोच से निर्णय देता है....., चोर भी अपने सुविवेक से चोरी करता है, उसे ज्ञात भी है, ज्ञान भी है, चोरी करना अपराध है, उसके बावजूद भी चोरी करता है....

 - आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

         बालाघाट - मध्यप्रदेश

        विद्या ददाति विनयम विद्या हमेशा विनय सिखाती है शिक्षा मनुष्य को इंसान बनाता है और ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती आदमी जीवन पर्यंत तक, ज्ञान सीखता  है, ज्ञान से ही हमारे विचार बदलते हैं और शुद्ध आचरण शुद्ध विचार जीवन को सफलता दिलाता है ज्ञानवान व्यक्ति विवेक से काम लेता है कई गलतियां नहीं करता शिक्षा ही इंसान को सही दिशा सही आचरण करना सीखाता है,और उसकी सोच में परिवर्तन लेकर आता है इसलिए कहा गया है ज्ञान का कभी अंत नहीं होता हर उम्र में हर समय हम हर एक वस्तु से सीखते हैं सीखते हैं सीखते हैं 

 - अलका पांडेय 

  मुम्बई - महाराष्ट्र 

     आजकल की दौड़ धूप में लोग  कई परेशानियों का सामना करते करते सोच में डूबे रहते हैं या कई समस्याओं में उलझे रहते हैं  जिनको हल करने के लिए उनको बहुत  कुछ सोचना समझना पड़ता है और आखिरकार वो किसी न किसी नतीजे पर पहुँच ही जाते हैं क्योंकि सोच  ही हमें समस्याओं का हल ढूंढने चुनौतियों का सामना करने और अपने लक्ष्यों का प्राप्त करने में मदद करती है तो आईये आज की चर्चा  की तरफ नजर दौड़ाते हैं कि सोच बदल कर ज्ञान दे जाती है और ज्ञान का कभी कोई अन्त नहीं होता है बिलकुल सत्य है कि ज्ञान का कोई अन्त नहीं होता क्योंकि ज्ञान लगातार बढ़ता जाता है और इसकी कोई सीमा नहीं होती क्योंकि सीखने के लिए कुछ न कुछ नया ही होता है और खासकर मानव ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती और हमेशा नई जानकारी और सोच समझ की गुंजाइश बनी रहती है और ज्ञान ही हमें  सोच समझ कर निर्णय लेने  अपने आसपास  के माहौल को समझने और सार्थक रिश्ते बनाने की शक्ति प्रदान करता है चाहे अनुभवों से सिखना  हो, नई जानकारी लेनी हो ज्ञान ही हमारे जीवन को समृद्ध बनाता है और नए अवसरों को पाने का रास्ता खोलता है, इसलिए इसका क्षेत्र बहुत बड़ा है आज के समय में ज्ञान सबसे बड़ी शक्ति है, यही  मनुष्य को अन्य जीव जन्तुओं से महान बनाता है और जीवन जीने का सलीका सिखाता है, तथा कठिन से कठिन सवालों को सुलझा देता है सिर्फ सोच बदलने की जरूरत है क्योंकि सोच बदलने से नजरिया बदल जाता है, देखा जाए एक स्वस्थ सोच संतुलित, सकारात्मक और दूरदर्शी होती है इसलिए सोच बदलते ही ज्ञान में वृद्धि होने लगती है और ऐसा ज्ञान दे जाती है कि जिसका कोई अन्त नहीं होता  और बाँटने से भी बढ़ता और फैलता जाता है, यहाँ तक सोच की बात  करें सोच बदलते ही जीवन में सुख समृद्धि और आनंद प्राप्त होता है बशर्ते सोच पाजिटिव हो जिससे विचारों, भावनाओं और व्यवहार पर सकारात्मक प्रभाव पड़े और जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल जाए और जिंदगी में आगे बढ़ने के अनेक समाधान जागृति हो उठें जो समय समय पर  अच्छे अवसर के लिए प्रेरित करते रहें अन्त में यही कहुँगा सोच बदलने से ही ज्ञान में वृद्धि होती  और कई बार ऐसा ज्ञान प्राप्त हो जाता है जो अपना ही नहीं अपितु पूरी सृष्टि का भला कर जाता है, चाहे किसी महात्मा का ज्ञान हो या किसी वैज्ञानिक का ज्ञान हो वो मानव जीवन में क्रांति ला कर  उसको उज्जवल व उत्तम बना  देता है बशर्ते हम अपनी सोच बदलने की कोशिश करें तो ज्ञान की कोई सीमा नहीं होगी तभी तो कहा है, सरस्वती के भंडार की बड़ी अपूर्व बात ज्यों ज्यों खर्चे त्यों त्यों बड़े बिन खर्चे घटि जात। 

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

 ‌‌ जम्मू - जम्मू व कश्मीर

       कई बार कुछ ऐसी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं , जहां स्वयं के विवेक से , उसी समय , कोई निर्णय लेना पड़ता है !! वो निर्णय , ज़रूरी नहीं कि , हमारी मर्जी का अथवा हमारी पसंद का हो , पर उसी क्षण लेना पड़ता है !! ऐसी घटनाएं हमें बहुत कुछ सिखाती हैं व ज्ञान देती हैं , ताकि हम उनसे सीख लेकर , भविष्य मैं , दोबारा वही गलती न दोहराएं !! सीखने की कोई उम्र नहीं होती , और ज्ञान का कोई अंत नहीं होता !! ऐसी ज्ञानवर्धक घटनाएं न केवल हमारी ज्ञानवृद्धि करती हैं , अपितु हमारी सोच बदल देने मैं सक्षम होती हैं , व बदल भी देती हैं !!

     - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

      सबकी सोच एक जैसी नहीं होती है. अलग-अलग होती है. जो हमेशा एक नहीं होती. समय और परिस्थिति के अनुसार सोच बदलती रहती है. हम जिसे आज प्रेम करते हैं तो कल उसकी सोच के अनुसार नफरत में बदल सकती है और बदल भी जाती है.और वह कोई न कोई सीख दे जाती है जिसे हम ग्यान कहते हैं. और ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है वह अनंत होती हैं. किसी के प्रति हमारी सोच अच्छी है जब तक उसका  व्यौहार अच्छा है तब तक. जब उसका व्यौहार खराब हो जाता है तो हमारी सोच भी बदल जाती है. ज्ञान तो हमें रोज कुछ न कुछ मिलता ही रहता है. चाहे सोच से मिले या सीख से. अनंत से हम बहुत पाते हैं और ताउम्र पाते रहेंगे. 

 - दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "

       कलकत्ता - पं. बंगाल 

      ज्ञान का सागर अथाह है जिसका न आदि है और न अंत है। सजीव-निर्जीव, प्रकृति, पुस्तकें, व्यक्ति, बाल, युवा और वृद्ध सभी से हम कुछ न कुछ सीखते रह कर अपने ज्ञान का विस्तार करते रह सकते हैं। ज्ञान निसंदेह सोच में परिवर्तन लाता है और जीवन को नया आकार देता चला जाता है जिसका हमें पता भी नहीं चलता। व्यक्ति अपने अहं को त्याग कर विनम्रता से सीखता चले, ज्ञान प्राप्त करता चले तो वह एक अच्छे व्यक्तित्व वाला बन सकता है और अपने साथ ही दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर सकता है।

   - डा० भारती वर्मा बौड़ाई 

       देहरादून - उत्तराखंड

         ज्ञान ही एक ऐसा मार्ग है जो हमारी सोच को बदल देता है। ऐसा कोई नहीं है जिसे सब कुछ आता है। कितना भी हम सीखें, ज्ञान प्राप्त कर लें किंतु हमें ज्ञान का सागर  अधूरा ही लगता है। हमारे ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा, ललक, अभिलाषा कुछ और कुछ और सीखना है , ज्ञान प्राप्त करने पर ही अटकी रहती है। मनुष्य जीवन पर्यंत ज्ञान पिपासु होता है। ज्ञान से ही विज्ञान है। जैसे जैसे हम किसी चीज को समझने लगते हैं हमारी जिज्ञासा और बढ़ती है और हम चीज को उसकी गहराई तक जाकर जानना चाहते हैं। कितना भी ज्ञान मिल जाए किंतु ज्ञान अप्राप्त करने की चाह और ज्ञान का अंत नहीं है। दूसरा यदि ज्ञान हम किसी को बांटते हैं तो वह और बढ़ता है घटता नहीं।ज्ञान का कलश सदा भरा रहता है। कहना यही है ज्ञान का अंत नहीं होता।

 - चंद्रिका व्यास 

  मुंबई - महाराष्ट्र 

 " मेरी दृष्टि में " ज्ञान तो ज्ञात है। जिस से समाज के विभिन्न अंग काम करते हैं । बिना ज्ञान के मुनष्य जानवर के समान होता है। इसलिए ज्ञान बहुत आवश्यक है। समाज को सभ्य बनाने के लिए ज्ञान के विभिन्न तत्व ज्ञान आवश्यक हो जाता है। 

       - बीजेन्द्र जैमिनी 

    (संचालन व संपादन)

Comments

  1. एक तरह से सोच और ज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं, अंतर इतना है कि सोच ज्ञान तो दे जाती है, पर समय व परिस्थिति के अनुसार बदलती भी रहती है, जब कि ज्ञान का कभी अंत नहीं होता. एक तो ज्ञान सदैव वर्धित होता रहता है, दूसरे कभी-न-कभी अर्जित ज्ञान काम भी बना देता है, सफलता हासिल करवा देता है.
    लीला तिवानी
    नई दिल्ली
    (WhatsApp से साभार)

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  2. परिवर्तन प्रकृति का नियम है सोच बदलने से हमें नया नजरिया और ज्ञान प्राप्त होता है, जो हमारे जीवन को समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाता है। ज्ञान ही एक ऐसी चीज है जो कभी मिटती नहीं है, बल्कि यह हमारे अनुभवों और सीखने के साथ बढ़ती रहती है।
    मृत्यु पर्यन्त तक हम कुछ ना कुछ सीखते हैं रहे है
    एक ज्ञान ही है इसे जितना खर्च करो उतना ही बढ़ता है ,ज्ञान कोई बांट नहीं सकता ...छीन नहीं सकता और चोर चुरा नहीं सकता .ज्ञान ही हमारा सबसे बड़ा धन है। अनुभव और ज्ञान के द्वारा ही हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते है, ज्ञान की शक्ति से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और अपने आसपास के लोगों के लिए भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।ज्ञान एक ऐसी चीज है जो कभी मिटती नहीं है, और यह हमारे जीवन को समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाने में मदद करती है सोच बदलने से हमें नए दृष्टिकोण और ज्ञान प्राप्त होता है, जो हमारे जीवन को समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाता है। ज्ञान का कोई अंत नहीं होता है, और यह निरंतर बढ़ता और विकसित होता रहता है।

    ज्ञान की यात्रा में हमें नए तथ्य, नए दृष्टिकोण और नए अनुभव प्राप्त होते हैं, जो हमारे जीवन को और भी समृद्ध बनाते हैं। ज्ञान का कोई अंत नहीं होने के कारण, हमें निरंतर सीखने और विकसित होने का अवसर मिलता है।
    जैसे आज डिजिटल इंडिया के युग में हमे कम्प्यूटर के ज्ञान ने सोच ही बदल दी।
    और भी आश्चर्य मेटा ए आई( AI)
    के ज्ञान ने तो कमाल ही कर दिया।
    सोचने की शक्ति का काम भी विज्ञान द्वारा ही सम्भव हुआ

    रंजना हरित बिजनौर

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  3. ज्ञान अनंत है। इस धरा पर कोई भी व्यक्ति पूर्ण ज्ञान का का ज्ञाता नहीं हो सकता। ज्ञान और अनुभव हमारी सोच को परिवर्तित करने के कारक हैं।
    - अवधेश कुमार चंसौलिया
    ग्वालियर - मध्यप्रदेश
    ( WhatsApp से साभार)

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