वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?
वृद्धाश्रमों की आवश्यकता दिनों दिन बढती जा रही है । जो चिंता का विषय है । परिवार दिनों दिन टूट रहे हैं । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - भारत की सनातन भारतीय संस्कृति संयुक्त परिवार की है । समाज में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से देश में परिवर्तन आया है । संयुक्त परिवार एकल परिवार में बदल गए । परिवार में बड़े , बूढ़ों की अवेहलना होने लगी और उनकी अहमियत शनैःशनैः खत्म होने लगी । मानव में मूल्यों , संस्कारों का ह्रास होने लगा । माता -पिता जिन्होंने संतान को स्वाबलंबी , आत्मनिर्भर बनाया । उन्हीं की औलाद अपने माता -पिता को बोझ मानते हैं । वे अपने संग रखना पसंद नहीं करते हैं । बुढापे में बच्चों की सेवा की जरूरत होती है तो वे बच्चे सेवा करना पसंद नहीं करते है । सन्तान को उनकी बात भी बुरी लगती है । माता - पिता की सेवा न करने से सन्तान आजाद रहना चाहती है इसलिए उन्हीं की संतान उन्हें वृद्धाश्रम में रखना पसंद करते हैं । समाज में यही नकारकात्मक भाव प...
जय माता दी 🙏💐
ReplyDelete. नवरात्रि का पहला दिन माता का पहला स्वरूप
Delete🌹"माँ शैलपुत्री" 🌹
देवी शैल पुत्री का वर्णन हमें ब्रह्म पुराण में मिलता है। पुराण के अनुसार चैत्र प्रतिपदा के प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्मा ने संसार की रचना की थी। माना जाता है कि इसी दिन श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था।
नवरात्र की प्रथम देवी शैलुपुत्री मानव मन पर अपनी सत्ता रखती हैं। उनका चंद्रमा पर भी आधिपत्य माना जाता है। शैलपुत्री पार्वती का ही रूप हैं। पर्वतराज हिमालय के घर में जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
कथा है कि देवी पार्वती शिव से विवाह के पश्चात हर साल नौ दिन अपने मायके यानी पृथ्वी पर आती थीं। नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज अपनी पुत्री का स्वागत करके उनकी पूजा करते थे, इसलिए नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रुप की पूजा की जाती है।
श्वेतवर्ण शैलपुत्री के सर पर सोने के मुकुट में त्रिशूल सुशोभित है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल, बाएं हाथ में कमल सुशोभित है।
मान्यता है कि शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति को सुख, सुविधा, माता, घर, संपत्ति, में लाभ मिलता है। मनोविकार दूर होते हैं। इन्हें सफेद फूल चढ़ाएँ, गाय के घी का दीपक जलाएँ। दूध-शहद और खोए की मिठाई का भोग लगाएँ।
🌹🙏 "जय माता दी"🙏🌹
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जय हो
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