मातृभाषा हिन्दी

                 मेरी मातृभाषा हिन्दी
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मुझे गर्व है कि मेरी मातृभाषा हिन्दी है । मैं हिन्दी को प्रणाम करता हूँ कि हिन्दी गंगा के समान है । जिसमें हर कोई पवित्र हो जाता है। देश की माटी में चंदन सी खुशबू रहती है । देश की गौरव गाथा के लिए सागर का पानी  भी कम पड़ जाएगा । हिन्दी तो हिन्दुस्तान की मां है यहाँ के सँस्कार दुनिया में आदरणीय हैं । यहाँ के बड़े बड़े ऋषि  मुनियों ने तप और साधना की है यहाँ धर्म को बहुत मान्यता दी गई है । हिन्दी की सभ्यता में हिन्दी की मिठास अपनी तरफ खींच लेती है । यहाँ की प्रकृति भी हिन्दी के  सौंदर्य में भारत बस्ता है।
अंग्रेजी एप्पल से शुरू होती है और अंत मे ज़ेबरा (गधा) बना देती है। हिंदी वर्णमाला अ अनार से शुरू होती है और ज्ञ ज्ञानी बनाकर ही दम लेती है। किसी भी राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखने में उसकी भाषा का योगदान सर्वोपरि होता है। प्रयोग न होने वाली भाषायें मर जाती हैं। हिन्दी का विकास ही हमारा विकास है। हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हमारा गौरव है अंग्रेजी हमारी मज़बूरी है हिन्दी हमारा स्वाभिमान है।
सविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 में प्रस्ताव पास कर के हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया । परन्तु बड़े मलाल के साथ कहना पड़ रहा है कि जहाँ दूसरे देशों का आकर्षण हिन्दी भाषा और हिन्दुस्तान की तरफ बढ़ रहा है वहीं भारत में पाश्चात्य सभ्यता की तरफ रुझान ज्यादा होता जा रहा है आज हमारे ही देश में हिन्दी बोली बोलना को अनपढ़ जैसा समझा जा रहा है लोग अपने बच्चों को अँगरेजी की शिक्षा देना अपनी मजबूरी समझ रहे हैं।
" मेरी दृष्टि में " पाश्चात्य सभ्यता इस कदर हावी हो गई है कि अँगरेजी सर चढ़कर बोलने लगी है ।बच्चों को हिन्दी की गिनती समझ ही नहीं आती है।उच्च सोसायटी में यदि हिन्दी में बात करो तो उन्हें हीनता की दृष्टि से देखा जाता है ।हमारी सँस्कृति हमारी हिन्दी भाषा और हमारे सँस्कारों और हमारी मातृभाषा ने पूरे विश्व  में अपना लोहा मनवाा लिया है।हमारे हिन्दी गीत  संगीत हमारी गाँवों की परम्परा बहुत ही लोकप्रिय होती जा रही है ।हमें अपने सभी शिक्षा केंद्रों में हिन्दी पढ़ाना हिन्दी को बढ़ावा देना चाहिए तथा सभी डिपार्टमेंट्स में हिंदी के हस्ताक्षर को ही मान्यता देनी होगी । न्यायलय में भी हिन्दी को  पूरा पूरा सम्मान जिस दिन मिलना शुरू होगा। तभी सही हिन्दी को सही पहचान मिलेगी। हिन्दी है तो भारत है वरन् गर्वनमेंट आफ इंडिया है।
            - बीजेन्द्र जैमिनी
              ( अशेष फीचर )

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