प्रो. रूप देवगुण
प्रो. रूप देवगुण का जन्म एक नवम्बर 1943 को नरवड़ ( लाहौर ) पाकिस्तान में हुआ है । इन के पिता श्री खुशीराम तथा माता श्रीमती स्वर्णा देवी है । इन की शिक्षा एम.ए हिन्दी एवं पंजाबी , बी.एड है। पीएच.डी मानद उपाधि प्राप्त है । इनके द्वारा लिखित काव्य-संग्रह मिलन को दूर से देखो , गुलमोहर मेरे आँगन में , प्रश्न उठता है मेरे भीतर , गली का आदमी , एक बात पूछूँ , जब तुम चुप रहती हो , आप सब है मेरे आसपास ,पहाड़ के बादल अभिनय करते हैं , तुम झूठ मत बोला करो , रास्ता तय करते करते , दुनिया भर की गिलहरियां ,खिड़की खोल कर तो देखो , नदी की तैरती सी आवाज़ ,धूप मुझे है बुला रही , पत्तों से छन कर आई चाँदनी आदमी आदि , कहानी - संग्रह मैं + तुम = हम, छतें बिन मुंडरे की , कब सोता है यह शहर , अनजान हाथ की इबारत , मेरी प्रिय कहानियाँ , एक दिन और तथा अन्य कहानियाँ , आदि एकल लघुकथा - संग्रह दूसरा सच , यह मत पूछो , मेरी प्रिय लघुकथाएँ , तो दिशु ऐसे कहता , आदि , ग़ज़ल - संग्रह ये कभी सोचा न था , लघुकथा निबन्ध संग्रह हिन्दी लघुकथा : उलझते - सुलझते प्रश्न , समीक्षा पुस्तक हरियाणा के इक्कीस काव्य - संग्रह , आधुनिक हिन्दी लघुकथा : आधार एवं विश्लेषण आदि पंजाबी कहानी संग्रह सभ नूं चाहीदै सहारा आदि पुस्तकें प्रकशन हुई है ।
इनके संपादित संकलन चिनगारियाँ , आवाजें , हरियाणा का लघुकथा-संसार , हिन्दी की सशक्त लघुकथाएँ , शिक्षा जगत की लघुकथाएँ , हरियाणा की प्रतिनिधि लघुकथा , ऐसे होते हैं साहित्यकार , मधुकान्त की श्रेष्ठ लघुकथाएँ , हरियाणा महिला लघुकथा : परिदृश्य , सिरसा जनपद की काव्य संपदा , भावुक मन की लघुकथाएँ , सिरसा जनपद की लघुकथा संपदा आदि पुस्तकें प्रकाशित हुई है ।
हरियाणा साहित्य अकादमी , पंचकूला से पांच से अधिक पुस्तक प्रकशन पर अनुदान प्राप्त हुआ है । रूप जी के साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालय से आठ ने एम फिल व तीन ने पीएच. डी प्राप्त कर चुके हैं । कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व विक्रमशिला हिन्दी विद्मापीठ के विभिन्न पाठ्यक्रम में प्रो रूप जी की रचनाओं को शमिल किया गया है । दूरदर्शन जालंधर , दूरदर्शन हिसार , आकाशवाणी रोहतक व आकाशवाणी हिसार के विभिन्न कार्यक्रम में शामिल हो चुके है ।
राजकीय नेशनल कालेज , सिरसा से हिन्दी प्राध्यापक के पद से 2001 में सेवानिवृत्त हुये है । प्रो. रूप जी पर कई पुस्तकें प्रकशित हुई हैं जैसे :- रूप देवगुण की रचना यात्रा ( सम्पादक : डाँ. दर्शन सिंह ) , रूप देवगुण के साथ-साथ ( डाँ. अमित देवगुण ) , डाँ. रूप देवगुण की श्रेष्ठ लघुकथाएँ ( सम्पादक : सुरेश जाँगिड़ उदय ) , प्रकृति के शब्द शिल्पी : रूप देवगुण ( सं. विनोद सिल्ला ) , रूप देवगुण की प्रतिनिधि रचनाएँ ( सं. डाँ भरत लाल ) , रूप देवगुण के साहित्य में सामाजिक चेतना ( लेखक : डाँ भरत लाल ) , रूप देवगुण की कहानियों में सामाजिक संदर्भ ( डाँ शील कौशिक ) , रूप देवगुण की कहानियों में प्रेम स्वरूप ( दिलबाग सिंह ) , काव्य का अवरत यात्री : रूप देवगुण ( आरती बंसल ) , सौ लघुकथाओं का राजस्थानी अनुवाद ' बेटी रौ दसौटण " ( डाँ. रामकुमार घोटड़ ) , आदि पुस्तकें प्रकशन हुई है । 18 दिसंबर 2016 को हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच की स्थापना करके 15 जिलों में शाखाएं खोल कर लघुकथा साहित्य म़े मील का पत्थर स्थापित कर दिया । आने वाले समय में इतिहास बन जाऐगा । हरियाणा सरकार की हरियाणा साहित्य अकादमी , पचकूला द्वारा विशेष साहित्य सेवी सम्मान तथा देश की तीस से अधिक सस्थाओं से सम्मानित हो चुके है । हरियाणा में लघुकथा साहित्य में विशेष स्थान रखते है । जैमिनी अकादमी की प्रतियोगिताओं में सम्मानित के साथ साथ समारोह में भी सम्मानित हुए है। लगभग पूरे भारत का भ्रमण कर चुके है । अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ .......।
- बीजेन्द्र जैमिनी
( अशेष फीचर )
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