जय माता दी ( काव्य संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
सम्पादकीय
नवरात्रों की उत्पत्ति का इतिहास
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दु्र्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आदि शक्ति मां दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई। पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है। एक कथा के अनुसार असुरों के अत्याचार से तंग आकर देवताओं ने जब ब्रह्माजी से सुना कि दैत्यराज को यह वर प्राप्त है कि उसकी मृत्यु किसी कुंवारी कन्या के हाथ से होगी, तो सब देवताओं ने अपने सम्मिलित तेज से देवी के इन रूपों को प्रकट किया। विभिन्न देवताओं की देह से निकले हुए इस तेज से ही देवी के विभिन्न अंग बने।
भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख प्रकट हुआ, यमराज के तेज से मस्तक के केश, विष्णु के तेज से भुजाएं, चंद्रमा के तेज से स्तन, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जंघा, पृथ्वी के तेज से नितंब, ब्रह्मा के तेज से चरण, सूर्य के तेज से दोनों पौरों की ऊंगलियां, प्रजापति के तेज से सारे दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौंहें, वायु के तेज से कान तथा अन्य देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने हैं।
फिर शिवजी ने उस महाशक्ति को अपना त्रिशूल दिया, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, विष्णु ने चक्र, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, वरुण ने दिव्य शंख, हनुमानजी ने गदा, शेषनागजी ने मणियों से सुशोभित नाग, इंद्र ने वज्र, भगवान राम ने धनुष, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने सवारी के लिए सिंह प्रदान किया।
इसके अतिरिक्त समुद्र ने बहुत उज्जवल हार, कभी न फटने वाले दिव्य वस्त्र, चूड़ामणि, दो कुंडल, हाथों के कंगन, पैरों के नूपुर तथा अंगुठियां भेंट कीं। इन सब वस्तुओं को देवी ने अपनी अठारह भुजाओं में धारण किया। मां दुर्गा इस सृष्टि की आद्य शक्ति हैं यानी आदि शक्ति हैं। पितामह ब्रह्माजी, भगवान विष्णु और भगवान शंकरजी उन्हीं की शक्ति से सृष्टि की उत्पत्ति, पालन-पोषण और संहार करते हैं। अन्य देवता भी उन्हीं की शक्ति से शक्तिमान होकर सारे कार्य करते हैं।
यह सब शास्त्रों पर आधारित है ।
भारतवर्ष में इन को नवरात्रों के रूप में मनाया जाता है । कवियों ने इनके ऊपर अनेक गीत - कविताएं लिखी है और लिखी भी जा रही हैं । ऐसे भी वर्तमान के कुछ कवियों व कवित्रियों की रचनाओं को पेश किया जा रहा है :-
क्रमांक - 01
भवानी माँ
- नन्दनी प्रनय
रांची - झारखंड
जगदायिनी जगतारिणी
हे भवानी माँ!
पावन असुर संहारिनी
हे भवानी माँ!!
तेरी शरण में आऊँ
तुझको पुकारूँ माँ!
निश दिन जोत जलाऊँ
हे भवानी माँ!!
लाल चुनर ओ मैया
तुझे रोज ओढ़ाऊँ माँ!
चरणों पर मैं तेरी
शीश नवाऊँ माँ!!
ढोलक झांझ मंजीरा बाजे
गीत सुनाऊँ माँ!
रोम रोम ये मेरा पुकारे
हे भवानी माँ!!
अक्षत, चंदन, रोली, कुमकुम
तुझे चढ़ाऊँ माँ!
माया की इस नगरी में
ना तुझे भुलाऊँ माँ!!
तड़प-तड़प कर तुझको
मैं गुहराऊँ माँ!
छोड़ जगत के रस्मों को
बस तुझे बुलाऊँ माँ!!
शेरोंवाली कोई कहे तुझे
कोई जगदम्बे माँ!
सब के दुख तू हर ले
हे भवानी माँ!!!
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क्रमांक - 02
नौ रूप मैया के
-अनन्तराम चौबे 'अनन्त '
जबलपुर - मध्यप्रदेश
नौ रूप मैया के है
नौ दुर्गा अवतारी हैं ।
जग का पालन हार करे
लीला उनकी न्यारी है ।
जगत का पालन करती है
अष्टा भुज कहलाती है ।
जगत पालक माँ जननी
जगत की रक्षा करती है ।
सरस्वती माँ वीणा वादिनी
ज्ञान की मैया देवी है ।
सबकी ज्ञान की दाता है
ज्ञान की देवी मैया माता है ।
महालक्ष्मी धन की देवी
धन धान्य सभी को देती है
धन लक्ष्मी ये मैया है
खुशी से धन भर देती है ।
अन्नपूर्णा अन्य की दाता
सबकी भूख मिटाती है ।
अमीर गरीब सभी इन्सानों
और चिड़िया कोभी दाना देती हैं ।
माँ पार्वती माँ काली दुर्गा
दुष्टो का संहार करती है ।
धर्म की रक्षा करने मे
रणचंडी भी वन जाती हैं ।
महिसासुर का मर्दन करती
राक्षसों का विनाश भी करती
अपने भक्तो की रक्षा करती
मैया दुर्गा माँ दुख है हरती ।
नमो नम: माँ नौ दुर्गा मैया
सबकी पालन पोषण हारी है
पूजा अर्चना नौ दिन करते
भजन कीर्तन आरती करते ।
नमो नम: माँ नौ दुर्गा मैया
नमन वंदन प्रणाम करते है ।
भजन कीर्तन आरती करते
नौ दिन मैया की सेवा करते हैं ।
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क्रमांक - 03
माँ अम्बे!
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून- उत्तराखंड
माँ अम्बे!
अब वरदान दो
अन्याय से मैं लड़ सकूँ
एक ज्वाल सी बन सकूँ
करूँ न्याय अन्यायी का
ऐसी शक्ति मुझे आज दो
माँ अम्बे!
अब वरदान दो
चहूँ ओर दिखता है तिमिर
उखड़े हैं उजालों के शिविर
अब थाम इन हाथों को आ
गिरूँ ना कहीं संभाल लो
माँ अम्बे!
अब वरदान दो
गाँव-गाँव हर गली-गली में
बच्चों की कोमलता में तुम
कोई भटके न भरमाये कहीं
तुम सबकी राह सँवार दो।
माँ अम्बे!
अब वरदान दो।
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क्रमांक - 04
शक्ति दे
- डाँ. नीलम अरुण मित्तु
जालंधर - पंजाब
भक्ति दे माँ शक्ति दे
व्यसनों से निरासक्ति दे
देशप्रेम के भाव से
हर भारतीय को अनुरक्ति दे।
प्रगति पथ पर नित बढ़े भारत
हम सबको पथ प्रशस्ति दे।
सच की राह पर चले आर्य
झूठ से विरक्ति दे
भुजबल, चरित्रबल, आत्मबल से
मानवता को शोक से उन्मुक्ति दे
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क्रमांक - 05
हे दुर्गा
- विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'
गंगापुर सिटी - राजस्थान
हे रत्न प्रिया !
हे सदागति
हे माँ भवानी
हे देवि सति
*
हे अर्पणा !
हे कौमारी
दुष्टों से त्रस्त
धरा सारी
*
हे अष्ट भुजा !
विष्णु माया
तेरा पार किसी
ने ना पाया
*
हे भद्रकाली !
हे काली माँ
भक्तों की कर
रखवाली माँ
*
हे चण्ड मुण्ड
विनाशनी तू
मधु-कैटव की
संहारिणी तू
*
तुझसे आलोकित
हुयी धरा
हे भवमोचनि
हे रश्मि-प्रभा
*
तेरी माया
है अपार
हे मंगलकामा
सद्-विचार
*
हे दुर्गा !
दुर्गति दूर करो
सुख-संपदा जग
भरपूर करो
*
हे महोदरी !
हे सावित्री
शुभ करो मेरी
माँ नवरात्रि
*
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क्रमांक - 06
नवरात्रि
- डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'
मुम्बई - महाराष्ट्र
दीप जला अर्चन करू, मन में पूजा भाव ।
नव दिन का नवरात्रि है, मइया देती छाव ।।
माता के दरबार में, भक्तों का भरमार ।
पूजन वंदन कर रहे, माँ का बारम्बार ।।
थाल सजा पूजन किया, नव दुर्गा का आज ।
भक्त सभी दर्शन किये, पूर्ण हुआ सब काज ।।
अड़हुल फूलों से बना, माता जी का हार ।
पूड़ी खीर भोग लगा, माँ करती उद्धार ।।
स्नेह नयन में दिख रहा, कर लो जय जयकार ।
नव दिन अब सेवा करो, नइया होगा पार ।।
महाकालि अब आ गयी, दुष्टों का संहार ।
भक्त सभी खुशहाल है, अब नहि करो प्रहार ।।
माता की महिमा बड़ी, दुख में देती साथ ।
नव दिन जो पूजे सदा, सिर पर उनका हाथ ।।
माता के नव रूप को, बारम्बार प्रणाम ।
सदा करूंगी अर्चना, माता जी के धाम ।।
घर घर मंदिर सज रहे, आया शुभ नवरात ।
जगदम्बा के स्वरुप को, पूजे सब दिन रात ।।
गीत भजन गाते सभी, मइया का जयकार ।
भक्त सभी दर्शन करें, माँ का बारम्बार ।।
जय अम्बे माँ शारदा, हर रूपों में आप ।
हाथ जोड़ विनती करू, माला लेकर जाप ।।
जय जय माता शीतला, सदा धरे जो ध्यान ।
सुख संपत्ति सदा रहे, पाये बुधि, बल, ज्ञान ।।
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क्रमांक - 07
कुछ ऐसे मनायें नवरात्रि
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
नवरात्र में किया जाता है आहार का व्रत
क्यों न किया जाये गलत व्यवहार का व्रत
देवियों से किया जाता है शक्ति का आह्वान
क्यों न खुद से करें आत्मीय गुणों का आह्वान
नवरात्र में किया जाता है पूर्ण निर्दोष आहार
क्यों न निर्दोष आहार के साथ हो निर्दोष विचार
नवरात्र में किया जाता है माता का रात्रि जागरण
क्यों न भीतरी तम को मिटा करें आत्म जागरण
नौ दिनों तक सात्विकता का रखा जाता है पूरा ध्यान
क्यों न रोज रखा जाये सोच की सात्विकता का ध्यान
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क्रमांक - 08
हे दुर्गा माँ !!
- सारिका भूषण
रांची - झारखण्ड
सर्वभामिनी , मंगलकारिणी
भयहारिणी , हे दुर्गा माँ !
अष्टोत्तरशत नामों से जागृत
हे जगजननी माँ !
शंखों की ध्वनि से गुंजित
मन्त्रों की छावनी में विराजित
परम् साध्वी हे दुर्गा माँ !
तुझसे उत्पन्न हो
तुझमें समाहित
आज कलुषित है जग
स्वार्थ में माँ !
शक्ति के उपासक
शक्ति के अहंकार में
आज कुकृत्यों में लिप्त
हर अर्थ में माँ !
विजयशालिनी , पापनाशिनी
शापोद्धारिणी , हे दुर्गा माँ !
रस , रूप , गंध , शब्द और स्पर्श
गुणों की योगिनी हे दुर्गा माँ !
अब जागो और जागृत करो
ज्ञानेन्द्रियों से सुप्त जन को
उठाओ अपने अस्त्र - शस्त्र
और नष्ट करो पाप और अहंकार
से लिप्त जन मन को !!
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क्रमांक - 09
मां दुर्गा
- चन्दिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
समस्त ब्रम्हाण्ड की कल्याणी मां
दुख भंजनी संकट हरणि मां
दिव्य ज्योत की ज्वाला से
प्रकाश-पुंज तु भरती मां!
तु ही आद्यशक्ति भगवती मां
तु ही विंध्येश्वरी मां
चैत्र नवरात्र की बेला में
नौ रूप धारण करती मां!
कभी चण्डी कभी काली बन
दुष्टों का करती संहार
शक्ति-रूप में नारीत्व को
निरुपित करती है तु मां!
अन्तर्मुख शक्ति का शिव है
तो बहिर्मुख शिव की शक्ति है
शिव-शक्ति की अर्चना, उपासना
एक दूजे की पूरक है!
त्रिदेवी को अपने में समा
मां शक्ति-स्वरूपिणी कहलाती है
कर दुर्ग दैत्य का तु नाश
मां दुर्गा देवी कहलाती है!
विंध्याचल पर्वत पर मां
शक्तिपीठ कहलाती है
महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती
का संगधर,
स्त्री शक्ति कहलाती है!
आनंद-स्वरूपिणी प्रेरक शक्ति, महाशक्ति
प्राण-जीवन दात्री मां
दे एैसा वरदान मुझे
करूं अर्चना मैं तेरी
दिन रात्रि मां!
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क्रमांक - 10
ओ मेरी प्यारी माँ
- विनीता चैल
रांची - झारखण्ड
तुम धरती की हरियाली
तुम फूलों की क्यारी हो
तुम तुलसी अपने आंगन की
लगती कितनी प्यारी हो |
माँ तू ही मेरी प्रथम गुरु
तझसे ही सीखा मैंने
जीवन का प्रथम पाठ
तेरे हाथों को थामें मैंने अपना
पहला- पहला कदम बढ़ाया |
माँ तुम हो अपने बगिया की
हरपल मुस्काती खिली गुलाब
तुझसे ही महका रहे घर- आँगन
तुझ बिन लगे सारा जग अंधकार |
करती हूँ तुमसे प्यार बहुत
पर कभी न कह सकी अपने
माँ तुमसे यह दिल की बात
सदा बना रहे जीवन में तेरा साथ |
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क्रमांक - 11
नवरात्र
- मीरा प्रकाश
पटना - बिहार
नवरात्रि में प्यारा सजा है दरबार,
मेरी मैया जी का।
खूब निखर रहा है श्रृंगार,
मेरी मैया जी का।
नवरात्रि आता है साल में दो बार,
मेरी मैया जी का।
कहलाता है वासंती और शारदीय नवरात्र,
मेरी मैया जी का।
बसंती नवरात्र के बीच में ही हो वे छठ पूजा,
मेरी छठी मैया जी का।
शारदीय नवरात्र के बाद होवे छठ पूजा,
मेरी छठी मैया जी का।
हो रहा है जय जयकार,
मेरी मैया जी का।
बरस रहा है सब पर आशीर्वाद,
मेरी मैया जी का।
नवरात्रि में प्यारा सजा दरबार,
मेरी मैया जी का।
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क्रमांक - 12
माँ दर्शन दे
- रेणु झा
रांची - झारखण्ड
लेकर चूनर लाल लाल
धूप , दीप, मेहंदी, महावर
आई तेरे द्वार
करने तेरा श्रृंगार,
मां दर्शन दे एकबार ।
तू तो बिगड़ी बनाती
बिछड़ो को मिलाती
भक्तो के दिल में विराजती
रहती शेर पे सवार
मां दर्शन दे एकबार ।
करना भूल मेरी माफ
देना आशीर्वाद,
हरा भरा रहे घर परिवार
मांग की लाली बनाए रखना
आंचल सजाए रखना
करना मेरा उद्धार,
मां दर्शन दे एकबार ।
ये राम, कृष्ण की धरा पर
नित बढ़ रहे है, दुस्सासन,
मां लेकर काली अवतार
कर दे, इन सब का संहार
माँ मुझे दर्शन दे दे एक बार ।
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क्रमांक - 13
मां
- नीरू तनेजा
समालखा - हरियाणा
चैत्र नवरात्रे आते ही
मां दुर्गा की स्तुति करते हैं,
प्रज्ज्वलित कर मां की ज्योति
मन-मंदिर को भी उज्जवल करते हैं!
पाने को मां का आर्शीवाद
यत्न से पूजा करते हैं !
पर मत भूलना
मां जननी को भी,
जिसे भूलाकर घर के एक कोने में
बैठाते हैं,
करते हैं जो इनकी भी पूजा,
वे निज जीवन सफल बनाते हैं !
============================= क्रमांक - 14
अम्बे माँ जगदम्बे माँ
- संगीता सहाय
रांची - झारखण्ड
रोम रोम मेरा पुकारे
अम्बे माँ जगदम्बे माँ
ले ले अपनी शरण में मुझको
दिल से तुझको पुकारूँ माँ
सब के दुख तू हर ले माँ
सब की लाज बचा ले माँ
भक्तों की तू पुकार सुन ले
अपनी कृपा बरसा दे माँ
भक्ति में मैं लीन हूँ तेरे
दया दृष्टि दिखला दे माँ
रोम रोम मेरा पुकारे
अम्बे माँ जगदम्बे माँ
कोई पुकारे शेरोवाली
कोई कहे जगदम्बे माँ
भक्ति में मैं लीन हूँ तेरे
शरण मे अपनी ले ले माँ
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क्रमांक - 15
माँ
- शालिनी नायक
रांची - झारखण्ड
मुझको ऐसा वर दो माँ
आशा पूरी कर दो माँ ।
दीन दुखी होवे न कोई
सबकी झोली भर दो माँ ।
दुर्गा मात भवानी हो
इस जग की महारानी हो
मोह के मारे हम बालक
सर्वगुणी तुम ज्ञानी हो ।
शरण मैं तेरी आन पडूँ
निश दिन तेरा ध्यान धरूँ
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ा
माँ तेरा गुणगान करूँ ।
विन्धवासिनी हो दुर्गा
शोकनाशिनी हो दुर्गा
नवरात्रों में आओ माँ
दुख निवारिणी हो दुर्गा ।
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क्रमांक - 16
दुर्गा स्तुति
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
सिंहवाहिनी मंगलकारी
नारायणी नमोस्तुते
शूलधारिणी विपत निवारिणी
हे शिवानी नमस्तुते ।।
चित्तस्वरूपा सत्यरूपा
पिनकधारी नमस्तुते
दरिद्रहारिणी दुखनिवारिणी
गदाधारिणी नमस्तुते ।।
असुरमर्दिनी! दक्षयज्ञ विनाशनि !
दुर्गेदेवी !नमस्तुते
शिव अर्धांगिनी !सुर सुंदरी !
मधु कैटभहन्त्री !नमस्तुते ।।
महोदरी ! हेमुक्त केशी !
हे घोर रूपा !नमस्तुते
वृद्धामाता ! महाबला !
अग्निज्वाला!नमोस्तुते ।।
भद्रकाली ! विष्णु प्रिय !
ब्रह्मस्वरूपा ! नमस्तुते
शिवदूती ! हे सावित्री!
महाविलासिनी! नमस्तुते ।।
शैलपुत्री !ब्रह्मचारिणी !
चन्द्रघण्टा !नमस्तुते
स्कंदमाता ! कालरात्रि हे!
महागौरी ! नमस्तुते ।
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क्रमांक - 17
पधारो म्हारे घर देवी मइया
- गीता चौबे
रांची - झारखंड
हमारे घर आई देवी मइया, हमारे घर आई देवी मइया..
नयनों के झरोखे में पधारो मेरी मइया...
दिल के दरबार में आसन, लगाओ मेरी मइया...
हमारे घर आई देवी मइया...
सोने सुराही गंगाजल पानी,...
तेरे चरण पखारूं मैं देवी मइया...
हमारे घर आई देवी मइया..
सब सखियाँ मिल सिंदूर लगाएँ..
सुहाग दान देंगी, देवी मइया...
हमारे घर आई देवी मइया...
सब सखियाँ मिल आरती गाओ...
उजाला भरेंगी ,देवी मइया...
हमारे घर आई देवी मइया...
नौ दिनों तक आसन रखेंगी...
अंत में विदाई लेंगी देवी मइया...
हमारे घर आई देवी मइया...
हम बच्चों से वादा लेकर...
अगले साल आएंगी ,फिर देवी मइया...
हमारे घर आएंगी फिर देवी मइया...
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क्रमांक - 18
नवरात्रा की शुभ घड़ी
- रंजना वर्मा
राँची - झारखंड
मैया का स्वागत करो सभी
आई नवरात्रा की शुभ घड़ी
सबकी मनोकामनाएं हो जायेंगी पूरी
माँ भर दो न सबकी झोली
मैया का स्वागत करो सभी
आई नवरात्रा की शुभ घड़ी
घर मंदिर सब सज गये हैं
चेहरे देखो सबके खिल गये हैं
फैली चारो ओर खुशियों की फुलझड़ी
माँ ओढ़ कर आई लाल चुनरी
इस बार भर दो सबकी झोली
आई नवरात्रा की शुभ घड़ी
मैया का स्वागत करो सभी
आई नवरात्रा की शुभ घड़ी
मैया की लीला न्यारी है
असुरों पर क्रोध
भक्तों पर प्यार बरसाती है
करती शेर की सवारी
मैया की चुनरी लाल गोटे वाली
मैया की भक्ति में है बड़ी शक्ति
आई नवरात्रा की शुभ घड़ी
मैया का स्वागत करो सभी
आई नवरात्रा की शुभ घड़ी
नवरात्रि की शोभा बहुत प्यारी है
गली गली गुज रही जगरात्री है
सज रही पूजा की थाली
गा रहे सभी सुन्दर आरती
मैया की है बड़ी सुन्दर छवि
आई नवरात्रा की शुभ घड़ी
मैया का स्वागत करो सभी
आई नवरात्रा की शुभ घड़ी
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क्रमांक - 19
नौ रात्रि के नौ दिन
- लीना बाजपेयी
भोपाल - मध्यप्रदेश
नौ रात्रि के नौ दिन आये देना नौ वरदा..... न
ऐसी कृपा करना अंबे हो सबको कल्या... ण
पहलो वर मै झूठ ना बोलू,पाप पुण्य को मन से तोलू
दूजे वर में आँखे खोलूं
लोभ मोह में कभी ना डोलूं
बना रहे ईमा...न
नौ रात्रि.....
तीजा वर देना जगदंबा
बनी रहे तुम्हरी अनुकंपा
तिर जाये अज्ञा....न
नौ रात्रि.....
रहे आनंद सदा मेरे मन में यही है चौथे वर की इच्छा...
पाँचवे वर में मिल जाये माँ परमभक्ति की पावन दीक्षा....
और छठा वर ऐसा हो,कि लगा रहे तेरा ध्या... न
नौ रात्रि...
सातवां वर दो क्रोध को मैं वश में कर पाऊँ...
आठवाँ वर दो इन नैनौ से तेरा दर्शन पाऊँ...
मोहमाया से हो छुटकारा हो नँवा वरदा... न
नौ रात्रि .....
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क्रमांक - 20
माता का आगमन
- रूणा रश्मि
राँची - झारखंड
आ ही गया है वो शुभ वार,
शुरू हुआ पावन त्यौहार,
आने वाली हैं माँ दुर्गा
शक्ति का जो हैं अवतार।
रूप सलोना कर तलवार
शेर पे होके आईं सवार।
असुरों पर जब टूट पड़ी थीं
मचा हुआ था हाहाकार।
त्राहि त्राहि थी मची हुई और
देवों ने जब की थी पुकार
महिषासुर का मर्दन करके
किया था उनका तब उद्धार।
हम सब भी तो भक्त हैं तेरे
कर दो सबका अब उद्धार
बीच भँवर में नैया है माँ
तुम ही लगाओ बेड़ा पार
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क्रमांक - 21
करो पूरी मुराद
- डा.वर्षा चौबे
भोपाल - मध्यप्रदेश
भक्ति भाव से सज रहा,
मैया का दरबार।
दर्शन करने माइ के,
भक्त खड़े हैं द्वार।।
चुनरी लाल उढ़ाय के,
लाल किया श्रंगार।
सिंह सवार जगदंबे,
भक्त करें जयकार।।
खाली झोली भर रही,
माता रानी आज।
चलो द्वार जगदंबिके,
छोड़ो सारे काज।।
धूप, जोत,बाती जले,
मैया के दरबार।
हलवा पुरी भोग लगे,
धोग देत संसार।।
हाथ जोड़ विनती करूं,
मैया तुझसे आज।
कृपा बनाए राखिओ,
रखियो मेरी लाज।।
खाली जाया ना करे,
दर तेरे फरियाद।
सबकी झोली माँ भरो,
करो पूरी मुराद।।
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क्रमांक - 22
मां अंबे
- डाॅ सुरिन्दर कौर नीलम
धुर्वा - झारखंड
नौ दिनों के नवरात
मां अंबे की छांव,
बिन तेरे हे दुर्गा माता
दूजा नांही ठांव।
मन का थाल सजाया
रख श्रद्धा के फूल,
आस्था का दीप है
दो चरणों की धूल।
तेरे द्वारे आई मां
दया करो अपार,
जीवन तुझको अर्पित
कर दो बेड़ा पार।
हे मां दुर्गे! शक्ति देवी!
बस इतनी कृपा करो,
दो सद्बुद्धि हर प्राणी को
बेटियों की रक्षा करो।
देवी स्वरूप नारियों का
कहीं न हो अपमान,
वध करें शैतानों का
भक्तों को दो वरदान।
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क्रमांक -23
दुर्गा-स्तुति
- मंजुला सिन्हा
रांची - झारखण्ड
मनवांछित फल देनेवाली
हे दुर्गा तुम्हें नमन मेरा।
हे कष्टों को हरनेवाली,
है शत-शत नमन तुम्हें मेरा।
हे जगद्धारिणी तुमने ही,
दुष्टों का है संहार किया।
अनगिन दैत्यों का कर विनाश,
सबको कष्टों से तार दिया।
है सिंह तुम्हारा वाहन मां,
सब कहते शेरांवाली हो।
है रूप-अनूप तुम्हारा मां
तुम दुर्गा,तुम ही काली हो।
हम भक्तों के दुख दूर करो,
हो सदा सहायक तुम माता।
कोईभी कष्ट न हो उसको,
जो सदा तुम्हारे गुण गाता।
तेरे शुभ-दर्शन करके मां,
हम धन्य-धन्य हो जाते हैं।
हे चंद्रवदनि, हे कात्यायनि
हम तेरी महिमा गाते हैं।
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क्रमांक - 24
जीवन की हर आस है तेरी
- मंजुला ठाकुर
भोपाल - मध्यप्रदेश
माँ तेरा रूप निराला।
चेहरे का तेज़ मतवाला।
माँ तेरी बिंदिया की ये लाली
जग मे हर छटा से निराली।।
माँ तेरी आँखों का काजल।।
सारे कष्ट को करे मुझसे ओझल।।
माँ तेरे कंठो की माला।।
मेरे मन में रखे न कोई जाला।
माँ तेरे सर की चुनरी।।
करती मेरी हर विनती पूरी।
माँ तेरे हाथों की मुँदरी।
करती मेरी दरिद्रता दूरी।।
माँ तेरे हाथों का कंगन।
रखता मुझको हरदम तेरे आँगन।।
माँ तेरे साड़ी का आँचल।।
समा लेता मेरे हर दुखो को पल पल।।
माँ तेरी ये करधन भारी।
हर लेती मेरी विपदा सारी।
माँ तेरे पैरों की पायल।।
कर देती है मुझको कायल।
माँ तेरी बिछिया प्यारी।
रखती मुझको बिटिया न्यारी।
माँ मेरा एक एक सांस है तेरी।।
जीवन की हर आस है तेरी।।
माँ मेरा हर जीवन तेरा।
फिर कौन मुझे मिले लुटेरा।
माँ तेरी महिमा है अपरंपार।।
मेरा तुझको नमन बारम्बार।।
माँ के चरणों में है मेरा ठिकाना।।
माँ मुझसे तू कभी पीछा न छुटाना।।
महाष्टमी पर्व की सभी को शुभकामनाऐ।।
माँ कभी किसी से दूर न जाएं।
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क्रमांक - 25
मां तू पालनकर्ता है जग की
- डॉ सरला सिंह
दिल्ली
मेरी माँ मुझे चरणों में ले ले,
मेरी जिन्दगी को तू संवार दे ।
कंटकों में चल रही हूं माता,
मेरे जीवनपथ को संवार दे।
तू है जगत की जननी माता,
जन-जन को अपना प्यार दे।
मां तू पालनकर्ता है जग की,
जग के दुर्बलों को वरदान दे।
रह जाए ना कोई भूखा मैया,
अन्नपूर्णा मां ऐसा वरदान दे।
बेघरों को माता छत तू दे दे,
निर्बलों पर शक्ति तू वार दे ।
मेरी मां तू ही जगकी नियंता,
जग को तू खुशियां उपहार दे।
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क्रमांक - 26
वंदन माँ
- मिनाक्षी सिंह
पटना - बिहार
जय मांँ अंबे जय जय जगदंबे,
वंदन मेरा स्वीकार करो मांँ ।
नवरात्रि में नव रूप तुम्हारे,
मैं अज्ञानी कैसे पूजन करूं माँ ।
दिवस प्रथम पूजन करूं मांँ शैलपुत्री की,
सुता कहलाती यह हिमराज की ।
दिव्य चेतना का सर्वोत्तम अनुभव,
यही इनके नाम का है सही अर्थ ।
दिवस द्वितीय पूजन करूं मांँ ब्रह्मचारिणी की,
देती है खुशियांँ शोक हरे हर मन की ।
यह माता है असीम अनंता,
मत रख प्राणी मन में निम्नता ।
दिवस तृतीय पूजन करूं माँं चंद्रघंटा की,
काँपे असुर सुन झंकार घंटे की ।
यह माता बदलती भावनाओं को,
घृणा ईष्या मिटा साफ करती मन को ।
दिवस चतुर्थी पूजन करूं मांँ कुष्मांडा की,
उल्लास से भर देती झोली सबकी ।
यह माता है वृति स्वरूपा,
लौकी कद्दू में विराजे प्राण स्वरूपा ।
दिवस पंचम पूजन करूं मांँ स्कंदमाता की,
कार्तिक के संग यह पूजी जाती ।
यह माता है ज्ञान गुण शक्ति सूचक,
पूजन से मानव बन जाता व्यवहारिकता का पूरक ।
दिवस षष्टम पूजन करूं मांँ कात्यायनी की,
सुता कहलाती है ऋषि कात्यायनक की ।
यह माता विराजे सुक्ष्म जगत में,
क्रोधित जो हो जाए तो प्रलय लाती पल में ।
दिवस सप्तम पूजन करूं मांँ कालरात्रि की,
बेड़ा गर्क यह दुष्टो की करती ।
यह माता का रूप अति उग्र भयावह,
पर सेवक को देती है ज्ञान वैराग्य का वर यह ।
दिवस अष्टम पूजन करूं मांँ महागौरी की,
कोमल सुंदर कुंदन सी नारी की ।
यह माता है बड़ी अलौकिक,
अखंड सुहाग का देती यह वर भी ।
दिवस नवम पूजन करूं माँं सिद्धिदात्री की,
देती है यह सुख समृद्धि और मोक्ष भी
यह माता में है अद्भुत क्षमता,
इनके आशीर्वाद से जीवन को मिलती पूर्णता ।
जय अंबे जय जय जगदंबे,
वंदन मेरा स्वीकार करो मांँ ।
नमन करूं सब माँं के चरणों में,
भूल चूक तुम क्षमा करो मांँ ।
दुखियों के कष्ट दूर करो मांँ ।
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क्रमांक - 27
वक्त आया नवरात
- गिरधारी लाल़ चौहान
चाम्पा - छत्तीसगढ़
जय माता कहने का,वक्त आया नवरात ।
भक्तों चलों बोलों,जयमाता दिन रात ।
नव दिन तक उनका,उपवास रहो करो पूजन ।
मां के चरणों में,अर्पित करदो तन मन जीवन ।
उनकी कृपा का,फल पाओ यहां साक्षात ।
मां पर चढ़े चुनरी,फूल फल नारियल ।
धूप अगर दीप जलाके, करलो जीवन सफल ।
उनकी कृपा से मिटे,दुखों की बरसात ।
मां के जग में नव रुप हैं,नव रुप सभी महान ।
देव मानव उनके यश को, गावें वेद पुरान ।
उनके चरणों शीश झुकालो,न देखो सायं प्रातः ।
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क्रमांक - 28
भक्ति में शक्ति
- ओम प्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल"
बागेश्वर -उत्तराखंड
भक्ति में ही शक्ति है,
सच्चे मन से कर ले,
माँ की सेवा करके ,
जीवन सुधार ले।
छोड़ सब मोह माया
भक्ति में तू लगा मन
जग झूठा नाता तोड़
शरण स्वीकार ले।
भक्त हुनमान ने भी
राम नाम जपा जब
अमर हुए हैं जग में,
भक्ति का आधार ले।
निष्ठा रख देव पर
भक्ति में तू लग जा
भक्ति के सहारे अब
जीवन सँवार ले।
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क्रमांक - 29
माँ
- डॉ. विभा रजंन ' कनक '
दिल्ली
ऊँचे पहाडों पर मैय्या
ने डाला है अपना डेरा
कर र्दर्शन माँ के अब
कट जाए ये पाप तेरा
इनके दर पर जो आता
खाली हाथ नहीं जाता
मांग लो हाथ फैलाकर
यह तो है हमारी माता
मेरे मन को तू मैया
हृदय से शुद्ध कर दे
मुक्त रहूं माया से मैं
मन में भक्ति भर दे
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क्रमांक - 30
माँ भगवती की महिमा
- रीतु देवी
दरभंगा - बिहार
महिषासुर मर्दिनी, सिंह वाहिनी
सकल लोक तारिनी
सब दुख निवारिणी
बनकर हमारी संगिनी-रक्षिणी।
सर्वत्र पूजनीया ,सर्व चित्त विश्वसनीया
रखें सम दृष्टि माँ आदरनीया
करती क्षण-क्षण कल्याण की क्रिया
करती पूर्ण मनोकामना, भक्तजन की प्रिया।
कभी शाम्भवी, तो कभी जाह्नवी बन जाती
संहार दुर्जनों को कर,भक्ति की निर्मल गंगा बहाती
है यही साध्वी, तो है यही माधवी
देकर आशीष, हम सबको बनाती चिरंजीवी।
बारम्बार आँचल पसार ,करें पुकार बाँझिनी
विनती करती स्वीकार गोद भरिनी
अनन्य रूप धर कल्याणी, भवानी
संकट तारे माँ संकटनाशिनी।
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क्रमांक - 31
आये है नवरात्र
- बीजेन्द्र जैमिनी
पानीपत - हरियाणा
आये हैं नवरात्र
कर लो पूजा माता दी
फूल चढाओं
दीप जलाओं
कर लो पूजा माता दी
कलश में भर लो पानी
ऊपर रख लो नरियल
हाथ में ले लो
पूजा की थाली
आये है नवरात्र
नौ दिन का लो व्रत
सुबह शाम कर लो पूजा
माता को चढाओं चुन्नी
घर घर कीर्तन करवाओ
आये है नवरात्र
कन्या है तो कर लो पूजा
नहीं तो ठूठों गली गली
आदर सहित कर लो पूजा
फिर ना ये दिन आयेंगे
आये है नवरात्र
सुख शान्ति मांग लो वरदान
घर में मां है कर लो सेवा
फिर ना आये तुफान
आये है नवरात्र
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क्रमांक - 32
आ जाई मईया
- रूबी सिन्हा
राँची - झारखंड
रहिया निहारी मईया ।
आ जाई जल्दी ।
अब देर ना करी ।
खोलले बानी हम दुअरीया ।
मईया देर ना करी ।
चौका सजईले बानी ।
आसन लगईले बानी ।
मईया देर ना करी ।
आ जाई जल्दी मईया देर ना करी ।
पुड़ी बनईले बानी ।
हलुआ पकईले बानी ।
मईया देर ना करी ।
आ जाई जल्दी मईया देर ना करी ।
आ जाई जल्दी मईया देर ना करी ।
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क्रमांक - 33
दुर्गा
- प्रतिभा श्रीवास्तव अंश
भोपाल - मध्यप्रदेश
दुर्गा तुम काली बन,
आ जाओ इस धरती पर....
दुर्गा तुम हर बरस आती हो......
सजता है दरबार तुम्हारा.....
तुम्हारे मान, सम्मान, प्रतिष्ठा का,
रखते हमेशा ध्यान.....
तुम्हारे रूप का ध्यान करके,
कन्या रूप में पूजे तुमको,
तुम प्रसन्न हो जाओगी,
ऐसी कामना करते हम....
तो दुर्गा!!
सुनों फरियाद हमारी....
तुम हो जाओ विधमान,
हर नारी,हर कन्या में,
गर जरूरत पड़ जाये तो,
महिषासुर मर्दिनि का रूप धरो,
दुर्गा अब संघार करो तुम,
धरती से बलात्कारियों का....
दुर्गा अब काली बन जाओ,
प्रतिभा करती पुकार यही.....
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क्रमांक - 34
नवरात्रों के पावन
- आचार्य मदन हिमाँचली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
माता जगजननी है।
त्रिदेव त्रिदेवी की सृजनहार
नवरात्रों के पावन पर्व पर
कल्याण का बाँटे उपहार।
राक्षसी प्रवृत्ति हरे
मन मे ज्ञान का दे प्रकाश
सद्बुद्धि विद्या देकर माता
मानव का रोकती है विनाश।
मन को शाँति तन को पवित्र
नवरात्रों का विशेष सँदेश
जगत अराध्य नव दुर्गा!
हरण करो माँ!मानव कलेष।
हर घर शकुनि पल रहे
महाभारत करवाने को
अपनी शक्ति लगा रहे हैं
देश की आन मिटाने को ।
समय पर आकर हे जगदम्बे !
हर लेना दुष्टों. का भार।
हाथ जोड कर विनय करें हम
सुन लेना हमारी पुकार।।
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क्रमांक - 35
मां
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
करबद्ध नमन जगदम्बा
जग-जननी मेरी अम्बा ।
भयहारिणी भवतारिणी
मनभावनी मेरी अम्बा ।
कुछ संचित पुण्य थे मेरे
जो मानव का तन पाया ।
सत्कर्मों की बुद्धि देकर
ऊँचाइयों तक पहुंचाया ।
भक्ति की पुजारिन मां ने
चादर संस्कारी उड़हाई ।
जन्मस्थली पुलकित होती
आशीषों की दे बधाई ।
सृष्टि के पालक हरिहर
जगदीश की पुत्री हूँ मैं ।
ऊर्जा दी सूर्य -रश्मि सी
सुरभित -पुष्पित कृति हूँ मैं।
वरदान जन्म-जन्मांतर
देना बस हाथ- उठाकर ।
झोली मां की ही पाऊँ
उपकारी बनूँ धरा पर ।
अवनि-अंबर, जल-थल में
तुम कहीं रहो जगदम्बा ।
अन्तर्मन यह कहता है
त्वं प्रसीदतु ,मम अम्बा ।
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क्रमांक - 36
कन्या पूजन
- कंचन अपराजिता
चैन्नई - तामिलनाडु
नवरात्रि मे माँ कंजिका बन
अष्टमी मे आई मेरे द्वार।
नयन मे प्रेम जल भर
लूँ माँ तेरा चरण पखार।
कोमल काया है चक्षु चंचल
सेवा मे है भाव निर्मल
ओढ़ा कर तुझे चुनर लाल
कुंकुम से सजाऊँ तेरा भाल।
तेरे पद अपने सिर धर
करूँ आरती पुष्प वृष्टि कर
वंदना करूँ मै भावविह्वल स्वर
धन्य हुई तु आई घर।
छप्पन भोग लगा कर थाल
खीर मे दिये बताशे डाल
निहारूँ मै तेरा रूप बेमिसाल
हुआ है आज आँगन खुशहाल।
कर जोड़ करूँ मै नमन
किया है मैने कन्या पूजन
मेरा सर्वस्व तुझको अर्पण
करती हूँ माँ स्व समर्पण।
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क्रमांक - 37
जय माँ
- सविता गुप्ता
रांची - झारखण्ड
भवन तेरा उँचा माँ
कैसे तुझ तक पहुँचू माँ
मै तो तेरी दासी माँ
तू ममता की देवी माँ
ममता अपनी लुटाओ माँ
मै तो तेरी दासी माँ ।
तू करुणामयी ,त्रीनेत्री माँ
ज्ञानचक्षु खोलो माँ
मै तो तेरी दासी माँ ।
हे जग तारिणी,विश्वस्वरुपा माँ
विश्व मे शांती प्रकाश फैलाओ माँ
मै तो तेरी दासी माँ ।
हे !दुख हारिणी ,भयहनजिनी माँ
सबके दुख हर लो माँ
मै तो तेरी दासी माँ ।
कार्तिक ,चैत मास तुझे भाती माँ
असुरी शक्तियां पंख फैलाए माँ
आकर दूर भगाओ माँ
मै तो तेरी दासी माँ ।
हे!जगदंबिका शिव प्रिये माँ
स्कन्दमाता का रुप तेरा भाता माँ
महामाया,शताक्क्षी ,नव दुर्गे माँ
मै तो तेरी दासी माँ ।
भजन ना जानूँ ,पूजन ना जानूँ
कैसे तुझे मनाउँ माँ
स्नेह कृपा बरसाओ माँ
मै तो तेरी दासी माँ
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क्रमांक - 38
नवदुर्गा
- नीतेश उपाध्याय
दमोह - मध्यप्रदेश
प्रकाश को फैलाए माँ
द्वेष को जलाए माँ
जब पराजित सा लगूँ कभी
हिम्मत की किरण दे जाए माँ
प्रेम को समझाए माँ
पहेलियाँ सुलझाए माँ
क्या है जीवन झूठे जग में
सत्यता को बतलाए माँ
ऊँच नींच का भेदभाव मिटाए माँ
धूल मन से तू हटाए माँ
प्यार खूब सारा बच्चों पर लुटाए माँ
गिर जाऊँ तो हमको उठाए माँ
नवदुर्गे तेरी लीला अपरंपार
दुष्टों पर करती तू जो है प्रहार
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क्रमांक -39
अम्बे माता
- सुषमा ठाकुर
राँची - झारखंड
हे अम्बे, जगदम्बे, दुर्गा माता
तू ही दुष्टनाशिनी माता
तू ही विघ्नविनाशिनी माता
रक्षा करो,अपनी पुत्री की हे माता!
शरणागत हम तेरे
हे माँ! कर दो दूर अंधेरे
किए पाप मैंने बहुतेरे
हे जगन्माता क्षमा करो
अपराध मेरे।
अपनी पुत्री को उबारो
माँ बिगड़ी मेरी सँवारो
हे ममतामयी हमें भी निहारो
हमारे कष्टों पर विचारो।
हे आदिशक्ति माता,
पतन भँवर में फँसा है जग तेरा
माता शक्ति पुंज बरसाओ
अपनी बेटियों को शक्ति-भान कराओ।
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क्रमांक - 40
हे माँ मेरी
- डॉ बीना राघव
गुरुग्राम - हरियाणा
हे माँ मेरी शारदे, भावों को दो जान।
कर्मों की ये साधना, दर्शन दें भगवान।।
तेरे दर पे कौन है, माँगता जो गरीब।
तेरे दर तक पहुँचता, वोहि तो खुशनसीब।।
नारी शक्ति स्वरुप है, चेतना बेमिसाल।
अन्नपूर्णा सी जग में, सभी को रही पाल।।
माता तुझसे अर्ज़ है, दियो यही आशीष।
शक्ति लेखनी को मिले, चरणों नवाऊँ शीश।।
दिव्य से दिव्यतम वही, रूप जिसके अनेक।
बल, यश, विद्या दायिनी, पावन करे विवेक।।
सफल सदा होंवे वही, ऐसे वो इंसान।
माता को हैं मानते, अपना निज भगवान।।
दुर्गा दुर्गति नाशिनी, सुन लो करुण पुकार।
दुष्टों का अंत करना, ले काली अवतार।।
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क्रमांक -41
मां
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
देवि ही देवि
कल्याण है करती
मन हो सच्चा ।
ज्ञानी गुणी हैं
मूढ़ भी बन जाते
मां की कृपा ।
करो याद तो
निर्भय कर देती
हरे गरीबी ।
सिद्धि दायिनी
शक्ति समन्वय
मां कल्याणी ।
तुम प्रसन्न
दुख दर्द न रहें
धनी विपन्न ।
देवि अम्बिके
त्रय लोकेश्वरि मां
हम भजते ।
रोग नाशक
आश्रय है सबको
युवा बालक।
ॐ सती साध्वी
आर्या जया पुनीता
शूल धारिणी ।
मन विचित्रा
आद्या दुर्गा भवानी
तारिणी चित्रा।
सदा शोभिनी
पिनाक धारिणी मां
वाक् दायिनी।
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क्रमांक - 42
आएं नवरात्र
- शालिनी खरे
भोपाल - मध्यप्रदेश
आएं अब चैत का
बासंती नवरात्र
करें पूजन माँ दुर्गा का
सभी भक्त सुपात्र
अक्षत रोली को चढ़ा
पूजते माँ को आप
माता दो यह वरदान
मिटे जगत के ताप
ध्यान धर माता का हम
देवे कन्या भोज
दुर्गा माँ के आशीष से
मिले माता सा ओज
दुर्गा के अवतार की
गात जो महिमा अपार
भजे जो नित नाम को
सपने हो साकार
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क्रमांक - 43
नवरात्रि पर मां दुर्गा
- विष्णु असावा
बदायूँ - उत्तर प्रदेश
तेरे चरणों मैं जाऊं बलिहारी बार बार
बंदना करूँ मैं नित शीश को झुकाऊँ माँ
आरती की थाली लिए दीपक को बार लिया
खुश हो जा महतारी तुझको मनाऊँ माँ
चैत्र प्रतिपदा माता शैलपुत्री लाज रख
नववर्ष तेरे आगमन से मनाऊँ माँ
शुभकामनाएं देता देशवासियों के लिए
हृदय के भाव तेरे चरण चढ़ाऊँ माँ
माता ब्रह्मचारिणी माँ तुझको नमन करूँ
बंदना करूँ मैं कर जोड़ कर आप की
करता रहा हूं माँ मैं जीवन में आज तक
मुझको छमायें देना माता मेरे पाप की
कर दो नजर एक बार मेरी ओर दाती
लगी रहे हर पल धुन तेरे जाप की
तेरे आगमन से माँ छाई खुशी चहुँ ओर
छाया मुझपे न रही किसी अभिशाप की
भरती है झोलियों में खुशियाँ अपार दाती
हरे सब बिघ्न बाधा क्लेश दूर करती
धन मांगे धन मिले दौलत के ढेर करे
बांझन को पुत्र मिले गोद सदा भरती
तीसरी भवानी माता चंद्रघंटा शेरोंवाली
अपने भक्तों के सभी कष्ट स्वयं हरती
देगी दर्श जगदंबा मन से पुकारो उसे
आये आसमान से या फाड़कर धरती
अष्टभुजा कूष्मांडा माँ ऋद्धि सिद्धि देने बाली
बीच में भँवर नैया पार कर देना माँ
तेरी निरंकारी ज्योति जले माता चहुँ ओर
मेरे काले जीवन का तम हर लेना माँ
विनती करूँ मैं बार बार वारी जाऊँ दाती
झोलियाँ गरीबों की तू खाली भर देना माँ
आयु बल यश और आरोग्य प्रदान करो
रोग शोक का हो नाश ऐसा वर देना माँ
स्कंदमाता रूप तेरा ममता से ओतप्रोत
पदमासना भी नाम वेदों ने बताया है
सिंह पे सवारी तेरी चार भुजा धारी माता
कर में कमल पुत्र गोद में बिठाया है
शुभ्र वर्ण बाली तुझे बिधावाहिनी भी कहें
पुत्ररत्न देती उसे जिसने भी ध्याया है
ज्योति को जलाके तेरे द्वार पे गुहार करे
पाये फल मन चाहा शरण जो आया है
छठी माता कात्यायनी गूंज रही चारों ओर
तेरी जै जै कार मैया कानों में समाई है
सिंहों पे सवार दस भुजाओं में शस्त्र लिए
महिषासुर मार मां सबकी सहाई है
धर्म अर्थ काम मोक्ष चारों फल देने वाली
अपने भक्तों को दाती सदा सुखदाई है
मना रहा तुझे अम्ब करना नहीं बिलम्ब
हर लेना ताप मेरा जो भी दुखदाई है
महाशक्ति दुर्गा माता काल का भी नाश करे
सप्त माता कालरात्रि नाम से पुकारते
ऋद्धि सिद्धियों की दाता तीन तीन नेत्र धारी
तेरी पूजा अर्चना से जीवन सुधारते
काजल सा वर्ण तेरा अमाँ रात से भी काला
दर्शनों की लालसा में मंदिर पधारते
गर्दभ सवारी मैया मेरे घर पे विराजो
घण्टाओं की धुन बीच आरती उतारते
माता महागौरी तेरी ज्योति का प्रकाश फैला
उसी तेज से तो सारा जग जगमग है
शिव की शिवा है तू ही तू ही शाम्भवी है माता
तेरी शक्ति शिव शक्ति के ही लगभग है
पापों को जलाने वाली पाप मेरे भस्म कर
पापों से भरी हुई माँ मेरी रग-रग है
मेरी प्रार्थना है मात चरण शरण देना
भंवर के बीच नैया मेरी डगमग है
नवदुर्गा नौवीं शक्ति नौवां रूप सिद्धिदात्री
सर्वकार्य सिद्ध करे देती वरदान माँ
महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी
इनका ही अंश मान पूजता जहांन माँ
जो भी तेरी महिमा का करता बखान दाती
कर देती उसको तू जग में महान माँ
मैं हूं नीच अधम माँ पापी दुराचारी दुष्ट
बालक हूं तेरा मेरी रख लेना आन माँ
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क्रमांक - 44
हे देवी माँ
- नन्दलाल मणि त्रिपाठी (पीताम्बर )
गोरखपुर - उत्तर प्रदेश
तू भय भव भंजक
जगत कल्याणी है
दुष्टो की दुर्गा काली
भक्तो की रखवाली है
शक्ति दे मुझे अपनी
भक्ति का भाव भाग्य दे !!
माँ शारदेय
मैं आया तेरे द्वार
तुझे पुकारते
मैं तेरी संतान
सुन पुकार
मेरी कामना का वर
वरदान दे!!
खोजता भटकता
सारे जहां में
आ गया हूँ
तेरे द्वार
तेरे ज्योति के
उजियार में !!
जिंदगी की दुस्वारिया
बहुत मैं आ गया
जिंदगी चाहतों
की राह में
तेरी ममता
आँचल की छाव में !!
माँ शारदेय
मैं आया तेरे
द्वार तुझे पुकारते
मैं तेरी संतान
सुन पुकार
मेरी कामना का
वर वरदान दे!!
माँ शारदेय
मैं आया
तेरे द्वार
तुझे पुकारते
मैं तेरी संतान
सुन पुकार
मेरी कामना का
वर वरदान दे!!
माँ शारदेय
मैं आया
तेरे द्वार
तुझे पुकारते
मैं तेरी संतान
सुन पुकार
मेरी कामना का
वर वरदान दे!!
हो गया हो
गर कही
अपराध
तेरी सेवा पूजा
सत्कार में
तेरा ही वात्सल्य हूँ
कर छमा
दया का आशिर्बाद दे !!
तू तो जग
जननी सद्गुण ही
जानती तू
अपनी संतान में
मेरे दुर्गुणों को
सद्गुणों में निखार दे !!
माँ शारदेय
मैं आया तेरे द्वार
तुझे पुकारते मैं
तेरी संतान सुन पुकार
मेरी कामना का
वर वरदान दे!!
लालसा बहुत
मानवीय स्वभाव मैं
तेरी भक्ति का भाव
शक्ति धन धान्य में ,
मेरी चाहत
सिर्फ तू रहे
आत्म प्रकाश में
आत्म के प्रकाश में !!
माँ शारदेय
मैं आया तेरे द्वार
तुझे पुकारते
मैं तेरी संतान
सुन पुकार
मेरी कामना का
वर वरदान दे!!
साध्य साधना
आराधना मेरी
कर्म धर्म ज्ञान
के बैभव
बैराग्य में ,
माँ मेरी तू अपनी
ध्यान ज्ञान की भक्ति
की शक्ति का
मुझे वर दान दे !!
माँ शारदेय
मैं आया तेरे द्वार
तुझे पुकारते मैं
तेरी संतान सुन
पुकार
मेरी कामना का वर
वरदान दे!!
तू भय भव
भंजक जग कल्याणी
दुष्टो की दुर्गा काली
भक्तो की रखवाली
शक्ति दे अपनी
भक्ति का भाव
भाग्य दे !!
माँ शारदेय
मैं आया तेरे द्वार
तुझे पुकारते
मैं तेरी संतान
सुन पुकार
मेरी कामना का वर
वरदान दे!!
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क्रमांक -45
माँ
- डॉ छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
माँ s s s
शब्दों में ब्रह्माण्ड समाया
भगवती स्वरूपा
पदम् चरणों में स्वर्ग समाया
माँ की गोद
सागर ममता का लहराया
बिन कहे वह समझे
मन की वाणी
अन्तर्यामी
आस्था की प्रतीक
आत्मिक, आलौकिक
दिव्यानुभूति
चुभन काँटों की हर लेती
अन्धतमस जीवन
ज्योतिर्मय
त्याग -तपस्या की प्रतिमूर्ति
किये का प्रतिदान
न मांगती
दिव्य-स्पर्श
चंदन सा जिसका
माँ
नमन, वंदन
शत -शत नमन.
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नवरात्रों के अवसर पर
ReplyDeleteजय माता दी
काव्य संकलन
हेतु
नवरात्र पर आधारित छोटी छोटी कविता व गीत आदि के साथ अपना पता व अपना एक फोटों शीध्र ही नीचें दिये गये WhatsApp पर भेजने का कष्ट करें । संकलन को ब्लॉग bijendergemini.blogspot.com पर प्रसारित किया जाऐगा ।
निवेदन
बीजेन्द्र जैमिनी
जैमिनी अकादमी
पानीपत -132103
WhatsApp Mobile No.
9355003609
It is a good trial. Good cobtributioncby many authors. Please check the mistakes in Hindi script as for a Hindi journal it is most important.Congrats to authors and editors for bringing tier ideas to public
ReplyDeleteWe're really pleased
ReplyDeleteबहुत सुंदर व जगतजननी को नमन का सच्चा प्रयास बधाई
ReplyDeleteजैमिनी जी आपकी जीतनी तारीफ़ की जाय कम है शानदार जानदार प्रसनसनीय बेहतरीन लाज़बाब आप चाहें तो पुलमामा और लोकतंत्र और चुनाव पर आपका प्रयास अनुकरणीय होगा !!
ReplyDelete- नन्दलाल मणि त्रिपाठी (पीताम्बर )
गोरखपुर - उत्तर प्रदेश
22 अप्रैल 2019
( WhatsApp से साभार )
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