तेरा मेरा हास्य रस
विश्व हास्य दिवस विश्व भर में मई महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है। इसका विश्व दिवस के रूप में प्रथम आयोजन 11 जनवरी, 1998 को मुंबई में किया गया था। विश्व हास्य आंदोलन की स्थापना का श्रेय डॉ मदन कटारिया को जाता है ।
हँसना एक मानवीय लक्षण है, सृष्टि का कोई भी जीवधारी नहीं हँसता लेकिन एक हम मनुष्य ही हँसने वाले प्राणी हैं, जीवन में निरोगी रहने के लिए हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए। खाना खाते समय मुस्कुराइए, आपको महसूस होगा कि खाना अब अधिक स्वादिष्ट लग रहा है। हँसी जीवन का प्रभात है, यह शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। हँसने से आत्मा खिल उठती है। इससे आप को आनंद मिलता हैं निराशा और चिंता का अचूक इलाज के लिए रामबाण औषधि है।
शरीर में पेट और छाती के बीच में एक डायफ्राम होता है, जो हँसते समय धुकधुकी का कार्य करता है। हँसने से ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है व दूषित वायु बाहर निकलती है। नियमित रूप से खुलकर हँसना शरीर को ताकतवर और पुष्ट करता है व शरीर में रक्त संचार की गति बढ़ जाती है तथा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है।
अब मुस्करानें तथा हँसी के कुछ साधन पेश करते हैं :-
बड़ा महत्व है
- डाँ. अशोक कुमार खतौलवी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
मकान मे तालो का
सुसराल मे सालो का
खण्डरों मे जालो का
बड़ा महत्व है
सब्जी में नून का
शरीर में खून का
रात्रि में मून का
बड़ा महत्व है
प्यार में जनून का
जिंदगी में सकून का
मौसम में देहरादून का
बड़ा महत्व है
जिस्म में चर्बी का
पुलिस में वर्दी का
जनवरी में सर्दी का
बड़ा महत्व है
बदमाश को चोट का
लाला को नोट का
नेता को वोट का
बड़ा महत्व है
मंत्री को कुर्सी का
गायों में जर्सी का
पढाई में नर्सरी का
बड़ा महत्व है
रोगो में खाज का
पक्षिओं में बाज का
महिलाओं में दाज का
बड़ा महत्व है
सफर में कार का
बागों में बहार का
देश में चौकीदार का
बड़ा महत्व है
****
आरक्षण
- अर्चना राय
जबलपुर -मध्य प्रदेश
चिंटू का मां से झगड़ा वही पुराना
कहना मां का उसने कभी भी न माना
पढ़ने में कभी मन न लगाया।
परिणाम सदा ही औसत से निम्न पाया।
चिंतित मां ने एक दिन उसको
बैठाकर समझाया ।
मूंगफली बेचने वाले को दिखाकर
चिंटू को चेताया।
ना पढ़ने से अनपढ़ रहोगे
नौकरी न मिलेगी यह समझाया।
फिर बेचकर मूंगफली ही
करना होगा गुजारा।
सुनकर बात मां की चिंटू से पहले
मूंगफली वाला गुर्राया ।
आंखे तरेर कर बोला।
किसने मुझे अनपढ़ ठहराया।
पढने में होशियार मैं
एमबीए में अव्वल आया।
वह तो आरक्षण ने
कहर ऐसा बरपाया
जीविका चलाने के लिए
मूंगफली बेच करना पडा गुजारा।
***
जीवनशैली
- महेश राजा
महासमुन्द - छत्तीसगढ़
आज वाटसएप एवम टीवी चैनल पर बताया जा रहा है कि आज विश्व हास्य दिवस है।खूब हंसिये।हंसना सेहत के लिये लाभदायक है।
मेरे मन मे एक प्रश्न कौंधा कि हास्य तो एक सामान्य प्रक्रिया है,जोकि स्वस्फूर्त भीतर से उत्पन्न होती है.उसके लिये कोई दिवस तय करना जरूरी है क्या?
आज कल बैंगलोर मे हूं।रोज सुबह उद्यान जाता है।वहाँ मैंने देखा बुजुर्ग एक साथ जमा हो जाते है और हाथ उठा कर जबरन ठहाके लगाते है।
मुझे महसूस हुआ हम सबने अपनी जीवनशैली को इतना जटिल बना दिया है कि सहज हास्य तो निकलता ही नहीं है।
हमे हंसने के लिये क्लब बनाना टडता है,या बाबा योगी का सहारा लेना पडता है।
दरअसल जीवन की आपाधापी मे हमने स्वयं को खो दिया है.हममें से क ई ऐसे भी है,जिन्हें स्वयं से मिले सरसो हो गया है।हम सब के बीच एक कम्युनिकेशन गेप आ गया है।हम वाटसएप या फोन के जरिये मिलते है.ईमोजी के माध्यम से हंसना रोना या अन्य भाव पैदा करते है।
जरूरत है जीवन को सरल बनाकर परिवार जन के साथ बैठकर बात करने की ,हल्के फुल्के मनोरंजन से सरल सहज हास्य पैदा करने की।फिर हमे कोई कामेडी शो या बाबा की जरूरत नहीं पडेगी।
सोचिये।मूड और डिप्रेशन के मायाजाल से निकलिये।और जानिये जिंदगी कितनी हसीन है।
मत ईंतजार किजिये किसी दिवस विशेष का।मूड को संवारिये।सरल,सहज हास्य पैदा किजिये।
एक बात जो मैंनै अपने आप से पूछी है,आप सबसे भी जानना चाहता हूं।दिल पर हाथ रख कर बताईये कि कितने दिन हो गये,आपको उनमुक्त ठहाके लगाये या अपना मनपसंद गीत गुनगुनाये।
***
अनमोल वरदान
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उतराखण्ड
खुल कर हँसें
दिल खोल कर हँसें
आये न हँसी तो
आईने में देख कर
मुँह बना-बना कर हँसें...!
मस्त होकर
अपने लिए
ठहाके लगाइए,
तनाव, मधुमेह को
कोसों दूर भगाइए...!!
स्वस्थ रहे दिल
बच्चों को मित्र बनाइए
खेल-खेल में बच्चे बन कर
अकारण भी तो कभी
हँसते जाइए...!!!
हँसना कुदरत का दिया
अनमोल वरदान है,
मन में दबा कर इसे
जो कभी भी न हँसे
अनजाने में वो कर रहा
कुदरत का अपमान है....!!!!
विश्व हास्य दिवस पर
नयी आदत बनाइए
मित्रों के संग बैठ
जोर-जोर से हँसिए-हँसाइए
कल तक बुझे-बुझे
आप एक खड़ूस इंसान थे,
हँसते हुए. स्वस्थ से
लोकप्रिय इंसान बन जाइए.....!!!!!
***
टेढ़ा-मेढ़ा हास-परिहास
- शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी - मध्यप्रदेश
टेढ़ा-मेढ़ा हास्य-रस
बड़बोलापन, बस!
सुबुद्धि हुई कुबुद्धि
धन-सिद्धि हो, बस!
तेरा-मेरा हास्य-रस
जीवन जस का तस
बुद्धियांँ हो रहीं ठस!
बच्चे-युवा हैं बेबस!
भोंडा-ओछा हास्य-रस
टीवी टीआरपी तेजस!
हास्यास्पद लगती बहस
सेल्फ़ी रहस्य दे बरबस!
स्वच्छ, स्वस्थ हास्य-रस
स्वाभाविक बरसता बस!
बाल-बुज़ुर्ग-मुख के वश
या फ़िर दे कार्टून, सर्कस!
***
पति - पत्नी
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
तीखे पर जानती नहीं बिलमना
पाबंदी से भूलती नहीं अकसना
कानून कतर रही सरकार उसकी
पत्नी थी गैंडे सी, पति था मेमना
चुकता नहीं वह भी व्यंग्य कसना
चार फीट हो दो फिट की लगती
सीधे पल्ले के शौक पर था कहना
***
हर दम साथ
- नीतेश उपाध्याय
दमोह - मध्यप्रदेश
मैं चुपचाप तो तुम चहकी सी बात
यूँ है तेरा मेरा रहता हर दम साथ
व्यंग्य सी बातें तेरी कुछ ऐसी स्थिति निर्माण कराती हैं
वो भी हँसती है और सबको हँसाती है
तू चमकती चाँदनी मैं एक अँधेरी रात
बेतुकी सी है तू अलग भौतिकी सी
एक अनुपम संरचना तो लगे एक अद्भुत कृति सी
जिसकी बूँदें भी न हो ऐसी तू है बरसात
क्या था हम दोनों में जो मिले कुंडली के मिलाप
अब क्या कुछ कहना क्यूँ करें इस पर आलाप
***
मामा का ब्याह
- रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर - छत्तीसगढ़
गांव बहर का था वह चौकीदार,
निकले हुए थे जिसके दांत आगे
गंभीरता से कोई उसे लेता नहीं,
सब सोचते मुस्कुरा रहा हर बार।
परेशान था अपने दांतो से वह,
परेशानी की जो बनते थे वजह।
दौड़ा आया एक बार मुखिया के पास,
मुखिया जी छुट्टी की लाया हूं आस।
चार दिनों के लिए मामा घर जाना है,
वो मामा को.....
अच्छा-अच्छा
मामा को ब्याह है!
माथे पर रखे हाथ
बैठा है नत मुख आज
इन दांतो ने फिर गड़बड़ी
करवा दी
बुखार की परिभाषा ब्याह में
बदलवा दी
***
हंसना भूल गए
- राजकांता राज
पटना - बिहार
खा रहे है छप्पन भोग
हो गए है सब ग्रस्त रोग
कर रहे है आसन योग
पर हंसना भुल गए हैं लोग
बीमारी की हंसी दवाई
हंसने में है सभी को भलाई
मन में नहीं हो कोई खोट
हंस हंस के जाओ लोट पोट
पर हंसना भुल गए हैं लोग
ऑफिस में है काम का लोड
घर में है परिवार का मोड
पास पड़ोस में बात का चोट
रिश्ते नाते सब में खोट
पर हंसना भुल गए हैं लोग
***
एक सौतन
- सत्या शर्मा 'कीर्ति'
रांची - झारखण्ड
काश मुझे भी एक सौतन मिल जाती
गोरी काली कैसी हो सब मुझको चल जाती ।
अब मैं नई दुल्हन नहीं जो डरूँ हाय ! क्या होगा
चाहे कितनी भी आये घर पर राज तो मेरा ही होगा ।
कितना अच्छा होगा कि पूरा घर वो संभालेगी
मेरी भी सेवा हो जायेगी पर मुँह न वो खोल पायेगी।
बच्चों तो रहेगें मेरे पर काम उससे करवाऊंगी
पति देव के भी मोजे, कपड़े हाथों से धुलवाऊंगी ।
सुबह उठ कर पाँच बजे ही अब चाय बनाना खलता है
कितना सुख होता होगा जब बेड टी मिलता है ।
पति तो है मेरी मुठ्ठी में क्या कुछ वो कर पाएंगे
घर में लगवा कर सी सी कैमरा हम तो निश्चिन्त हो जायेंगे ।
छोड़ कर घर की जिम्मेदारी शॉपिंग के मजे उड़ाऊँगी
पार्लर में जा कर स्पा फेशियल और मसाज करवाउंगी ।
हो ऑन लाइन कोई औप्शन मुझे तुम बतला देना
और दुआओं से भरी टोकरी तुम मुझसे मंगवा लेना ।।
***
पत्नी स्तुति
- प्रियंका श्रीवास्तव "शुभ्र"
पटना - बिहार
हे मनमोहिनी प्रियतमा मेरी,
बड़ी-बड़ी खंजर सी आँखें तेरी
सूर्पनखा सी नाक तुम्हारी
फूले चेरी सी गाल है प्यारी।
रक्त रंजित होठ तुम्हारे
मुस्काओ तो सब वारे न्यारे।
देख तेरी आँखों की फड़कन
दिल तो मेरा भूले धड़कन।।
कमरा सा है कमर तुम्हारा
जिसका गुण गाते मैं हारा
सरगम के सात सुरों के बाद
अष्टम सुर तेरा आता याद।
जिसे सुन कौआ भी शर्माए
पर मुझको तो ये ही भाए
क्योंकि कयामत आती लड़कों पर
जब तू चलती सड़कों पर।
बलखाती चालों से तरसाती
नैनों से शोला बरसाती
नैन उठा कर जो भी देखे
तत्क्षण भष्म उसे तू कर दे।
तू ही तो झांसी की रानी
तू ही मेरी प्यारी पटरानी
तू ही दुर्गा तू नारायणी
सजदा करूँ हे महारानी।।
***
पति पत्नी
- मिनाक्षी सिंह
पटना - बिहार
एक पति मंद मंद मुस्काए पत्नी से थी उसकी लड़ाई
ना नींद में आती अब व्यवधान न जारी होता है फरमान ।
पंखा बत्ती टीवी बंद करो जगह पर रखो समान
अब नहीं सुनते थे उसके कान।
अकड़ में पत्नी उनसे नहीं मांगती थी पैसे
बचत हो रही थी उनकी तो वह काहे को झुकते।
जब से हुई लड़ाई हुई बातचीत बंद
तनाव मुक्त जीवन जीने का वह ले रहे आनंद।
जो पत्नी से करते बात बन जाते अपंग
सारे काम अब अपने करके बन रहे आत्मनिर्भर।
पर चैन की बंसी बजाते बजाते सो गए वे निढाल
नहीं उठाई पत्नी ने सुबह के बज गए आठ।
झुंझलाहट में पत्नी से बोले फिर श्रीमान
देर हो गई मुझको आज खानी होगी बॉस की डांट।
अब मंद मंद मुस्कुरा रही थी पत्नी
बोली चैन की थोड़ी और बंसी बजा लो आप।
हाथ जोड़ कर पति ने मानी अपनी हार,
मैं हारा तुम जित गई औ मेरी सरकार।
***
शादी है या बर्बादी ...??
- अमृता सिन्हा
पटना - बिहार
यक्ष प्रश्न सा बना विकट ये,
शादी है या बर्बादी ...??
कोई रोता खो कर आज़ादी,
तो कोई तकता अपनी बारी !
कोई पत्नी पीड़ित कहलाता,
किसी के चारों धाम घरवाली !
आए दिन होते रहते झगड़े,
फिर भी कहाँ रुकती आबादी !
कहीं रोती पत्नी अबला बेचारी,
तो कहीं नारी पौरुष दंभ पर भारी !
युगों युगों से चलता आया दंगल,
ना नर जीता ना नारी !
आख़िर किसने चलाई रस्म शादी की
बनाई हीं क्यूँ ये बुनियाद बर्बादी की !
हाय सुलझ ना पायी गुत्थी अब तक,
है इस पर शोध निरंतर जारी.....!!
***
पूरी -भाजी
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
सखियों संग बात में
हो गई काफी देर ।
याद आयी ,रसोईकी देरी ,
पति का गुस्सा ,बेटे की भूख ,
क्या होगा अबकी बेर ।
,लपक के पहुँची ,चुल्हे के पास ,
पाया बेटे को बैठे वहाँ उदास ,
हाथों में थी तख्ती ,
लिखा था भूख हड़ताल ,
पति मुस्कुरा रहे थे ,
बेटे को उकसा रहे थे ,
चट -पट उसने पकाया ,
हलुआ ,पूरी ,भाजी ,
छोड़ नाराजगी ,
सब खाने को हो गये राजी ,
वो बैठे भोजन पर,
वो बोली "वाह ! रे हलुआ ,
वाह ! रे पूरी ,
वाह !वाह ! भाजी ॥
***
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
- अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
ग्वाल बाल सब गेम है खेलत
मोहें दूर भगायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
बहुत से ऐप में बहुत से गेम हैं
फनी-फनी से उनके नेम हैं
हमको नाहिं खेलायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
फेसबुक पे रास रचाते
मैसेंजर में खूब लुभाते
प्रेम समूह बनायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
गोपियों का नया ग्रुप है बनायो
हमको लेकिन नहीं बतायो
हमसे से ही बैर दिखायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
अब नहि मैया गाय चरायो
मोबाइल हमहूँ दिलवायो
तबही गाय चरायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
मोबाइल जादू को पिटारो
गाना पिक्चर वारो न्यारो
यूँ ट्यूब सबसे प्यारो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
रिंग टोन की बात निराली
हँसि बतियावे राधा प्यारी
में बैठ्यो झुंझलायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
गूगल को एडवाइजर रख्यो
ट्विटर को प्रवक्ता रख्यो
मोहि पर बैन लगायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो
***
पति पत्नि के नोकझोंक
- शाईस्ता अंजुम
पटना - बिहार
परेशान पति अपनी पत्नी से बोला
एक मैं हूँ जो तम्हें निभाए जा रहा हूँ
सावन मे मै सुखता जा रहा हूँ
पत्नी बोली पानी सर से ऊपर जा रहा है
आप की बाते सुन सुन कर दिन ढला जा रहा है
पति बोला अब मै जाता हूँ
आत्महत्या करता हूँ
पत्नी बोली ठीक है
हमेशा की तरह भुल मत जाना
लौटते समय भाजी तरकारी जरूर लाना
***
अन्त में पेश है कि लखनऊ के रेलवे स्टेशन से आदमी बाहर निकलता है तो बड़े अक्षरों में लिखे बोर्ड पर नजर टिकती है- 'मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं'। यह वाक्य पढ़ते ही चेहरे पर मुस्कुराहट फैल जाती है। इस एक वाक्य से लखनऊ की जिंदादिली व खुशमिजाजी के दर्शन हो जाते हैं।
" मेरी दृष्टि में " मनोवैज्ञानिक प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि अधिक हँसने वाले बच्चे अधिक बुद्धिमान होते हैं। हँसना सभी के शारीरिक व मानसिक विकास में अत्यंत सहायक है। जापान के लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते रहने की शिक्षा देते हैं। दुनिया में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छाँव की भाँति आते-जाते हैं। यदि मनुष्य दोनों परिस्थितियों में हँसमुख रहे तो वह चिंता से बचा रह सकता है। फलस्वरूप तनावग्रस्त बीमारियाँ जैसे- उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन, डिप्रेशन आदि बहुत-सी बीमारियों से बच सकता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
( आलेख व सम्पादन )
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