जैमिनी का परिचय

            जैमिनी एक प्राचीन भारतीय विद्वान थे जिन्होंने हिंदू दर्शन के मीमांसा स्कूल की स्थापना की थी। वे पराशर के पुत्र हैं और उन्हें ऋषि व्यास का शिष्य माना जाता है। परंपरागत रूप से उन्हें मीमांसा सूत्र और जैमिनी सूत्र का लेखक माना जाता है। अनुमान है कि वे चौथी से दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास रहे होंगे।

         जैमिनी शाखा कर्नाटक प्रांत में, कौथुमीय गुजरात तथा मिथिला में एवं राणायणीय महाराष्ट्र प्रदेश में प्रधान रूप से प्रचलित है। डब्ल्यू कैलेंड (W. Caland) ने 1907 में जैमिनिसंहिता का एक संस्करण निकाला था। इसे "तलवकार" संहिता भी कहा जाता है।

        जैमिनी ब्राह्मण यह मुख्यत: तीन भागों में विभिक्त है, जिसके प्रथम भाग में 360, द्वितीय भाग में 437 और तीसरे भाग में 385 खण्ड हैं। कुल खण्डों की संख्या है 1182। बड़ौदा के सूची-ग्रन्थ में इसका एक अन्य परिमाण भी उल्लिखित है, जिसके अनुसार उपनिषद ब्राह्मण को मिलाकर इसमें 1427 खण्ड हैं। 



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