जीवन है तो संघर्ष है।
" मेरी दृष्टि में " प्रकृति का प्रथम कर्म संघर्ष है। जो संघर्ष करना सीख गया। वह हर क्षेत्र में सफल रहता है
- बीजेन्द्र जैमिनी
(अशेष फीचर )
वृद्धाश्रमों की आवश्यकता दिनों दिन बढती जा रही है । जो चिंता का विषय है । परिवार दिनों दिन टूट रहे हैं । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - भारत की सनातन भारतीय संस्कृति संयुक्त परिवार की है । समाज में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से देश में परिवर्तन आया है । संयुक्त परिवार एकल परिवार में बदल गए । परिवार में बड़े , बूढ़ों की अवेहलना होने लगी और उनकी अहमियत शनैःशनैः खत्म होने लगी । मानव में मूल्यों , संस्कारों का ह्रास होने लगा । माता -पिता जिन्होंने संतान को स्वाबलंबी , आत्मनिर्भर बनाया । उन्हीं की औलाद अपने माता -पिता को बोझ मानते हैं । वे अपने संग रखना पसंद नहीं करते हैं । बुढापे में बच्चों की सेवा की जरूरत होती है तो वे बच्चे सेवा करना पसंद नहीं करते है । सन्तान को उनकी बात भी बुरी लगती है । माता - पिता की सेवा न करने से सन्तान आजाद रहना चाहती है इसलिए उन्हीं की संतान उन्हें वृद्धाश्रम में रखना पसंद करते हैं । समाज में यही नकारकात्मक भाव परिवार में पैदा होरहे हैं । सन्तान भूल जाती ह
अब तक का सबसे बड़ा ई- लघुकथा संकलन , आपके सामने है । जो एक सौ एक (101) लघुकथाकारों की ग्यारह सौ ग्यारह (1111) लघुकथाओं का ई - संकलन तैयार हुआ है । यह भारतीय लघुकथा विकास मंच की " एक लेखक की ग्यारह लघुकथाएं श्रृंखला " के अन्तर्गत सम्पादन किया गया है । जिसमें , इस संकलन के अतिरिक्त " ई - लघुकथा संकलन " इस प्रकार है : - महाराष्ट्र के प्रमुख हिन्दी लघुकथाकार मुम्बई की प्रमुख हिन्दी महिला लघुकथाकार मध्यप्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार हिन्दी की प्रमुख महिला लघुकथाकार हरियाणा के प्रमुख लघुकथाकार दिल्ली के प्रमुख लघुकथाकार भोपाल के प्रमुख लघुकथाकार राजस्थान के प्रमुख लघुकथाकार उत्तर प्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार झारखंड के प्रमुख लघुकथाकार बाकी भविष्य में भी इसी प्रकार के संकलन आने की सभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है । समय के अनुसार , कब क्या होगा ? यह कोई नहीं बता सकता है ! फिर भी आने की सभावना अवश्य रखता हूँ । इसी विश्वास के साथ आगे बढ रहा हूँ । हरियाण
यह सफर लघुकथा - 2018 से शुरू हुआ । जो लघुकथा - 2019 , लघुकथा - 2020 , लघुकथा - 2021 ,लघुकथा - 2022 व लघुकथा- 2023 आपके सामने ई - लघुकथा संकलन के रूप में है । ये बेजोड़ श्रृंखला तैयार हो रही है।लघुकथाकारों का साथ मिलता चला गया और ये श्रृंखला कामयाबी के शिखर पर पहुंच गई । सफलता के चरण विभिन्न हो सकते हैं । परन्तु सफलता तो सफलता है । कुछ का साथ टूटा है कुछ का साथ नये - नये लघुकथाकारों के रूप में बढता चला गया । समय ने बहुत कुछ बदला है । कुछ खट्टे - मीठे अनुभव ने बहुत कुछ सिखा दिया । परन्तु कर्म से कभी पीछे नहीं हटा..। स्थिति कुछ भी रही हो । जीवन में बहुत सिखा है । यह अनुभव अनमोल है। लघुकथाकारों के साथ पाठकों का भी स्वागत है । अपनी राय अवश्य दे । भविष्य के लिए ये आवश्यक है । आप सबकी प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा में ......। आप का मित्र बीजेन्द्र जैमिनी सम्पादक
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