समकालीन हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार
" हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार " ( ई - लघुकथा संकलन ) का सम्पादन बीजेन्द्र जैमिनी ने किया है । जिसमें एक सौ एक लघुकथाकारों ने भाग लिया है । जो ग्यारह सौ ग्यारह लघुकथाओं का संकलन बना है । जो हिन्दी लघुकथा साहित्य में अब तक का विश्व रिकार्ड है। सभी लघुकथाकार समकालीन है । जो पूरे भारत क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है । जो इस प्रकार हैं : -
001. राजकुमार निजात - सिरसा - हरियाणा
002. ज्ञानदेव ' मुकेश ' - पटना - बिहार
003. डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल - इन्दौर - मध्यप्रदेश
004. अपर्णा गुप्ता - लखनऊ - उत्तर प्रदेश
005. कंचन शर्मा ' कौशिका ' - गुवाहाटी - असम
006. डॉ. मिथिलेश दीक्षित - लखनऊ - उत्तर प्रदेश
007. ज्योतिर्मयी पंत - गुरुग्राम - हरियाणा
008. सीमा वर्मा - लुधियाना - पंजाब
009. सरला मेहता - इन्दौर - मध्यप्रदेश
010. अशोक दर्द - चम्बा - हिमाचल प्रदेश
011. विजय ' विभोर ' - रोहतक - हरियाणा
012. डॉ. चन्द्रावती नागेश्वर - रायपुर - छत्तीसगढ़
013. रीतु प्रज्ञा - दरभंगा - बिहार
014. डॉ. मंजुला हर्ष श्रीवास्तव ' मंजुला ' - रायपुर - छत्तीसगढ़
015. कमला अग्रवाल - गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
016. चित्तरंजन गोप ' लुकाठी ' - धनबाद - झारखंड
017. प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़ - गोधरा - गुजरात
018. वंदना पुणतांबेकर - इन्दौर - मध्यप्रदेश
019. मीरा जैन - उज्जैन - मध्यप्रदेश
020. डॉ. विनोद नायक - नागपुर - महाराष्ट्र
021. सुकेश साहनी - बरेली - उत्तर प्रदेश
022. डॉ. क्षमा सिसोदिया - उज्जैन - मध्यप्रदेश
023. डॉ. अरविंद श्रीवास्तव ' असीम ' - दतिया - मध्यप्रदेश
024. डॉ. संध्या तिवारी - पीलीभीत - उत्तर प्रदेश
025. भरत चन्द्र शर्मा - बॉसवाड़ा - राजस्थान
026. डॉ. पूनम देवा - पटना - बिहार
027. कैलाश ठाकुर - नंगल टाउनशिप - पंजाब
028. डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई - देहरादून - उत्तराखंड
029. अलका जैन आनंदी - मुंबई - महाराष्ट्र
030. कनक हरलालका - धूबरी - असम
031. कुसुम पारीक - वलसाड - गुजरात
032. हेमलता मिश्र ' मानवी ' - नागपुर - महाराष्ट्र
033. नीना छिब्बर - जोधपुर - राजस्थान
034. सतीश राठी - इन्दौर - मध्यप्रदेश
035. नीलम नारंग - हिसार - हरियाणा
036. विरेंदर ' वीर ' मेहता - लक्ष्मी नगर - दिल्ली
037. सेवा सदन प्रसाद - मुंबई - महाराष्ट्र
038. मनोरमा जैन पाखी - भिण्ड - मध्यप्रदेश
039. डॉ. अंजु लता सिंह ' प्रियम ' - सैदुलाजाब - दिल्ली
040. डॉ. राधेश्याम भारतीय - घरौड़ा - हरियाणा
041. भगवान वैध ' प्रखर ' - अमरावती - महाराष्ट्र
042. सुषमा दीक्षित शुक्ला - लखनऊ - उत्तर प्रदेश
043. रेखा मोहन - पटियाला - पंजाब
044. डॉ. मुक्ता - गुरुग्राम - हरियाणा
045. निहाल चन्द्र शिवहरे - झांसी - उत्तर प्रदेश
046. रेणु गुप्ता - जयपुर - राजस्थान
047. रामकरन - बस्ती - उत्तर प्रदेश
048. प्रवेश स्वरूप खरे " आकाश " - पीलीभीत - उत्तर प्रदेश
049. विजय जोशी ' शीतांशु ' - खरगोन - मध्यप्रदेश
050. विजयानंद विजय - बक्सर - बिहार
051. डॉ. भूमिका श्रीवास्तव - बैगलोर - कर्नाटक
052. रेनु चौहान - जनकपुरी - दिल्ली
053. भगीरथ परिहार - रावतभाटा - राजस्थान
054. डॉ. संगीता शर्मा - हैदराबाद - तेलंगाना
055. डॉ. अखिलेश पालरिया - अजमेर - राजस्थान
056. आभा सिंह - जयपुर - राजस्थान
057. डॉ. आदर्श प्रकाश - उधमपुर - जम्मू कश्मीर
058. सुनीता यादव - भोपाल - मध्यप्रदेश
059. राम मूरत ' राही ' - इन्दौर - मध्यप्रदेश
060. डॉ. लता अग्रवाल - भोपाल - मध्यप्रदेश
061. हीरा सिंह कौशल - मण्डी - हिमाचल प्रदेश
062. डॉ. सरला सिंह " स्निग्धा " - मयूर विहार - दिल्ली
063. डॉ. भूपेन्द्र कुमार - बिजनौर - उत्तर प्रदेश
064. मधुलिका सिन्हा - कोलकाता - पं. बंगाल
065. बीजेन्द्र जैमिनी - पानीपत - हरियाणा
066. डॉ. चंद्रा सायता - इन्दौर - मध्यप्रदेश
067. अनिल शर्मा अनिल - धामपुर - उत्तर प्रदेश
068. कल्पना मनोरमा - द्वारका - दिल्ली
069. कान्ता रायँ - भोपाल - मध्यप्रदेश
070. सुनीता रानी राठौर - गौतम बुद्ध नगर - उत्तर प्रदेश
071. अनिता रश्मि - रांची - झारखंड
072. अशोक वर्मा - लाजवंती गार्डन - दिल्ली
073. सीमा भाटिया - लुधियाना - पंजाब
074. प्रबोध कुमार गोविल - जयपुर - राजस्थान
075. आशा शैली - नैनीताल - उत्तराखंड
076. सत्य प्रकाश भारद्धाज - बांकनेर - दिल्ली
077. श्रुत कीर्ति अग्रवाल - पटना - बिहार
078. महेश राजा - महासमुंद - छत्तीसगढ़
079. प्रियंका श्रीवास्तव ' शुभ्र ' - पटना - बिहार
080. डॉ. पूरन सिंह - वेस्ट पटेल नगर - दिल्ली
081. प्रज्ञा गुप्ता - बॉसवाड़ा - राजस्थान
082. आचार्य डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार ' वीर ' - बालाघाट - मध्यप्रदेश
083. गीता चौबे " गूँज " - रांची - झारखंड
084. अनिल शूर आजाद - विकासपुरी - दिल्ली
085. विभा रानी श्रीवास्तव - पटना - बिहार
086. सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा - साहिबाबाद - उत्तर प्रदेश
087. संतोष गर्ग - पंचकूला - हरियाणा
088. सतेन्द्र शर्मा ' तंरग ' - देहरादून - उत्तराखंड
089. संगीता गोविल - पटना - बिहार
090. डॉ. छाया शर्मा - अजमेर - राजस्थान
091. मोनिका सिंह - चम्बा - हिमाचल प्रदेश
092. ज्योति वधवा " रंजना " - बीकानेर - राजस्थान
093. कल्याणी झा ' कनक ' - रांची - झारखंड
094. कल्पना भट्ट ' रौनेक ' - भोपाल - मध्यप्रदेश
095. प्ररेणा गुप्ता - कानपुर - उत्तर प्रदेश
096. पूर्णिमा मित्रा - बीकानेर - राजस्थान
097. अलका पाण्डेय - मुम्बई - महाराष्ट्र
098. गोकुल सोनी - भोपाल - महाराष्ट्र
099. कमल कपूर - फरीदाबाद - हरियाणा
100. अजय कुमार गोयल - गंगापुर सिटी - राजस्थान
101. पुष्पा पाण्डेय - रांची - झारखंड
यह ई - लघुकथा संकलन ब्लॉग या गुग्गल आदि पर आसानी से मिल जाता है ।
इस संकलन पर आये कुछ विचार : -
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👏👏👏👏अद्भुत अद्भुत अद्भुत 👏👏👏👏
आदरणीय जैमिनी जी आपके द्वारा लघुकथा के इस संकलन द्वारा लेखकों और पाठकों जो सौगात दी गयी है वह अनुपम है।
इस कार्य हेतु आपका हृदय से आभार व्यक्त करता करते हुए आपकी साहित्यिक साधना को नमन करता हूँ।
लघुकथा विधा में यह संकलन निश्चित रूप से एक मील का पत्थर है।
🙏🙏सादर प्रणाम ।
- सतेन्द्र शर्मा ' तरंग '
देहरादून - उत्तराखंड
( फेसबुक से साभार )
बीजेंद्र भाई..ई-संकलन "हिंदी के प्रमुख लघुकथाकार" का सफल प्रकाशन निश्चय ही आपके एक बड़े कार्य के रूप में गिना जाएगा। इसके लिए आपको तथा शामिल हुए सभी साथियों को भी, बहुत बधाई!👍
- अनिल शूर आजाद
विकासपुरी - दिल्ली
( फेसबुक से साभार )
यह ऐतिहासिक प्रयास है...इस विशेष संपादन के लिए आपको बधाई व शुभकामनाएं ।
आपने अपने संकलन में मेरी रचनाओं को स्थान दिया इसके लिए आत्मीय अभिनंदन आपका
- राजकुमार निजात
सिरसा - हरियाणा
( फेसबुक से साभार )
आपका अनथक प्रयास सराहनीय है इस ऐतिहासिक कार्य के लिए हार्दिक 🎊 🎊 🎊 🎊 बधाई एवं शुभकामनाएं जी 🙏 🙏 🙏 🙏 ।आपने हमें शामिल किया इसके लिए आपका आभार जी 🙏 🙏 🙏
- हीरा सिंह कौशल
मण्डी - हिमाचल प्रदेश
( फेसबुक से साभार )
बिजेंद्र जी आपके अथक प्रयास का फल इतने बडे़ ई - संकलन की सफलता के लिए अनेकानेक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹🌹
सभी रचनाकारों को उनकी इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई 🌹🌹
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
( फेसबुक से साभार )
आदरणीय आप ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है इतना बड़ा ई संकलन निकाल कर। आप का यह प्रयास बहुत सराहनीय है। आप को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।इस संकलन में शामिल सभी रचनाकारों को बहुत बहुत मुबारकें और शुभकामनाएं।
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाऊनशिप - पंजाब
( फेसबुक से साभार )
आपकी हिम्मत, मेहनत और जज़बे को सलाम। इस महान कार्य की उपलब्धि के लिए आप को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय।यह आने वाली पीढ़ियों के लिए महान दस्तावेज होगा।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🌹
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाऊनशिप - पंजाब
(WhatsApp से साभार )
भाई बीजेंद्र जैमिनी जी आपको बधाई। लघुकथा के विकास में आपका योगदान अविस्मरणीय। सभी लेखक साथियों को बधाई और अनंत शुभकामनाएं! 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
- डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल
इन्दौर - मध्यप्रदेश
( WhatsApp से साभार )
नमन है आपको और आपके इस प्रयास को सर। यह संकलन एक इतिहास बनेगा। मुझे बहुत गर्व और खुशी है कि मेरी रचनाएँ इसका एक पन्ना है।
मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय 🙏🏻🙏🏻
- मधुलिका सिन्हा
कोलकाता - प. बंगाल
( WhatsApp से साभार )
प्रिय भाई जैमिनी जी
बहुत ही लगन और समर्पण के साथ लघुकथा विधा को लेकर आपने इतना बड़ा और महत्वपूर्ण काम किया है। 1100 से अधिक पृष्ठों की यह ई पुस्तक एक रिकॉर्ड के रूप में सामने आई है। मेरे विचार में इतना बड़ा लघुकथा को लेकर काम अभी तक किसी ने नहीं किया है। तकनीक का उपयोग कर इतना बड़ा काम करना अपने आप में महत्वपूर्ण है। यह विश्व रिकार्ड के रुप में सामने आया है। आपको एवं इसमें शामिल समस्त लघुकथाकारों को मेरी हार्दिक बधाई।
आपका
सतीश राठी
इन्दौर - मध्यप्रदेश
( (WhatsApp से साभार )
101 लघुकथा लेखकों का परिचय और 1111 लघुकथाओं का संकलन, बहुत बड़ा काम हुआ है। मेरी आयोजक जैमिनी जी को सलाह है कि आप गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसे दर्ज कराने के लिए आवेदन करें।
- रजनीश दीक्षित
वडोदरा - गुजरात
( फेसबुक से साभार )
वाह बन्धुवर,एक विशाल कार्य आपने संपादित और संपन्न कर दिखाया। अभिनन्दन। लघुकथा-संग्रहों मैं एक मील का पत्थर!अभिनव और अभूतपूर्व!पुनश्च बधाई। मुझे इसमें सम्मिलित करने केलिए आभार।
- भगवान वैद्य 'प्रखर'
अमरावती - महाराष्ट्र
( फेसबुक से साभार )
आपके सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई व अनंत शुभ कामनाएं। वास्तव में यह विशेषांक साहित्यिक कुम्भ है,जिसमें देश के विभिन्न कथाकारों ने आहुति डाली है।पुन:आभार।
- डॉ. मुक्ता
पूर्व निदेशक : हरियाणा साहित्य अकादमी
( WhatsApp से साभार )
आपका अनंत आभार । आपकी हिन्दी साहित्य के प्रति समर्पण के लिए नमन ।मेरी लघुकथाओं को शामिल करने के लिए मैं आपका हार्दिक अभिनंदन करते हुए आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ । हिन्दी साहित्य जगत को आप धुव्र तारे की तरह अपने प्रकाश से आलोकित करते रहें ।
- निहाल चन्द्र शिवहरे
झांसी - उत्तर प्रदेश
( WhatsApp से साभार )
आदरणीय जैमिनी जी,
सादर नमस्कार,
लघुकथा के प्रति आपका समर्पण सचमुच अद्वितीय हैं। आपने हिंदी लघुकथाकारों की लघु कथाओं का संकलन कर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। हिंदी साहित्य के वर्धन के प्रति आपका जुनून स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है। हिंदी लघुकथाओं के प्रति आपका सर्जनात्मक कार्य प्रशंसनीय है। आपको और आपकी टीम को हार्दिक बधाई व अनंत शुभकामनाएं।
- प्रज्ञा गुप्ता
बाँसवाड़ा (राज.)
( WhatsApp से साभार )
काम करते हुए खुला मन रखने वाले ही सही मायने में अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं।
बहुत बहुत बधाई आदरणीय बीजेन्द्र जी को।
अपनी तरह से आपके सभी कार्य अनूठे हैं।
- कान्ता रॉय
भोपाल - मध्यप्रदेश
( फेसबुक से साभार )
आपका अनंत आभार । आपकी हिन्दी साहित्य के प्रति समर्पण के लिए नमन ।मेरी लघुकथाओं को शामिल करने के लिए मैं आपका हार्दिक अभिनंदन करते हुए आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ । हिन्दी साहित्य जगत को आप धुव्र तारे की तरह अपने प्रकाश से आलोकित करते रहें । आपका लेखकों की संख्या 101 व लघुकथा की संख्या 1111 एक आध्यात्मिक सांकेतिक दृष्टिकोण की ओर भी ध्यानाकर्षित करता है। इसे करवाने वाले गोड पार्टिकल का भी आशीर्वाद है।
बहुत बहुत बधाई।
- विजय जोशी ' हिमांशु '
महेश्वर - खरगौन - मध्यप्रदेश
( फेसबुक से साभार )
पुस्तक - हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार (ई- लघुकथा संकलन)
संपादक- बीजेन्द्र जैमिनी
समीक्षक- पम्मी सिंह 'तृप्ति'
यह लघुकथा एक हद तक मानवीय संवेदनाओं के साथ सामाजिक अवमूल्यन, विरोधाभास परिस्थितियों को समेटे है। समाज के प्रचलित, अप्रचलित विषयों के साथ नित्य घटनाओं के अनेक रूपों को लघुकथा के माध्यम से यहाँ वर्णित किया गया है। जैसा कि हम सभी जानते है साहित्य के क्षेत्र में वक्त का अपना महत्व है और यह भविष्य की पीढियों के लिए यह एक प्रमाणित दस्तावेज के रूप में स्थापित हो सकता है। एक सौ एक (101) लघुकथाकारों की ग्यारह सौ ग्यारह (1111) लघुकथाओं से संकलित लघुकथा संवेदनाओं और भावनाओं का सागर है, जो एक नई व्यापक दृष्टि देतीं है।करोना काल में ई-लघुकथा का संकलन बदलते दृष्टिकोण और समय की मांग है। बीजेन्द्र जेमिनी जी की संपादकीय कार्य समयानुसार सर्वांगीण बहाव के साथ एक जिम्मेदारी का भी अहसास कराती है। विगत कुछ वर्षो से उनके संपादन में कई कविताओं, विषयपरक कथाओं, लघुकथाओं से गाहे बगाहे परिचित होती रही हूँ पर यहाँ देश ,विदेश ,राज्य के अनुसार लेखकों का चयन, निश्चय ही सोच के विस्तार को प्रतिविम्बित कर रही है। रचनाकारों की छवि संग साहित्यिक परिचय क्रमानुसार लघुकथा के शीर्षक शब्द-शिल्प के साथ कलात्मकता के परिचायक प्रतीत हो रहे हैं।
लाला भइया करने के बजाय राजकुमार निजात जी की 'कट्टरता'में मानवीय मूल्यों को नयी पीढी के द्वारा बखूबी दिखाया गया है। ज्ञान देव मुकेश जी की 'पास की दूरियां वर्तमान समय की रूप रेखा को दिखा रही है तो ' स्वार्थ की तेरहवीं ' "जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई '' कहावत को चरितार्थ कर रही अर्थात उनकी तेरहवीं कुछ ज्यादा ही लंबी चलती है।
योगेंद्र शुक्ल जी की चाकलेट डे लघुकथा वर्तमान पीढियों पर पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव को दिखाया गया है,
“आप टीवी नही देखते....? क्या अंकलजी आप भी....!”
इसी तरह 'मोह के बंधन','ख्वाहिश' लघुकथा मानवीय मूल्यों को दर्शाता है। करोना काल से संबंधित विषय और रिश्तों के बदलते मौसम को डॉ मिथिलेश दीक्षित जी की 'सुरक्षा कवच ' सफल रही हैं। ज्योतिर्मयी पंत जी की 'अनोखा रिश्ता ' के वाक्यांश 'सुनो बहन !हमारा रूप ही दोषी है।' सुप्त संवेदनाओं में हलचल पैदा कर रही है। अशोक दर्द जी की लघुकथा 'आदमी और कुत्ते' में प्रतिकात्मक लेखन के जरिये संदेश दिया है। 'हमारी जात को गलियां क्यों बक रहे हैं'। डॉ मंजूला हर्ष जी, 'ट्रेलर' प्रकृतिक अवमूल्यन की भयावहता को इंगित करती वही 'दिये की अभिलाषा' के जरिये कमला अग्रवाल जी संदेश देने में सफल रही।'टी वी के किसान ' "बेटी, ऐसी कौन-सी योजना है जो किसानों के चेहरे पर इस तरह की...?" संदेश प्रभावी ढंग से संप्रेषित हो रही है। 'फैसला' स्त्रियोचित स्वभाव के हद को दिखाने में सफल रही। ध्यानाकर्षित करती शीर्षक ' ठहाके गिरफ्त में ' शब्द- शिल्प बहुत सुंदर पर टंकण त्रुटियां से प्रवाह गिरफ्त में हो रही है।
'साहब पैसे कील के नही जूते उठाने के लेता हूँ' वाक्यांश द्वारा डॉ भूपेन्द्र कुमार जी की लघुकथा ' जूते की कील ' मीर साबित हो रही है। ' मेरी नजर में "दरोगा जी" ही बड़ा है।' वाक्य से लघुकथाकार विजेन्द्र जेमिनी जी बखूबी दाने - दाने पर मोहर जिक्र किए गए हैं। सतीश राठी जी, की 'रैली" लघुकथा की उदृत पंक्ति 'हम तो इंतजार कर रहे हैं सरकार का संयम टूटने' समसामयिक विषय,राजनीतिक महत्वकांक्षा पर सटीक प्रहार है।
इस लघुकथा के महासमर से गुजरने में करीब सात दिन लग गयें। हर पन्ने पर विचार विमर्श किया जा सकता है।"आप कहाँ खो गए? मैं , अपनी गलती स्वीकार तो करती हूँ। लेकिन उन एक सौ पैतालीस लोगों को क्या कहूँ जिन्होंने एमोजन को दिए इसके फीडबैक को पसन्द किया और इसे सही ठहराते हुए शाबासी दिया।" विभा जी ने सांकेतिक भाव में दोहरी सोच को दर्शाया है।
'डील' लघुकथा ऑफिस के सभ्याचार विवेचन योग्य है। संतोष गर्ग जी की 'छोटी सी बात' परिपक्व सोच के साथ जिम्मेदारी की अहसास कराने में सफल हो रही है। 'भीड़भाड़ में अंतर ' लघुकथा की "पिताजी! देखिये, यहां पर भी कितनी भीड़ है। वाक्य मानवीय संवेदनाओं पर गहरा कुठाराघात है जो बदलते परिवेश में गहरी चिंतन का विषय है। संगीता जी 'सम्बल' लघुकथा मन मष्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालने में सफल रही कि, "आप तब भी नहीं थे और आज भी आपकी आवश्यकता नहीं है"। इस संग्रह में शामिल प्रत्येक लघुकथा का विशेष महत्व है किंतु 'पेट का तमाशा', 'वसुधैव कुटुम्बकम' , 'गुरुर' , 'वुमरैंग', 'मर्यादा हनन', 'शतरंज का वजीर' कथानक के साथ शीर्षक भी न्याय करती है। 'सबक' पूर्णिमा मित्रा जी की बेहतरीन लघुकथा है संवाद शैली में ,'नदी किसी क्वांरी कन्या सी चुलबुली सी गैरजिम्मेवार और समुद्र किसी विवाहिता की तरह कर्तव्य और मर्यादा की श्रृंखला से बंधीहुयी', उत्कृष्ट शब्द भाव को चित्रण करने सफल हो रही है। गोकुल सोनी जी ,'कैरियर' लघुकथा बाल मनोभावों प्रतीकात्मक रूप में दिखाया गया।
'ए बंदर...जल्दी नाच.. तुझे फर्स्ट आना है. देखो सो मत जाना. तुझे आर्टिस्ट बनना है, सिंगर बनना है'
वहीं 'एक्लव्य' लघुकथा आरक्षण से प्रभावित एक वर्ग के दर्द को विशेष अंदाज में भी उकेरा गया है। कान्ता रॉय जी की लघुकथा ,'क़ागज़ का गाँव' सरकारी महकमे के निष्क्रियता और हवा महल बनाने की ओर इंगित कराने का सार्थक प्रयास है।
कई रचनाकारों के नाम नहीं दे पायी उन सबों से क्षमाप्रार्थी हूँ,पर सभी रचनाएँ असर छोड़ने में कामयाब रही है।
कुछ लघुकथाएँ सपाट कथन भी बन पड़ीं है पर शब्द विविधता,लेखन शैली पर सदैव मतभिन्नता बनीं रहतीं है ,यह भी अपवाद नहीं है। यह लघुकथा संकलन विशिष्ट स्थान बनाने में सक्षम। नव लघुकथाकार, स्थापित लघुकथाकारो के बीच रचना प्रक्रियाओं को प्राथमिकता दी गई है।बेजोड़ श्रमसाध्य सफल योजना। बीजेन्द्र जी
लघुकथा के प्रति उनकी सजग गांभीर्य किस्म की प्रतिबद्धता है। इन सभी रचनाओं से गुजरते हुए कई किरदारों, घटनाओं के संदेश दे रही हैं। अन कहे कुछ शब्द, भाव और संदेश कई लघुकथा में अपना वजूद बनाने में सक्षम है।
इस संग्रह के अतुलनीय श्रम के लिए बधाई। मीर तक़ी मीर के शे'र जिक्र कर रही
"बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो
ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो"
धन्यवाद।
- पम्मी सिंह 'तृप्ति'
द्वारका - दिल्ली
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