शरद चंद्र बोस स्मृति सम्मान - 2025
सबकी अपनी-अपनी जिंदगी है, सबका अपना-अपना कर्म है इसलिए किसी से जलने का सवाल ही पैदा नहीं होना चाहिये. दूसरों को देख कर जलने से कुछ फायदा नहीं होने वाला. बल्कि अपना नुकसान ही होगा. अपना क़ीमती समय बर्बाद होगा.जो जैसा कर्म किया है उसको वैसा फल मिला है इसमें जलने से क्या फायदा. जब तक दूसरों को देख कर जलेंगे तब तक अपने लिए कुछ कर सकते हैं. बहुत से लोग है जो किसी की भी नहीं सुनते हैं अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीते हैं. ये जिंदगी दुबारा मिलने वाली नहीं इसलिए इसे अपने हिसाब से ही जीना चाहिए.जो अच्छा लगे वही करना चाहिए. पर मर्यादा में रहकर. बिना किसी का दिल दुखाये .
- दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
कहते हैं कि जलन या ईर्षा वो ऐसा कीड़ा है जो एक बार किसी की जिंदगी मैं प्रवेश कर जाए तो जिंदगी तबाह हो जाती है !! व्यक्ति अपनी जिंदगी को छोड़कर दूसरे की तरक्की से जलने लगता है , हर समय तुलना के तराजू में अपनी जिंदगी और अन्य की जिंदगी को तोलने लगता है !व्यक्ति ये भूल जाता है कि उसे क्या हासिल करना है , वो सोचने लगता है कि दूसरे व्यक्ति ने कितना ज्यादा हासिल कर लिया !!जलन के कारण व्यक्ति वक्त से पहले ही बूढ़ा लगने लगता है !! व्यक्तिगत रूप से मैं न किसी से जलती हूं , न अपनी तुलना किसी अन्य से करती हूं !!अपने हिसाब से जीती हूं अपनी जिंदगी !जो नहीं जलते अन्य से , वे ही एक खुशहाल जिंदगी जी पाते हैं !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
मानव जीवन एक पहली है, किसी-किसी का आदतन स्वभाव होता है, किसी को देखकर जलते रहते है, स्वयं तो अपने बलबुते पर आगे तो बढ़ नहीं सके, समय पास करते रहेंगे, इसकी-उसकी बुराई करते रहेगें, अपने आप को देख नहीं सकते दूसरों के पीछे पड़े रहेंगे। ना किसी से जलते.हैं ना किसी को डराते हैं, हम अपनी जिंदगी अपने हिसाब से चलाते है, यही जीवन प्रसंग का स्वतंत्र निष्पक्ष पहली है, हम.वर्तमान सोच कर जीते है, कई भविष्य काल के बारे में सोच कर जीते है, व्यवहारिकता जीवन का मूल स्वरूप है, जिसने अपनी इंद्रिया वश में कर ली, उसने सब कुछ जीत लिया, बस जीवन को चलाने की कला आनी चाहिए ।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
ना किसी से जलते है ना किसी को डरते है !ईश्वर का दिया सब कुछ है ! हमारे पास है उसकी क्रद करे!संतुष्टि परम लक्ष्य मान चलते सुकून की जिंदगी जीते है औरों को जीना सिखाते है साँच को आँच नहीं कहावतों को चरितार्थ करने में कमी नहीं करते है! और नहीं किसी से डरते है ! क्योंकि दुनिया ने ही हमे वो नाम दिया है!कर भला तो होगा भला ,जीतोगे तो अपने लिए और हारोगे तो भी अपने लिए तुम्हारे कर्म ही सत्य का आईना है ! आईना टूट कर बिखर भी जाए तो हर टुकड़ों में आप ही नजर आयेंगे !समेटने की आपको जरूरत नहीं आप तो देने यकीन करते है ! और प्यार स्नेह आशीर्वाद ले कर आप अपनी जगह औरों की राहे मजबूत बनाते ! “सर्वे भवंती सुखना “संदेश ले उस जगह पहुँच बनाए रखते जहाँ आपकी जरूरत होती है ! राम की तरह सोचते है ,दिल में छिपे रावण का नाश करते है !तव इंसान रावण मय गुनों का त्याग कर अंतिम काल में रावण मय इंसान भी कहता है मैं चरित्रवान बुद्धिमान और ज्ञानी मित्र राम तुम मैं , मैं सदचरित्रवान तुममें ईर्ष्या बदले की भावना नहीं सदचरित्रवान गुणों की परख है विश्वास की नींव को मजबूत बनाते , कहते हो बुद्धि की परख आप में है !राम कहते- लंका पति रावण राजा नहीं जनसेवक हूँ ! लक्ष्मण की इच्छा के विरुद्ध भी ज्ञान की महत्वता तर्क कर लक्ष्मण को अपना आत्म विश्वासी बनाया । तब लक्ष्मण से कहा -शिक्षाविद रावण ही आपके गुरु होंगे ! ऑर आप स्वयं गुरु ना बन ,अपने छोटे भाई लक्ष्मण को शिष्य बना मेरे पास भेजा !तभी रावण ने महाकाल से कहा मुझे मेरे मुक्ति का मार्ग मिल गया है! मैं राम के भ्राता लक्ष्मण को बुद्धि ज्ञान की देवी ली गई शिक्षा देकर आता हूँ !
ना हम किसी से जलते है
ना हम किसी को डरते है !
हम तो अपनी जिंदगी
अपने हिसाब से लेकर चलते थे
मेरे विचार सज्ञान दीजिएगा
निपट अज्ञानी मिथिला नारी
- अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
" ना किसी से जलते हैं ना किसी को डराते हैं। हम अपनी जिंदगी अपने हिसाब से चलाते हैं। " ये ऐसे सुंदर और निर्मल भाव है जो समाज में समरसता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। ऐसी सोच और भाव रखने वाले वंदनीय हैं अनुकरणीय हैं। समाज में सभी ऐसे भाव रखने वाले हो जावें तो सभी के जीवन से अनावश्यक संघर्ष स्वत: समाप्त हो जाए। क्योंकि हमारे जीवन में अनावश्यक संघर्ष ऐसी सोच और भाव न रखकर, ईर्षालू, झगड़ालू प्रवृत्ति वाले होते हैं जो सामाजिक सौहार्द्रता में विघ्न डालने का काम करते हैं। माहौल को अशांत और अस्थिर करते हैं।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
किसी का व्यवहार उसके स्वभाव से ही झलकता है। कहते हैं ना "व्यक्ति का व्यक्तित्व" उसके आचरण से होता है। कई लोग ऐसे होते हैं जो किसी का अच्छा देख कभी जलन नहीं करते वे अपनी मेहनत की कमाई से अपने पास जो हो उसी में संतुष्ट रह अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीते हैं।किंतु किसी का आचरण ऐसा होता है जो मेहनत किए बिना ऐसो आराम की जिंदगी जीना चाहता है वह भी लूटपाट और डरा धमकाकर। दूसरों से जलन ईर्ष्या की भावना हमें रखनी ही नहीं चाहिए। बिना परिश्रम किए हम सुख नहीं पा सकते। कर्मशील और परिश्रमी व्यक्ति कभी दुखी नहीं होते। जो व्यक्ति किसी पर आश्रित नहीं होते वे अपना जीवन अपने हिसाब से जीते हैं।
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
मैं अपने कर्म पर विश्वास करता हूं।पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अपने क्षेत्र में कार्य करता हूं।मैंआगे बढ़ने के लिए सतत् प्रयत्नशील रहता हूं।मैं हिसाब से जीता हूं,हिसाब से चलता हूं,अपने जीवन के नैया को स्वयं पार करता हूं।कोई सुख में भी है,तो मुझे कोई परवाह नहीं है।मैं उससे नहीं जलता हूं। मैं अकारण किसी को डराता भी नहीं हूं। इस प्रकार स्पष्ट है कि मैं अपनी जिन्दगी अपने हिसाब से चलाता हूं।
- दुर्गेश मोहन
पटना -बिहार
हम न तो दूसरों से ईर्ष्या रखते हैं, न ही किसी को डराने-धमकाने की आदत रखते हैं। यानी हमारा स्वभाव साफ और सच्चा है। हम बिना किसी दिखावे या दिखावटी प्रतिस्पर्धा के, अपनी ज़िंदगी अपनी सोच और मूल्यों के अनुसार जीते हैं।“ईर्ष्या और भय से परे रहकर, अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्र विचारों के साथ जीना ही सच्चा जीवन है।”जीवन को ईर्ष्या और भय से मुक्त रखकर जीना चाहिए।दूसरों से तुलना या प्रतिस्पर्धा करने के बजाय, अपनी शर्तों और मूल्यों पर जीना ही सच्ची आज़ादी है।यह पंक्ति आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी व्यक्तित्व का परिचय कराती है।अगर इसे एक प्रेरक संदेश की तरह देखा जाए तो यह युवाओं को जीवन जीने का सही मार्ग दिखाता है —“ना ईर्ष्या करो, ना किसी पर दबाव डालो; बस अपने सिद्धांतों के साथ, आत्मसम्मान से जीवन जियो।”
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जीवन जीने का एक ही तरीका नहीं होता, हर व्यक्ति अपने जीवन को अपने ढंग से जीना चाहता है लेकिन जिंदगी में कुछ उलझनें इंसान खुद ही खरीद लेता है जिससे जीवन उथल पुथल होने लगता है लेकिन कुछ लोग अपनी जिंदगी को अपने ढंग से ही जीते हैं वो न किसी से डरते हैं और न किसी को डराते हैं लेकिन जिंदगी को अपने हिसाब से चलाते हैं, आज चर्चा इसी विषय पर शुरू करते हैं कि हमें किसी से न जलते हैं न किसी से डरते हैं हम अपनी जिंदगी अपने हिसाब से चलाते हैं, अगर देखा जाए जीवन जीने का सबसे आसान तरीका यही है कि खुद को प्रकृति और परमात्मा को समर्पित करके आजाद हो कर अपने जीवन के सफर को तय किजिए और अपने साहस और साकारात्मक सोच और आत्मविश्वास को अपने साथ रख कर आगे बढ़ते चलो, न किसी को देख कर जलो न किसी से डरो खुद ही अपने गाइड बन कर अपना कदम बढ़ाते चलो, किसी की फिक्र किए बिना किसी के डरे बिना खुद के फैसले लेकर अपनी बागडोर अपने हाथ में लेकर अपने पथ पर चलते रहो, अपने हिसाब से जिंदगी जीने का यही अर्थ है कि अपने आत्मविश्वास और अपने साहस के साथ जिंदगी जीना किसी से प्रभावित न होकर अपने नियमों को ताक में रखकर अपने सपने साकार करना ताकि हम अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से चलाने का प्रयास करते रहें, अपने नियम खुद बनायें ताकि अपने जीवन के खुद मालिक बन सकें यही जीवन जीने का तरीका व सलीका है जिसमें इंसान किसी के डर के बिना, किसी से दबने के बजाय पूरी तरह से स्वतंत्र होकर अपने मुल्यों और अपनी समझ के मुताबिक एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकता है, और अपने सपनों की तलाश पूरी कर सकता है, सत्य भी है मनुष्य को अपना जीवन एक यात्रा की तरह जीना चाहिए ताकि हर पल को महसूस करते हुए, हर अनुभव से सीखते हुए अपनी मंजिल हासिल की जा सके यहाँ न किसी की जलन हो न किसी का डर हो बस अपने ही नियम अपने ही कदम जरूरतें कम और संतोष अधिक हो भविष्य की चिंता न हो भूतकाल का पछतावा न हो और हर पल की जागरूकता हो समाज के लिए योगदान और अपने भीतर के ज्ञान को साक्षी मानकर कदम बढ़त की तरफ रखने वाले ही तरक्की कर सकते हैं आखिरकार यही कहुँगा कि अपने ढंग से जीने का फायदा यही होता है कि व्यक्ति बिना थके और बिना निराश हुए दुसरों की न प्रवाह करते हुए अपनी पूरी उर्जा के साथ अपने कार्य में मग्न रहता है जिससे जीवन में सफलता और प्रसन्नता मिलती है तभी तो कहा है, अपना जमाना आप बनाते हैं अहले दिल, हम वो नहीं कि जिसको जमाना बना गया।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
" मेरी दृष्टि में " किसी की भी तरक्की से जलना नहीं चाहिए। और ना ही किसी से डरना चाहिए। जिंदगी जीने के लिए कुछ ना कुछ नियम अवश्य होने चाहिए। ताकि जीवन सफलतापूर्वक जीया जा सकें। परन्तु कुछ लोग ना खुद ज़ीने में विश्वास रखते हैं और ना ही दूसरों को ज़ीने देते हैं। ऐसे लोगों का क्या भविष्य होगा। उन्हें खुद भी अपना भविष्य पता नहीं होता है। यही उनकी सच्चाई होती है।
बहुत ही अच्छी चर्चा हुई आदरणीय बीजेन्द्र जी, चंद्रिका व्यास दीदी को सम्मानित होने पर बहुत-बहुत बधाई शुभकामनाएं 🌹🙏😊
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