पुस्तकों का संसार

  पुस्तक का नाम : मातृछाया ( कहानी संग्रह )
लेखिका का नाम : डा. सुमि ओम शर्मा (तापसी)
              रचना साहित्य प्रकाशन
              413- जी , वसंतवाडी
                  कालबादेवी रोड़,
                 मुम्बर्ई - 400002
               प्रथम संस्करण : 2009

    इस संग्रह में पांच कहानीयां व दो लेख है। कहानी में बुलरिंग , मार्निंग ग्लोरी , फि़श- पौण्ड, दुसरा वनवास, मातृछाया तथा दो लेख अपील के रूप में है। पांच की पांच कहानी नारी प्रधान कहानी है। लेखिका मेडिकल लाइन से है। जिस के कारण अंग्रेजी भाषा का बहुत अधिक प्रयोग हुआ है। पांच कहानी के शीर्षक में तीन कहानी के शीर्षक अंग्रेजी में हैं। कहानियों की विषयवस्तु नारी प्रधान होने के कारण कहानियों में बहुत अधिक विस्तार देखने को मिलता है। यही कहानियों की खूबी भी है। कहानी स्थल अधिकतर विदेशी स्थल हैं। प्रत्येक कहानी में बीच बीच में फोटो भी दिये गये है। यह प्रयोग नया है यह किसी कहानी संग्रह में नहीं देखा गया है। हिंदी के अतिरिक्त अनेक भाषाओं के शब्दों का प्रयोग हुआ है।
    एक लेख और भी है जिस का शीर्षक " नारी की नारी के साथ सहभागिता " दिया गया है। नारी के विभिन्न स्वरूपों को पेश किया है जिसे सफल लेख कहा जा सकता है। लेखिका ने तो " दो शब्द " को भी लेख के रूप में देखा रखा है। वास्तव में लेखिका तो कवि है। जिसके कारण से विषय का विस्तार जरूरत से अधिक हुआ है।  पुस्तक शीर्षक कहानी बहुत ही बड़ी कहानी है । जो पत्र - पत्रिका में तो प्रकाशित नहीं हो सकती है। परन्तु कहानी विषय वस्तु अनुसार सफल कहानी है। इस पर लघु उपन्यास भी लिखा जा सकता है। पुस्तक पर मूल्य भी अंकित नहीं है। कुल मिलाकर लेखिका साधुवाद के पात्र है।
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                पुस्तक का नाम : खजाना
               लेखक : मनोज कुमार पांडेय
                     आधार प्रकाशन
                       सैक्टर - 16
              पंचकूला -134113 (हरियाणा)

 प्रस्तुत संग्रह की शीर्षक कहानी खजाना में अभिलाषपुर एक गांव है जहां पर खजाना को लेकर  विभिन्न अंधविश्वास , पागलपन  , अज्ञानता आदि काल जाल इस कहानी में नंजर आता है। चोरी कहानी में लेखक ने अपने अनुभव को लेकर समाज और मनुष्य के बीच की उथल-पुथल को दिखाया है। अशुभ कहानी में अंधविश्वास से लेकर नकारात्मक भाव काम चित्रण किया है। अंत: संग्रह में सभी कहानियां में विषय अलग-अलग जरूर है परंतु  अंधविश्वास व अज्ञानता  सभी में देखने को मिलती है। शायद लेखक काम उद्देश्य भी यही है।      
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        पुस्तक काम नाम : कुच्ची का कानून 
                लेखक : शिवमूर्ति
             प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
                         नर्इ दिल्ली
               मूल्य : 350/= रू 
     यह पुस्तक चार कथाओं का संग्रह है। जुल्मी , ख्वाजा ओ मेरे पीर , कुच्ची का कानून , बनाना रिपब्लिक है । जो ग्रामीण पृष्ठभूमि के साथ साथ दलित समाज की समस्याओं को पेश करता है। जुल्मी कथा में ग्रामीण जीवन को विस्तार देते हुए संघर्ष को पेश किया है। ख्वाजा ओ मेरे पीर कथा में मानवीय संवेदनाओं के साथ प्रेम की पीर को ग्रामीण परिवेश में शिक्षकों के आचरण को दिखाया है। बनाना रिपब्लिक कथा में दबंगों की दुरभिसंघियों को मुखर करती हुई दिखाई देती है। 
       शिवमूर्ति जी का  संग्रह में जीवित पत्रों को   झकझोर रहा है जो पाठकों में आक्रोश पैदा करता है ।        
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                        नीति सार 
                 
             सम्पादक : प्रो. बालकृष्ण कुमावत
             प्रकाशक : श्री कावेरी शोध संस्थान
                            समर्पण 34/ 3 केशव नगर
                       हरि राम चौबे मार्ग, उज्जैन ,म. प्र. 
         मूल्य : 50/= रूपये       पृष्ठ : 80
   सम्पादक ने जीवन को सार्थक, संस्कारवान,वाले आदर्श बनाने के लिए अनेंक सूत्र , सूक्तियां आदि दी है। इस सामग्री को आठ भागों में बांट रखा है। प्रथम भाग में हिम्मत से रोग दूर होता है। सम्मान पाया जाता है मांगा नहीं जाता है आदि कुछ है ।दूसरे भाग में कर्म , ज्ञान, भक्ति को स्पष्ट किया गया  है। तीसरे भाग में सब के कल्याण को पेश किया है । चौथे भाग में धर्म , दान, एवं परोपकार की बातें दी गई है। पांचवें भाग में सेवा , त्याग और साधना के बारे में जानकारी दी गई है। छठे भाग में गीता के प्रमुख 31 श्लोक को अर्थ सहित स्पष्ट दिये ग्रे है। सातवें भाग में रामचरितमानस के 50 कथनों को पेश किया गया है । आठवें भाग में भजन आदि है जो ज्ञान की सुंदर बातें समझ सकते है। भगवान श्रीकृष्ण के रंगीन चित्र भी दिये गये है। इस पुस्तक से पूर्व भी नीति मयूख नाम से लघु पुस्तक छप रखी है।            
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                नहीं तुम्हारी तरह 

                      कविः रमेश जलोनिया
प्रकाशकः नवभारत प्रकाश डी-626, गली न. 1,
निकट ललिता मंदिर
अशोक नगर, दिल्ली- 110094
प्रथम संस्करणः 2016 मूल्यः 150.00
          कवि प्राकृतिक की गोंद में बैठ कर कविता करता नज़र आ रहा है। ऐसा इस पुस्तक में देखने को मिलता है। कविता साफ सूथरी भाषा में लिखी गई है। भाषा में किसी तरह का प्रयोग नहीं किया गया है। संग्रह में 38 कविताओं को शामिल किया गया है। कविता में भाव का सुन्दर चित्रण किया गया है। जो मानव के लिए मानव मूल्यों का प्रतीक स्पष्ट होती है। माता-पिता का मान नामक कविता में सुन्दर घर के वातावरण को प्रकट करती है। अमूल्य कविता में वाणी के उपयोग पर जोर दिया गया है। सुमन नामक दो कविता है दोनों में जीवन के अनेक रंग दिखाने का प्रयास किया है। पानी नामक कविता में प्राकृतिक की सब से बड़ी देन पानी का चित्रण पेश किया है । लड़कियाँ नामक कविता में बेटी से परिवार है। मनुष्य व वृक्ष में प्राकृतिक के साथ मनुष्य का विश्लेषण किया है। देश नामक कविता में देश में प्राकृतिक स्थिति पेश की है। वाल्मीकि कविता में कवि वाल्मीकि को नमन किया है। निर्भया गेग रेप की धटना में सभी की भूमिका पर सवाल खड़ा करती है। क़ाजल नामक कविता में क़ाजल में आँखों से लेकर इज्जत तक का विश्लेषण किया है। समय व चाल में समय के फेर को प्रकट किया है। विचार कविता में जीवन के अनेक रंग दिखाने का प्रयास किया है। वहम में क्या क्या होता है ऐसा कुछ पेश किया है। प्यार व पैसा में मनुष्य के गिरने उठने का विवरण दिया है। कन्या भ्रुण पर विचार नामक कविता में समाजिक बुराई दिखाई है। रेल सफर नामक कविता बिना संग्रह अधूरा है।
           अतः इस पुस्तक में पढ़ने लायक सामग्री बहुत अच्छी है विषय वस्तु की दृष्टि से सफल काव्य संग्रह है। प्रतिभा के धनी कवि की सोच काफी गहरी है। कवि ने अपने जीवन के अनेक रंग पुस्तक में पेश किये है। पहली ही कविता को पुस्तक का शीषर्क बनया है। यह कवि की व्यकितगंत स्थिति सामने आई है। अतः कवि साधुवाद के पात्र है।      
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