बीजेन्द्र जैमिनी की लघुकथाएँ
भाईचारा
एक इंजिनियर रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा जाता है। अदालत में पेश किया जाता है न्यायधीश पूछता है – आप ने रिश्वत ली ?
इंजिनियर – मैनें तो रिश्वत मांगी ही नहीं है
न्यायधीश – फिर ये क्या है ?
इंजिनियर – सर ! ये तो भाईचारा है ये हमें पैसे देते है हम इन का काम करते है। मैने तो रिश्वत मांगी ही नहीं है। फिर ये रिश्वत कैसे हो सकती है ?
केस चल रहा है फैसला आना बाकी है
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मातृभाषा
इंजिनियर – मैनें तो रिश्वत मांगी ही नहीं है
न्यायधीश – फिर ये क्या है ?
इंजिनियर – सर ! ये तो भाईचारा है ये हमें पैसे देते है हम इन का काम करते है। मैने तो रिश्वत मांगी ही नहीं है। फिर ये रिश्वत कैसे हो सकती है ?
केस चल रहा है फैसला आना बाकी है
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मातृभाषा
अपने ओफिस के पास चाय की दुकान पर हिन्दी दैनिक अकबार की जगह गलती से अग्रेजी अखबार डाल गया है। चाय वाले ने सारा दिन फोटो देख-देख कर दिन गुजार दिया। शाम को मेरे पास आया कि
यह अग्रेजी अखबार आप ले लो, हमारे को अग्रेजी आती नहीं है और ना ही हमारे किसी ग्राहक ने, अभी तक ये अग्रेजी अखबार पढा है।
मैं चाय वाले का मुहँ देख कर सोच रहा हूँ कि फिर अग्रेजी जानने वालों का इतना सम्मान क्यों होता है या फिर मातृभाषा कुछ नहीं है ?
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यह अग्रेजी अखबार आप ले लो, हमारे को अग्रेजी आती नहीं है और ना ही हमारे किसी ग्राहक ने, अभी तक ये अग्रेजी अखबार पढा है।
मैं चाय वाले का मुहँ देख कर सोच रहा हूँ कि फिर अग्रेजी जानने वालों का इतना सम्मान क्यों होता है या फिर मातृभाषा कुछ नहीं है ?
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रेलर्व लाईन
रेलर्व लाईन
पार्क में सुबह – सुबह घुम रहाँ हूँ। तभी आगं बुझाने वाली गाड़ी की आवाज सुनाई देती है। मैनें सड़क की ओर देखा –
मैं और मेरा साथी दिलबाग पार्क से बाहर आ जाते है और उस गाड़ी की ओर चल देते है। गाड़ी रेलर्व लाईन के पास रूक जाती है और हम भी कुछ ही मिनट में वहाँ पहुँच जाते है। कुछ व्यक्ति कैमरें से तीन व्यक्तियों की सयुक्त रूप से फोटों खैच रहे है। मामलें का पता किया कि ये लोग रेलर्व लाईन के पास गंदगी फैला रहे है। फोटों खैचनें के बाद तीनों व्यक्तियों को गाड़ी में बैठा कर ले गये।
तभी मेरा साथी दिलबाग बोला- ये कोई नहीं देखता है कि रेल गाड़ी तो रात-दिन रेलर्व लाईन को गंदा करती है जो रेल के डिब्बें में बैठा कर रेलर्व लाईन को गंदा करवाती है।
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शादीं बिना तलाकं
मैं और मेरा साथी दिलबाग पार्क से बाहर आ जाते है और उस गाड़ी की ओर चल देते है। गाड़ी रेलर्व लाईन के पास रूक जाती है और हम भी कुछ ही मिनट में वहाँ पहुँच जाते है। कुछ व्यक्ति कैमरें से तीन व्यक्तियों की सयुक्त रूप से फोटों खैच रहे है। मामलें का पता किया कि ये लोग रेलर्व लाईन के पास गंदगी फैला रहे है। फोटों खैचनें के बाद तीनों व्यक्तियों को गाड़ी में बैठा कर ले गये।
तभी मेरा साथी दिलबाग बोला- ये कोई नहीं देखता है कि रेल गाड़ी तो रात-दिन रेलर्व लाईन को गंदा करती है जो रेल के डिब्बें में बैठा कर रेलर्व लाईन को गंदा करवाती है।
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शादीं बिना तलाकं
कोर्ट में महिला ने शिकायत दी है कि विवाह के समय किये वायदें पूरे नहीं किये गये हैंः-
विवाह के समय वल्डं टूर पर ले जाना, ड़ाईवर सहित होडा सिटी कार,कर्इ नौकरों की सुविधा तथा निर्जी खर्च के लिए बिना किसी सवाल के पच्चीस हजार रूपयें महींने देने का वायदा किया था।
महिला की शिकायत अनुसार कार दिलाई छोटी, सुविधा में सिर्फ दो नौकर, वल्ड़ टूर के नाम पर देश में ही कुछ स्थलों की सैर तथा निर्जी खर्च के लिए दस हजार रूपये महीनें ही मिलते है। अतः मुझे तलाकं दिलवाया जाऐ तथा एक लाख रूपये प्रति महीनें मुआवजा दिया जाऐ।
दोनो पक्ष के वकीलों की बहंस सुनने के बाद न्यायधीश ने फैसला सुनाया-
लगता है आप की शादीं नहीं हुई है बल्कि आप ने अपने आप को किराये पर दिया है या फिर अपने आप को बेच दिया है। क्योकि शादी के लिए ऐसे वायदें किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। यह शादीं नहीं समझौता नंजर आता है। शादी के बाद ही तलाकं व मुअवाजा सम्भव होता है। ***
विवाह के समय वल्डं टूर पर ले जाना, ड़ाईवर सहित होडा सिटी कार,कर्इ नौकरों की सुविधा तथा निर्जी खर्च के लिए बिना किसी सवाल के पच्चीस हजार रूपयें महींने देने का वायदा किया था।
महिला की शिकायत अनुसार कार दिलाई छोटी, सुविधा में सिर्फ दो नौकर, वल्ड़ टूर के नाम पर देश में ही कुछ स्थलों की सैर तथा निर्जी खर्च के लिए दस हजार रूपये महीनें ही मिलते है। अतः मुझे तलाकं दिलवाया जाऐ तथा एक लाख रूपये प्रति महीनें मुआवजा दिया जाऐ।
दोनो पक्ष के वकीलों की बहंस सुनने के बाद न्यायधीश ने फैसला सुनाया-
लगता है आप की शादीं नहीं हुई है बल्कि आप ने अपने आप को किराये पर दिया है या फिर अपने आप को बेच दिया है। क्योकि शादी के लिए ऐसे वायदें किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। यह शादीं नहीं समझौता नंजर आता है। शादी के बाद ही तलाकं व मुअवाजा सम्भव होता है। ***
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माँ – बाप
माँ – बाप
शिव मन्दिर माँ प्रतिदिन जाती है। भगवान से हमेशा एक ही दुआँ मांगती है- हे भगवान ! मेरे दोनों बच्चों को बड़ा आदमी बना देना ।
भगवान ने माँ की प्रार्थना सुन ली –
बेटी को डाक्टर बना दिया – बेटें को इंजीनियर बना दिया है तथा दोनों बच्चों की शादीं भी हो गर्इ है। माँ बेटे के पास रहकर , घर का सारा काम करती है। बाप अपने मकान में अकेला रह कर तथा किराया भी आता है। जिस से अपना गुजरा कर रहा है। माँ ने अपने समय में अपने घर की सफाई आदि के लिए नौकरानी रखी हुई थी। आज वह अपने बेटें के घर पर नौकरानी बन कर रह गर्ई है। लड़का -बहुँ नौकरी करते है। बाप तो एक किस्म से अनाथ हो गया है। **
भगवान ने माँ की प्रार्थना सुन ली –
बेटी को डाक्टर बना दिया – बेटें को इंजीनियर बना दिया है तथा दोनों बच्चों की शादीं भी हो गर्इ है। माँ बेटे के पास रहकर , घर का सारा काम करती है। बाप अपने मकान में अकेला रह कर तथा किराया भी आता है। जिस से अपना गुजरा कर रहा है। माँ ने अपने समय में अपने घर की सफाई आदि के लिए नौकरानी रखी हुई थी। आज वह अपने बेटें के घर पर नौकरानी बन कर रह गर्ई है। लड़का -बहुँ नौकरी करते है। बाप तो एक किस्म से अनाथ हो गया है। **
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दुःख और मजबुरी
दुःख और मजबुरी
फटेहाल युवती को भीख माँगते देखकर दो मनचले लड़के उसके पास आये और बीस रूपय का नोट दिखा कर बोले- लेगी ?
युवती ललचाई निगाहों से रूपये देखकर बोली- इत्ते रूपये
बोले- कम है ?
दोनों उसकी ओर घूर रहे थे। वह बोली- चलो ! मेरे साथ ।
थोड़ी दुर चलने के बाद वे एक टूटे – फूटे मकान में घुसे तो खाट पर पडे बूढे़ की ओर इशारा करती बोली-
मेरे बाप को पाँच सालों से टी बी है और मैं खुद एडस से पीडि़त हूँ। यही दुःख और मजबुरी भीख मगंवाती है।
वह सिसक उठी ! नंजर उठाई तो दोनों मनचले गायब थे। ****
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मन को शन्ति
युवती ललचाई निगाहों से रूपये देखकर बोली- इत्ते रूपये
बोले- कम है ?
दोनों उसकी ओर घूर रहे थे। वह बोली- चलो ! मेरे साथ ।
थोड़ी दुर चलने के बाद वे एक टूटे – फूटे मकान में घुसे तो खाट पर पडे बूढे़ की ओर इशारा करती बोली-
मेरे बाप को पाँच सालों से टी बी है और मैं खुद एडस से पीडि़त हूँ। यही दुःख और मजबुरी भीख मगंवाती है।
वह सिसक उठी ! नंजर उठाई तो दोनों मनचले गायब थे। ****
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मन को शन्ति
मैं मन्दिर जा रहा हूँ। सामने से मेरा मित्र आहुजा मिल जाता है वह बोला- मन्दिर से आप को क्या मिला ?
मैं सोच में पड़ गया और कुछ सोचने के बाद बोला- मुझे बहुत कुछ मिला है।
- क्या मिला है साफ - साफ बताओ !
- मुझे भगवान तो नहीं मिले है परन्तु मन को शन्ति अवश्य मिलती है जो मेरे मन के तनाव को दूर करती है।
मैं सोच में पड़ गया और कुछ सोचने के बाद बोला- मुझे बहुत कुछ मिला है।
- क्या मिला है साफ - साफ बताओ !
- मुझे भगवान तो नहीं मिले है परन्तु मन को शन्ति अवश्य मिलती है जो मेरे मन के तनाव को दूर करती है।
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नारी शोंषण
नारी शोंषण
नारी शोंषण के खिलाफ समाज सेवा करने वाली सरोंज जोंर जोंर एक समारोह में भाषण दे रही है – हर आदमी नारी का शोंषण करता है….।
कुछ बुर्जग पीछें बैठे आपस में कह रहे है। इस औरत को हम बहुत अच्छी तरह से जानते है। यह अपने पति महोदय को बोलने तक नहीं देती है। पुत्र वघु को इतना पीटा ,उस का गर्भ तक गिर गया। बेटी ने प्रेम विवाह क्या किया,उसे घर में घुसने नहीं देती है। अपनी सास को घर की नौकरानी बना रखा है। कोठी में नौकर की तरह एक टूटा-फूटा कमरा दे रखा है। सुसर को तो कोठी में धुसने नहीं देती है। क्या इसे नारी शोंषण के खिलाफ समाज सेवा कहँ सकते है।
वह समाज सेवी जोर-जोर से भाषण दे रही है। #
कुछ बुर्जग पीछें बैठे आपस में कह रहे है। इस औरत को हम बहुत अच्छी तरह से जानते है। यह अपने पति महोदय को बोलने तक नहीं देती है। पुत्र वघु को इतना पीटा ,उस का गर्भ तक गिर गया। बेटी ने प्रेम विवाह क्या किया,उसे घर में घुसने नहीं देती है। अपनी सास को घर की नौकरानी बना रखा है। कोठी में नौकर की तरह एक टूटा-फूटा कमरा दे रखा है। सुसर को तो कोठी में धुसने नहीं देती है। क्या इसे नारी शोंषण के खिलाफ समाज सेवा कहँ सकते है।
वह समाज सेवी जोर-जोर से भाषण दे रही है। #
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दहेंज के झूठे केस
जेल में हत्या के मामलें में उम्रकैद काट रहे कैदी से साक्षात्कार लेने पत्रकार पहुँच जाता है –
सूशील !आप तो मेरे सहपाठी है। जहाँ तक मैं जानता हूँ कि आप तो किसी से भी लड़ना प्रसन्द नहीं करते थे ? परन्तु आप ने पत्नी की हत्या कर दी ! क्या यह सचँ है ?
सूशील ने बिना निःसंकोच कहाँ -हाँ !मैंने पत्नी की हत्या की है। मुझे रोज-रोज धम्मकी देती थी।
– दहेंज के झूठे केस में सारे परिवार को जेल भिजावा दूँगी !
एक दिन सुसराल गया हुआ था । साँस -सुसर ने भी दहेंज के झूठे केस में फँसाने की धम्मकी दे डाली । तब मुझे अपने माँ-बाप,भाई-बहन का ख्याल आया। तभी मैंने वहाँ पड़े गड़ासे से पत्नी की हत्या कर दी और अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया। उस के बाद कोटं ने उम्र कैद की सजा सुना दी है। पत्रकार बोला-
क्या आप को कानून पर विश्वास नहीं था ?
– ऐसे फैसलें तो कोट के बाहर ही होते है बाहर फैसलें के लिए के लिए मोटी रकम चाहिए ! मेरे परिवार के पास नहीं है। पैसे के बिना…..!
पत्रकार सोच में पड़ गया। अतः उस ने निर्णय लिया कि हत्या जैसे कदंम दहेंज के झूठे केस का डर है !
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सूशील !आप तो मेरे सहपाठी है। जहाँ तक मैं जानता हूँ कि आप तो किसी से भी लड़ना प्रसन्द नहीं करते थे ? परन्तु आप ने पत्नी की हत्या कर दी ! क्या यह सचँ है ?
सूशील ने बिना निःसंकोच कहाँ -हाँ !मैंने पत्नी की हत्या की है। मुझे रोज-रोज धम्मकी देती थी।
– दहेंज के झूठे केस में सारे परिवार को जेल भिजावा दूँगी !
एक दिन सुसराल गया हुआ था । साँस -सुसर ने भी दहेंज के झूठे केस में फँसाने की धम्मकी दे डाली । तब मुझे अपने माँ-बाप,भाई-बहन का ख्याल आया। तभी मैंने वहाँ पड़े गड़ासे से पत्नी की हत्या कर दी और अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया। उस के बाद कोटं ने उम्र कैद की सजा सुना दी है। पत्रकार बोला-
क्या आप को कानून पर विश्वास नहीं था ?
– ऐसे फैसलें तो कोट के बाहर ही होते है बाहर फैसलें के लिए के लिए मोटी रकम चाहिए ! मेरे परिवार के पास नहीं है। पैसे के बिना…..!
पत्रकार सोच में पड़ गया। अतः उस ने निर्णय लिया कि हत्या जैसे कदंम दहेंज के झूठे केस का डर है !
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अमीरी – गरीबी का अन्तर
साहब के घर का नौकर अपनी ईमानदारी तथा महेनत के बल पर वह साहब बन जाता है । उस ने बड़ी सी बड़ी कोठी बनवाई है। आज उस कोठी का मुर्हत है मैं भी इसी मुर्हत पर आया हुआ हूँ –
कोठी जितनी बड़ी है उतनी सुन्दर है कोठी का एक-एक कमरा देखने लायक है कोठी में लगा एक-एक समान बहुत कीमत का है। सीविगं पुल में गर्म -ठड़ा पानी का एक साथ आनन्द लिया जा सकता है जो एक बर्टन पर चालू होता है। पार्क तो इतना बड़ा और सुन्दर है। इस के आगे सरकारी पार्क भी फेल नंजर आते है। धुमते-धुमते कोठी के एक कोणें में पहुच जाता हूँ –
कोणें में नौकर के लिए तीन कमरें बने है। उन में ना तो रसोई है ना ही स्नान घर है। दरवाजें भी नाम मात्र के है छत्तें के नाम पर सिमेन्ट की चदरें लगी है। मुझे ऐसा लगा-
नौकर से तो साहब बन गया है फरन्तु इस के मन में भी नौकर के लिए कोई सम्मान नाम की कोई चीज नहीं है। *
कोठी जितनी बड़ी है उतनी सुन्दर है कोठी का एक-एक कमरा देखने लायक है कोठी में लगा एक-एक समान बहुत कीमत का है। सीविगं पुल में गर्म -ठड़ा पानी का एक साथ आनन्द लिया जा सकता है जो एक बर्टन पर चालू होता है। पार्क तो इतना बड़ा और सुन्दर है। इस के आगे सरकारी पार्क भी फेल नंजर आते है। धुमते-धुमते कोठी के एक कोणें में पहुच जाता हूँ –
कोणें में नौकर के लिए तीन कमरें बने है। उन में ना तो रसोई है ना ही स्नान घर है। दरवाजें भी नाम मात्र के है छत्तें के नाम पर सिमेन्ट की चदरें लगी है। मुझे ऐसा लगा-
नौकर से तो साहब बन गया है फरन्तु इस के मन में भी नौकर के लिए कोई सम्मान नाम की कोई चीज नहीं है। *
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वारिस का हक
बैक का मैनेजर खाते चैक कर रहा था। अचानक उस की नंजर एक खाते पर पड़ी। जिस में पिछले तीन साल से कोई लेन देन नहीं हो रहा है। मैनेजर ने उस खाते का नम्बर नोट कर लिया।
पूछताछ करने पर पता चला कि खातेदार मर चुका है। उस का कोई वारिस नहीं है।
मैनेजर ने एक वारिस तथा दो गवाह बना कर उस के खाते से पैसा निकाल लिया और आपस में बांट लिया ।
* * * * * *
पूछताछ करने पर पता चला कि खातेदार मर चुका है। उस का कोई वारिस नहीं है।
मैनेजर ने एक वारिस तथा दो गवाह बना कर उस के खाते से पैसा निकाल लिया और आपस में बांट लिया ।
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विरोध की विडम्बना
दीना नाथ अपनी सोलह वर्षीय बेटी की शादीं चालीस वर्ष के अधेड़ के साथ कर रहा था। गाँव वालो को पता चला तो उन्होने इस का विरोध किया और पूछा - अरे ! दीना नाथ तू ऐसा क्यों कर रहा है ? क्या तुझे अपनी बेटी पर दया नहीं आती है ?
- आती क्यों नहीं है। पर करू क्या ? मेरी बेटी बदशक्ल है अनपढ़ है । कौन करेगा ? आप में से कोई ....... आगे आए ।
ऐसा सुनते ही सभी वापिस पैरों लौट गये ।
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- आती क्यों नहीं है। पर करू क्या ? मेरी बेटी बदशक्ल है अनपढ़ है । कौन करेगा ? आप में से कोई ....... आगे आए ।
ऐसा सुनते ही सभी वापिस पैरों लौट गये ।
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वकील की वकालत
मैं किसी काम से अदालत में गया हुआ था। अदालत में बलात्कार केस पर बहस चल रही थी। मैं ध्यान से सुनने लगा।
- आप की जिस कमरे में इज्जत लूटी गर्ई है उस कमरें की छत लंटर की है या कड़ियो की , यदि कड़ियो की है तो कितनी कड़िया है ? वकील ने पूछा ।
- वकील साहब ! मैं उस समय अपने को छुड़वाने की कोशिश कर रही थी । ना कि छत की ओर .... छत किस चीज की ..... कितनी कड़िया है ? लड़की ने उत्तर दिया ।
अदालत में बैठे सभी आदमियों को गुस्सा आ गया और लड़की का बाप भड़क उठा
- क्या यही है वकील की वकालत ?
* * * * * *
- आप की जिस कमरे में इज्जत लूटी गर्ई है उस कमरें की छत लंटर की है या कड़ियो की , यदि कड़ियो की है तो कितनी कड़िया है ? वकील ने पूछा ।
- वकील साहब ! मैं उस समय अपने को छुड़वाने की कोशिश कर रही थी । ना कि छत की ओर .... छत किस चीज की ..... कितनी कड़िया है ? लड़की ने उत्तर दिया ।
अदालत में बैठे सभी आदमियों को गुस्सा आ गया और लड़की का बाप भड़क उठा
- क्या यही है वकील की वकालत ?
* * * * * *
स्नेंह
पिता अपने चार-पाँच साल के बच्चे को पढ़ा रहे है - ओ से ओखली , परन्तु बच्चा ओ से नोकली कहता है । पिता बार-बार समझाता है परन्तु बच्चा ओ से नोकली ही कहता है। पिता को गुस्सा आ जाता है। जिस से बच्चे के मुंह पर चार- पाँच थप्पड़ जमा देता है । माँ अन्दर से चिल्लाती है
- ये क्या कर रहे हो ?
- मेरे समझने के बाद भी ओ से नोकली कह रहा है।
- बच्चे को कोई पीटा जाता है बच्चे को स्नेंह से सिखाया जाता है
और अब माँ बच्चे को पढाना शुरु करती है। स्नेंह से ही बच्चा एक दिन में ही ओ से ओखली कहना शुरु कर देता है।
* * * * * *
पढा़ई
- ये क्या कर रहे हो ?
- मेरे समझने के बाद भी ओ से नोकली कह रहा है।
- बच्चे को कोई पीटा जाता है बच्चे को स्नेंह से सिखाया जाता है
और अब माँ बच्चे को पढाना शुरु करती है। स्नेंह से ही बच्चा एक दिन में ही ओ से ओखली कहना शुरु कर देता है।
* * * * * *
पढा़ई
पार्क में बैठा सोच ही रहा था कि मुझे तीन साल हो गए है नोकरी की तलाश करते करते .....। तभी सामने से नरेश आ गया ।
- क्या सोच रहे हो ?
- भाई ! मुझे एम. ए. किए तीन साल हो गए। परन्तु अब तक नोकरी नहीं मिली, न मिलने की उम्मीद है। क्या मिला मुझे पढा़ई कर के.....?
- कुछ नहीं मिला ? यह गलत है पढा़ई से कम से कम बोलना,उठाना-बैठना आदि तो सीख गए हो ।
- नहीं ? बोलना, उठना - बैठना आदि वैसे भी सीखा जा सकता है। पढा़ई से बेरोजगारी मिली है।
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- क्या सोच रहे हो ?
- भाई ! मुझे एम. ए. किए तीन साल हो गए। परन्तु अब तक नोकरी नहीं मिली, न मिलने की उम्मीद है। क्या मिला मुझे पढा़ई कर के.....?
- कुछ नहीं मिला ? यह गलत है पढा़ई से कम से कम बोलना,उठाना-बैठना आदि तो सीख गए हो ।
- नहीं ? बोलना, उठना - बैठना आदि वैसे भी सीखा जा सकता है। पढा़ई से बेरोजगारी मिली है।
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भिखारी का शौक
- आप अच्छे घर के लगते है। वैश्य के कोठे पर आना अच्छी बात नहीं है। आप अच्छी सी सुन्दर लड़की से क्यों नहीं शादीं कर लेते ?
- आप मुझे नहीं जानती है। मैं भिखारी हूँ। सारे दिन भीख मांग कर पैसे एकत्रित करता हूँ और शाम को नहा - धोकर , साफ सुथरे कपड़े पहन कर किसी न किसी कोठे पर रोज फहुंच जाता हूँ.....। मेरे सिर्फ दो ही शौक है एक तो औरत दूसरी शराब ।
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- आप मुझे नहीं जानती है। मैं भिखारी हूँ। सारे दिन भीख मांग कर पैसे एकत्रित करता हूँ और शाम को नहा - धोकर , साफ सुथरे कपड़े पहन कर किसी न किसी कोठे पर रोज फहुंच जाता हूँ.....। मेरे सिर्फ दो ही शौक है एक तो औरत दूसरी शराब ।
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भारतरत्न से सम्मानित
भारत रत्न पर बहस हो रही थी तो एक बोला - वह दिन दूर नहीं है जब राम - कृष्ण को भी भारत रत्न से सम्मानित किया जाऐगा । तभी दूसरा बोला- नहीं ! यह सिर्फ राजनीतिक से जुडे़ व्यक्तियों तक सीमित है। तभी बच्चा बोला- पापा-पापा मैं आपको भारत रत्न से सम्मानित करवा दूगा।
- बेटा ! मैं कोई राम-कृष्ण या राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूँ।
- पापा ! मैं लोकसभा में हंगामा मचा दूगा। जब तक मेरे पिता जी को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया जाता है। अतः मुझे विश्वास है कि आपको भारत रत्न से सम्मानित करवाने में कोई विशेष कठिनाई नहीं आऐगी।
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- बेटा ! मैं कोई राम-कृष्ण या राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूँ।
- पापा ! मैं लोकसभा में हंगामा मचा दूगा। जब तक मेरे पिता जी को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया जाता है। अतः मुझे विश्वास है कि आपको भारत रत्न से सम्मानित करवाने में कोई विशेष कठिनाई नहीं आऐगी।
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पढे़-लिखे की नौकरी
मैं एक दिन लिमिटेड कम्पनी में काम करने के लिए चला गया। वहाँ पर मैंने एक सफाई कर्मचारी को देखा, जो देखने से लगता था कि पढा़ लिखा है। मुझे से रहा नहीं गया और मैंनें उसे बुला कर पूछ लिया
- आप पढे़-लिखे हो ?
- हाँ बाबू जी, मैं हाई स्कूल व आई. टी. आई पास हूँ।
- फिर आप सफाई कर्मचारी का काम क्यों कर रहे है ? यह नौकरी तो अनपढ़ को नगर पालिका भी दे सकती है जो सरकारी नौकरी है।
- बाबू जी ! आजकल नौकरी कहाँ मिलती है नगर पालिका में काम करने से सब को पता चल जाता है। सफाई कर्मचारी बन गया है परन्तु यहाँ कम्पनी में काम करने से किसी को कुछ पता नहीं चलता है।
* * * * * *
- आप पढे़-लिखे हो ?
- हाँ बाबू जी, मैं हाई स्कूल व आई. टी. आई पास हूँ।
- फिर आप सफाई कर्मचारी का काम क्यों कर रहे है ? यह नौकरी तो अनपढ़ को नगर पालिका भी दे सकती है जो सरकारी नौकरी है।
- बाबू जी ! आजकल नौकरी कहाँ मिलती है नगर पालिका में काम करने से सब को पता चल जाता है। सफाई कर्मचारी बन गया है परन्तु यहाँ कम्पनी में काम करने से किसी को कुछ पता नहीं चलता है।
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राजनैतिक की विडम्बना
मन्त्री महोदय के घर में चोरी हो गई । जिस से सारे राज्य की पुलिस वहाँ एकत्रित हो गई। पता नहीं कहाँ कहाँ के नाते से देखने के लिए आये।
उधर दूसरी ओर इसी गाँव में दूसरे कोने में एक कत्ल हो गया है परन्तु वहाँ कोई पुलिस नहीं पहुची। न ही कोई सज्जन उन्हे देखने के लिए पहुँचा । वहाँ अकेला मृतक के रिश्तेदार ही अफसोस मना रहे है।
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उधर दूसरी ओर इसी गाँव में दूसरे कोने में एक कत्ल हो गया है परन्तु वहाँ कोई पुलिस नहीं पहुची। न ही कोई सज्जन उन्हे देखने के लिए पहुँचा । वहाँ अकेला मृतक के रिश्तेदार ही अफसोस मना रहे है।
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शराबी की बीबी
शराबी शराब पीकर घर जाता है बीबी भी रोज टोकतीः- शराब मत पिओ कम पियो ।
परन्तु शराबी कुछ नहीं सुनता और एक पैसा भी घर नहीं देता है। बीबी लोगों के बर्तन साफ करने लगी। जिससे घर का निर्वाह चलता । इस बीच वह इतनी टूट गयी कि सोचने विचारने की शक्ति भी समाप्त हो गई है और एक दिन आत्महत्या करने का विचार मन में आ जाता है। तब अन्दर वाले कमरे में जाकर ऊपर छिड़क कर आग लगा ली। शराबी बाहर वाले कमरें में पड़ा था। उसे कुछ पता नहीं होता है और देखते ही देखते बीबी अन्दर कमरें में जल कर राख हो गई ।
* * * * * *
परन्तु शराबी कुछ नहीं सुनता और एक पैसा भी घर नहीं देता है। बीबी लोगों के बर्तन साफ करने लगी। जिससे घर का निर्वाह चलता । इस बीच वह इतनी टूट गयी कि सोचने विचारने की शक्ति भी समाप्त हो गई है और एक दिन आत्महत्या करने का विचार मन में आ जाता है। तब अन्दर वाले कमरे में जाकर ऊपर छिड़क कर आग लगा ली। शराबी बाहर वाले कमरें में पड़ा था। उसे कुछ पता नहीं होता है और देखते ही देखते बीबी अन्दर कमरें में जल कर राख हो गई ।
* * * * * *
नेता की घोषणा
जनता के सामने नेता ने घोषणा कर दी-पार्क बनवा दूगां, घुमने फिरने के लिए, स्कूल खुलवा दूगां बच्चों को पढ़ने के लिए, हस्पताल खुलवा दूगां बिमारी का इलाज करवाने के लिए ....।
नेता जी अपने कार्यालय में आ जाते है। पी.ए. आकर पूछता है- आज आप की घोषण का कार्यरूप देना शुरू किया जाए ?
नेता जी, पी.ए. की ओर देख कर बोला- क्या अक्ल का दुश्मन है? मैं इतनी घोषण करता हूँ इस सब के लिए इतने पैसे कहाँ से आऐगे .....। जो मैं आप से कहूँ। वही करो। मैं जो घोषणा करता हूँ उस की ओर ध्यान मत दो। जाओ! मेरा दिमाग मत खराब करो।
और पी. ए. चला जाता है।
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नेता जी अपने कार्यालय में आ जाते है। पी.ए. आकर पूछता है- आज आप की घोषण का कार्यरूप देना शुरू किया जाए ?
नेता जी, पी.ए. की ओर देख कर बोला- क्या अक्ल का दुश्मन है? मैं इतनी घोषण करता हूँ इस सब के लिए इतने पैसे कहाँ से आऐगे .....। जो मैं आप से कहूँ। वही करो। मैं जो घोषणा करता हूँ उस की ओर ध्यान मत दो। जाओ! मेरा दिमाग मत खराब करो।
और पी. ए. चला जाता है।
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मां-बाप और बेटा
बाप एक किराये की औरत को खेत में लाकर उस से अपनी हवस की पूति करता है। उधर उसका बेटा भी आ जाता है और हमेशा की तरह बेटे के सामने हाथ जोड़ कर कहता है -
बेटा ! अपनी मां से मत बताना, नही तो गड़बड़ हो जाएगी।
बेटा भी हर बार की तरह हमेशा चुप रहता है परन्तु एक दिन माँ से बता देता है। माँ उसके मुहँ पर थप्पड़ मारती है -
तेरी हिम्मत कैसे हुई ? अपने बाप पर इल्जाम लगाने की ........? मुझे सब कुछ मालूम है और फिर भी चुप रहती हूँ और तुझे भी चुप रहना चाहिए।
और सदा के लिए माँ- बेटा चुप होकर सहन करते रहते है।
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बेटा ! अपनी मां से मत बताना, नही तो गड़बड़ हो जाएगी।
बेटा भी हर बार की तरह हमेशा चुप रहता है परन्तु एक दिन माँ से बता देता है। माँ उसके मुहँ पर थप्पड़ मारती है -
तेरी हिम्मत कैसे हुई ? अपने बाप पर इल्जाम लगाने की ........? मुझे सब कुछ मालूम है और फिर भी चुप रहती हूँ और तुझे भी चुप रहना चाहिए।
और सदा के लिए माँ- बेटा चुप होकर सहन करते रहते है।
* * * * * *
कैदियों का इन्साफ
कैदियों ने पूछा - तुम्हें किस अपराध में सजा हुई है ?
वह उन की तरफ देखने लगा और बोला - मुझे चार साल की बच्ची के साथ बलात्कार करने में सात साल की सजा हुई है।
तभी कैदियों में से एक बोला - सत्तर साल के बुढे़ ! तुझे बच्ची के साथ बलात्कार करते हुए शर्म नहीं आई.......। बच्ची के साथ कानून ने इन्साफ नहीं किया है हम इन्साफ करेगे।
कैदियों ने उसे मौत के घाट उतार दिया ।
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वह उन की तरफ देखने लगा और बोला - मुझे चार साल की बच्ची के साथ बलात्कार करने में सात साल की सजा हुई है।
तभी कैदियों में से एक बोला - सत्तर साल के बुढे़ ! तुझे बच्ची के साथ बलात्कार करते हुए शर्म नहीं आई.......। बच्ची के साथ कानून ने इन्साफ नहीं किया है हम इन्साफ करेगे।
कैदियों ने उसे मौत के घाट उतार दिया ।
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बाप बेटा और औरत
बाप और बेटा एक ही ओरत से अपनी सैक्स की पूति करते है। औरत से बाप कहता है - हमारे सम्बन्ध का मेरे बेटे को पता नहीं चलना चाहिए।
उधर बेटा उसी औरत से कहता है - हमारे सम्बन्ध के बारे में मेरे पिता को पता नहीं चलना चाहिए।
वह औरत बिना सोचे समझे बाप - बेटा के सैक्स की पूति करती रहती है।
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उधर बेटा उसी औरत से कहता है - हमारे सम्बन्ध के बारे में मेरे पिता को पता नहीं चलना चाहिए।
वह औरत बिना सोचे समझे बाप - बेटा के सैक्स की पूति करती रहती है।
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बेचारी
पति की कमाई में घर का गुजारा न चलने के कारण बेचारी ने बेहनोई की वासना पूति करनी शुरू कर दी। पति को पता चल गया तो बेहनोई ने उसे छत से धक्का दे दिया। पति मरा तो नहीं परन्तु हडियाँ अवश्य टूट गई।
लोगों की टोका-टाकी के कारण बहनोई ने मुहँ मोड़ लिया। बेचारी ने पतिव्रत धर्म तोड़कर भी घर का गुजारा नहीं चला सकी। अब हर कोई बेचारी की मजबूरी का फायदा उठा जाता है। पति ने चरित्रहीन सबूत पर कोर्ट द्वारा तलाक ले लिया और बेचारी चारों खाने चित गई।
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लोगों की टोका-टाकी के कारण बहनोई ने मुहँ मोड़ लिया। बेचारी ने पतिव्रत धर्म तोड़कर भी घर का गुजारा नहीं चला सकी। अब हर कोई बेचारी की मजबूरी का फायदा उठा जाता है। पति ने चरित्रहीन सबूत पर कोर्ट द्वारा तलाक ले लिया और बेचारी चारों खाने चित गई।
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ईमानदारी
सुभाष की पत्नी बहुत बीमार थी। इस लिए सरकारी हस्पताल ले जाता है। डाक्टर साहब पैन हिलाते हुए बोलता है
- कृपा कर के बाहर बैठ जाए।
और बाहर पड़ी कुर्सि पर बैठ जाता है । तभी नज़र चपड़ासी पर पड़ती है तथा उसके पास चला जाता है और पूछ बैठता है
- डाक्टर साहब ! रिश्वत तो नहीं लेते है?
- बाबू जी ! राम का नाम लो। डा. साहब ईमानदार आदमी है।
तभी घन्टी बजती है और चपड़ासी अन्दर चला जाता है। इतने में सुभाष की पत्नी बाहर आ जाती है। पीछे - पीछे चपड़ासी भी आता है
- बाबू जी ! इस काम की फीस दो सौ रूपये है।
सुभाष सोचता है कि यह ईमानदारी कैसी है
- बाबू जी ! यह रिश्वत नहीं है यह डाक्टर साहब की फीस है।
- हाँ भाई !मुझे मालूम है कि डाक्टर साहब ईमानदार आदमी है।
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- कृपा कर के बाहर बैठ जाए।
और बाहर पड़ी कुर्सि पर बैठ जाता है । तभी नज़र चपड़ासी पर पड़ती है तथा उसके पास चला जाता है और पूछ बैठता है
- डाक्टर साहब ! रिश्वत तो नहीं लेते है?
- बाबू जी ! राम का नाम लो। डा. साहब ईमानदार आदमी है।
तभी घन्टी बजती है और चपड़ासी अन्दर चला जाता है। इतने में सुभाष की पत्नी बाहर आ जाती है। पीछे - पीछे चपड़ासी भी आता है
- बाबू जी ! इस काम की फीस दो सौ रूपये है।
सुभाष सोचता है कि यह ईमानदारी कैसी है
- बाबू जी ! यह रिश्वत नहीं है यह डाक्टर साहब की फीस है।
- हाँ भाई !मुझे मालूम है कि डाक्टर साहब ईमानदार आदमी है।
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कानून की विडम्बना
गरीब भूखा आदमी एक दुकान में से डबल रोटी का पैकेट उठाने लगा। तभी दुकानदार ने पकड़ कर खूब पिटाई की तथा पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने अदालत में पेश कर दिया। अदालत ने उसे छः महीने की सजा सुनाई।
इसी अदालत में दुसरा मुकदमा शहर के नामी सेठ पर था। जो एक बच्ची से बलात्कार करने का केस में किसी की गवाही देने की हिम्मत नहीं थी। जिस में नामी सेठ बरी जाता है।
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इसी अदालत में दुसरा मुकदमा शहर के नामी सेठ पर था। जो एक बच्ची से बलात्कार करने का केस में किसी की गवाही देने की हिम्मत नहीं थी। जिस में नामी सेठ बरी जाता है।
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पढ़ाई और शादीं
शादीं हेतु मेरी बहन को देखने के लिए रोज कोई न कोई लड़के वाले आते रहते है। परन्तु कहीं कोई बात नहीं बनी । एक दिन मैं ऊब कर अपने पिता पर बलबला उठा
- क्या किया आप ने मेरी बहन के लिए...? आप शादी तक नहीं कर सके ।
- बेटा मैने पालन पोषण में कोई कसर नहीं छोड़ी और बता बेटा मैं क्या करता ? अब उसके लिए अच्छे से अच्छा वर ढूढं रहा हूँ । पिता जी ने मुझे समझाते हुए कहा।
- आपने वो नहीं किया जो आजकल के जमाने में करना चाहिए था।
- क्या करना चाहिए था ? क्या नहीं किया ?
- आप को मेरी बहन को पढाना चाहिए था।
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- क्या किया आप ने मेरी बहन के लिए...? आप शादी तक नहीं कर सके ।
- बेटा मैने पालन पोषण में कोई कसर नहीं छोड़ी और बता बेटा मैं क्या करता ? अब उसके लिए अच्छे से अच्छा वर ढूढं रहा हूँ । पिता जी ने मुझे समझाते हुए कहा।
- आपने वो नहीं किया जो आजकल के जमाने में करना चाहिए था।
- क्या करना चाहिए था ? क्या नहीं किया ?
- आप को मेरी बहन को पढाना चाहिए था।
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कारवाई
पटवारी के विरूद्व रिश्वत के सभी सबूत इस्पैक्टर को दे दिये थे। परन्तु दो महीने हो गये थे, कोई कारवाई नहीं की गर्ई। इस लिए मैं यही पूछने के लिए थाने की ओर जा रहा था कि सामने क्या देखा ? इस्पैक्टर पटवारी की मोटरसाईकिल से उतर रहा था। मैं यह दृश्य देखकर समझ गया कि कारवाई क्यों नहीं हुई। मैं यही से उल्टे पैर लोट गया।
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कसूर
कालू और मोनू जेल में बन्द है कालू बोला - कल हमें फांसी हो जायेगी। आज हमें आखरी रात बात-चीत कर के बितानी चाहिए।
मोनू राजी हो गया और दोनो अपने अपराध पर बातें करने लगे। कालू बोला- हम ने कत्ल किया है जिस के लिए हमें फासी हो रही है। परन्तु जिसका हम ने कत्ल किया था उस का क्या कसूर था। जिस को हम ने मौत के धाट दिया है। मोनू ने जवाब दिया।
कालू मोनू का मुहँ ताकने लगा और फिर दोनों सुबह होने का इन्तजार करने लगे ।
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मोनू राजी हो गया और दोनो अपने अपराध पर बातें करने लगे। कालू बोला- हम ने कत्ल किया है जिस के लिए हमें फासी हो रही है। परन्तु जिसका हम ने कत्ल किया था उस का क्या कसूर था। जिस को हम ने मौत के धाट दिया है। मोनू ने जवाब दिया।
कालू मोनू का मुहँ ताकने लगा और फिर दोनों सुबह होने का इन्तजार करने लगे ।
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दिवाली के भिखारी
- सेठ जी ! बिजली तथा डाक विभाग कर्मचारी दिवाली मांग रहे हैं ?
- ठीक है अन्दर भेज दो।
- हाँ-हाँ ! कर्ई बार सुन चुका हूँ । परन्तु आप तो सरकारी कर्मचारी हैं ?
- दिवाली तो सभी की होती है चाहे सरकारी हो या न हो ।
- ठीक है उधर से एक - एक मिठाई का डिब्बा ले ले ।
- सेठ जी ! हमें तो नकद ही दे दो ।
- तो आप सरकारी भिखारी है।
और वे चुप हो जाते है। सेठ जी ने जेब से निकाल कर दस - दस रूपये दे दिये ।
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- ठीक है अन्दर भेज दो।
- हाँ-हाँ ! कर्ई बार सुन चुका हूँ । परन्तु आप तो सरकारी कर्मचारी हैं ?
- दिवाली तो सभी की होती है चाहे सरकारी हो या न हो ।
- ठीक है उधर से एक - एक मिठाई का डिब्बा ले ले ।
- सेठ जी ! हमें तो नकद ही दे दो ।
- तो आप सरकारी भिखारी है।
और वे चुप हो जाते है। सेठ जी ने जेब से निकाल कर दस - दस रूपये दे दिये ।
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डूप्लीकेट जेवर
मेरी शादी को तीन महीने हो गये है । मेरे जेवर काले होने शुरू हो गये है । मैंने अपनी सास को बताया ।
- बेटी ! तेरे जेवर डूप्लीकेट है कारण तुझे तो मालूम ही है कि हम बहुत गरीब है।
यह सुनकर मेरे पाँव के नीचे की धरती खिसक गर्ई ओर पिता जी की याद आ गर्ई कि डूप्लीकेट वस्तुऐं कभी नहीं लेती थी। जिस के कारण से मेरे पिता के वेतन का अधिकतर भाग मेरे ऊपर खर्च हो जाता था। परन्तु आज अपनी गल्ती का अहसास हो रहा है। यदि मैं अपने ऊपर कम खर्च करवाती तो मेरे पिता जी के पास काफी धन होता, जिस से मेरी शादी अमीर धराने में हो सकती थी और मुझे डूप्लीकेट जेवर न पहनने पड़ते ।
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मेरी शादी को तीन महीने हो गये है । मेरे जेवर काले होने शुरू हो गये है । मैंने अपनी सास को बताया ।
- बेटी ! तेरे जेवर डूप्लीकेट है कारण तुझे तो मालूम ही है कि हम बहुत गरीब है।
यह सुनकर मेरे पाँव के नीचे की धरती खिसक गर्ई ओर पिता जी की याद आ गर्ई कि डूप्लीकेट वस्तुऐं कभी नहीं लेती थी। जिस के कारण से मेरे पिता के वेतन का अधिकतर भाग मेरे ऊपर खर्च हो जाता था। परन्तु आज अपनी गल्ती का अहसास हो रहा है। यदि मैं अपने ऊपर कम खर्च करवाती तो मेरे पिता जी के पास काफी धन होता, जिस से मेरी शादी अमीर धराने में हो सकती थी और मुझे डूप्लीकेट जेवर न पहनने पड़ते ।
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तमीज
मदन गोपल कल्याणकारी दफत्तर गया हुआ था, बुक लोन के लिए.....। साथ सुलेख भी चला जाता है। चपड़ासी से मदन गोपाल पुछता है- सरदार जी कहां गये है।
जबाब मिला- आप को तमीज है बोलने की ......।
मदन गोपल और चपड़ासी एक दूसरे के जबाब तलब में लग जाते है। पीछे खड़ा सुलेख इन दोनो की बात सुन रहा था कि मदन गोपल ने सिर्फ यही तो कहाँ है - सरदार जी कहाँ गये है ? इस में कोई गलत बात तो नहीं है .......? सुलेख से रहा नहीं गया और आगे बढ कर बोला - भाई साहब ! इस ने क्या कहा है ? जो आप तमीज की बात कर रहे हो ....।
- गुड एण्ड मिट
- अग्रेजी बोलने की तमीज है इस का कोई अर्थ है ? तमीज हम को है आप को नहीं है।
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जबाब मिला- आप को तमीज है बोलने की ......।
मदन गोपल और चपड़ासी एक दूसरे के जबाब तलब में लग जाते है। पीछे खड़ा सुलेख इन दोनो की बात सुन रहा था कि मदन गोपल ने सिर्फ यही तो कहाँ है - सरदार जी कहाँ गये है ? इस में कोई गलत बात तो नहीं है .......? सुलेख से रहा नहीं गया और आगे बढ कर बोला - भाई साहब ! इस ने क्या कहा है ? जो आप तमीज की बात कर रहे हो ....।
- गुड एण्ड मिट
- अग्रेजी बोलने की तमीज है इस का कोई अर्थ है ? तमीज हम को है आप को नहीं है।
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पैसे की करामात
सुमर की अधिक गरीबी होने के कारण जवानी में शादी नहीं हो पाई थी । उम्र ढलने लगी थी और पैसा एकत्रित होने लगा था वह अक्सर गरीबों के संकट के समय काम आ जाता था। जिस से वह सुमरे से भगत जी बन गये और अब उस की गिनती पैसों वालों में होने लगी .......।
दूर के रिश्ते से एक भाई उस का रिश्ता लेकर आया। भगत जी कहने लगा - इस उम्र में शादीं कर के क्या करूगा।
वह कहने लगा - हर उम्र में जीवन साथी की जरूरत होती है और बुढा़पा अकेले तो कटता ही नहीं है...... वह भी बहुत गरीब परिवार की लड़की है। कम से कम आप के यहाँ इज्जत से तो रहेगी।
और उन की शादीं हो गर्ई।
* * * * * *
दूर के रिश्ते से एक भाई उस का रिश्ता लेकर आया। भगत जी कहने लगा - इस उम्र में शादीं कर के क्या करूगा।
वह कहने लगा - हर उम्र में जीवन साथी की जरूरत होती है और बुढा़पा अकेले तो कटता ही नहीं है...... वह भी बहुत गरीब परिवार की लड़की है। कम से कम आप के यहाँ इज्जत से तो रहेगी।
और उन की शादीं हो गर्ई।
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लवमैरिज
- भाई ! मुझे पता चला है कि आप की लड़की ने लवमैरिज कर ली है। आप के साथ तो बहुत बुरा हुआ है।
- क्या हुआ ! लड़की को मनपसदं पति मिल गया है। मुझे और क्या चाहिए। मैने जो देना था वह दे दिया है । बुराई इस में क्या है, हाँ ! मैं तो लवमैरिज प्राथमिकता देता हूँ। खास कर आप जैसे माँ - बाप के लिए .......। अगर आपकी लड़की सुनीता भी लवमैरिज कर लेती तो उसे आज ये दिन न देखना पड़ता । आज सुनीता की उम्र लगभग छत्तीस साल की होगी।
- इस में मेरा क्या कसूर है अच्छा लड़का मिलता ही नहीं है । लड़का ढूढना बच्चों का खेल तो नहीं है ?
- आप शादी भी क्यों करने लगे। लड़की बैक में क्लर्क है। दो हजार रूपये महीने के मिलते है और आप को क्या चाहिए। रोना तो सुनीता बेटी का है । इतनी उम्र में भी कुआरी बैठी है। भगवान ही मलिक है ! क्योंकि आप को कोई लड़का पसन्द ही नहीं आऐगा ।
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- क्या हुआ ! लड़की को मनपसदं पति मिल गया है। मुझे और क्या चाहिए। मैने जो देना था वह दे दिया है । बुराई इस में क्या है, हाँ ! मैं तो लवमैरिज प्राथमिकता देता हूँ। खास कर आप जैसे माँ - बाप के लिए .......। अगर आपकी लड़की सुनीता भी लवमैरिज कर लेती तो उसे आज ये दिन न देखना पड़ता । आज सुनीता की उम्र लगभग छत्तीस साल की होगी।
- इस में मेरा क्या कसूर है अच्छा लड़का मिलता ही नहीं है । लड़का ढूढना बच्चों का खेल तो नहीं है ?
- आप शादी भी क्यों करने लगे। लड़की बैक में क्लर्क है। दो हजार रूपये महीने के मिलते है और आप को क्या चाहिए। रोना तो सुनीता बेटी का है । इतनी उम्र में भी कुआरी बैठी है। भगवान ही मलिक है ! क्योंकि आप को कोई लड़का पसन्द ही नहीं आऐगा ।
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आजकल की मनोवृति
आधुनिक पोशाक में सजा -धजा नौजवान साईकिल लेकर कालेज के सामने आ खड़ा होता है । तभी खूबसूरत लड़की उस की ओर बढती है और पीछे से लड़कियां कहती है
- ये तेरा यार है क्या ?
- यार तो होगा तेरा , मेरा तो भाई है।
अभी कुछ दूर ही चले थे कि लड़के का मित्र मिल जाता है
- ये खूबसूरत हसीना कितने में फसाई है?
- अरे भाई ! ये तो मेरी बहन है
और उस का मित्र शर्म से सिर नीचे कर लेता है ।
और ये आगे की ओर चल देता है कि आगे पुलिस वाले ने रोक लिया
- तुम कौन हो ? चलो पुलिस स्टेशन में ....?
- हम बहन भाई है!
- इस का क्या सबूत है ?
- ये रहा मेरी बहन का कालेज परिचय, मेरा मोटर साईकिल का लाईसैस ......। देख लो दोनो के बाप के नाम और पते ।
- माफ करना दोस्त ! चैक करना हमारा कर्त्तव्य है ।
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बुढापा एक अभिशाप
- ये तेरा यार है क्या ?
- यार तो होगा तेरा , मेरा तो भाई है।
अभी कुछ दूर ही चले थे कि लड़के का मित्र मिल जाता है
- ये खूबसूरत हसीना कितने में फसाई है?
- अरे भाई ! ये तो मेरी बहन है
और उस का मित्र शर्म से सिर नीचे कर लेता है ।
और ये आगे की ओर चल देता है कि आगे पुलिस वाले ने रोक लिया
- तुम कौन हो ? चलो पुलिस स्टेशन में ....?
- हम बहन भाई है!
- इस का क्या सबूत है ?
- ये रहा मेरी बहन का कालेज परिचय, मेरा मोटर साईकिल का लाईसैस ......। देख लो दोनो के बाप के नाम और पते ।
- माफ करना दोस्त ! चैक करना हमारा कर्त्तव्य है ।
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बुढापा एक अभिशाप
मुझे अपने गाँव की याद आई थी । मैनें जल्दी-जल्दी कार्यालय का काम समाप्त कर के मोटर साईकिल से गाँव की ओर चल दिया –
एक वृद्वा सड़क के किनारे बैठा-बैठा ही आटों वालो को आवाज देकर , रोकने का प्रयास कर रहा था । परन्तु आटों वाले वृद्वा होने के कारण अपने आटों में नहीं बैठा रहे थे । मैनें वृद्वा के पास जा कर पूछा-
आप ने कहाँ जाना है ?
तभी मेरी नंजर वृद्वा के ऊपर गर्इ तो क्या देखा –
यह तो गाँव के स्कूल का हैडमास्टर हुआ करते थे । मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस रोड़ पर चलने वाले अधिकतर आटों वाले इन्ही से पढ़ा करते थे । इन को आटों में बैठना तो दूर , इन को आदर तक नहीं देते है । मैनें हैडमास्टर को अपनी मोटर साईकिल पर बैठा कर गाँव ले गया । मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है बस !एक बात ही समझ आती है कि बुढापा एक अभिशाप है । ##
एक वृद्वा सड़क के किनारे बैठा-बैठा ही आटों वालो को आवाज देकर , रोकने का प्रयास कर रहा था । परन्तु आटों वाले वृद्वा होने के कारण अपने आटों में नहीं बैठा रहे थे । मैनें वृद्वा के पास जा कर पूछा-
आप ने कहाँ जाना है ?
तभी मेरी नंजर वृद्वा के ऊपर गर्इ तो क्या देखा –
यह तो गाँव के स्कूल का हैडमास्टर हुआ करते थे । मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस रोड़ पर चलने वाले अधिकतर आटों वाले इन्ही से पढ़ा करते थे । इन को आटों में बैठना तो दूर , इन को आदर तक नहीं देते है । मैनें हैडमास्टर को अपनी मोटर साईकिल पर बैठा कर गाँव ले गया । मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है बस !एक बात ही समझ आती है कि बुढापा एक अभिशाप है । ##
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अपराध
अपराध
वह तेजी से मोटर साईकिल पर जा रहा था । नौजवान लड़की ने आवाज दी – क्या ! आप पुलिया की ओर जा रहे हो ?
वह मोटर साईकिल वाला आवाज सुन कर , वपिस मोड़ कर , आ कर खड़ा हो गया !
– मेरी माता जी को पुलिया तक छोड़ देना ?
वह मोटर साईकिल वाला,उस नौजवान लड़की को धूरता हुआ,बड़बड़ता हुआ,वपिस मोटर साईकिल मोड कर नौ-नौ -ग्यारह हो गया ।उस नौजवान को लगा , मानों उस ने कोई अपराध कर दिया है ? ##
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वह मोटर साईकिल वाला आवाज सुन कर , वपिस मोड़ कर , आ कर खड़ा हो गया !
– मेरी माता जी को पुलिया तक छोड़ देना ?
वह मोटर साईकिल वाला,उस नौजवान लड़की को धूरता हुआ,बड़बड़ता हुआ,वपिस मोटर साईकिल मोड कर नौ-नौ -ग्यारह हो गया ।उस नौजवान को लगा , मानों उस ने कोई अपराध कर दिया है ? ##
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पति महोदय
रोजाना की तरह डाकं खोल खोल कर पढ़ रहा हूँ। एक डाकं खोली तो देखा, अपने ही शहर में जन्मी लेखिका का संक्षेप परिचय –
अच्छा लगा! अपने शहर की लेखिका का परिचय पढ़ते-पढ़ते बहुत आनन्द मिला,उस ने अपने माता – पिता का भी उल्लेख किया है परन्तु पति महोदय का नाम कहीं पर भी नंजर नहीं आया । लगा!शायद शादीं ही नहीं हुई होगी…। परन्तु फोटो श्रृंखला देखते- देखते पुरस्कार समारोह में पोते का जिक्र कर रखा है अच्छा लगा कि लेखिका शादींशुद्वा है। लगता है पति महोदय का जिक्र करना कहीं तक उचित नहीं समझा है ?
अच्छा लगा! अपने शहर की लेखिका का परिचय पढ़ते-पढ़ते बहुत आनन्द मिला,उस ने अपने माता – पिता का भी उल्लेख किया है परन्तु पति महोदय का नाम कहीं पर भी नंजर नहीं आया । लगा!शायद शादीं ही नहीं हुई होगी…। परन्तु फोटो श्रृंखला देखते- देखते पुरस्कार समारोह में पोते का जिक्र कर रखा है अच्छा लगा कि लेखिका शादींशुद्वा है। लगता है पति महोदय का जिक्र करना कहीं तक उचित नहीं समझा है ?
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दरोगा जी
कोर्ट में मुकदमा जीतने के बाद जज साहब ने बुजर्ग को बधाई देते हुए कहा- बाबा !आप केस जीत गये ।
बुजर्ग ने कहा- प्रभु जी ! आप को इतनी तरक्की दे, आप " दरोगा जी " बन जाए ।
वकील बोला- बाबा! जज तो " दरोगा " से तो बहुत बड़ा होता है।
बुजुर्ग बोला- ना ही साहब ! मेरी नजर में "दरोगा जी" ही बड़ा है।
वकील बोला- वो कैसे ?
बुजुर्ग – जज साहब ने मुकदमा खत्म करने में दस साल लगा दिये जब कि "दरोगा जी" शुरू में ही कहा था। पांच हजार रुपया दे , दो दिन में मामला रफा दफा कर दूगाँ । मैने तो पांच की जगह पंचास हजार से अधिक तो वकील को दे चुका हूँ और समय दस साल से ऊपर लग गये।
जज साहब और वकील तो बुजुर्ग की तरफ देखते ही रह गये। ००
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ज़िन्दगी का पहला वेतन
कालिया जिन्दगी का पहला वेतन लेकर घर आ रहा था। घर के बाहर भिखारी ने रोक लिया और हाथ आगे कर के बोला - कुछ दे दो ?
कालिया ने जेब से पर्स निकाल कर, उसमें से एक सौ का नोट देते हुए बोला - कितने दिन तक भीख नहीं मांगेगा ?
भिखारी ने उत्तर दिया - सिर्फ़ तीन दिन
कालिया ने कहा - अगर पांच सौ का नोट दे दूं तो ?
भिखारी ने कहा - कम से कम पंद्रह दिन तक।
कालिया ने फिर कहा - अगर दस हज़ार दे दूं तो ?
भिखारी का सिर घूम गया और कालिया की ओर घूरते हुए बोला - भिखारी की मज़ाक मत उड़ाओ ।
कालिया ने कहा- मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूं।
भिखारी ने तंवर घुमाते हुए बोला - जिन्दगी में कभी भीख नहीं मांगूंगा। इन पैसों से काम करूंगा।
कालिया ने तुरन्त जिन्दगी का पहला वेतन के पूरे के पूरे दस हजार भिखारी के हाथ पर रख दिए। भिखारी खुशी के मारें रौ पड़ा । कालिया तो भिखारी के पांव छू कर घर में घुस गया। यह सब नजारा कालिया के पिता जी देख रहे हैं और सोचने लगें कि मेरे पिता जी ने मेरा जिन्दगी का पहला वेतन का शनि मंदिर के बाहर लंगर लगाया था। परन्तु कालिया तो मेरे पिता जी से भी आगे निकल गया । ००
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परिवार में बेटी
"पापा ! दीदी की मृत्यु को एक साल से भी अधिक हो गया है। परन्तु आप ने दीदी की कापीयां - क़िताबें अब तक क्यों संभाल कर रखीं हैं ? दीदी अब जिन्दा होकर आने वाली नहीं है जो आगे पढ़ने के लिए ......! " कहते हुए कालिया रों पड़ता है।
अन्दर से मां आती है। कालिया को चुप करवातीं है और अपने साथ अन्दर ले जाती है।
पापा , बेटी की कापियां-किताबें को देख कर ,अब भी गुम सुम से है। बेटी को स्कूल जाते कुछ लड़कों ने अपहरण कर के बलात्कार के बाद हत्या कर दी थी। पापा अब भी सोच रहा है । अगर बेटी को स्कूल ना भेजता तो बेटी भी जिन्दा होती .....! पापा ने ही बेटी को स्कूल भेजने के लिए परिवार पर दबाव बनाया था। पहले परिवार में बेटी स्कूल नहीं जाती थी । °°
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स्कूल की फीस
कालिया स्कूल के बाहर खड़ा रौ रहा है। तभी स्कूल का मास्टर राम केसर आ जाता है। कालिया से पूछते है -
" बेटा ! क्यों रौ रहे हो ? "
" पापा ने स्कूल की फीस नहीं दी ।"
" बेटा ! तेरा पापा एक नम्बर का शराबी है ।"
" नहीं मास्टर जी ! मेरे पापा शराब नहीं पीते है ।"
" बेटा ! तेरा पापा एक नम्बर का जुहारी है ।"
" नहीं मास्टर जी ! मेरे पापा जुआ नहीं खेलते है ।"
तभी एक भिखारी आ जाता है और बच्चे से पूछता है - " बेटा ! क्यों रौ रहें हो ? "
" पापा ने स्कूल की फीस नहीं दी है । "
भिखारी पूछता है - " स्कूल की फीस कितनी है ? "
कालिया - " तीस रुपये "
तुरन्त भिखारी तीस रुपये कालिया को देकर चल देता है। कालिया खुशी - खुशी स्कूल के अन्दर चला जाता है। मास्टर राम केसर तो भिखारी को देखता ही रह जाता है। ००
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