लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी
लघुकथा - 2018 , लघुकथा - 2019 , लघुकथा - 2020 , लघुकथा - 2021 , लघुकथा - 2022 , व लघुकथा - 2023 की अपार सफलता के बाद लघुकथा - 2024 का सम्पादन किया जा रहा है । जो आपके सामने ई - लघुकथा संकलन के रूप में है । लघुकथाकारों का साथ मिलता चला गया और ये श्रृंखला कामयाबी के शिखर पर पहुंच गई । सफलता के चरण विभिन्न हो सकते हैं । परन्तु सफलता तो सफलता है । कुछ का साथ टूटा है कुछ का साथ नये - नये लघुकथाकारों के रूप में बढता चला गया । समय ने बहुत कुछ बदला है । कुछ खट्टे - मीठे अनुभव ने बहुत कुछ सिखा दिया । परन्तु कर्म से कभी पीछे नहीं हटा..। स्थिति कुछ भी रही हो । यही कुछ जीवन में सिखा है । लघुकथा का स्वरूप भी बदल रहा है। जो समय की मांग या जरूरत कह सकते हैं। परिवर्तन, प्रकृतिक का नियम है। जिसे नकारा नहीं जा सकता है। एक तरह से देखा जाए तो ये लघुकथाकारों का आयोजन हैं। जो सत्य से परें नहीं है। लघुकथाकारों के साथ पाठकों का भी स्वागत है । अपनी राय अवश्य दे । भविष्य के लिए ये आवश्यक है । आप के प्रतिक्रिया की...
जय माता दी 🙏💐
ReplyDelete. नवरात्रि का पहला दिन माता का पहला स्वरूप
Delete🌹"माँ शैलपुत्री" 🌹
देवी शैल पुत्री का वर्णन हमें ब्रह्म पुराण में मिलता है। पुराण के अनुसार चैत्र प्रतिपदा के प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्मा ने संसार की रचना की थी। माना जाता है कि इसी दिन श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था।
नवरात्र की प्रथम देवी शैलुपुत्री मानव मन पर अपनी सत्ता रखती हैं। उनका चंद्रमा पर भी आधिपत्य माना जाता है। शैलपुत्री पार्वती का ही रूप हैं। पर्वतराज हिमालय के घर में जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
कथा है कि देवी पार्वती शिव से विवाह के पश्चात हर साल नौ दिन अपने मायके यानी पृथ्वी पर आती थीं। नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज अपनी पुत्री का स्वागत करके उनकी पूजा करते थे, इसलिए नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रुप की पूजा की जाती है।
श्वेतवर्ण शैलपुत्री के सर पर सोने के मुकुट में त्रिशूल सुशोभित है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल, बाएं हाथ में कमल सुशोभित है।
मान्यता है कि शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति को सुख, सुविधा, माता, घर, संपत्ति, में लाभ मिलता है। मनोविकार दूर होते हैं। इन्हें सफेद फूल चढ़ाएँ, गाय के घी का दीपक जलाएँ। दूध-शहद और खोए की मिठाई का भोग लगाएँ।
🌹🙏 "जय माता दी"🙏🌹
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जय हो
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