डॉ. चन्द्र दत्त शर्मा से साक्षात्कार
सुपुत्र: श्री श्रीदत्त शर्मा
पद: हिंदी प्राध्यापक
प्रकाशित पुस्तक : -
1.भारतभूमि , विधा: काव्य
2 दर्पण , विधा: काव्य
3. भारतेनदु काव्य , विधा: समीक्षा
4.हाइकु शतक (काव्य)
5.आंखे हैं पर हाथ नहीं , विधा: काव्य
6. चंद्रिका , विधा:काव्य
7.ढाई अक्षर (लघुकथा संग्रह)
8.कविता कल्पतरु है ,विधा: काव्य
9.मगवा काव्य , (काव्य -संग्रह)
10. भारतमाता का मंदिर ,विधा:( हाइकु काव्य)
सम्मान : -
180 सम्मान विभिन्न संस्थानों से सम्मानित
विशेष : -
- अभिरुचि: रक्तदान, गौ सेवा और वृक्षारोपण।
- साहित्यिक प्रसार माध्यम में दूरदर्शन हिसार, आकाशवाणी रोहतक,
- पत्र - पत्रिकाएं में रचनाएं प्रकाशित
- 15 सांझा संग्रह में प्रकाशित
- अप्रकाशित कृतियां - 35
पता :
ग्राम : ब्राह्मणवास जिला रोहतक - हरियाणा 124001
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - आदरणीय मैंने बारहवीं कक्षा के बाद अच्छे से लिखना प्रारंभ किया, उस समय मेरी आयु 19 वर्ष की रही होगी। मैट्रिक तक मेरे लेखन के संस्कार उभरने लगे थे। मेरे प्रेरणा स्रोत- मैथिलीशरण गुप्त, दिनकर, निराला रहे। बाद में तुलसीदास जी से भी मैं बहुत प्रभावित रहा हूं। स्कूल की दीवारों पर लिखे स्लोगन अपनी कॉपी में उतारता और महात्मा बुध, लिंकन, शिवाजी, अन्य महान विभूतियों की जीवनी पढ़कर भी मुझे जीवन में कुछ बनने कुछ की प्रेरणा मिलती थी। पिताजी के एक भजन गायक के संस्कार और माता जी के भक्ति के संस्कारों ने मुझे चिंतनशील बना दिया था।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - मेरी पहली रचना बी ए प्रथम वर्ष मैं गौड ब्राह्मण डिग्री कॉलेज रोहतक, की एक पत्रिका में *गौरव गाथा* नाम से भेजी गई थी। वैसे मेरी सबसे पहली रचना स्वर्ग और नर्क भी रही है। जहां तक आकाशवाणी के प्रसारण का सवाल है, 1997 में मैं आकाशवाणी रोहतक से काव्य पाठ करता रहा हूं।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - मैं कविता ,कहानी ,लघुकथा, निबंध आदि विधाओं में अपनी लेखनी चलाता हूं। मुझे सबसे प्रिय काव्य विधा है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - मैं साहित्य के माध्यम से समाज को यह संदेश देना चाहता हूं कि साहित्य जीवन की अभिव्यक्ति है, इसलिए सत्साहित्य से समाज को उन्नति के पथ पर अग्रसर किया जा सकता है, साहित्य में वह ऊर्जा होती है जो एक अणु बम में भी नहीं होती। शब्दों की शक्ति अत्यंत प्रबल होती है इसलिए शब्दों के माध्यम से समाज को और राष्ट्र को उन्नति की ओर ले जाना हर साहित्यकार का दायित्व है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - आजकल सभी साहित्यकार बहुत अच्छा लिख रहे हैं। सामाजिक विसंगतियों पर भी अच्छा लिखा जा रहा है। मुझे कविवर दुष्यंत कुमार की भाषा- शैली बहुत अच्छी लगती है और नीरज जी की भाषाशैली भी बहुत अच्छी लगती है।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - मैंने आकाशवाणी रोहतक से लगभग 12 वर्षों तक काव्य- पाठ किया, इसके अतिरिक्त दो तीन बार दूरदर्शन हिसार से भी मेरा प्रसारण रहा है और कई प्रसिद्ध चैनलों से भी रचनाओं का प्रसारण रहा है। आधुनिक काल में हिंदी साहित्य के प्रचार ,प्रसार के लिए मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है। इसलिए दूरदर्शन और आकाशवाणी से प्रसारण करते मुझे बहुत अच्छा अनुभव हुआ और साहित्य की गति को आगे और अधिक गतिमान करने के लिए मुझे हर्ष का अनुभव हुआ।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - कवि सम्मेलनों का मेरे लिए अर्थ- शुद्ध साहित्यिक शब्दावली का प्रयोग करते हुए राष्ट्रीय और सामाजिक विषयों पर बोलना ही है और इसे मैं आम जनता के लिए अच्छा प्रेरणा स्रोत मानता हूं।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में साहित्य जीवन का मात्र प्रतिबिंब नहीं है ,अभी तो दीपक भी है और वह दीपक जो न केवल आंधी में अपने अस्तित्व को बचाए रखता है बल्कि अंधेरे में भटकते जन-जन को वह रास्ता दिखाता है जिसके लिए उनका मनुष्य होना सफल हो। जहां तक फेसबुक साहित्य की बात करते हैं, वैसे तो आज का मीडिया खासकर ,सोशल मीडिया एक साहित्य के प्रचार- प्रसार और विभिन्न गतिविधियों का प्रमुख माध्यम है और हिंदी साहित्य के प्रचार- प्रसार के लिए अच्छा स्रोत है ,किंतु जब हम किसी भी साधन का दुरुपयोग करते हैं तो अपनी महत्ता खोने लगता है , यदि मौलिक साहित्य के साथ किसी की छेड़छाड़ ना की जाए तो फेसबुक प्रसारण का सशक्त माध्यम हो सकता है।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार प्राप्ति किसी साहित्यकार के लिए कोई मानदंड नहीं होता हां, इतना अवश्य है कि साहित्य सेवी अपने अथक प्रयास से समाज की सेवा में लीन रहता है ।इस कारण उसको उत्साहित और हौसला अफजाई के लिए समय-समय पर पुरस्कारों का आयोजन किया जाता है, श्रेष्ठ को सम्मान मिलना ही चाहिए।जहां तक मेरे सम्मान में पुरस्कारों का प्रश्न है ,विभिन्न संस्थानों और सरकारी विभाग से मुझे 180 से अधिक सम्मान प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - साहित्यकार का पूरा जीवन घटना और संस्मरणों से भरा हुआ होता है, इसलिए किसी एक संस्मरण का क्या जिक्र करूं।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसके लिए उसका परिवार उसका दायरा होता है , यह उसका प्रारंभिक लेखन का क्षेत्र होता है चाहे फिर उसे परिवार से सहयोग मिले या ना मिले, क्योंकि मैं प्रारंभ से ही छिपकर लिखता था ,मेरा लेखन के कार्य में कोई सहयोग परिवार से नहीं मिला बल्कि मुझे प्रतिकार के रूप में कुछ कर गुजरने की ऊर्जा जरूर मिली है।
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