गिरीश चन्द्र ओझा ' इन्द्र ' से साक्षात्कार
जन्म : तिथि : 29 अप्रैल 1964
माता : स्व० कमलावती देवी
पिता : स्व० विश्वनाथ ओझा
शिक्षा : इंटरमीडिएट सह हिंदी पत्रकारिता,
व्यवसाय : कर्मकाण्ड,
प्रकाशित कृतियां : -
01. राम - समर्पण(खण्ड - काव्य)
02.श्री गुरु चालीसा
03.गजराज पुकारे हरि आए (स्तुति - काव्य)
04.सरल गायत्री साधना
05.सरस्वती चालीसा
06.शक्तिमाला (स्तुति - काव्य)
07.सीताराम ब्रह्म चालीसा
08.सुमन के गांव में (गीतिका - काव्य )
09; इन्द्र की श्रेष्ठ रचनाएं: पद्य
10. इन्द्र की श्रेष्ठ रचनाएं: गद्य
11. समीक्षानामा
12. जय गणेश
13. मां क्या होती है ?
सम्मान : -
- मंजिल ग्रुप साहित्यिक संस्थान का शतकवीर
- मातोश्री व श्रेष्ठ दैनिक लेखन सम्मान
- फेस ऑफ़ इण्डिया अवार्ड २०२२
व विविध सम्मान
विशेष : -
- संस्थापक : अन्तर्ज्योति सेवा संस्थान, गोला - गोकर्णनाथ,खीरी, ऊ ०प्र० व शक्ति सेवा संस्थान अजुवाॅ,आजमगढ़, ऊ ०प्र० ।
- अनुभव : अन्तर्ज्योति त्रयमासिक पत्रिका का संपादन
- अतिरिक्त: सरस्वती - वन्दना और इतिहास कारोना काल मोबाइल एप्स और काव्य - क्रांति /सीप में मोती/काव्य प्रभा/स्नेह अनुबंध/कोरोना काल /नव सृजन , कृतिका,वामिका ,काव्याश्रम,विदित,काव्य के मोती,खूबसूरत लम्हें,काव्यानुभूति,प्रेमानुभूति , शक्ति पुंज,फिसलती रेत सी जिन्दगी आदि साझा संकलनों में प्रकाशन
स्थाई पता : -
कोठिया, आजमगढ़, ऊ ०प्र०-276124
पत्र सम्पर्क : -
डा ० विजय प्रताप सिंह जी, शक्ति सेवा संस्थान,श्री दुर्गा शक्ति पीठ, अजुवाॅ,आजमगढ़, उत्तर प्रदेश -276127
प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
उत्तर - दसवीं कक्षा पास करने के उपरान्त मैं लिखने लगा था। आरम्भ में तो मैं पत्रकारिता से जुड़ा।कई पत्र - पत्रिकाओं के प्रतिनिधि / संवाददाता के रूप में कार्य विगत में हमने किया जिसमे तंत्र इंडिया,सेवाग्राम,जगदीश स्वर आदि शामिल हैं। अन्त में लाजपतनगर,दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पत्राचार पाठ्यक्रम किया।उसके बाद हमारे लेखन में गति आई।वह समय मुझे याद है जब लखनऊ के सेवाग्राम में अपनी खबर छपी थी और मैं फूला नहीं समाया,घर गांव में बतासे भी बांटे गए थे।कुल मिलाकर मेरा रुझान साहित्य लेखन में आरम्भ से ही रहा।
प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - हमारी प्रथम रचना एक समाचार के रूप में लखनऊ के पत्र सेवाग्राम में छपी।फिर लेख,कविताएं ,फीचर आदि देश में भिन्न भिन्न पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए,जिसकी केटिंग्स हमारे पास पत्र के संपादक भेजते थे जिससे मैं प्रसन्न होता था।एक बार मेरा छोटा भाई शैलेश मेरी पांच किलो प्रकाशित रचनाओं की कटिंग एक दुकान पर ले जाकर मुझसे पूछे बिना रद्दी के भाव में बेच आया।पता चलने पर मुझे बहुत कष्ट भी हुआ,मगर मैं हाय - हाय के अतिरिक्त कुछ भी नही कर सका।
प्रश्न न. 3 - आप किन-किन विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - गद्य / पद्य दोनों विधाओं में मेरा लेखन होता है। पद्य विधा में सहजता के साथ मेरी सर्जना -साधना होती है।कहानी,लघुकथा,संस्मरण,फीचर,लेख ,यात्रा - वृत्त का भी लेखन यथा - समय होता रहता है।
प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर- साहित्य समाज का दर्पण है।समाज मेरे लेखन से अपने स्वरूप में कुछ सुधार यदि कर सके तो अपने लेखन को मैं धन्य से धन्य मानूंगा।मेरे एक शब्द से समाज का एक बिन्दु भी अपने में कुछ सुधार ला सका तो मेरा लेखन सफल है,ऐसा मेरा विचार है।
प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी पुस्तक है ?
उत्तर - आचार्य चतुर्सेन शास्त्री जी की पुस्तक " अहम ब्रह्मास्म" मुझे सबसे अधिक पसन्द है।
प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर - नहीं मिला।विगत में इसके लिए कुछ प्रयास भी हमने किया था मगर सम्भव नहीं हो सका।
प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर : मेरा लेखन मंचीय धूम - धाम से अलग एक शांति पूर्ण वातावरण में जीना चाहता है फिर भी दो - चार बार मंच पर भी काव्य - पाठ हमने किया।वास्तव में मंच साधनामय लेखन में बाधक है ऐसा मेरा मानना है।
प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है तथा फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - फेसबुक और व्हाट्स ऐप साहित्य लेखन में विशेष रूप से सहयोगी और उपयोगी भी हैऐसा मेरा विश्वास है।मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच,मुंबई से मेरा लेखन जुड़ा हुआ है और इस संस्थान से ५ कृतियां भी मेरी इस वर्ष में प्रकाशित हुई हैं।
प्रश्न न.9 - वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - सरकारी पुरस्कार तो आजकल मरने के बाद ही किसी को एक्स पाता है ऐसा मेरा मानना है।जुगाड के बिना कोई भी रचनाकार सरकारी सम्मान नहीं पा सकता।अगर आपके पास परिचय और जुगाड है तो एक चौपतीया पर भी आप बड़ा सम्मान पा सकते हैं।
प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर - अपने लेखन काल में एक ऐसा समय भी आया,जब तीन साल तक हमने एक भी रचना नहीं लिखा।यह समय ऐसे निराशा का थी कि मन में सबकुछ बेकार लगता था।यह संसार असार लगता था।फिर मन को काबू में किया और बहुत समझाया।सबकुछ के बात कलम फिर से पकड़ी तो यह देखकर मुझे अचरज हुआ कि मेरा लेखन एक दम से परिपक्व हो चुका था।
प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - परिवार में हमारी भतीजी मधु भी कभी कभी कुछ न कुछ लिखती रहती है।हमारे लिखने पर मधु रुचि लेती है,समय - समय पर लेखन के बिंदुओं पर चर्चा भी मधु से होती रहती है।भतीजी हेमावती भी हमारे साहित्य - सृजन में अपना रचनात्मक सहयोग करती है।
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