चैत्र नवरात्रि - दूसरा दिन - माँ ब्रह्मचारिणी


              नवरात्रि का दूसरा दिन

                   माता का स्वरूप                 




       

                    माँ ब्रह्मचारिणी




      माँ ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं। नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। जिस का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय है। माँ दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति माँ ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली माँ ब्रह्मचारिणी। यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं। मुख पर कठोर तपस्या के कारण अद्भुत तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर कर रहा है। माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला है और बायें हाथ में कमण्डल होता है। माँ ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं। माँ के कई अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में स्थित होता है। इस चक्र में अवस्थित साधक माँ ब्रह्मचारिणी जी की कृपा और भक्ति को प्राप्त करता है।
                              
                           

                 माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र



या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। 
       नमस्तस्यै    नमस्तस्यै     नमस्तस्यै    नमो    नम:॥
दधाना   कर   पद्माभ्याम    अक्षमाला   कमण्डलू। 
       देवी       प्रसीदतु        मई       ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

         🌹🙏   जय माता दी   🌹🙏 

         
  

Comments

  1. धन्यवाद आपका🙏
    🙏⚘माँ ब्रह्मचारिणी की जय जय जय ⚘🙏

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