तोड़ दो अपनी उदासी




           कविता संग्रह : तोड़ दो अपनी उदासी
                    कवि : राजेन्द्र सारथी
                    विश्वजीत प्रकाशन
                    29 आर्य नगर
                    सैक्टर -17, जी टी रोड़
                    पानीपत-हरियाणा

     " तोड़ दो अपनी उदासी " कविता संग्रह में 31 कविताएं हैं। सभी कविताएं नई कविता की श्रेणी में आती हैं। संग्रह की भूमिका महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय , रोहतक ( हरियाणा) के हिन्दी विभाग ने अध्यक्ष व प्रोसेसर डा. रोहिणी अग्रवाल ने लिखी है। कवि अपने आप में संघर्ष भरा व्यक्तित्व लेकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में घुस कर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहा है। यहीं अनुभूति शब्दों के माध्यम से अख्तियार कर के सर्जनात्मक साधना का उत्कर्ष नमूना कविता के रूप में पेश किया है। कहीं मां की पीड़ा, भ्रष्ट नेताओं, न्यायपालिका का चीरहरण होता देख कर कवि राजेन्द्र सारथी व्यकूल हो उठता है। यहीं पीड़ा हर कविता में नंजर आती है। कविता का जन्म तभी होता है जब संपने टूटते लगते हैं। ऐसा ही कवि के साथ कदम कदम पर होता है। फिर भी कवि सहज़ हो कर जीना चाहता है। खंडहर नामक कविता में उदासी को तोड़ने का प्रयास किया है। विज्ञापन की औरत नामक कविता भी सहज़ होने का प्रमाण देती है। प्यासी नदी नामक कविता में प्राकृतिक आपदा के बजाय मनुष्य की कार गुजारी नंजर अधिक आती है।
     कवि को " कहीं कुछ जल रहा है! "पुस्तक पर हरियाणा सरकार की ओर से हरियाणा साहित्य अकादमी ने "श्रेष्ठ कृति पुरस्कार " दिया है। इससे पहले जैमिनी अकादमी ( पानीपत ) से " कवि कृष्ण दत्त तुफान पानीपती सम्मान " मिला है। मैं सोचता हूं कि कवि की कोई परिभाषा नहीं होती है वह तो प्राकृतिक के न्याय का अंश है। आज कवि इस दुनिया में नही है यह पुस्तक 13अक्तूबर 2011 को अपने हस्ताक्षर सहित बीजेन्द्र जैमिनी को भेंट की थी। इसी पुस्तक के आधार पर समीक्षा पेश है। कवि दैनिक भास्कर (पानीपत ) में कार्य कर चुके है।
       

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