क्या सफलता के बहुत से रिशतेदार बन जाते हैं ?

सफलता के समय हर कोई आपके साथ खड़ा नज़र आता है । जो अपने आपको रिश्तेदार भी साबित कर देता है । परन्तु संकट के समय बड़े से बड़ा रिश्तेदार भी साथ छोड़ जाता है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।अब आये विचारों को देखते हैं : - 
       आवत ही हर्षे नहीं 
        नैनन नहीं सनेह 
        तुलसी तहाँ ना जाईये
         कंचन बरसे मेह।। 
    सफलता के साथ ही यह परिभाषा बदल जाती है और अनेक रिश्ते आपकी देहरी पर अपनेपन की बारिश करने लगते हैं। 
            निःसंदेह सफलता अपने साथ अनेक रिश्तों को लाती है। वे लोग जिन्होंने कभी आपके नाम को अपने साथ जोड़ना नहीं चाहा वेभी आपको अपना सगा बताने में नहीं हिचकिचाते और इंतेहा यह कि आपकी सफलता में अपने तथाकथित योगदान की गाथाएं सुनाने लगते हैं। अगर आप समाज में कहीं कुछ गिनती में आ रहे हैं या किसी ऊँचे पद पर आपकी नियुक्ति हो गई हो।
        रिसते रिश्ते भी महकने लगते हैं। सामाजिक रिश्ते शुभाकाँक्षी रिश्ते बन जाते हैं तो सामान्य सी हाय-हलो दाँत-काटी दोस्ती बन जाती है। जो लोग कभी आपके गाँव से आने के बाद आपसे नजरें और रास्ते चुराते थे वे लँगोटिया यार बन जाते हैं। ममेरे फुफेरे रिश्तों में एक बड़ा ही अपनापन भरा आस्वाद उत्पन्न हो जाता है--आस्वादी रिश्तों में रसोई तक की पहुँच होती है - - मनुहार होती है - - - अधिकार का प्रदर्शन होता है। 
तात्पर्य यही कि सफलता अपने साथ रिश्तों की वो मजबूत दीवार लाती है जो चीन की दीवार की तरह हिन्दी चीनी भाई भाई का नारा देती है मगर दीवार के पार असूया ईर्ष्या अहंकार धोखा बद्दुआ आपकी असफलता की दबी आकाँक्षा छिपी होती है
           हाँ अपवाद भी होते हैं। मानवीय प्रवृत्तियों में सच्चा प्यार स्नेह आशीष अभिनंदन होता है वहाँ ये रिश्ते सच्चे रिश्ते होते हैं जो हर स्थिति में रिश्ते होते हैं - - कभी रिसते नहीं नहीं - - या रिश्तों के नाम पर रिश्वत नहीं होते। 
     - हेमलता मिश्र "मानवी" 
नागपुर - महाराष्ट्र
     अपनी संस्कृति और संस्कार ही परिभाषित करती हैं, हमें किन परिस्थितियों से अग्रसर होते हुए, रिश्तेदारों के बीच रहस्यात्मक रुप से सफलता अर्जित करनी हैं और अनन्त समय तक कामयाबी कायम करनी हैं। लेकिन प्रायः देखने में आता हैं, कि कोई प्रगति के सोपानों की ओर अग्रेषित हैं, तब सब जुड़ते चले जातें, हर कोई फलाना-फलाना का सम्पर्क सूत्र बताकर, अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हो रहे हैं। जब असफलता मिलती जाती हैं, तो समस्त गण अपना दामन छोड़कर चले जातें हैं, यह मानव जीवन की प्रवृत्ति विद्यमान हैं, यह काल चक्र में विभक्त होते गये हैं। वर्तमान और भूत भविष्य के दर्शन-दर्पण जैसा हास्य- परिहास हैं। समसामयिक हो या राजनीतिक व्यवस्थाओं का जहाँ स्वार्थों के बिना कोई भी कार्य सुचारू रूप से सम्पादित होने परेशानियाँ आती हैं और अपनत्व की भावना मन मस्तिष्क में क्रियान्वित करने में सफल होती हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
जीवन में कोई भी व्यक्ति यदि सफलता प्राप्त नहीं कर लेता तब तक उसकी पूछ रिश्तेदार तो क्या उसके परिवार वाले भी नहीं करते। लेकिन वही व्यक्ति जब सफलता प्राप्त कर लेता है तब उसकी पूछ परिवार वाले तो क्या वैसे रिश्तेदार करने लगते हैं जिसको वह ना तो जानता है और ना ही कभी उसके बारे में सुना है। जब आप सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच जाते हैंp तो आपका कंपटीशन सिर्फ खुद से होता है। वे लोग जीवन में हमेशा खुश रहते हैं। जो मर्यादाओं का पालन करते हैं। मर्यादाओं को तोड़ने का मतलब होता है मुसीबत को खुद मंत्रण देना निमंत्रण देना। यदि आपके पास कोई हुनर नहीं है तो आपको जिंदगी में कदम कदम पर मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा इसलिए अगर आप अपने भविष्य अच्छा बनाना चाहते हैं तो खुद अच्छा बनाना चाहते हैं तो खुद को हुनरमंद बनाइए। खुद को किसी काम का विशेषज्ञ बनाएं। एक कहावत यह भी है असफलता अनाथ होती है और सफलता के बहुत रिश्तेदार हो जाते हैं। यदि आपके परिवार में कोई आईएएस आईपीएस बन जाता है। या फिर कोई बड़ा बिजनेसमैन या नेता मंत्री बन जाता है सब उस परिस्थिति में उसके रिश्तेदार भी बहुत सारे हो जाते हैं। किसी को सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है, बल्कि उसके लिए उसे कठिन परिश्रम और लगातार संघर्ष करते रहना पड़ता है। जीवन में सफल होने के लिए मेहनत के साथ साथ आप की प्लानिंग भी बेहतर होनी चाहिए। बीपी अपने जज्बात और उतावलापन से नहीं बल्कि अपनी मेहनत और दिमाग से सफल होता है। जीवन में जो चाहो वह मिल जाना सफलता है। आप का करम है सफलता की बुनियाद है। अगर जिंदगी में कुछ पाना है तो तरीके बदले इरादे नहीं। यदि आप सफलता चाहते हैं तो इसे अपना लक्ष्य ना बनाइए। श्रीपुर कीजिए जो करना आपको अच्छा लगता है तो खुद ब खुद आपको सफलता मिलेगी। जीवन में वही व्यक्ति सफल हो सकता है जिसके इरादे मजबूत हो। क्योंकि सर पर व्यक्ति की ही समाज में और अपनों के बीच पूछ होती है। लेकिन यदि वही आप असफल हो जाते हैं जीवन में तो रिश्तेदार तो क्या आपके परिवार वाले भी नहीं पूछते हैं। पर सफल व्यक्ति को रिश्तेदार तो क्या उन्हें जो नहीं जानते वह भी उनके चर्चा करते हैं और उनका सम्मान करते हैं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
कोई भी असफलता, मनुष्य को इसीलिए अवसाद की ओर धकेलती है क्योंकि असफल मनुष्य अकेला रह जाता है। यह जगत की नकारात्मक रीत है कि जब मनुष्य को सबसे ज्यादा अपने रिश्तेदारों और मित्रों की आवश्यकता होती है तब उसे उनकी अनुपस्थिति मिलती है। 
एक कहावत है कि..... "चढ़ते सूरज को सब नमस्कार करते हैं...." यह कहावत मनुष्यों के व्यवहार में स्पष्ट रूप से झलकती है। 
सफलता मनुष्य के मन-मस्तिष्क में उत्साह और उल्लास भर देती है। इस उत्साह और उल्लास का एक कारण सफलता तो है ही, साथ ही सफलता के पश्चात मनुष्य के रिश्तेदारों और मित्रों की संख्या का बढ़ना भी मनुष्य को सातवें आसमान पर ले जाता है। 
मेरा मानना है कि सफलता के पायदान पर खड़े मनुष्य को अपनी असफलताओं के दिन नहीं भूलने चाहिए और सफलता के समय साथ खड़े रिश्तेदारों और मित्रों का आभार तो प्रकट करना चाहिए परन्तु अपने मन को सदैव इस बात के लिए तैयार रखना चाहिए कि ये सब केवल सफलता के साथी हैं, असफलता के नहीं। 
इसीलिए कहता हूं कि....... 
चमकती राह पर साथ चलने वाले, 
सुखद समय में दिल में बसने वाले।
दे अनुमति वक्त को बदलने की दोस्त, 
देख बदलना जो हैं अपना बनने वाले।। 
चुनौतियाँ जिन्दगी की हैं केवल तेरे लिए, 
असफलताएं जीवन-पथ की हैं केवल तेरे लिए।
लड़खड़ाये कदमों पर एक हाथ नहीं बढ़ायेंगे, 
सफलता पर स्वागत गीत का उपहार देने वाले।।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
कहा जाता है-
''असफलता अनाथ होती है, 
सफलता के बहुत-से रिश्तेदार होते हैं.''
यह सच है, कि सफलता के बहुत-से रिश्तेदार बन जाते हैं, लेकिन ये रिश्तेदार सफलता के होते हैं, व्यक्ति के नहीं. असली रिश्तेदार तो वह होते हैं, जो असफलता के समय साथ खड़े हों. ध्यान से देखा जाए तो असफलता ही सफलता का मार्गदर्श करती है. असफलता के समय व्यक्ति के धैर्य और साहस की परख होती है, साथ ही सच्चे रिश्तेदारों की भी. सच्चे रिश्तेदारों के धैर्य और साहस बंधाने के दो शब्द ही सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
सही कहा,आपने। सफलता के बहुत से रिश्तेदार बने जाते हैं। असफल के अपने सगे भी दूर हो जाते हैं। सफलता मिलते ही दूर दूर के संबंध,संबंधी सामने आने लगते हैं।वास्तविक रिश्तेदार तो ठीक है, अवास्तविक रिश्तेदार भी बन जाते हैं। जिन्हें नहीं जानते वो भी रिश्तेदारी का दावा करने लगते हैं।
यह स्वाभाविक है, विपत्ति में तो अपना साया भी साथ छोड़ देता है। बनी,बनी के सारे संगी,बिगरी का न कोय। आज जो धनवान है, अधिकारी है उसके साथ वो सब है,जो कल तक उसे पहचानते न थे। राजनीतिक, व्यवसायिक क्षेत्र में तो यह आम बात है। परिवार में भी कथित असफल के साथ परिवारजनों का व्यवहार अलग होता है,जबकि सफल सदस्य के साथ अलग होता‌ है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि कथित असफल (आर्थिक, सामाजिक रुप से कमजोर) से किसी स्वार्थ की पूर्ति होना संभव नहीं इसलिए सब मुंह मोड़ लेते हैं,जबकि कथित सफल से सर्वार्थ सिद्धि होना संभव है इसलिए ही सब रिश्तेदारी निकाल लेते हैं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
टोकने वाले बहुत मिले राहों के गलियारों में !
जिन्हें गुमान था कि वही सयाने हैं टोली में !
कामयाबी पर होड़ में खड़े दे रहे बधाई मुझे !!
जी हाँ! बिना रीढ़ की हड्डी के रिश्तेदार हों तो वे सफल इंसान को अपना रिश्तेदार बताने में अघाते नहीं हैं।
अपने रिश्तेदार वही हैं जो असफलता के समय स्नेह की थपकी लेकर साथ खड़े हों।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
मेरा मत है, असफलता अनाथ होती है जब आप किसी कार्य, पढ़ाई ,नौकरी, व्यवसाय में असफल होते हैं तो कोई इसका महत्व नहीं देता है। अगर आप किसी में कामयाब होते हैं तो बहुत सारे रिश्तेदार हो जाते हैं। जिसमें  भी आप उन्नति किए या वश में कर लिए है ।
उसके जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते हैं।
मेरा मानना  है, मेहनत कीजिए लेकिन बिना प्लानिंग के नहीं एक-एक कदम उठाइए जब एक कदम उठा चुके हो तब  दूसरे कदम को  तैयारी करें।
लेखक का विचार:--हमेशा याद रखिए की सफलता के लिए किया गया आपका अपना संकल्प किसी भी संकल्प से ज्यादा महत्व रखता है। 
सफलता का कोई रहस्य नहीं है वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
बन जाते हैं रिश्ते अमीरी में,
जो दूर के होते हैं l
टूट जाते हैं ग़रीबी में वो रिश्ते
जो खास होते हैं l
निश्चित रूप से आज की चर्चा को उक्त पंक्तियाँ रेखांकित करती हैं लेकिन हर सफल व्यक्ति की एक दर्दनाक कहानी होती है और दर्दनाक कहानी का अंत सफलता ही होता है l
   हमारे सामाजिक रिश्तों की प्रगाढ़ता माया आधारित ही होती है l पद, पैसा और प्रतिष्ठा भी तदानुसार ही होते हैं l
" माया तेरे तीन नाम,
परसा, परशु, परशुराम "
पद, पैसा, प्रतिष्ठा हो तो समाज आपको परशुराम जी का सम्बोधन देगा वरना रिश्तों के मध्य आप परसा ही होंगे l
   जीवन में सफलता का रहस्य है -आत्मविश्वास l मैं तो यही कहूँगी कि असफलता अनाथ होती है लेकिन सफलता के बहुत सारे रिश्तेदार होते हैं l जिसने स्वयं को वश में कर लिया उसकी सफलता को देवता भी विफल नहीं कर सकते l
     चलते चलते _----
मिली जो मंजिल तो कारवाँ बडा हो गया
वरना सफ़ऱ में हर शख्स मुझे ठग रहा था l 
सफलता के मुक़ाम पर मैं यूँ नहीं पहुंचा जब जग सो रहा था तब मैं जाग रहा था ll
       - डॉo छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
  यह नितांत सत्य है कि आधुनिक मीडिया के युग में,भौतिकवादी व्यवस्थाओं में असफल व्यक्ति, आम आदमी या सामान्य व्यक्ति की पूछ न तो घर में होती है और न ही घर के बाहर होती है ।यदि वह सफलता की कुछ सीढियां चढ जाता है तो समाज में उसकी इज्जत और घर परिवार में उसका मान- सम्मान बढ़ जाता है। ऐसा देखा जाता है कि जिसे देखकर पहले लोग इसलिए मुंह फेर लेते थे कि कहीं वह कुछ मांग न बैठे, वही व्यक्ति जब जीवन में कोई महत्वपूर्ण स्थिति में पहुंच जाता है या  धनी अथवा सम्पन्न  बन जाता है;ताकतवर बन जाता है या सत्ता की कुर्सी तक पहुंच जाता है तो उसके इर्द-गिर्द लोगों की भीड़  इकट्ठा होना शुरू हो जाती है। और वे रिश्तेदार भी जो कभी मुंह फेर लेते थे ,हाथ जोड़ना शुरू कर देते हैं ।             
                  यह एक कडवा सच है कि खाली जेब होने पर अपने भी पराये हो जाते हैं ।सफल व्यक्ति से सभी अपना नाता जोड़ना चाहते हैं । निस्संदेह, सफलता के बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं ।
           - डॉ अरविंद श्रीवास्तव'असीम '
          दतिया - मध्यप्रदेश
किसी ने बिल्कुल सही कहा है कि असफलता अनाथ होती है लेकिन सफलता के बहुत सारे रिश्तेदार होते हैं। 
असफल व्यक्ति की समाज भी कदर नहीं करता। परिवार, रिश्तेदार सभी कन्नी  काटते हैं।
 दिखावा सभी करते हैं सहायता कोई नहीं करता। असफल व्यक्ति अकेला पड़ जाता है । लेकिन वही व्यक्ति जब सफल व्यक्ति बन जाता है, तो सभी अपनापन दिखाते हैं।
 तब वह अनाथ नहीं बल्कि सनाथ बन जाता है । हमें जीवन की सच्चाई को अवश्य आत्मसात करना होगा कि परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती, अथक प्रयास ही सफलता की कुंजी है। हमारे कर्म ही सफलता की बुनियाद बनते हैं ,क्योंकि समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर ही आधारित होती हैं । 
सफलता बलिदान मांगती है, जीवन के विभिन्न आयामों में उलझना नहीं बल्कि उनका समाधान मांगती है। एक निश्चित लक्ष्य को सामने रखकर  कर्म मार्ग पर चलना होता है। उसमें विश्वास और  श्रम रुपि फूल भी बिछाने पड़ते हैं
 जो व्यक्ति को सुगंध रूपी यश प्रदान करते हैं। धैर्य विश्वास के मोती पिरो कर अपने कर्म को सजा कर कोई भी व्यक्ति सफल व्यक्ति कहलाता है। आत: सदैव कर्म उपासक बने और सफलता ग्रहण करें।
 रिश्तेदार स्वयं बनते जाते हैं । आपका दृढ़ संकल्प ही आपका हौसला और मजबूती बनेगा।
 - शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
"कोई टूटे तो उसे सजाना सिखो,
कोई रूठे तो उसे मनाना सिखो, 
रिश्ते तो मिलते हैं मुकदर से, बस उन्हें खूबसूरती से निभाना सिखो"। 
बात रिश्तों की हो रही है, 
सोचा जाये आज समाज में मानविय मुल्य तथा पारिबारिक मुल्य धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है, 
ज्यादातर लोग अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते नाते निभाते हैं। 
कहते हैं असफलता अनाथ होती है परन्तु सफलता के बहुत रिश्तेदार होते हैं, 
तो आईये आज इसी  बात  पर चर्चा करते हैं कि क्या सचमुच  सफल  व्यक्ति के बहुत रिश्तेदार बन जाते हैं? 
मेरा मानना है कि अब रिश्तों से ज्यादा रिश्तेदार की कामयाबी और स्वार्थ सिधि की अहमियत है, रिश्ते ही उसे अपने पराए में अंतर करने  की पहचान करवाते हैं। 
सोचा जाए हर व्यक्ति सफल होना चाहता है लेकिन किसी कारण हरेक को सफलता नहीं मिलती इसका यह मतलब नहीं होना चाहिए की हम असफल व्यक्ति का साथ ही छोड़ दें चाहे वो कितना ही करीवी का  रिस्ता हो लेकिन अक्सर ऐसा होता देखा गया है, लेकिन यह दुख की बात है कि आज के इस दौर में रिश्तों पर स्वार्थ की भावना हावी होती जा रही है, 
यह मत भूलें रिश्तों द्वारा व्यक्ति की समाज में विषेश भूमिका होती है व रिश्ते ही सुख दुख में काम आते हैं, रिश्ते अनमोल रत्न हैं इनमें कामयाबी व नाकामयाबी का अंतर नहीं आंका जाना चाहिए, अगर हम चाहें तो नाकामयाब को कामयाबी दिलवा सकते हैं वशर्ते हम  सभी में प्रेमभाव हो, 
रिश्ता चाहे दोस्ती का हो या कोई और प्यार ही है जो रिश्तों में मि़ठास बढ़ाता है, प्यार से रहित होकर रिश्ते सिर्फ बोझ बनकर रह जाते हैं, 
यह भी याद रखना होगा एहसास हर रिश्ते को खास बनाता है, 
कभी खुशी कभी गम यही जिंदगी जीने का नाम है इसलिए रिश्ते के लिए केवल  सफल व अमीर रिश्तेदार को ही नहीं देखना चाहिए किन्तु असफल को सफल बनाना ही अच्छे रिश्ते का धर्म बनता है, 
रिश्ते वह आधार हैं जो हर गम को छोटा और हर खुशी को बड़ा कर देते हैं यही नहीं यह पूरी तरह टूट चुके व्यक्ति को संभाल सकते हैं, 
इसलिए हमेशा ही हर पहलु में अपने नजदीकी के नजदीक आंए और उन्हें जीना सिखाएं व जीने की ताकत दें, 
सच कहा है,  
"अगर वो याद नहीं करते तो, 
आप याद कर लिया करो, 
रिश्ते निभाते वक्त मुकाबला नहीं किया जाता"। 
अन्त मे यही कहुंगा रिश्तों को तभी निभाया जा सकता है जब हमे रिश्तों की समझ होगी क्योंकी रिश्ते ही हर दुख को झेलने की ताकत देते हैं, 
अगर मुश्किलों का पहाड़ एक साथ उठाया जाये तो रिश्ते काफी हद तक मजबूत हो जाते हैं, मगर यह बहुत दुख की बात है कि आज के इस बदलते दौर में रिश्तों पर स्वार्थ की भावना हावी होने के साथ साथ रिश्तों मे उंच नीच अमीरी गरीबी व सफलता  व असफलता देखी जा रही है  चढ़ते सूरज को सभी सलाम कर रहे हैं जिससे रिश्ते लगभग टूटने की कगार पर पहुंच चूके हैं
सच कहा है, 
"रिश्ते कांच सरीके होते हैं, 
टूट कर बिखर जाते हैं, 
समेटने की जहमत कौन करे, 
अब लोग नया कांच ही ले आते हैं"। 
 कृपया रिश्तों को संभाल के रखें इनमें सफल व असफल रिश्ता मत ढूंढे व असफल को सफल बनाने की कोशिश करें। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
           "सुख के सब साथी, दुख में ना कोई " यह पंक्ति भजन और गीत में  अक्सर  सुनते हैं। जीवन में कई उतार चढ़ाव आते रहते हैं। कई बार हम अर्श पर होते हैं और कई बार फर्श पर। हमारे जीवन में आते उतार चढ़ाव के अनुसार हमारे रिश्ते नाते भी रूप बदलते रहते हैं। जब हम कामयाब होते हैं तो हमारे भाई-बहन,रिश्तेदार और दोस्त सभी होते हैं। इस लिए यह बात अक्सर कही जाती है कि असफलता अनाथ होती है। जब हम असफल होते हैं तो सभी सगे सम्बन्धी  मुंह फेर लेते हैं और दूर से देख कर ही रास्ता बदल लेते हैं कि कहीं कुछ मांग ना ले।
       लेकिन हम भूल जाते हैं कि असफलता, सफलता से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। असफलता ही इन्सान को सफलता का मार्ग दिखाती है। किसी विद्वान ने कहा है कि जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते।चाहे बुरे वक्त में सभी साथ छोड़ दें तो भी हमें हार नहीं माननी चाहिए। असफलता पर ही हमें अपने पराये का पता चलता है। सफलता के तो बहुत सारे रिश्तेदार बन जाते हैं। सही मायने में ऐसे लोग ही हमारी प्रतिभा को कुंठा करते हैं। ऐसे लोग चापलूसी से 
हमारा मन जीतना चाहते हैं और अपने फायदे के लिए कभी भी हमारी कमियों को इंगित नहीं करते।असल में सच्चा मित्र या रिश्तेदार वो ही है जो दुश्वारियों में भी हमारा साथ ना छोड़े।सफलता के तो सभी रिश्तेदार बन जाते हैं। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
सफलता के निःसंदेह बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं। किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति के बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं ताकि वे भी स्वयं को सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति से जुड़ कर स्वयं को सम्मानित महसूस कर सकें व जग को बता सकें कि सफलता प्राप्त अमुक व्यक्ति से किसी न किसी रूप में संबंधित हैं। यदि सफलता के साथ अर्थलाभ भी जुड़ा हो तो रिश्तेदारों की संख्या बढ़ सकती है। कोई अनायास कह उठता है कि फलां फिल्म में कार्य करने वाला अदाकार या अदाकारा उससे संबंधित है। केबीसी पर इनाम जीतने वालों के अनायास ही रिश्तेदार बढ़ जाते हैं। लाटरी में सफलता मिलने पर नये नये रिश्तेदार बधाई देना शुरू कर देते हैं। इन सभी से अलग जो रिश्तेदार बनने में अक्सर सफल हो जाते हैं वे हैं दंभ, अभिमान, गुरूर आदि।  विनम्रता तो कहीं-कहीं दृष्टव्य होती है। ईर्ष्या, द्वेष, जलन की रिश्तेदारी भी पनप जाती है। सादर।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
सफलता के बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं ये वक्तव्य सार्थक सिद्ध होता है प्रत्येक मनुष्य के जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं पर आपके व्यक्तित्व का आंकलन आपकी सफलता के ऊपर निर्भर करता है यदि व्यक्ति के पास नाम रुतबा पैसा है और समाज में एक प्रतिष्ठित एवं नामी व्यक्ति मे नाम शुमार है तो सभी उससे अपना नाम जोड़ने में अपने आपको गौरवान्वित समझते है वही यदि आपकी स्थिति कमजोर है आप आर्थिक रूप से कमजोर है तो समाज के आधे से ज्यादा लोग आपके बहुमुल्य बाते विचार सभी को तर्क हीन समझते हैंअतः यह कहा जा सकता है कि सफलता के बहुत रिश्तेदार बन जाते है पर आपकी स्थिति सही नही है तो आपसे सभी दूर भागते हैं।
समय बड़ा बलवान
समय सही हो तो जीवन महान
समय गलत हो तो 
जीवन सूना और वीरान।
- मंजुला ठाकुर
मध्यप्रदेश - भोपाल
हाँ, व्यवहारिक रूप से तो यही सही लगता है । आमतौर पर देखा जाता है कोई व्यक्ति जब अपनी बात कहता है तो किसी सफल रिश्तेदार का नाम लेकर प्रमाण दिया करता है कि हमारे फला के फला चचेरे ताऊजी मंत्री हैं जी, और सुनने वाला प्रभाव में कभी-कभी आ भी जाता है इससे लगता है कि सफल के बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं । 
  असफल व्यक्ति से वैसे भी लोग बचने लगते हैं और ठीक इसके विपरीत लोग आसपास के अमीर और सफल लोगों के नाम ले लेकर उनको अपना दोस्त रिश्तेदार बताने से नही चूकते । 
वैसे सही विचार ये है जीवन में सफल वही व्यक्ति है जिसके पास अच्छे मित्र, रिश्तेदार और सहयोगी हैं. धन और प्रतिष्ठा को ही सफलता का पैमाना नहीं मानना चाहिए परन्तु समय की बदलती रफ़्तार ने सफलता के पैमाने को बदल कर रख दिया है वर्तमान में बहुत पैसे होने पर ही सफलता मानी जाने लगी है जबकि जिसका चित्त शांत है. तनाव से रहित है, पाप से मुक्त है और प्रकृति, धर्म के नजदीक है वही व्यक्ति असलियत में सफल है. चाणक्य का ऐसा मत है । कुछ भी कहिए सदैव सफल व्यक्ति के बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं और असफल होने पर बहुत से रिश्तेदार किनारा करने लगते हैं ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
धामपुर - उत्तर प्रदेश
सफलता के बहुत सारे रिश्तेदार बन जाते हैं कभी सफल व्यक्ति का उदाहरण देकर उनसे प्रेरणा लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते हैं। क्योंकि हर इंसान की एक आंतरिक इच्छा होती है कि वह अपने जीवन में सफल बने और सफलता के क्या मूल मंत्र हैं कौन से रास्ते अपनाने चाहिए किस प्रकार सफलता की सीढ़ी चली जाती है इन बातों के लिए हर पीढ़ी परेशान रहता है कहा भी जाता है कि जहां गुड होगा जहां मन होगा वहां चींटी अवश्य आएगी सफल व्यक्ति भी एक मिठास लिए ही रहता है उसके इर्द-गिर्द बहुत सारे लोग आते हैं उनकी बातों को सुनते हैं पर कोई जरूरी नहीं है कि उनकी सुनी हुई बातों से सभी सफल ही हो जाएं सफलता के लिए व्यक्ति का व्यक्तिगत आत्मविश्वास परिश्रम सूझबूझ और प्लानिंग की आवश्यकता होती है लेकिन सफल व्यक्ति के इर्द-गिर्द रिश्तेदारों की संख्या निश्चित ही बढ़ जाती है यही तो सफलता का लक्षण है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
       सफलता शक्ति का प्रतीक है और शक्ति शिव की कृपा प्राप्ति से संभव होती है। इसलिए सब शक्ति से प्रभावित होकर रिश्तेदार बनने को इच्छुक होते हैं। यहां तक कि साले का रिश्ता बनाने से भी कोई पीछे नहीं हटता। जबकि दूसरी ओर असफलताओं में सगे साले तो क्या मैंने अपना रक्त भी सफेद होता देखा है? अर्थात सब रिश्ते-नाते हवा-हवाई होते खुली आंखों से देखे हैं।
         सत्य तो यह है कि असफलता संभव ही तब होती है जब कोई संगठित न होकर अकेला रह जाए। कहने का तात्पर्य यह है कि असफलता अकेलेपन की दस्तक है और यह दस्तक इतनी भयंकर होती है कि कुत्ते भी शेर को मारकर खा जाते हैं। वर्ना कुत्तों की क्या औकात कि शेर का सामना करें?
       मैंने जीवन के शोध से पाया है कि साक्ष्य भी तभी काम करते हैं। जब कोई शक्तिशाली हो जाए अर्थात आत्मनिर्भर हो जाए। जिसकी सीख हमारे सशक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी देते हैं। उन्हीं की प्रेरणा से किसानों ने आत्मनिर्भर बनने की ठान ली है और शक्ति का प्रर्दशन कर रहे हैं। जिनकी आड़ लेकर कांग्रेस और कांग्रेस के नेता भी आत्मनिर्भर होने का दम भर रहे हैं। अन्यथा कौन नहीं जानता कि किसानों की इस दुर्दशा का आधार भी यही कांग्रेस है, जिसके हाथों किसान निशक्त हुए। 
       यही नहीं मैंने भाजपा की सफलता के उपरांत ऐसे-ऐसे कांग्रेसी नेताओं को रिश्तेदार बनते देखा। जो भाजपा को पानी पी-पीकर कोसते थे और भाजपा के सफल होते ही उसकी झोली में ऐसे समाए जैसे वह जन्मजात भाजपाई हों।
       मैंने देखा कि जो शक्तिशाली नेता भाजपा का रिश्तेदार नहीं बना उसे जेल की सलाखों में जाना पड़ा। अन्यथा किसमें इतना साहस था कि कोई आलू रहते लालू का सामना करता?
       अतः विद्वानों ने यूं ही नहीं कहा हुआ कि खुदा की खुदाई से जोरू का भाई शक्तिशाली होता है। क्योंकि फसाद की जड़ वही होता है।जो रिश्ते में साला होते हुए भी अपनी दीदी और जीजे के पवित्र पति-पत्नी के रिश्तों को तार-तार कर देता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
सफलता की कुंजी हाथ लगते ही हर हाथ कुंजी पाने की दौड़ में शामिल हो जाता है। अवश्य ही रिश्तेदारों द्वारा बनती सूची में नाम अपने आप जुड़ता जाता है। दूर-दराज के लोग भी चाचा, भाई बन जाते हैं। लेकिन उसकी मेहनत से सीखने की लालसा चंद लोगों में ही होती है।
ये बात मानती हूँ कि सफलता के लिए कठिन परिश्रम और लगन की आवश्यकता है। लगन की मशाल कोई हाथ में नहीं लेना चाहता केवल उसकी आग की गरमाई चाहिए। ऐसे लोगों की सूची बहुत लंबी होती है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
ये बात पूर्णतया सत्य है कि रिश्तों की असल पहचान तो विपत्ति काल में ही होती है। सफल व्यक्ति का साथ निभाने वाले तो कई मिल जाते हैं, किंतु असफलता और निराशा के पलों में जो साथ निभाता है, सहारा बनता है वही सच्चा रिश्तेदार और मित्र होता है।
               सफलता मिलते ही रिश्तेदारों का जो कारवाँ नजर आता है , कठिनाई के पलों में वो कारवाँ विलुप्त ही मिलता है। एक सफल व्यक्ति के दूर दराज के संबंध भी उभरकर सामने आने लगते हैं, अपनी निकटता सिद्ध करने के लिए उनमें होड़ सी लगी होती है।  किसी भी प्रकार से कोई भी अपने रिश्ते को छोटा साबित नहीं होने देना चाहता है। कई बार तो भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है कि वास्तव में कौन सच्चा हितैषी है। किंतु संकट के हालात में स्वयमेव ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।
- रूणा रश्मि "दीप्त"
राँची - झारखंड
अवश्य सफलता व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखार उसकी मित्र बन जाती है ! व्यक्ति  जब सफलता की सोपान की ओर बढ़ता है स्वयं लोगों का काफला उसकी ओर बढ़ते जाता है ! सफल व्यक्ति किसी का प्रेरक बनता है , किसी के सपनों को पूर्ण करने का आधार बनता है ! सफलता एक ऐसी सीढ़ी है जिसपर चढ़कर हर कोई आकाश चूमना चाहता है ! परिश्रम ,लगन ,संघर्ष ,दृढ़-निश्चय ,आत्म-विश्वास एवं लक्ष्य प्राप्त करने का जूनून ही वह डोर है जो हमें सफलता की सीढी तक पहूंचाती है ! 
यह सच है कि तकलीफ़ के समय हमारे रिश्ते कुछ कमजोर रहते हैं  किंतु वही रिश्ते सफलता मिलने पर साथ होते हैं !सफलता एक ऐसी कुंजी है जिसे पाने के लिए सभी चाहते हैं ! एक सफल इंसान के मार्गदर्शन पाने के लिए सभी लोग मधुर रिश्ते ले लेते हैं किंतु दुख और असफलता में भी वही रिश्ते मधुर हो एक दूसरे का हाथ पकड़ सीढ़ी चढ़े तो यह प्रश्न ही नहीं आता !एक सफल व्यक्ति का हमारे संग प्रेरक का ही रिश्ता होता है !
                 - चंद्रिका व्यास
                मुंबई - महाराष्ट्र
यह सत्य है की असफलता अनाथ होती हैं परंतु सफलता के बहुत रिश्तेदार बन जाते हैं ।
ं यूं तो जब कोई व्यक्ति सफलता के शिखर पर होता है तो उसका कंपटीशन सिर्फ खुद से होता है, लेकिन यह सच है कि जब कोई व्यक्ति सफल होता है तो क्या अपने क्या पराये सभी उस से प्रेम जताने लगते हैं ।यह भी सत्य है कि सफल व्यक्ति को लोग अक्सर अपना रिश्तेदार सगा संबंधी बताते हैं ।
 समाज में अपने भाव बढ़ाने के लिए सफल लोगों को अपना खास बताते हैं क्योंकि सफलता को  ही दुनिया सलाम करती है ।यही कटु सत्य है ।
 असफल व्यक्ति की प्रतिभा को नजरअंदाज कर दिया जाता है,,,, अक्सर नकार दिया जाता है। लेकिन सफलता भी प्राप्त स्वयं के प्रयासों से ही प्राप्त होती है।
यह सच है कि सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता सफलता मेहनत से हासिल होती है ।सफलता का कोई रहस्य नहीं है वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है ।इंसान अपने जज्बात और उतावलेपन से नहीं ,अपनी मेहनत और दिमाग से सफल होता है। हां जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते वह चीजों का अलग तरीके से करते हैं ।
वैसे तो सफलता की परिभाषा भी व्यक्ति अपने हिसाब से गढ़ लेता है ,वह जो चाहता है उसे प्राप्त कर  खुद को सफल मान लेता है, और उसके यही  प्राप्ति उसे प्रसन्नता प्रदान करती है ।
 यूं तो आत्मविश्वास भी सफलता का प्रमुख रहस्य माना जाता है।  मेहनतकश लोग जब सफलता की मंजिल पर पहुंचते हैं तो उनको ऐसे लोग भी अपना मानते हैं  और अपना बताते हैं जो कभी उन्हें पहचानने से इनकार करते थे।
 तो हुई ना बात कि असफलता अनाथ होती है और सफलता के बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं।
यही कटु सत्य है ।
 - सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
उगते सूर्य को सभी सलाम करते हैं। ठीक उसी तरह सफलता के बहुत से रिश्तेदार बन जाते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी चीज में सफल हो जाता है तो सभी उससे दोस्ती गाँठना चाहते हैं। यहाँ तक कि दुश्मन भी उसे अपना बनाने से नहीं चूकते। सभी उसके तारीफ में लग जाते हैं। उसके सारे अवगुण भूला दिए जाते हैं। जो कभी उससे बात भी करना पसंद नहीं करते थे वो भी उसके तारीफ की पुल बांधते नजर आते हैं कि शायद कभी उससे कोई काम पड़ जाय। दूर के लोग भी कहाँ-कहाँ से नाता जोड़कर रिश्तेदार बन जाते हैं। कोई पारिवारिक नाता जोड़ता है तो गाँव समाज का नाता जोड़ता है तो कोई जाति धर्म का नता जोड़ता है। हर कोई रिश्तेदार बनना चाहता है।और नहीं तो बहुत से लोग झूठमूठ का ही नाता जोड़ रिश्तेदार बनना चाहते हैं।
- दिनेश चंद्र प्रसाद ''दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
सफलता की चाहत हर कोई रखता है । सफल व्यक्ति से सब अपना रिश्ता कायम करना चाहते हैं । सफल व्यक्ति किसी की प्रेरणा स्रोत होता है किसी का मित्र होता है । हर कोई उसका हाथ थामना चाहता है । उसे छूना चाहता है । उसके आटोग्राफ के लिए धक्के खाता है । सफल व्यक्ति रिश्ते बनाने में कामयाब होता है। 
- अर्विना गहलोत
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " सफलता के सभी साथी होते हैं । परन्तु दु:ख में कोई नहीं होता है । यह दुनियां की सच्चाई है । यह हर किसी के साथ होता है । यह सभी ने देखा भी होगा ।
- बीजेन्द्र जैमिनी

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