क्या एलियन ही हमारे भगवान जैसे हैं ?

एलियन दूसरी दुनियां के जीव है । जो हमारे से बहुत अधिक विकसित है । जिन के बारें में हमें बहुत कम जानकारी हासिल है । परन्तु वे ( एलियन ) हमारे बारें में बहुत अधिक जानकारी रखते हैं । वे हमारी धरती पर आते रहते हैं । परन्तु हमें उन के निवास के बारे में कुछ नहीं जानते है। हो सकता है कि ये धरती के जीवों के जन्म दाता हो , ऐसी फिलहाल कल्पना ही कहं सकते हैं । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।  अब आये विचारों को देखते हैं : -
प्रश्न है, कि क्या एलियन ही हमारे भगवान जैसे हैं? यह भी हो सकता है, कि यह मिथक मात्र हो. अनेक विचित्र प्राकृतिक घटनाएं घटित होती रहती हैं और मानव इस पर अपने विचार प्रकट करता रहा है. कुछ के कहने के मुताबिक एलियन हमारे भगवान जैसे हैं, उनके पास ऐसी शक्तियां और औजार हैं, कि वे कुछ भी विचित्र निर्मित कर सकते हैं. मिस्र के निवासियों के पास गीजा में पिरामिड बनाने के लिए न तो औजार थे, न ही इन्हें बनाने का ज्ञान था. इस तरह इन्हें अवश्य ही एलियंस ने बनाया होगा. यदि भारत के संदर्भ में बात करें तो ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हें आज की आधुनिक मानव तकनीक से भी नहीं बनाया जा सकता.
बाकी शोधकर्त्ता ऐसा नहीं मानते हैं. उनका मानना है, कि समय-समय पर तकनीक बदलती है. तकनीक बदलने के साथ औजार और हुनर भी बदलते रहते हैं. धरती की उथल-पुथल के कारण जो पहले संभव था, वह अब संभव नहीं है और जो अब संभव हो पा रहा है, शायद वह पहले संभव नहीं हो पा रहा होगा. एलियंस के भ्रम में मानव के हुनर और विचित्र शक्तियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इसलिए एलियंस को हमारे भगवान मानना तर्कसंगत नहीं लगता. 
- लीला तिवानी 
दिल्ली
       भगवान एक आस्था हैं।जो निर्गुण निराकार हैं अर्थात उनका कोई रूप-स्वरूप नहीं है। वैसे हमारा सनातन धर्म त्रेता युग के श्रीरामजी को और द्वापर युग के श्रीकृष्णजी को भगवान विष्णु जी का अवतार मानते हुए उन्हें भी भगवान मानता है।
       जबकि एलियन का शाब्दिक अर्थ परग्रहवासी, अजनबी, विदेशी मनुष्य, पुराधिकार से रहित व्यक्ति है। जो विमुख होता है और उसका स्वभाव भी भिन्न होता है।
       हां कल्पना की दुनिया में शोधकर्ताओं ने भी विचित्रता को अधिक से अधिक रंग चढ़ाया और उपाधियां एकत्रित करने के लिए लाल रंग को रक्त बताया हुआ है। जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है। जैसे सामाजिक मान्यताओं के अनुसार अवैध संबंधों से उत्पन्न बच्चों को "नाजायज" कहकर तिरस्कृत किया जाता था। जबकि बच्चों को कहां पता होता है कि उसके माता-पिता के संबंध जायज हैं या नाजायज हैं?
       इसलिए "एलियन हमारे भगवान जैसे हैं" सत्य नहीं है। जो कतई विश्वास करने योग्य नहीं है। हालांकि मन की चंचलता और अंधविश्वासों पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा सकता।
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
मेरे अनुभूति में ना तो ईश/ख़ुदा और ना एलियन की अनुभूति है। 
बड़े बुजुर्गों से सुनी कथाओं,
पढ़ी ग्रन्थ, पुस्तकें, गूगल-सोशल मीडिया 
देखी एलोक्ट्रॉनिक मीडिया
की खबरों पर कम ही विश्वास होता है
बस एक ऐसी अनजानी शक्ति को मानती हूँ जो हमारे साँसों की डोर को अपने कब्जे में रखे हुई है।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
शोध करने वाले मशहूर लेखक एरिक बोन डेनिकॉन की किताब के अनुसार दुनिया के सोच को बदल कर रख दिया।
उनके अनुसार प्राचीन मिस्र के निवासियों के पास गीजा के पिरामिडो को बनाने की कोई तकनीकी नहीं थी। इसलिए माना जाता है इन्हें अवश्य ही एलियंस ने बनाया होगा।
भारत के बारे में कहा जाता है कई ऐसे मंदिर हैं जिन्हें आज की आधुनिक मानव तकनीकी से नहीं बनाया जा सकता है। शोध के आधार पर कहा जाता है कि हिंदू देवता एक  उड़न खटोले पर बैठकर स्वर्ग से धरती पर आते थे और उन्हीं के देखरेख में यह सब मंदिर बना है। ग्रंथों में बहुत बारीकी से इसके विवरण मिलता है।
दक्षिण भारत के मंदिर उन विमानों की तरह बनाए गए हैं।
प्राचीन पुस्तक के अनुसार भगवान विष्णु एक एलियंस थे। उन्होंने अपने दोनों पार्षदों जय और विजय  को बैकुंठ से निकाल दिया था क्योंकि उन्होंने सदा अंतरिक्ष में विचरण करने वाले चार कुमारो सनक,सनंदन,सनातन और सनन्तकुमार को बैकुंठ में आने से रोक दिया था चारों का श्राप झेलना पड़ा।
शोध में उल्लेख मिलता है कि कई देवताओं को नियमों का उल्लंघन करने से शाप के चलते स्वर्ग से निकाल दिया गया था फिर उन्हें धरती पर दिन गुजारने होते थे।
पौराणिक ग्रंथों में देव और दानवों की जो कथाएं मिलती है वह स्वर्ग और धरती से जुड़ी है।
भारत में जिस नागदेव की पूजा की जाती है वह आधा मानव और आधा सर्प है निश्चय ही एलियंस रहा होगा या ओरायन से आए एलियंसो ने अपने जींन से इस तरह के कई जीव जंतु बनाए होंगे।
लेखक का विचार:-अगर एलियन है तो वे मानव जाति के किसी व्यक्ति से संपर्क क्यों नहीं करते? इंसान बरसो से एलियन की तलाश कर रहा है। वैज्ञानिक धरती से रेडियो तरंग भेजकर एलियन से संपर्क करने की कोशिश करते रहे हैं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
   विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि धरती और आसमान उसकी पहुँच के दायरे में है। लेकिन अभी भी कुछ रहस्य उसकी समझ के बाहर हैं। अभी  प्रति दिन नए नए आविष्कार हो रहे हैं जो हमें विस्मित करते हैं। 
        श्री गुरु नानक देव जी गुरबानी में लिखते हैं कि लाखों करोड़ों आकाश और पाताल हैं। हो सकता है कि एलियन किसी दूसरे पलैनट के जीव हों ।विज्ञान ने इस बात को प्रमाणित नहीं किया है।हम सिर्फ कल्पना के आधार पर बनाई गई एक फिल्म से ही एलियन को प्रमाणित नहीं कर सकते।फिर हम एलियन को भगवान जैसे कैसे मान सकते हैं। वैसे भी भगवान तो निराकार है। उसका कोई आकार,रंग रूप नहीं है। एलियन सिर्फ एक कल्पना है। हम बचपन से बड़े- बूढ़े से सुनते थे कि जब नल या कुआँ खोदा जाता था तो नीचे से हाथ के साईज के बंदे निकलते हैं। हम ने तो आजतक नहीं देखे।वो भी भ्रांति थी ।उसी प्रकार इक्कीसवीं सदी में एलियन भी सिर्फ रहस्य मयी बातें हैं। 
प्रमाणित कुछ नहीं। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
बहुत रोचक विषय है यह। क्या एलियन ही हमारे भगवान जैसे हैं?अब भगवान को देखा हो तो और एलियन को देखा हो तो,तभी कुछ कहें।वरना सब कल्पना ही है। वैसे संसार में जितनी भी संज्ञाएं है,उनका अस्तित्व है,यह अलग बात है कि हम उन्हें जानते, पहचानते कितना है। एक बात तो यह है कि भगवान शब्द स्वयं में पंचतत्वों को समेटे है -  भूमि, गगन,वायु,अग्नि,नीर। दूसरी बात हमारे भगवान मूर्त्त भी है,अमूर्त भी है,सगुण भी है,निर्गुण भी है।सर्वव्यापक है,सर्वज्ञ हैं।अब बात एलियन की एलियन पृथ्वी से अलग किसी दूसरे ग्रह के प्राणी को कहा जाता है।समय समय पर उनके होने,न होने,पृथ्वी पर आने, जाने की घटनाएं सुनने, पढ़ने को मिलती रहती है। उन सबके आलोक में देंखें तो एलियन, भगवान के जैसे तो क्या,मानव के जैसे भी नहीं। यह तो मानव का स्वभाव है कि सामान्य से थोड़ी भी अलग किसी भी संजीव या निर्जीव चीज को भगवान मानकर पूजने लगता है। पपीते,मूली,गाजर में गणेश भगवान ढूंढ लेने वाला एलियन में भगवान मान लें तो आश्चर्य नहीं। लेकिन एलियन ही हमारे भगवान जैसे हैं,यह बात मानने के लिए न मन तैयार है,न मस्तिष्क।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
 धामपुर -उत्तर प्रदेश
क्या एलियंस ही हमारे भगवान जैसे थे। यह बात बिल्कुल है विश्वास करने लायक नहीं है। यदि हिस्ट्री टीवी चैनल की एक अनियंत्रित बनाई गई एक सीढ़ी पर भरोसा करें तो प्राचीन सभ्यताओं के देवता दरअसल में एलियंस ही थे। चैनल के शोधकर्ता मानते हैं कि 10000 ईसवी पूर्व धरती पर एलियन शायद है और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया। फिर बाद में राजाओं को अपना संदेश वाहक बनाया। इंसानों ने उन्हें अपना देवता फरिश्ता माना और कुछ लोगों ने आकाश देव कहते थे। क्योंकि वह आकाश से धरती पर उतरे थे।
लेकिन सच्चाई सिर्फ यह नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी थे जो एलियंस को धरती को बिगाड़ने का दोषी मानते थे। इजिप्ट मेसोपोटामिया सुमेरियन इनका बेबीलोनिया सिंधु घाटी माया मोहनजोदड़ो और दुनिया की तमाम सभ्यताओं के टैक्सस मैं लिखा है कि जल्दी ही लौट आएंगे। हमारे अकाश देवऔर फिर धरती पर के राजा होंगे। वैज्ञानिकों ने कई सालों के सूखने के बाद पता लगाया कि ओरायन एक ऐसा नक्षत्र है जिसका हमारी धरती से कोई गहरा संबंध है। वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारे पूर्वज और ओ रायन नक्षत्र से आए थे। इस नक्षत्र को मृगशिरा कहा जाता है। हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष और मार्गसीरा नक्षत्र बहुत पवित्र माना जाता  है। इस माह को अगहन भी कहा जाता है। सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास के प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारंभ किया। प्राचीन एस्ट्रोनॉमी के अनुसार भगवान विष्णु एक एलियंस थे। उन्होंने अपने दोनों पार्षदों जय और विजय को बैंकुठ से निकाल दिया था। क्योंकि उन्होंने सदा अंतरिक्ष में विचरण करने वाले चार कुमारों सनत सनातन सनातन और सत्य कुमार को बैंकों में आने से रोक दिया था तो उन्हें चारों को मारो का श्राप झेलना पड़ा और फिर उन्हें धरती पर हिम हिम या कुछ और हिरण की सीपू के रूप में जन्म लिया कहीं ऐसा तो नहीं कि शोधकर्ता हिंदी हिंदू देवी देवता और भगवानों को एलियन साबित कर पश्चिमी धर्म को ही असल में धर्म घोषित करने की कोई साजिश रच रहे हैं। 
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
     ईश्वर को धार्मिक ग्रंथों में सर्वोच्च श्रेष्ठ मान्यताओं के आधार पर मानव जीवन में माना जाता हैं। जिसके परिपेक्ष्य में पृथ्वी पर विभिन्न अवतरित शक्तिओं को अनेकों रुपों में पूजित किया जा रहा हैं, किन्तु वर्तमान परिदृश्य में देखिए में एलियन को वैज्ञानिक तौर तरीकों से प्रस्तुत कर विगत फिल्मों में पथ-प्रदर्शित कर आने वाली पीढ़ियों को उनके भगवान जैसे स्वरुपओं दर्शित करने का अभूतपूर्व सफलता अर्जित करने का प्रयास किया गया हैं। क्या हम दूसरी ओर ध्यान केन्द्रित किया जाये तो काल्पनिक तथात्मक तथ्यों के आधार पर पर कितना प्रभावित किया जा सकता है?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
एलियन  भगवान जैसे कैसे हो सकते हैं। भगवान का कोई स्वरूप नहीं है। उन्हें ज्योति स्वरूप कहा गया है। ज्योति का कोई आकर नहीं होता। भगवान निराकार है। जबकि एलियन का स्वरूप है आकर है। तो ऐसी स्थिति में एलियन भगवान के जैसे कैसे  हो सकते हैं। भगवान एक ही हैं जबकि एलियन कई हैं। इस आधार पर भी एलियन भगवान जैसे कैसे हो सकते है। भगवान सारे सृष्टि के रचयिता हैं जबकि एलियन खुद अपने अस्तित्व के लिए जुझ रहे हैं। ऐसे में एलियन हमारे भगवान के जैसे कैसे हो सकते है।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश "
 कलकत्ता - पं. बंगाल
आदिकाल से ही इस धरती पर रहने बाले  लोगों की द्लचस्पी हमेशा यह जानने की रही है कि इस लोक के ऐलावा क्या कोई दुसरा लोक भी है यहां कोई जीव रहते हैं, 
लेकिन विभिन्न तरह के साक्षय और भी हैं जो संकेत देते हैं कि हो सकता है एलियन होते हों जो आज भी इस धरती पर आते हैंऔर चले जाते हैं, 
तो आईये आज इसी पर चर्चा करते हैं कि अगर एलियन हैं तो वो कैसे हैं क्या वो हमारे भगवान जैसे हैं जिन को हम देख नहीं सकते सिर्फ कल्पना कर सकते हैं। 
मेरे ख्याल में एलियन हमेशा से ऐसे चर्चे और उत्सुकता का विषष रहे हैं कि कई एलियन वाली फिल्मों को लोगों ने पसंद भी किया है, साल २००३में एलियनों को लेकर सबसे पहली फिल्म कोई मिल गया रितिक रोशन ने उतारी थी जिस ने लोगों के दिलों को जीत लिया था , 
लेकिन विज्ञान या वैज्ञानिकों को आजतक ऐसे पक्के सबूत नहीं मिले हैं जिन्हें देखकर ये दावा किया जाए कि ़एलियनों का अस्तित्व वाकई  मैं है, 
दावे प्रतिदावे तरह तरह के रहे हैं कि किसी ने अज्ञात उड़न तस्करी देखने का दावा किया है तो किसी ने धरती परय किसी हलचल का और किसी ने इनको भगवान जैसी तर्जी दे दी है कि यह दिखाई नहीं देते  लेकिन हलचल व निशान छोड़ जाते हैं। 
 कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सदिंयों पहले कई ग्रहों पर एलयिन यानी परलोकी जीवों का वास था और यह प्राणी हमसे कहीं ज्यादा ज्ञानी थे, 
सदियों पहले मानवों के कंकाल और टूटी हड्डियों का मिलना इस बात को इंगित करती हैं। 
कहते हैं प्यूमा पंकु के लोग एलियनों को अपना भगवान मानते थे, 
नासा ने आई एस एस के कैमरों में कई फुटेजों को  रिकार्ड किया है जिसमें उन्होंने अन्जान चीजों को गुजरते देखा है पर उन्होने एलियनों का कोई ब्यूरा नहीं दिया है। 
अन्त मे यही कहुंगा कि  मुझे पता नहीं कि एलियन हैं या नही अगर हैं तो वो केवल मशीनी हैं या फिर उनमें भावनांए भी हैं या फिर वो कैसे दिखते हैं हमारी कल्पना में अक्सर वो इन्सानों की तरह ही होते होंगे, लेकिन साबित होने तक एलियनों के सिर्फ किस्से हैं लेकिन आज तक अमेरिकी  टेक्नाेलाजी के अनुसार  यह सिग्नल सिर्फ अंतरिक्ष से आ रहे हैं जिनको टेक्नोसिग्नेचर का नाम दिया है जो एक प्रकार की रेडियो वेवलैंथ है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू जम्मू

" मेरी दृष्टि में " एलियन बहुत अधिक विकसित होने के कारण , हमारी पूरी - पूरी जानकारी रखते हैं । यहीं विचार एलियन को भगवान जैसा कहने के लिए काफी है । आकाश गंगा में कुछ रेडियो संदेश ऐसे प्राप्त होते हैं । जिन को आजतक समझा नहीं जा सका है । 
- बीजेन्द्र जैमिनी

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