क्या आधुनिकता के साथ पौराणिकता को समेट रहा है नया सासंद भवन ?
नया सासंद भवन के निर्माण की आधारशिला रखी गई है । जो आधुनिक तकनीक से परिपूर्ण व वर्तमान जरूरतें का पूरा करेगा ।बल्कि पौराणिकता को भी समेट हुए होगा । ऐसा माना जा सकता है । यहीं जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
नया संसद भवन एक सुखद आधुनिक परिवर्तन लेकर आया है। भारतीय संसद की आत्मा वही रहेगी, हां, भवन नया होगा। नयी रूपरेखा, नये वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित, नयी भवन-निर्माण कला पर आधारित, आधुनिकतम सुविधाओं से लैस, पिछली कमियों को दूर करता, प्रगति में जीवन है के सिद्धांत को सिद्ध करता लिये भारत का नया संसद भवन पौराणिक मूल्यों को सहेजते हुए एक नई इबारत लिखेगा। जय हिन्द।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी 130 करोड़ भारतीयों से भी ज्यादा लोग इसके साक्षी बने यह बहुत ही ऐतिहासिक दिन है वर्तमान संसद भवन में ही भारत को नई दिशा मिली उसी में हमारा संविधान बना नया संसद भवन 21वीं सदी की ओर ले जाएगा भारत को नई उड़ान मिलेगी
नई तकनीकी सुख-सुविधाओं से पूर्ण होगा अधिक जगह होगी यह पुरानी परंपराओं और नई परंपराओं का मिश्रित संयोजन होगा आने वाले समय में एक नया इतिहास बनेगा ।
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
लोकतंत्र के मन्दिर माने जाने वाले नये संसद भवन की नींव रखते हुए हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, जैन, बौद्ध सहित अन्य धर्मों के धर्मगुरुओं की उपस्थिति में सर्वधर्म प्रार्थना करना ही लोकतन्त्र की महत्ता को वर्णित करता है। नये संसद भवन की इमारत में आधुनिक तकनीक का पूरा प्रयोग किया जायेगा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अनुसार नये संसद भवन की इमारत में भारतीय संस्कृति, शिल्प और वास्तुकला, क्षेत्रीय कलाओं की विविधता का समन्वय होगा जो भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करेगी।
आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए बनने वाले नये संसद भवन की आधारशिला रखते हुए सर्वधर्म प्रार्थना, विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं की उपस्थिति और भारतीय संस्कृति को व्यक्त करने वाला बिन्दु इस ओर इशारा करता है कि नया संसद भवन स्वयं में पौराणिकता को भी समेटे रखेगा।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
सबसे पहले नए संसद भवन की विशेषताओं पर एक नजर-
नया संसद भवन अगले सौ साल की जरूरतों को पूरा करेगा, भविष्य में सांसदों की संख्या बढ़ने पर भी कोई परेशानी नहीं होगी, वायु और ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने कई कदम उठाए गए हैं, इसमें सभी सांसदों के लिए अलग-अलग कार्यालय होंगे.जो नवीनतम डिजिटल इंटरफेस से लैस होंगे. अंडरग्राउंड टनल से जुड़ेगा सांसदों का दफ्तर. इसका डिजाइन एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है.
अब प्रश्न यह है कि क्या आधुनिकता के साथ पौराणिकता को समेट रहा है नया संसद भवन?
जब भी कोई नई इमारत बनती है, चाहे वह व्यक्तिगत ही क्यों न हो, तो उसमें आधुनिकतम तकनीक के प्रयोग का प्रावधान किया जाता है. फिर नए संसद भवन के लिए ऐसा करना अवश्यम्भावी है. हां, आधुनिकता के साथ पौराणिकता को समेटना कतई उचित नहीं होगा. नए संसद भवन को भारतीय मजदूर और कलाकार ही आकार देंगे, तो नी तकनीक और सुविधाओं के साथ भारतीय कला शिल्प का ध्यान तो अवश्य ही रखा जाएगा. इसमें कोई संदेह नहीं है.
- लीला तिवानी
दिल्ली
भारतवर्ष के नवीन संसद भवन का शिलान्यास हो गया। सर्वधर्म प्रार्थना सभा और पूजन आदि के साथ इस भव्य और आधुनिक सुविधाओं से युक्त भवन का बनना भारत के लिए बहुत ही गौरव की बात है। लोकतंत्र का मंदिर होता है संसद भवन।राजधर्म निभाने वाले जनप्रतिनिधियों का साधना स्थल माना जाता है इसे, जहां से निकले एक एक शब्द का पूरे राष्ट्रवासियों के लिए विशेष महत्त्व होता है।यह नया संसद भवन भव्य और आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा इसकी तो चर्चा मीडिया में खूब आ रही है, लेकिन यह दिव्य कितना होगा यानी इसमें हमारी भारतीय परंपरा, संस्कृति को,पौराणिकता और शास्त्रीयता को,वास्तु और स्थापत्यकला को कितना स्थान और महत्व मिलेगा, इसकी चर्चा सामने नहीं आ रही। हमारा मानना है कि भारतवर्ष की पौराणिकता,शास्त्रीयता और संस्कृति का समावेश भी इस भवन के स्वरुप में,साज सज्जा में होना चाहिए।जैसा कि हमारे संविधान में भी झलकता है। भारतीय लोकतंत्र का यह मंदिर मात्र भव्यता ही नहीं दिव्यता का भी आभास कराएं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
नए संसद भवन का निर्माण कार्य यद्यपि सुप्रीम कोर्ट में लंबित है परंतु आधारशिला रखने की इजाजत मिल गई है, इसीलिए प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास 10 दिसंबर को किया गया। नए संसद भवन की इमारत तिकोनी होगी जबकि वर्तमान संसद भवन वृत्ताकार है । सरकार और अधिकारियों के अनुसार संसद के बढ़ते हुए कार्य को देखते हुए नई इमारत के निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई है। लगभग 100 वर्ष(93) पुराना वर्तमान संसद भवन ब्रिटिश काल में बना था उसमें पर्याप्त जगह और अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था भी नहीं है । इसके अलावा भविष्य में सांसदों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए भी इसके निर्माण की जरूरत पड़ी है । नए संसद भवन की संयुक्त बैठक के दौरान 1272 सदस्य बैठने की व्यवस्था होगी। नए भवन में सभी सांसदों को अलग दफ्तर दिए जाएंगे जिसमें आधुनिक डिजिटल सुविधाएं होंगी ,ताकि पेपर लेस दफ्तरों के लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सके । एक भव्य संविधान हाल होगा जहां भारत के संविधान की मूल प्रति को भी रखा जाएगा ।
सांसदों के बैठने के लिए बड़ा हाल, एक लाइब्रेरी, समितियों के लिए कई कमरे, भोजन कक्ष और बहुत सारी पार्किंग की जगह की व्यवस्था भी होगी।
इसका निर्माण क्षेत्र मौजूदा संसद भवन से 17000 वर्ग मीटर अधिक होगा। वर्तमान संसद भवन का इस्तेमाल संस्था योजनाओं के लिए किया जाएगा। ब्रिटिश काल के दौरान बने हुए संसद भवन को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाई जाएगी ऐसा सरकार और अधिकारियों का मानना है। यदि नया संसद भवन भारत का प्रतिनिधित्व करेगा तो वर्तमान संसद भवन का इतिहास भी अपने आप में कम दिलचस्प नहीं है जिसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को हुआ था ।इसकी वास्तुकला का काम सर हरबर्ट बेकर को सौंपा गया था ।
वर्तमान संसद भवन के अंदर सेंट्रल हॉल की दिशा में मौजूद दीवारों पर हाथ से बनाई हुई कई तस्वीरें लगी है। यह तस्वीरें भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती है लोकसभा के पहले स्पीकर जी वी मावलंकर ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था और इन तस्वीरों को बनाने के लिए देशभर के चित्रकारों को आमंत्रित किया था ।
संसद भवन राष्ट्रपति भवन और राज पथ देश की ऐतिहासिक धरोहर है, लेकिन इसके साथ गुलामी का इतिहास भी जुड़ा हुआ है ।राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक जाने वाली सड़क को पूरा देश राजपथ के नाम से जानता है यह वही सड़क है जहां पर हर वर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड का आयोजन किया जाता है। आजादी के बाद राजपथ भारत के स्वाभिमान का साक्षी भी बना क्योंकि यही वह मार्ग है जहां हर वर्ष भारत अपने सांस्कृतिक और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करता है । लेकिन इसके ब्रिटिश इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता इसलिए राजपथ को अब भारत पथ बनाए जाने की जरूरत है ।भारत से ब्रिटिश राज चला गया लेकिन राजपथ नहीं गया अब दिल्ली की इस पहचान को बदलने की तैयारी हो रही है ।
हमे यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अंग्रेजों और मुगलों ने भारत की पहचान को बदलने की कोशिश की थी , उसे वापस पाने का यही समय है पहचान मिटाने की इसी कोशिश के तहत कभी मुंबई को बांम्बे ,चेन्नई को मद्रास , कोलकाता को कलकता और दिल्ली को डैल्ही कर दिया गया । गुलाम मानसिकता के शिकार लोगों ने पहले इसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया और फिर वर्षों तक गुलामी की पहचान को ही अपनी असली पहचान मान कर चलते रहे और आज भी चल रहे हैं लेकिन जाे देश अपनी जड़ों को भुला देता है उस देश को दुनिया सम्मान की दृष्टि से नहीं देख पाती । हमें यह मानना होगा कि नए संसद भवन की नींव रखे जाने के साथ ही भारत के इतिहास में नए अध्याय की शुरुआत हुई है। गुलामी की यादों को खत्म करके राष्ट्रवाद के नए अध्याय की शुरुआत हो रही है ।देश के नव निर्माण का यह सुनहरा मौका है इस मौके पर हमारे मन में उत्साह होना चाहिए ।
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
आधुनिकता मतलब वर्तमान पौराणिकता अर्थात अतीत इतिहास , इन दोनो का लक्ष्य आनेवाली पीढियां अर्थात भविष्य , मानवीय जीवन इन तीन काल आधार था है और रहेगा , अतीत से सीख कर वर्तमानकाल को सुरक्षित सुखद बनाना व भविष्य में आने वाली चुनोतियों के लिए तैयार रहना करना होता है ।
कोई भी कार्य मैं पुनः कहता हूँ कोई भी कार्य इन तीनो के सम्यक समीकरण समीक्षा व प्रादुर्भाव के आधीन ही समायोजित किया जाता है और किया जाना चाहिए । प्रत्येक नेतृत्व , शासन अधिकारी व मुखिया वो चाहे , एक समूह , जैसे आप श्री माननीय एडमिन महोदय जी , एक परिवार जैसे head of the family, पंचपरमेश्वर नगर प्रमुख व देश प्रमुख जैसे प्रधान मंत्री आदि आदि इन का सर्वोच्च सर्वप्रथम नैतिक कर्तव्य यही है यदि इनमे किसी मे भी नेतृत्व के संकाय इन तीनो काल के अनुरूप अपक्व होंगे या हों तो सम्पूर्ण इकाई के समीकरण असंतुलित हो जाने की आशंकाएं घेर लेंगी ।
आज के देश प्रमुख व उनका मंत्री मण्डल मेरे समझ अनुसार आज के सुलझे चर्चा विषय अनुसार ही व्यवस्था अनुसार क्रियान्वयन में सम्पूर्ण निष्ठा के साथ लगा है ।
आशा करता हूँ आज की संगोष्ठी के ।महत्वपूर्ण विषय पर मेरी चर्चा का भाव स्पष्ट हुआ हो ,
हाँ पूर्णतया ये सत्य है कि नए संसद भवन की आधारशिला उक्त प्रासंगिकता अनुसार वृहद विस्तार समेटे आधुनिकता का पौराणिकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने में पूर्णतया सफ़ल रहेगी क्या होगी ही ॐ ॐ ॐ कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, ॐ ॐ
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
समय के साथ बदलते रहना की विकासवादी सिद्धांत है आज का नया संसद का जो निर्माण हो रहा है वाह पुरानी चीजों को समेत नहीं रहा है बल्कि उसमें एक संशोधन कर आधुनिकता से जोड़ रहा है हमारे विचार से तो यह एक अच्छी पहल है।
बदलते हुए परिवेश के साथ नवीनीकरण होना अति आवश्यक है तभी तो नए-नए संसाधनों का सदुपयोग हो सकेगा समय की बचत हो सकेगी आज यदि डिजिटल की दुनिया नहीं होती तो शायद कोरोना के आपातकाल स्थिति में काम धंधा बिल्कुल ही ठप हो गया रहता इस डिजिटल के कार्य हंड्रेड परसेंट तो नहीं लेकिन हां 50% सक्रियता बन गई है इसलिए संसद के नवीनीकरण पर पुरानी चीजों का खत्म होने का जो भ्रम है इसे मन से निकालना उचित होगा
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
संसद भवन आधुनिक हो या पौराणिक जब तक अपराधिकरण को समाप्त नहीं किया जाएगा। तब तक संविधान निर्माताओं एवं शहीदों की कल्पनाओं का भारत बनने से रहा। गरीबों को न्याय मिलने से रहा।
सत्य तो यह है कि संसद भवन संवारने से अधिक सांसदों-विधायकों की सभ्यता और संस्कृति को निखारने की आवश्यकता है। यही नहीं भारतीय न्यायपालिका के सशक्त स्तंभ के मूल आधार अधिवक्ताओं-न्यायाधीशों की एकेडमिक योग्यता पर बल देने की परम आवश्यकता है। क्योंकि संसद द्वारा बनाए अधिनियमों को कानूनी रूप देकर उनका पालन करवाना भी न्यायपालिका का ही कार्य होता है। जिनके चरित्र चित्रण पर राष्ट्र निर्माण होता है।
उल्लेखनीय है भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाने के लिए जब तक चोर-चोर मौसेरे भाई की प्रथा पर अंकुश नहीं लगाया। तब तक संसद द्वारा दिया पंक्ति के अंत में खड़े जरूरतमंद को लाभ नहीं पहुंचेगा और संविधान निर्माताओं का सपना 'सपना' ही रहेगा।
अतः उपरोक्त आधुनिक भारत का विश्व में आत्मनिर्भरता के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु संसद से लेकर सड़क तक और संतरी से लेकर मंत्री तक भ्रष्टाचार को समाप्त करना अत्याधिक आवश्यक है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
ब्रिटिश शासन काल में बने 100 वर्ष पुराना संसद भवन बना तब हमारी जनसंख्या आज की अपेक्षा कम थी ! आज हमारी जनसंख्या भी बढी़ है ! नया सांसद भवन आज के बढते जरुरतो को देखते हुए आवश्यक बन गया है ! यदि सांसदों की संख्या बढ़ती है तो भी तकलीफ नहीं होगी ! नये संसद भवन में सभी सांसद का कार्यालय होगा ! सभी सुविधाएं होंगी !पार्किंग से लेकर जीवन रक्षक सुविधाओं से लैस होंगा ! आधुनिक तकनीकी एवं पुराने सांसद को ध्यान में रखकर बनेगा ! सोलार सिस्टम होगा ताकि विद्वयुत उर्जा कम खर्च होगी ! वैसे भी नया सांसद भवन बनाने की मांग आगे आने वाले जरुरतों को देख आवश्यक था !
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
बिटिश काल में भवन का निर्माण 1921-27 की अवधि में विभिन्न क्रियाकलापों के लिए बनाया गया था। जो आजादी पश्चात भारतीय तंत्र में संसदीय प्रणाली में उपयोग किया जाता रहा हैं। वर्तमान परिदृश्य में अत्याधुनिक के साथ पौराणिकता को लिए हुए बनाया जा रहा हैं, जिसमें विभिन्न दृष्टिकोणों से अनेकों दृश्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार दर्शित किया जा रहा हैं। जो भारतीय संस्कृति को अपने आप में समेटे हुए दिखाई देयेंगा। आवश्यकता प्रतीत होती हैं, जनता से चुनें हुए प्रतिनिधियों की जिनके विचार तंत्रों पर निर्भर करता हैं, इतने वैभव शाली संसद भवन में
विकासों को करवानें। तभी जाकर वास्तविक तथ्यों के साथ भवन का महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
हाँ लगता तो यही है कि आधुनिकता के साथ-साथ पौराणिकता को समेटने वाला होगा नया संसद भवन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे एटीएम निर्भर भारत के गवाह के रूप में देख रहे हैं। जो २१वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी करेगा। जो स्वतंत्र भारत में बना हुआ होगा। 971 करोड़ की लागत से भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ यानी 2022 तक बनने की उम्मीद है। नए संसद भवन की आधारशिला सर्वधर्म प्रार्थना सभा के साथ संपन्न हुई है इससे साफ स्पष्ट है इस संसद भवन में आधुनिक पौराणिक दोनों का मेल रहेगा। बाकी तो सब बनने के बाद ही पता चलेगा।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं.बंगाल
नए संसद भवन की आधाशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी। इसके साथ ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो गया। आजादी के 75 वे साल यानी 2022 में आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस नए भवन में संसद के दोनों सदनों की बैठक शुरू हो जाएगी। इसके साथ की पुराना संसद भवन प्राचीन धरोहर का हिस्सा बन जाएगा।
नए संसद भवन आधुनिकता के साथ साथ पौराणिकता को भी समेट रहा है। संसद भवन को भव्यता देने के लिए इसमें स्थापना कला और आधुनिकता का मिश्रण किया जा रहा है। नए भवन के साथ नया इतिहास रचा जाय और नए प्रतीक खड़े किए जाय। नए संसद भवन में भारतीयता की छाप भरपूर रखी जाएगी। भवन निर्माण में भारतीय वास्तुकला, भारतीय शिल्पकला, की प्रमुखता दी जाएगी। मौजूदा संसद भवन में उकेरे गए वेदों और उपनिषदों के श्लोक से ज्यादा नए भवन में उकेरे जाएंगे। भारतीय संस्कृति, लोकाचार, भारतीय परम्परा का पूरा ख्याल रखा गया है। नए संसद भवन में देश की विरासत, इतिहास और विविधताओं को दर्शाने के लिए देश के करीब 200 शिल्पकार और कलाकारों के संगठन को जोड़ा गया है। डिजाइन योजना में केंद्रीय संवैधानिक गैलरी को स्थान दिया गया है। आम लोग इसे देख सकेंगे। नए संसद भवन में पर्यावरण अनुकूल कार्यशैली का इस्तेमाल होगा। सोलर सिस्टम से ऊर्जा भी बचेगी। नए संसद भवन की लागत 971 करोड़ है, जबकि पुराना भवन 83 लाख में बना था। यह संसद भवन दुनिया के अन्य देशों की तुलना में बहुत ही अत्याधुनिक तरीके से बन रहा है जिसे देखकर लोग दंग रह जाएंगे।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
आईये आज आपका रूख भारत के मौजूदा संसद भवन व नए संसद भवन निर्माण की तरफ करते हैं,
मौजूदा संसद भवन की बात करें यह मात्र 92बर्ष पुराना है।
मौजूदा संसद भवन का निर्माण अंग्रेजों ने 1911में शूरु किया था और यह लगभग 1929को तैयार हुआ था जब अंग्रेजों ने दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया था,
यह भवन गोलाकार नुमा का है, लेकिन सांसदों की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए नई इमारत की जरूरत पड़ने लगी जिसे देखते हुए भारत में नए भवन का शूरूआत किया गया है जिसकी आधारशीला माननिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने रखी है जिस पर करीब 971करोड़ के लगभग लागत आने का अनुमान है,
जो त्रिकोण आकार का होगा, उम्मीद है यह 2022तक पूरा हो जाऐगा।
अब देखना यह है कि क्या आधुनिकता के साथ पौराणिकता को समेट रहा है नया संसद भवन?।
नए संसद भवन के निर्माण की बात करें तो इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड कर रहा है,
ऐसा मानना है कि नए संसद भवन और टूल विस्ता प्रोजेक्ट बनने के वाद भी पुराने भवन की इमारत यूं ही रहेगी, इसके साथ साथ नार्थ और साउथ ब्लाक की पुरानी इमारतें भी अपने पुराने अस्तित्व में ही रहेंगी,
लेकिन इसमें पहले की तरह कामकाज नहीं होगा।
मुमकिन है कि इनको म्यूजिम के तौर पर दर्शकों के लिए रखा जाए।
नया संसद भवन लगभग 64हजार 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला होगा।
ऐसा मानना है कि नए संसद भवन के परिसर में सांसदों का दफ्तर भी होगा।
इस भवन के साथ साथ संसद के आसपास बने सरकारी भवनों को भी नए सिरे से बनाया जाएगा जो सरकार का एक सराहिनय कदम है
उम्मीद है कि नए भवन निर्माण से सांसदों की जरूरतें भी पूर्ण होंगी व मौजूदा संसद भवन म्यूजिम के तौर पर दर्शकों के लिए आकर्षित का केंद्र बना रहेगा जिससे पुराने व नए भवन की सुन्दरता कायम रहेगी।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
नई संसद भवन के लिए जो चित्र दिखाए जा रहे हैं उनमें आधुनिकता के साथ साथ पौराणिकता का भी समावेश स्पष्ट नजर आ रहा है। बारहदरी , खंबे ,फुहारा ,उद्यान, बुर्ज, महात्मा गांधी तथा घोड़े पर सवार महाराणा प्रताप आदि बहुत सी चीजें प्राचीनता से समानता रखती हैं। वृक्षों से भरे हुए उपवन प्रकाश की व्यवस्था प्रकाश स्तंभ आदि पौराणिकता का एहसास कराते हैं।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
नया संसद भवन आलीशान होगा। पुराने से अलग रहेगा।
पीएम नरेंद्र मोदी के कर कमलों से 10/ 12 /2020 गुरुवार को शिलान्यास हुआ।
आजादी के 75 साल यानी 2022 में आधुनिक तकनीकी और सुविधा से लैस नए भवन में संसद के दोनों सदनों की बैठक होगी।
इसके साथ ही पुराना संसद भवन प्राचीन धरोहर का हिस्सा बन जाएगा।मौजूदा संसद भवन का निर्माण ब्रिटिश शासन काल में हुआ था। इसकी नीवं 12 फरवरी 1921 को रखी गई थी और 6 साल में बनकर तैयार हुआ था यानी 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने संसद भवन का उद्घाटन किया था। इसका लागत उस समय 83 लाख रुपए लगे थे।
नए संसद भवन बनाने में 971 करोड रुपए खर्च होंगे। भवन निर्माण 64500 वर्ग मीटर में फैला तीन मंजिला होगा।
नया संसद भवन मे 1224 सदस्यों के बैठने की होगी व्यवस्था।888 सदस्यों के बेठगें लोक सभा कक्ष में, और 326 सदस्यों के राज्यसभा में बैठने की व्यवस्था होगी।
1224 सदस्य संयुक्त अधिवेशन के दौरान बैठ सकेंगे लोक सभा कक्ष में।
हर संसद को अलग-अलग 40 वर्ग मीटर का दफ्तर दिया जाएगा। सभी सांसदों के कार्यालय पेपरलेस ऑफिस बनाने के लिए नवीनतम डिजिटल इंटरफ्रेंस से लैस किया जाएगा।
नए संसद भवन में भव्य संविधान हांल और संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय,समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और प्राप्त पार्किंग स्थान भी होगा।
नए संसद भवन निर्माण के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाई गई है।
लेखक का विचार:---संसद भवन 130 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का भवन होगा इसके निर्माण में अगले 100 साल से अधिक की जरूरतों पर ध्यान दिया गया है नई इमारत विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के गौरव के अनुरूप होगी।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
‘नए भवन के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विविधता प्रदर्शित होगी। आशा है कि आजादी के 75 साल पूरे होने पर संसद का सत्र नए भवन में आयोजित होगा।'
संसद भवन की नई इमारत का डिजाइन त्रिभुज (Triangle) के आकार का होगा।
काफी कुछ पुराने जैसी होगी नई संसद भवन की इमारत ।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि नई इमारत का स्वरूप मौजूदा संसद के समान होगा। उन्होंने कहा कि नई इमारत में एक तहखाना, भूतल, पहली और दूसरी मंजिलें होंगी और इसकी ऊंचाई भी पुरानी इमारत जैसी ही होगी, ताकि दोनों समरूपता में हों।
नया भवन वायु और ध्वनि प्रदूषण से होगा मुक्त होगा। नए संसद भवन के निर्माण कार्य के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। इसमें सभी सांसदों के लिए अलग-अलग कार्यालय होंगे और जिन्हें 'पेपरलेस ऑफिस' बनाने की दिशा में एक कदम के रूप में नवीनतम डिजिटल इंटरफेस से लैस किया जाएगा। नई इमारत में भारत की लोकतांत्रिक विरासत के रूप में एक भव्य संविधान हॉल, संसद के सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान भी होगा।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
" मेरी दृष्टि में " पौराणिकता को भी नया सासंद भवन में छाप होनी चाहिए । तभी भारतीयता की झलक देखने को मिलेगी । यह सब देखने के उद्देश्य से आज की चर्चा का आयोजन रखा गया है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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