रचनाकार : लघुकथा पाठ
यह कार्यक्रम फेसबुक के पेंज पर रखा गया है । जिस का लिंक यहां पर दिया गया है । जिसे कभी भी देखा जा सकता है ।
कार्यक्रम सफल रहा है । आयोजक बधाई के पात्र है । परन्तु बीजेन्द्र जैमिनी शामिल तो हुए हैं । किन्तु उन की आवाज पास नहीं हो रही थी । जिसके कारण से बीजेन्द्र जैमिनी की लघुकथा " दारोगा जी " को आदरणीय कुमुद शर्मा " काशवी " ( असम ) ने कार्यक्रम में पेश किया । अतः कशवी जी का हार्दिक आभार ।
शामिल लघुकथा
दरोगा जी
कोर्ट में मुकदमा जीतने के बाद ,जज साहब ने बुजुर्ग को बधाई देते हुए कहा- बाबा !आप केस जीत गये है।
बुजुर्ग ने कहा- प्रभु जी ! आप को इतनी तरक्की दे, आप " दरोगा जी " बन जाए ।
वकील बोला- बाबा! जज तो " दरोगा " से तो बहुत बड़ा होता है।
बुजुर्ग बोला- ना ही साहब ! मेरी नजर में "दरोगा जी" ही बड़ा है।
वकील बोला- वो कैसे ?
बुजुर्ग – जज साहब ने मुकदमा खत्म करने में दस साल लगा दिये । जब कि "दरोगा जी" शुरू में ही कहा था। पांच हजार रुपया दे , दो दिन में मामला रफा दफा कर दूगाँ । मैने तो पांच की जगह पंचास हजार से अधिक तो वकील को दे चुका हूँ और समय दस साल से ऊपर लग गये।
जज साहब और वकील तो बुजुर्ग की तरफ देखते ही रह गये। ००
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