बड़ा घर या सुंदर घर कोई अर्थ नहीं रखता है जंब तक घर का माहौल अच्छा नहीं होता है। सिर्फ घर होने से जीवन सार्थक नहीं होता है। सुखी जीवन के लिए घर के लोगों का व्यवहार भी अच्छा होना चाहिए। आपस में तालमेल बहुत जरूरी है। जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का विषय है जो घर के माहौल को सार्थक बनता है। अब आयें विचारों को देखते हैं : - जीवन में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है, सुख-दुख आप बात हो गई, हमेशा परिस्थतियों में बदलाव होता रहता, इसी प्रकार घर संसार का भी एक परिदृश्य होता है। परिवार छोटा हो या बड़ा वसुधैव कुटुम्बकम मायाजाल है। आपस में लड़ाई झगड़ा ,बटवारा आम वात है, संयुक्त परिवार अब नहीं के बराबर हो गए है। परिवार के सदस्य व्यापार, नौकरी में इधर-उधर हो चले है, जन्म यहाँ मरण वहाँ ऐसा हो गया है। रिश्तेनाते, वैवाहिक जीवन में बहुत देख परख तो होता है, फिर समय ऐसा आता है, सुखी जीवन के लिए घर जरुरी नहीं रह पाता, अगर घर में सुख अच्छा माहौल हो तो जीवन स्वर्ग बन जाता है। अच्छा माहौल नहीं होने पर.प्रतिदिन कलह,दहेज, आत्म हत्या, फांसी आदि पसंग देखने को मिलते रहते है। अगर घर में गंभीरता पूर्वक, समस्या समाधान किया जाए, सब कुछ आंखों के सामने घटित होने उपरान्त मौन रह कर परिस्थितियों का सामना करें, वही जीवन सार्थक है।- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट-मध्यप्रदेश
बिल्कुल सत्य कहा आपने, घर भले ही महलों जैसा हो लेकिन जब तक उसका वातावरण सही नहीं है तब तक हम सुख की जिंदगी नहीं जी सकते। यदि घर में रहने वाले परिवार के सभी सदस्यों का व्यवहार सही है तो किसी छोटे से घर में भी महलों जैसा सुख भोगा जा सकता है। घर में एक दूसरे के लिए त्याग भाव की मानसिकता होना आवश्यक है। जैसे एक मां कुछ भी खा पहन लेगी लेकिन जो अच्छी चीज़ होगी, वह घर के अन्य सदस्यों के लिए बचा कर रखती है। एक पिता जवान बेटे के पुराने कपड़े पहन लेता है और बड़ा खुश होकर कहता है, 'अरे! यह तो बिल्कुल नया पड़ा है, मैं पहन लूंगा। फेंकना नहीं है।' बेटे के लाख मना करने पर भी वह नहीं मानता और बेटा भी कई बार चुपके से पिता के लिए नए कपड़े खरीद लाता है। घर की बहू- बेटी मां के लिए ले आती है। जिस परिवार का वातावरण अच्छा हो उस परिवार में घर के दो कमरे हैं या फिर चार हैं उसमें कोई फर्क नहीं पड़ता। तनख्वाह कम है अथवा ज्यादा है जिन्होंने रहना सीख लिया, जीवन को जीना सीख लिया, वे लोग कहीं भी रहे सदा सुखी रहेंगे। एक लोग अनुकूल वातावरण में रहना चाहते हैं, दूसरे प्रतिकूल को भी अनुकूल बना लेते हैं। कई बार घर में एक बहू मां से कहती है, 'तनख्वाह कम है तो क्या हुआ, हम अलग नहीं होंगे। एक ही घर में इकट्ठे रहेंगे, नई वस्तुएं बाद में आ जाएंगी। किसी न किसी तरह गुज़ारा कर लेंगे।' एक छोटे घर की व्याही बेटी, ससुराल में अपने अच्छे व्यवहार से बड़ों को भी अपना बना लेती है तो इसे कहेंगे सुखी परिवार- सुखी जीवन, घर के अच्छे वातावरण पर निर्भर है न कि बड़े घर का होना आवश्यक है। - डॉ. संतोष गर्ग 'तोष '
पंचकूला - हरियाणा
सुखी जीवन के लिए अच्छा घर जरूरी नहीं बल्कि घर का अच्छा माहौल जरूरी है, ऐसा होना वाकई बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि सुख-समृद्धि की वृद्धि ऐसी ही माहौल से बढ़ती है। घर का अच्छा माहौल रहता है तो आनंदमय सुख-सुकूनभरा होता है। घर के सभी सदस्य हमेशा उत्साहित, प्रसन्नचित और तनावमुक्त रहते हैं। जिससे बच्चों में बौद्धिक विकास भी अपेक्षित जल्दी होता है। जो उनकी शैक्षणिक योग्यता के लिए वरदान साबित होता है। कुलमिलाकर सब अच्छा ही अच्छा। और इस अच्छे के लिए यूँ तो सभी का बराबर का योगदान होता है, श्रेय भी सभी को जाता है। लेकिन मुखिया का विशेष माना जाएगा। क्योंकि घर की व्यवस्था और आपसी सामंजस्य बनाना प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उनके ही दिशा-निर्देश के अंतर्गत होता है। सब के स्वभाव, सब की आवश्यकताएं, सब की रुचि, सब के शौक अलग-अलग होते हैं। ऐसी विविधतापूर्ण स्थिति में यह मुखिया की ही दायित्व होता है कि वह घर के सभी सदस्यों को अपने स्नेह,सम्मान और आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखे और उनकी यथा संभव पूर्ति भी करे। यही नहीं मुखिया के स्वभाव, आदतों और व्यवहार का भी घर के सभी सदस्यों पर प्रभाव पड़ता है।अत: यह मुखिया के विवेक और कौशल पर ही निर्भर होता है कि वह अपने आचरण, परिवार के संरक्षण और वातावरण को सुखद बनाने में सजग रहते हुए अपने दायित्वों का कौशलपूर्ण तरीके से निर्वहन करे। अप्रिय स्थिति बनने पर, नापसंदगी पर समझाइश दे, विमर्श कर, निराकरण करे।अन्य सदस्यों का भी यह कर्तव्य बनता है कि वे पूरा-पूरा योगदान दें।वस्तुस्थिति का आकलन करें। समझदार बनें।क्योकि सुखी जीवन के लिए अच्छा घर जरूरी नही है बल्कि घर का अच्छा माहौल जरूरी है। - नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
ये बात सच है कि सुखी जीवन के लिए अच्छा घर ज़रूरी नहीं अपितु अच्छा माहौल ज़रूरी है !!अमीरों की आलीशान इमारतों में,भौतिक सभी सुविधाएं होती हैं !! नौकर चाकर , बड़ी गाड़ियां , पर अक्सर वे दुखी नजर आते हैं !परिवार के लोगों मैं सामंजस्य ,तालमेल , स्वस्थ माहौल की आवश्यकता होती है , जो अक्सर ऐसे घरों मैं देखने को भी नहीं मिलता !!सभी सदस्य एकसाथ मिलकर कहना नहीं खाते , एक दूसरे की परवाह नहीं करते , व सुख दुख सांझा नहीं करते !!कई बार वे एक दूसरे से मिलते भी नहीं !! न ऐसे घरों मैं नैतिक मूल्य होते है , न किसी को अच्छे संस्कार सीखने सिखाने का समय !! यहां घर का माहौल स्वस्थ नहीं होता !! एक सुखी परिवार के लिए एक ऐसा घर आदर्श है , जहां बेशक कमरे कम हों , भौतिक सुविधाओं की भी कमी हो , पर सब एक दूसरे की परवाह करें , दुख बांटे,व नैतिक मूल्यों को मान्यता दी जाती हो !! आजकल की दुनियां मैं घर का अच्छा माहौल बहुत कम होता जा रहा है , व ये विषय चिंतनीय है !! - नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
कहते हैं कि ईश्वर ने तीन लोक बनाए हैं जिसमें एक स्वर्गलोक और दूसरा नर्क लोक होता है। पहले लोक की कामना तो सभी करते हैं पर दूसरे लोक की कल्पना भी भयावह लगती है। हम अपने और अपने परिवार के सुखी जीवन के लिए अच्छे घर और सभी संभव भौतिक साधनों का प्रबंध करते हैं और समाज के ढांचे में एक सुखी व्यक्ति की पंक्ति में गिने जाते हैं और यदि हम भौतिक साधनों से हीन हैं तो हमारा जीवन नर्क तुल्य हो जाता है और हम दूसरों के साथ ही अपनी दृष्टि में भी हेय हो जाते हैं। कितनी विचित्र बात है कि माया महा ठगनी की बात तो सब करते हैं लेकिन इस माया के फेर से बचने में कोई कोई ही सफल हो पता है।एक बड़े साधन सम्पन्न और भौतिक सुख सुविधाओं से युक्त घर में अक्सर लोगों की उन्मुक्त हंसी का अभाव पाया जाता है जबकि एक गरीब के झोपड़े से भी कभी कभी खुली हुई खिलखिलाती हंसी की गूंज आस पड़ोस में सुनाई दे जाती है।क्योंकि गरीब के घर के माहौल में भौतिक साधनों की कमी के बाद भी दिल का आंगन खुला और हरा भरा रहता है जबकि अमीर के घर का आंगन भले बड़ा हो पर मन का द्वार बहुत छोटा हो जाता है और परिणाम स्वरूप एक ही घर का हर सदस्य अपने भावों को एक दूसरे से छिपाते हुए एक दूसरे के लिए पराया हो जाता है और फिर संदेह की ऊंची दीवार हर सदस्य के सुखी जीवन को अपनी ओट में लेकर उस घर में कलह और मन मुटाव को इस तरह फैला देती है कि अपना ही सजाया संवारा हुआ घर व्यक्ति को नर्क के समान लगने लगता है और वह इस नर्क से मुक्ति का उपाय खोजने लगता है।इसीलिए कहा जाता है कि सुखी जीवन के लिए अच्छा gahr जरूरी नहीं है बल्कि घर का अच्छा माहौल जरूरी है जो हमें इसी जीवन में स्वर्ग की अनुभूति कराता है।
- पी एस खरे "आकाश"
पीलीभीत - उत्तर प्रदेश
सुखी जीवन के लिये अच्छा घर जरूरी है ! बल्कि घर का अच्छा माहौल तो जरूरी है तभी तो कहते है हम अच्छे तो जग अच्छा और घर अच्छा तो जग अच्छा कर सुखी जीवन प्रार्थना मन आह्लादित है संग साथ चल ममता ममत्व का संचार जगा देतें है ना चाहुँ सोना चाँदी सुखी रोटी आस जगा जिंदगी संसार बसा देते सुखी धरती को हरा भरा बना दे हँसते खेलते फ़ुल खिला देते है कर बद्ध प्रार्थना ईश्वर से है धर्य का बाँध ना टूटे नई ऊर्जा दे घर जगमगा दे बस इतनी सी चाह है नए कल की राह ईश्वर की सुगम बना दे शांति से बढ़ जाए ऐसी राह दिखा दे घर का अच्छा माहौल बना दे ! कहते है आत्मिक संतुष्टि सबसे बड़ा सुख है हम ग़रीबों के पास तन ढकने के लिए कपड़े दो जून की रूख़ी सुखी रोटी के अलावा क्या हैं ! मेडम ने कहा -ऐसा कह आपने एक सुखद मोड़ नई राह जगाई मितव्ययता से जीवन व्यतीत करने का ढंग बताया मिट्टी के बर्तन पेण्टिंग का काम खिलौने बनते हैं ! आपने मेरी मदद की है आप संतुष्ट रहोगे तभी आप दूसरों को खुश रख घर का माहोल को खुश रंग बना सकते है - अनिता शरद झा
रायपुर - छत्तीसगढ़
बिल्कुल सही कहा है आपने वास्तव में यदि 'घर' का माहौल अच्छा नहीं है तो वह 'घर' नहीं बन पाता, केवल 'मकान' बनकर रह जाता है। घर में अच्छे माहौल के लिए घर में सभी छोटे-बड़े सदस्यों का एक दूसरे के प्रति आदरभाव, स्नेह और सम्मान अति आवश्यक है। यहां पर यह भी आवश्यक है कि घर के बड़े बुजुर्गों की अनदेखी ना की जाये, उनके बहुमूल्य अनुभवों का लाभ उठाया जाये। यदि ऐसा नहीं है तो महलों में रहने पर भी सुखी जीवन व्यतीत करने की कल्पना बेमानी है। - संजीव 'दीपक'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
सुखी जीवन के लिए घर का अच्छा माहौल वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है। एक अच्छा घर होने से हमें भौतिक सुविधा मिल सकती है, लेकिन घर का अच्छा माहौल हमें मानसिक शांति और सुख प्रदान करता है। एक अच्छा माहौल हमें अपने परिवार के साथ जुड़ने और एक दूसरे के साथ समय बिताने का अवसर प्रदान करता है। यह हमें अपने रिश्तों को मजबूत बनाने और एक दूसरे के साथ प्यार और समझ के साथ रहने में मदद करता है। वहीं, एक बड़ा और भव्य घर होने के बावजूद भी, अगर घर का माहौल अच्छा नहीं है, सब अपने- अपने में व्यस्त रहते हैं कोई किसी से बात तक नहीं करता ,।अक्सर देखा जाता है की सभी अपने-अपने फोन लेकर एक ही कमरे में बैठे रहने के बावजूद भावनाओं की कदर नहीं करते और दूर बैठे वीडियो काल से हालचाल बूझकर चिंता व्यक्त करते है जैसे पास होते तो सेवा करते। जबकि कुछ है परिवार एक ही कमरे में रहकर एक दूसरे के दुख दर्द को समझते हैं खुशी में शामिल होते हैं । शीशमहल या आलीशान मकान हमें सुखी नहीं बना सकता है। घर का अच्छा माहौल हमें अपने जीवन में सकारात्मकता और खुशी प्रदान करता है। इसलिए, सुखी जीवन के लिए घर का अच्छा माहौल बहुत महत्वपूर्ण है। हमें अपने घर को सिर्फ भौतिक सुविधाओं से नहीं, बल्कि प्यार, समझ और सकारात्मकता से भरना चाहिए। मेरी राय में घर का अच्छा माहौल परिवार के सदस्यों का सामजस्य ही वास्तव में सुखी जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। घर तो घरवालो से ही होता है चाहे झोपड़ी हो या महल। - रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
मिट्टी के घरों में लोग खिदमत से खड़े होते हैं, औकात में भले छोटे हों लेकिन इंसानियत में बड़े होते हैं, आज का रूख जरा रहन सहन की तरफ ले चलते हैं कि क्या बड़ा घर या खूबसूरत घर सुखी जीवन दे सकता है या सुखी जीवन के लिए घर का माहौल खूबसूरत यानि अच्छा होना चाहिए, इसका जिक्र उपर लिखी स्तरें साफ साफ , बयाँ कर रही हैं कि छोटे घरों के लोगों में इंसानियत कूट कूट भरी होती है, कहने का भाव घर बड़ा या अच्छा होने से सुखी जीवन नहीं हो सकता सुखी जीवन के लिए अच्छा माहौल, अच्छी बातचीत, रहने का सलीका अच्छा होना चाहिए क्योंकि अच्छा माहौल अच्छे घर से ज्यादा जरूरी है, देखा जाए घर का माहौल ही व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए जरूरी होता है क्योंकि एक प्रेमपूर्ण, सहायक और साकारात्मक घर का वातावरण बच्चों और बड़ों को आत्मविश्वास और खुशी प्रदान करता है जिससे घर के सदस्यों के बीच जुड़ाव बढ़ता है जिससे जीवन में स्थिरता आती है कहने का भाव घर भले ही छोटा हो कच्चा हो लेकिन उसमें प्रेम, शान्ति और आरामदायक वातावरण हो तो घर की खुशी दुगनी हो जाती है जो महलों से ज्यादा आनंद देती है क्योंकि घर एक बाहरी दूनिया के तनाव से दूर आराम और मानसिक शांति प्रदान करने वाली जगह है न कि एक अच्छे घर का मतलब सिर्फ टायल, मार्वल सा शीशे से बनी इमारत से है बल्कि ऐसी जगह यहाँ व्यक्ति अपने आप को सुरक्षित, आरामदायक और चैन से रहने का माहौल पा सके, परिवार को प्यार दे सके तथा यहाँ पर व्यक्तिगत जरूरतें पूरी हों और सुकून भरी नींद आ सके तथा साकारात्मक भावनाएं पैदा हों और भाईचारा बना रहे इसलिए सुखी जीवन के लिए अच्छा या बड़ा घर जरूरी नहीं है बल्कि घर का अच्छा माहौल जरूरी है, अगर बडे घर के परिवार के सदस्यों के बीच बातचीत अच्छी नहीं है, घर का माहौल अच्छा नहीं है, और आने जाने वालों को इज्जत मान नहीं देते तो ऐसे घर से छोटा घर कई गुना बेहतर है, तभी तो कहा है, उँचे कुल का जनमिया, करनी उँच न होय, सुबरन, कलम सुरा भरा, साधू निंदै सोइ। कहने का भाव अगर सोने का कलश मदिरा से यानि शराब से भरा हुआ हो तो उसकी कीमत मिट्टी के बर्तन से भी कम आँकी जाती है, जिस प्रकार उँचे कुल में जन्म होने के कारण भी किसी के कर्म उँचे नहीं हों तो उस उँचे घर की निंदा ही चारों तरफ फैलती है इसलिए अगर इंसान सुखी जीवन चाहता है तो उसे अपने परिवार में अच्छे संस्कार डालने होंगे क्योंकि अच्छे संस्कार एक छोटे घर को भी महल की भाँति सुख सुविधा में परिवर्तित कर सकते हैं लेकिन आजकल ईंटों की चारदिवारी ने घर, घर में बटवारा करके दिलों में भी बटवारा कर दिया है देखने में तो घर महल सा दिखता है लेकिन सुख शांति झौंपड़ी वालों से भी कम देखने को मिलती है इसलिए कहा है, मिट्टी की वो दिवारें मजबूत हुआ करती थीं साहब, जब से सिमेंट की बनने लगी हैं तो टूटने लगे हैं घर। - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
" मेरी दृष्टि में " घर का सार्थक माहौल बहुत कुछ कहता है। यही से ही सुखी जीवन की नींव रखी जाती है। जिससे परिवार चलता है। परिवार को सार्थक बनाने के लिए, घर का सार्थक माहौल बहुत जरूरी है। बाकि जीवन में कब क्या हो जाएं। यह जीवन में किसी को कुछ नहीं पता होता है।
- बीजेन्द्र जैमिनी
(संपादन व संचालन)
सुखी जीवन के लिए अच्छा घर ज़रूरी नहीं, बल्कि घर का अच्छा माहौल ज़रूरी है ।। इस विषय पर आपने जो चर्चा रखी। उस पर सभी रचनाकारों ने अपने सार्थक विचार भेजे। सभी को बहुत-बहुत बधाई शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुख-दुख का कारण मन है महल नहीं
आदरणीय बीजेंद्र जी आपने मुझे सम्मानित कर मान बढ़ाया। इसके लिए सादर धन्यवाद आभारी हूं। जय श्री कृष्ण जी 🙏
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