अमृता प्रीतम स्मृति सम्मान -2025

      अकड़ और घमंड को एक बिमारी के रूप में देखा जाता है। जिस का इलाज बहुत कठिन होता है परंतु असम्भव नहीं है। यह समय आने पर अपने आप इलाज हो जाता है। जिसे समय का चक्र कहते हैं। यही चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। जो अधिकतर  मानसिक बिमारी के रूप में देखा जा सकता है। जैमिनी अकादमी ने इस परिचर्चा के रूप में पेश किया है। अब आयें विचारों को देखते हैं : -
      अकड़ और घमंड जिसमें होता है इसी के चलते न वह किसी का सम्मान करता है और न ही कुछ सीखना-समझना चाहता है। इसी के चलते लोग दूरी बनाने लगते हैं और वह अकेला पड़ता चला जाता है। एक कहावत चली आ रही है कि घमंड तो इतने योग्य और विद्वान रावण का भी नहीं रहा तो इंसान क्या चीज है? वास्तव में यह एक मानसिक व्याधि ही है जिससे ग्रसित व्यक्ति अपने आप को ही सर्वेसर्वा समझता है। समय ही एक ऐसा चिकित्सक है जो अंत समय में व्यक्ति को समझा ही देता है की वह कितना गलत था, पर तब तक समझने में बहुत देर हो जाती है।

    - डा० भारती वर्मा बौड़ाई 

      देहरादून - उत्तराखण्ड

         हाँ! अकड़ और घमंड एक बीमारी ही तो है जिसका इलाज किसी भी पद्धति यानी अँग्रेजी,आयुर्वेद, युनानी, होमिओपैथी, योग इत्यादि में  नहीं है. इसका इलाज सिर्फ समय के पास ही है. और यह एक ऐसी बीमारी है जो किसी के पास रहती नहीं है उसे बर्बाद कर के ही जाती है. दुनिया की सभी बीमारियां खान-पान के अशुद्धियों के कारण आती हैं लेकिन घमंड और अकड़ पैसा या पावर के बहुतायत से आती है. जैसे रावण के पास शक्ति व वरदान के कारण घमंड आ गया था लेकिन समय के साथ उसका भी घमंड चाला गया यानी समय ने उसका इलाज कर दिया. तब से कहा जाने लगा कि महाबली रावण का घमंड नहीं रहा तो किसी का नहीं रहेगा. 

- दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "

     कलकत्ता - पं. बंगाल

          यह बात सही है कि समय बड़ा बलवान होता है। समय सभी को समय आने पर सीखा देता है।ऐसे  अनेक उदाहरण हैं, जैसे रावण जैसा गुणी ज्ञानी व्यक्ति को भी उसके अकड़ और घमंड ने उसे कहीं का ना छोड़ा। रावण का  सारा कुछ नेस्तनाबूद हो गया। तभी तो अकड़ और घमंड को बिमारी का हीं स्वरूप कहा जाता है। समय की मार सब पर भारी पड़ती है अच्छे -अच्छों के अकड़ ठिकाने लगा देती है।

    - डॉ. पूनम देवा 

        पटना - बिहार 

        अक्कड और घमंड एक ऐसी बिमारी है  जो मनुष्य को पतन की ओर धकेलती है। मनुष्य के  पास  धन अधिक होने से या ऐशो आराम अधिक होने के कारण मनुष्य को अहऺकार आ जाता है  जो समय-समय पर पतन का कारण  बन जाता है। यदि इसे रोकना हो तो उचित विद्या अध्ययन तथा सत सऺगति के अनु सर्च सरण की आवश्यकता है।  तभी हम समय रहते घमंड पर नियंत्रण रख सकेंगे।।

     -  मदन हिमाचली

 नौणी - हिमाचल प्रदेश

          मिथक कहानी का एक पात्र *रावण* था। जिसके बल-बुद्धि-ज्ञान का उदाहरण दिया जाता है तो साथ में उसके अकड़ और घमंड का भी उदाहरण दिया जाता है- उसके परिणाम की कहानी पढ़कर भी इस काल के अधिकांश इंसान चेतने की कोशिश नहीं करते हैं- रावण के अकड़ और घमंड का इलाज समय पर राम के द्वारा कर दिया गया था।आज के काल में भी अकड़ और घमंड एक बिमारी का नाम है : लेकिन जिसे यह रोग लगा रहता है उसे एहसास नहीं होता कि वह रोगग्रस्त है : अपने को हाथी और सामने वाले को चींटी समझने की भूल करता रहता है- अब हाथी चींटी की कहानी की तरह उसका इलाज समय करता है

 - विभा रानी श्रीवास्तव 

      पटना - बिहार 

        किसी भी व्यक्ति को कभी भी अकड़ और घमंड नहीं करना चाहिए।यह एक बीमारी का नाम है,जो इंसान घमंड करता है।उसका घमंड टूट जाता है ।समय बड़ा मूल्यवान होता है।हमेशा उसकी जीत होती है।इसके सामने सभी हार जाते हैं।सबका इलाज समय करता है।जिस व्यक्ति का समय अच्छा रहेगा,वह जो काम करेगा,उसमें वह सफ़ल होगा। इसलिए सही कहा गया है समय मूल्यवान होता है और इंसान इसके सामने नत मस्तक हो जाते हैं।

    - दुर्गेश मोहन

     पटना - बिहार

       समाज में अनेक प्रकार और आदतों के लोग विद्यमान हैं इनमें कुछ लोग मृदु स्वभाव के होते हैं जबकि कुछ अकड़ और घमंड में रहते हैं और इस के वशीभूत हो कर दूसरों की बेइज्जती और अपमान करने से नहीं चूकते। पैसे और संपत्ति के मद में ये लोग ऐसे अंधे हो जाते हैं कि इन्हें उचित और अनुचित में भी फर्क करना नहीं आता। ऐसे लोग शांति से जी रहे लोगों के लिए हर कभी परेशानी का सबब बनते हैं। शरीफ लोग ऐसे घमंडी लोगों से दूरी ही बना कर रखने में अपनी भलाई समझते हैं। पर समय के साथ साथ ऐसे घमंडी और अकडू लोग आम लोगों से इन्हीं आदतों की वजह से दूर होते जाते हैं और समय आता है जब ऐसे लोग एक अदद दोस्त के लिए भी तरसते हैं।

       -  सुरेन्द्र मिन्हास 

 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश 

     अकड़ और घमंड वास्तव में एक  बीमारी का नाम है, जिसमें इस बीमारी का थोड़ा सा भी लक्षण दिखाई  दे। समझो उसका नाम या यश कुछ ही दिनों का  यानि पानी के बुलबुले के समान है। कहावत है घमण्ड के कारण ही कौरव और रावण का विनाश हुआ। घमंड और अकड़ के कारण ही आजकल के रिश्ते और जीवन  नकारात्मकता की ओर जा रहे हैं।अकड़ और घमंड हमें अपने आसपास के लोगों से दूर कर सकता है, और हमें अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों से भटका सकता है।समय ही वास्तव में इसका इलाज है, क्योंकि समय के साथ हमें अपने अनुभवों और गलतियों से सीखने का अवसर मिलता है। समय ही हमें अपनी अकड़ और घमंड को कम करने और अपने आप को सुधारने का मौका देता है। इसलिए, हमें अपने आप को समय के साथ बदलने और सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। अकड़ और घमंड का इलाज  वास्तव में समय ही है, अतः सचेत रहना आवश्यक है। 

     - रंजना हरित 

    बिजनौर - उत्तर प्रदेश 

     इतिहास साक्षी है अकड़ और घमंड एक बीमारी है, अच्छे-अच्छों की अकड़ और घमंड चूर-चूर करके रख देती है। मानवो,राक्षसों,पशुओं में देखा जा सकता है। अकड़ और घमंड प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप में अभिप्राय है। चल-अचल सम्पत्ति, सत्ता में मद होश होकर चलते है, हम है तो कोई नहीं। जिस तरह से शेयर बाजार में उछाल आता जरुर है, गिरावट भी होती है। लेकिन अकड़ और घमंड एक ही सिक्के के दो पहलू है। इसमें गिरावट सोच समझ कर ही आती है, जिस का इलाज सिर्फ समय करता है। जिसनें समय, धूपछाँव, सुख-दुःख को पहचान लिया, अगर समानांतर रुप में जीवन यापन करें तो अकड़ और घमंड आ ही नहीं सकता। बस सबको कठपुतली जैसा नचाना चाहता है। यही है जीवन का करवा सत्य.....?

  - आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

        बालाघाट - मध्यप्रदेश

       कहते हैं ना.." समय बड़ा बलवान" और यह सच है। अकड़ और घमंड चाहे जितनी शक्ति लगा लें किंतु समय की शक्ति के आगे झुक ही जाता है। रावण को ही देख लें...। कितना बलवान, शक्तिशाली , बुद्धिमान धनवान था। उसे अपनी सोने की लंका पर कितना घमंड था। उसे इतना घमंड था कि  अपनी इन शक्तियों के आगे किसी को कुछ समझता ही नहीं था। उसे अकड़ और घमंड की बीमारी थी। इस बीमारी से ग्रस्त आदमी के आगे पीछे जब मैं का किडा़ दीमक की तरह मंडराने लगता है तब वह अपनी अकड़  अहंकार के बोझ तले दब घायल हो जाता है। 'दिया हुआ दान और किया हुआ पाप'  को समय देर सबेर उसका फल अवश्य देता है। कर्म का फल निश्चित मिलता है चाहे बुरे कर्म हो अथवा अच्छे किंतु कब मिलेगा यह समय ही निर्धारित करता है। समय बडा़ बलवान है।अतः हमें अच्छे कर्म करना चाहिए चूंकि समय कहता है मैं तुम्हारी खबर हर वक्त लेते रहूंगा ...

    - चंद्रिका व्यास 

      मुंबई - महाराष्ट्र 

      अकड़ और घमंड ऐसे चारित्रिक दोष हैं जो स्वयं के व्यवहारिक जीवन को तो कुप्रभावित करते ही हैं, निज की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँचाते हैं। सामने भले ही कोई कुछ न बोले लेकिन अंतर्मन से ऐसे लोगों को कोई पसंद नहीं करता। ऐसे लोग जिद्दी किस्म के भी होते हैं और किसी के समझाने से भी नहीं मानते और अपनी अकड़ में रहे आते हैं। इनका इलाज सिर्फ और सिर्फ समय ही करता है।  वर्तमान ही नहीं इतिहास भी ऐसे अकड़बाज, घमंडी लोगों के हश्र  से भरा पड़ा है और आखिर में पछतावा ही रह जाता है। मगर अफसोस है कि ऐसे लोग इतिहास से भी सबक नहीं लेते। संक्षेप और सार में कहें तो हमें अकड़ और घमंड से बचना चाहिए और दूसरों को अपने आगे छोटा न समझने की गलती न करते हुए उनका यथोचित मान-सम्मान देना चाहिए। तभी बदले में हमें भी दिल से मान-सम्मान मिलेगा।   

    - नरेन्द्र श्रीवास्तव

    गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

       अकड़ और घमंड एक बीमारी का नाम है ! एक ही सिक्के के दो पहलू है! ! राम रावण , रामायण काल कृष्ण -कंस  और महा भारत काल की जिसको पढ़कर इंसान इलाज वक्त की तरह इस्तेमाल करता है ! सलीम को अनारकली से मिलने ना देना , ईट पत्थरों के बीच चुनवाँ देना अकड़ शहंशाह वालो बाते थी !फिर ठंडे दिमांग से सोच इंसानियत का धर्म निभाते अकबर ने अलग रास्ता स्तमाल कर सराफत दिखाई ! द्रोणाचार्य बाण की सैया में लेट कष्ट बीमारी से मुक्ति पाई  ।  जिस का इलाज सिर्फ समय करता है ! आज हम ये स्तिथि पूरे विश्व में युद्ध काल के दौरान हर राज्य देश काल विषय अनुरूप चलते है  विजय हासिल करते है! 

     - अनिता शरद झा 

     रायपुर - छत्तीसगढ़ 

    " मेरी दृष्टि में " अकड़ और घमंड सदा किसी का नहीं रहा है। समय सब का हिसाब कर देता है। फिर घमंड कैसे टूटता है सब देखते हैं।  सिकंदर दुनिया को जीतने चला था। यह उस का घमंड था। परन्तु समय ने सब कुछ बदल कर रख दिया। इसे मानसिक बिमारी भी कहां जाता है। 

       - बीजेन्द्र जैमिनी 

     (संचालन व संपादन)

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